Tuesday, November 19, 2024
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‘भूल’ मोहम्मद सुलेमान की, कीमत अमर कुमार ने जान देकर चुकाई… पर राहुल गाँधी ने बरौनी में रेलकर्मी की मौत को ‘अडानी और बहाली’ से जोड़ राजनीति में घसीटा

बिहार के बेगूसराय स्थित बरौनी रेलवे स्टेशन पर 9 नवंबर को 35 वर्षीय एक रेलवे कर्मचारी की इंजन और कोच के बीच दबने से मौत हो गई। यह दुखद घटना शंटिंग ऑपरेशन के दौरान हुई है। पीड़ित की पहचान पॉइंट्समैन अमर कुमार राउत के रूप में हुई है। वह व्यक्ति इंजन और कोच के साइड बफ़र्स से कुचला गया था।

रिपोर्ट्स के अनुसार, यह घटना तब हुई जब वह बरौनी जंक्शन पर लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस के टर्मिनेशन के बाद उसका इंजन अलग किया जा रहा था। अमर सेंटर बफर कपलर को बंद करने के लिए इंजन और कोच के बीच में घुसे हुए थे। अचानक लोको पायलट ने इंजन को बैक किया तो अमर साइड बफर्स ​​के बीच में दब गए। इसमें एक रेलवेकर्मी की लापरवाही सामने आई है।

हालाँकि, रायबरेली से कॉन्ग्रेस के लोकसभा सांसद राहुल गाँधी ने इस घटना के लिए सरकार को दोषी ठहराया है। राहुल गाँधी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पोस्ट में लिखा, “आम लोग कब safe होंगे, मोदी जी? आप तो बस ‘एक’ अडानी को safe करने में लगे हुए हैं। ये भयावह तस्वीर और खबर भारतीय रेल की लंबी लापरवाही, उपेक्षा और जान बूझकर की गई कम भर्तियों का परिणाम है।”

भारतीय जनता पार्टी (BJP) आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गाँधी की टिप्पणी पर उनकी आलोचना की है। उन्होंने अपनी सोशल मीडिया हैंडल X (पूर्व में ट्विटर) के एक पोस्ट में लिखा, “किसी की दुर्घटना में दुखद मृत्यु पर इस तरह की घटिया राजनीति इस देश के नेता प्रतिपक्ष के कद को छोटा करती है। इस घटना की जाँच हो गई है।”

मालवीय ने आगे कहा, “जाँच में यह निष्कर्ष निकला है कि मृतक के सहकर्मी मोहम्मद सुलेमान की गलती और लापरवाही की वजह से कांटावाला अमर कुमार की जान गई। अगर समझ और संवेदना शून्य नहीं हुए तो इस वीभत्स पोस्ट को डिलीट करो और अमर कुमार के परिवार से माफी माँगो।” इसके साथ ही उन्होंने जाँच की रिपोर्ट में शेयर की है।

BJP नेता मालवीय द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, “रेलवे अधिकारियों ने अपनी जाँच में पाया है कि ‘पॉइंट्समैन मोहम्मद सुलेमान और पॉइंट्समैन अमर कुमार राउत के बीच उचित समन्वय और सामंजस्य की कमी के कारण भ्रम की स्थिति पैदा हो गई और मोहम्मद सुलेमान ने लोको पायलट को गलत संकेत दे दिया, जिससे दुर्घटना हुई।”

ऐसा है घटनाक्रम

इस घटना को लेकर पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक छत्रसाल सिंह ने एक जाँच दल गठित की थी। इस जाँच दल द्वारा दी गई रिपोर्ट में घटनाक्रम के बारे में विस्तार से बताया गया है। जाँच रिपोर्ट के मुताबिक, 9 नवंबर 2024 को सुबह 08:10 बजे ट्रेन संख्या 15204 (लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस) बरौनी स्टेशन पर लाइन संख्या 06 पर पहुँची।

इसके बाद स्टेशन मास्टर नागमणि ने पॉइंट्समैन मोहम्मद सुलेमान और अमर कुमार राउत को इंजन को अलग करने का निर्देश दिया। सुबह 8:12 बजे तक लोको शंटर राकेश रौशन ने इंजन को अपने नियंत्रण में ले लिया और 8:15 बजे ट्रेन को उसके लोड के साथ पावर कार में ईंधन भरने के लिए फ्यूलिंग पॉइंट पर ले जाया गया।

