Saturday, April 27, 2024
44 कुल लेख

प्रो. रसाल सिंह

प्रोफेसर और अध्यक्ष के रूप में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग, जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। साथ ही, विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, छात्र कल्याण का भी दायित्व निर्वहन कर रहे हैं। इससे पहले दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ाते थे। दो कार्यावधि के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद के निर्वाचित सदस्य रहे हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में सामाजिक-राजनीतिक और साहित्यिक विषयों पर नियमित लेखन करते हैं। संपर्क-8800886847

ईसाई रीति-रिवाज और पवित्र तेल से बना राजा: जो चले थे ‘ज्ञान का उजियारा’ देने… उनका लोकतंत्र आज अंधेरे में

भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराओं का मजाक उड़ाने वाले अंग्रेजों में आज भी ईसाई कुप्रथाएँ ऐसी फैली हैं कि राजा तक को...

हिंदुओं को दो हथियारों का लाइसेंस और सस्ती जमीन: J&K में सुरक्षा समिति बनाना वक्त की माँग, आतंकियों के रहनुमाओं को कुचलना होगा

सरकार को इस्लामी आतंकियों की रहनुमाई करने वाले नेताओं और सामाजिक संगठनों के खिलाफ भी सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

डरने का नहीं, हिंदुओं को सुरक्षित बसाने का समय है: कश्मीर में आतंकियों की कमर तोड़ने के लिए उठाने होंगे और कड़े कदम, अब्दुल्ला-मुफ्ती...

कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35 ए की समाप्ति हुए 3 वर्ष से अधिक समय बीत गया है। केंद्र सरकार ने इस दौरान वहाँ जमीनी बदलाव लाने के लिए अनेक काम किए हैं।

‘मेरे मामा मेरी मातृभूमि से बढ़कर नहीं हो सकते’: जिसने उत्तर-पूर्व की रक्षा के लिए मामा का भी किया वध, जिसके ‘त्रिभुज’ में औरंगजेब...

मुगल आक्रांताओं से उत्तर-पूर्व भारत की पवित्र भूमि की रक्षा करने वाले वीरयोद्धा लाचित बरपुखान का जीवन और व्यक्तित्व शौर्य, साहस, स्वाभिमान, समर्पण और राष्ट्रभक्ति का पर्याय है।

‘भारत को मजबूत राष्ट्र के रूप में नहीं उभरने देना चाहते थे ब्रिटिश’: महाराजा के विलय प्रस्ताव को स्वीकारने में नेहरू ने देरी की,...

वामपंथियों ने गलत तथ्य फैलाया कि महाराजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर को स्वतंत्र राज्य बनाना चाहते थे, जबकि ऐसा विकल्प किसी रियासत को नहीं मिला था।

वो हिंदुस्तानी जो अभी भी नहीं हैं आजाद: PoJK के लोग देख रहे आशाभरी नजरों से भारत की ओर, हिंदू-सिखों का यहाँ हुआ था...

विभाजन की विभीषिका को भी भुलाया नहीं जा सकता। स्वतंत्रता-प्राप्ति का मूल्य समझकर और स्वतन्त्रता का मूल्य चुकाकर ही हम अपनी स्वतंत्रता को सुरक्षित और संरक्षित कर सकते हैं।

कारगिल का वह युद्ध जिसने बताई ‘अग्निवीर’ की जरूरत: जानिए 2 शैतानों से मुकाबिल सेना को कैसे आधुनिक और हाइटेक बना रही मोदी सरकार

1999 के और आज के समय में बहुत फ़र्क है। भविष्य के युद्धों में सैनिकों की संख्या से ज्यादा महत्वपूर्ण उनकी दक्षता, अत्याधुनिक हथियार और उपकरण, सूचना-तकनीक ढाँचा आदि होंगे। इसलिए भारतीय सेना को नई जरूरतों के अनुसार तैयार किया जाना आवश्यक है।

जम्मू कश्मीर में गैर-मुस्लिमों की घरवापसी पर आतंक, हत्याएँ: ‘अल्पसंख्यकों’ की असली कहानी, शिकारी को ही संरक्षण और प्रश्रय

वे अल्पसंख्यक कैसे हैं? उन्हें किस प्रकार का संकट या असुरक्षा है? उन्हें किससे और क्या खतरा है? जम्मू-कश्मीर के ‘अल्पसंख्यकों’ ने...

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