अपने बारे में का बताएँ गुरु, बस बनारसी हूँ, इसी में महादेव की कृपा है!
बाकी राजनीति, कला, इतिहास, संस्कृति, फ़िल्म, मनोविज्ञान से लेकर ज्ञान-विज्ञान की किसी भी नामचीन परम्परा का विशेषज्ञ नहीं हूँ!
कॉन्ग्रेस और एसपी, बीएसपी के बीच चुनावी मैदान में शैडो बॉक्सिंग केवल बीजेपी के वोट काटने के लिए एक छद्म मोर्चा था, क्योंकि उनमें से कोई भी वास्तव में इतना आश्वस्त नहीं था कि वो लोकसभा चुनाव में अपने दम पर कुछ कर सकते हैं। प्रियंका गाँधी वाड्रा का बयान भी इसी की पुष्टि करता है।
यह वीडियो एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ राजनीतिक प्रचार के रूप में कम और हिंदू आतंकवाद सिद्धांत को फिर से हवा देने की रूपरेखा के रूप में ज़्यादा है। कॉन्ग्रेस पार्टी सत्ता में वापस आने के लिए अब देश ही क्या, यहाँ की संस्कृति और सहिष्णुता का भी घोर अपमान करने पर तुली हुई है। सत्ता और तुष्टिकरण के लिए अब ये कोई भी सीमा लाँघ सकते हैं।
यह भी सच है कि कई सवाल न केवल अंदरूनी सूत्र आरवीएस मणि और पीड़िता साध्वी प्रज्ञा द्वारा उठाए गए हैं, बल्कि कई अन्य लोगों ने उनके आचरण और मिलीभगत के बारे में ‘भगवा आतंक’ का झूठ गढ़ने के लिए उठाए हैं। सच्चाई शायद बीच में कहीं है। लेकिन साध्वी प्रज्ञा की आवाज़ को चुप कराने की कोशिश करने वाले, इन तमाम मीडिया गिरोहों से कोई भी उम्मीद करना बेमानी है।
लड़ाई मजेदार है। इस चुनाव में AAP-कॉन्ग्रेस से लेकर उन तमाम न्यूट्रल पक्षकारों की भी अस्मिता दाँव पर लगी है जो अभी तक विभिन्न संस्थाओं पर कब्ज़ा जमाकर सत्ता की मलाई खा रहे थे।
"मैं हिंदुस्तान से प्रेम करता हूँ। मैं जियूँगा हिंदुस्तान के लिए और मरूँगा हिंदुस्तान के लिए, मेरे शरीर का प्रत्येक कण हिंदुस्तान के काम आए और मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण हिंदुस्तान के काम आए, इसलिए मेरा जन्म हुआ है।”
इस समस्या से उबरने के लिए पूरी दुनिया को एक होने की जरुरत है, हम सब को अपने अपने स्तर पर कोशिश करते रहने की जरुरत है। हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के पीछे भी यही मकसद है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जा सके। लेकिन साल के किसी एक दिन को इस तरह की दिवस मनाकर हम इस विकराल समस्या को नही सुलझा सकते, इसके लिए पूरे वर्ष सतत प्रयास करते रहने की जरूरत है।
यह बिलबिलाहट जनाधार खो चुकी लुटेरी पार्टियों और चाटुकार पक्षकारों का सामूहिक रुदन है। जब तक यह सर्वजन के हित की बात नहीं करेंगे। तब तक इनका भला नहीं होने वाला अब जनता जाग चुकी है, धोखे से न नेता को वोट मिलने वाला है और न ही पक्षकारों को रीडर या दर्शक।
ताशकंद फाइल लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत के बारे में बात करती हैं। विवेक ने कहा कि उनसे नफरत करने में इन "उदारवादियों" ने लाल बहादुर शास्त्री से सिर्फ इसलिए नफरत करना शुरू कर दिया है क्योंकि वह राष्ट्रवाद के प्रतीक थे।