साभार: Incognito_qfs/X

लगभग 08:27 बजे पॉइंट्समैन मोहम्मद सुलेमान ने बफर के लिए संकेत दिया और हाथ के इशारे से लोको शंटर को आगे बढ़ने का संकेत दिया। कुछ ही समय बाद 08:28 बजे सुलेमान ने फिर से हाथ के इशारे से इंजन को पीछे की ओर बढ़ने का संकेत दिया। फिर, लगभग 8:29 बजे सुलेमान वापस भागा और इंजन को आगे बढ़ने के लिए तत्काल संकेत दिया।

इसको देखते हुए कई लोग इंजन की ओर दौड़ पड़े, उन्हें लगा कि कुछ गड़बड़ हो गई है। 10:15 बजे तक इंजन और पावर कार को अलग करके अमर कुमार का शव निकाला गया, जो इंजन और कोच (LWLRRM) के बीच फँसा हुआ था। 11:10 बजे शव को ट्रैक से हटाया गया और बाद में 12:15 बजे एंबुलेंस के जरिए पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

सीसीटीवी फुटेज, गवाहों के बयान और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर जाँच में यह निष्कर्ष निकला कि पॉइंट्समैन मोहम्मद सुलेमान और पॉइंट्समैन अमर कुमार के बीच समन्वय और सामंजस्य की कमी के कारण भ्रम की स्थिति पैदा हुई। इसके कारण सुलेमान ने लोको शंटर को गलत संकेत दिया, जिसके कारण दुर्घटना हुई। इस हादसे का जिम्मेदार मोहम्मद सुलेमान को बताया गया है।

हालाँकि, मोहम्मद सुलेमान ने एक बयान में इस बात से इनकार किया है कि वह इस घटना के लिए जिम्मेदार है। उसने इसके लिए शंटिंग पायलट को दोषी ठहराया है। उसका दावा है कि लोको पायलट ने इंजन को हिला दिया, जबकि उसने हाथ के इशारों या सीटी से कोई संकेत नहीं दिया था। सुलेमान ने कहा कि घटना के समय वह शंटर के सामने इंजन के पास खड़ा था।

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पहली बार सड़कों पर उतरी शेख हसीना की पार्टी, रोकने के लिए युनूस सरकार ने उतार दी फौज: सैकड़ों गिरफ्तार

बांग्लादेश में अब पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के समर्थकों को सड़कों पर उतर प्रदर्शन करने की आजादी भी नहीं है। हाल में उन्होंने प्रदर्शन का आह्वान किया तो पहले ही युनूस खान के नेतृत्व वाली सरकार ने सड़कों पर भारी मात्रा में बांग्लादेशी सेना तैनात कर दी और चेतावनी दी कि अगर कोई जुलूस हुआ तो सख्त कार्रवाई होगी।

खबरों के अनुसार, सेना ने अवामी लीग पार्टी के सैंकड़ों कार्यकर्ताओं को अरेस्ट किया है क्योंकि वो सड़कों पर प्रदर्शन करके विरोध करने जा रहे थे। वहीं भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड की 191 टुकड़ियों को तैनात किया गया है।

मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने चेतावनी देते हुए कहा, “जो भी व्यक्ति सामूहिक हत्यारे और तानाशाह शेख हसीना से आदेश लेकर रैली, सभा और जुलूस आयोजित करने की कोशिश करेगा, उसे कानून लागू करने वाली एजेंसियों की पूरी सख्ती का सामना करना पड़ेगा।”

गौरतलब है कि बांग्लादेश में युनूस सरकार आने के बाद बांग्लादेश में बढ़ रहे अत्याचारों के खिलाफ अवामी लीग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) में शिकायत की गई थी। साथ ही अवामी लीग की ओर से फेसबुक पर बयान जारी कर पार्टी समर्थकों से रविवार को गुलिस्तान में शहीद नूर हुसैन छत्तर या जीरो पॉइंट पर कुशासन के खिलाफ विरोध के लिए जुटने का आग्रह किया था।

इसी बीच बांग्लादेशी सरकार ने अपना आदेश दिया और सड़कों पर जगह-जगह सेना तैनात कर दी। ये भी मालूम हो कि युनूस सरकार ने शेख हसीना के खिलाफ इंटरपोल के माध्यम से रेड नोटिस जारी किया है और उन्हें भगोड़ा बताया है।

महाराष्ट्र चुनाव से पहले ‘बेरोजगारों’ के खाते में मुस्लिम युवक ने ₹125 करोड़ ट्रांसफर किए, उलेमा बोर्ड ने MVA को दिया समर्थन: शर्त- RSS को बैन करो, 10% रिजर्वेशन दो

महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने अपना सीधा समर्थन कॉन्ग्रेस के नेतृत्व में बने महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन को दिया है। अपने आधिकारिक पत्र में उलेमा बोर्ड ने 17 शर्तों के साथ ये समर्थन देने की बात ही है। इसमें वक्फ बोर्ड को 1000 करोड़ रुपए देने, आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने जैसी माँग की गई है।

इसके अलावा उलेमा बोर्ड ने महाविकास आघाड़ी से वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने और इसे निरस्त करने की माँग की है। वक्फ संपत्तियों से अतिक्रमण हटाने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में कानून बनाने माँग रखी है। महाराष्ट्र बोर्ड में मुसलमानों के लिए 10% आरक्षण और राज्य में पुलिस भर्ती में शिक्षित मुसलमानों को प्राथमिकता देने की माँग उठाई है।

इतना ही नहीं बोर्ड ने भाजपा नेता नितेश राणे और रामगिरी महाराज को तत्काल कारावास में डालने तथा सलमान अझेरी को रिहा करने की माँग की है। साथ ही राज्य सरकार से मोहम्मद पैगंबर के खिलाफ बोलने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानून लागू करने को कहा है। बोर्ड यह भी चाहता है कि राज्य सरकार राज्य में संचालित मस्जिदों के मौलानाओं और इमामों को 15,000 रुपए प्रति माह का भुगतान करे।

बता दें कि एक तरफ उलेमा बोर्ड ने अपना समर्थन देने के लिए ये सारी शर्तें रखी हैं तो दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि एनसीपी नेता शरद पवार ने इन सभी स्थितियों पर संज्ञान लेकर इन्हें स्वीकार भी कर लिया है।

उलेमा बोर्ड की ऐसी माँगे उस समय सामने आई हैं जब पिछले दिनों खुलासा हुआ है कि कैसे राज्य में 180 एनजीओ मिलकर मुस्लिम वोटों को जुटा रही हैं ताकि राज्य से भाजपा को बाहर किया जा सके। ऐसे ही प्रयास लोकसभा चुनावों के वक्त भी हुए थे और इस बार भी शुरू हो गए हैं।

कुछ दिन पहले की बात है महाराष्ट्र के नासिक में 12 युवाओं को बेरोजगार बताकर उनके अकॉउंट में 125 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए थे। हर युवक के अकॉउंट में 12-15 करोड़ भेजे गए। रकम को जमा कराने वाला सिराज अहमद था जो कि एक लोकल व्यवसायी है। उसने मालेगाँव मर्चेंट बैंक के जरिए ये रकम भिजवाई थी। इस मामले के खुलासे के बाद अब नासिक पुलिस जाँच कर रही है कि ये कोई धोखाधड़ी का मामला है या इसके पीछे मंशा अलग है।

भारत में ही है वह मधुपुर जहाँ हिंदुओं को कुओं से नहीं भरने देते पानी, डेमोग्राफी चेंज से त्रस्त झारखंड के निवासी बोले- ये नए लोग हमारे देश के मुसलमान नहीं

झारखंड विधानसभा चुनावों में मतदान के लिए अब कुछ ही दिन बाकी हैं। इस बीच राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों और जनसांख्यिकी बदलाव मुद्दा गरमा गया है। समय-समय पर झारखंड के विभिन्न जगहों से लव जिहाद, लैंड जिहाद, अवैध घुसपैठ और जबरन धर्मांतरण आदि की खबरें आती रहती हैं। भाजपा ने इस बार इस मुद्दे को गंभीरता के साथ उठाया है।

गहरे आदिवासी इतिहास से जुड़ा यह क्षेत्र साहिबगंज, दुमका और पाकुर जैसे जिलों के साथ चुनावी लड़ाई का केंद्र बिंदु बन गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) महिलाओं के लिए 2,500 रुपए मासिक की सहायता और किसानों को अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने का वादा कर रही है।

दूसरी ओर भाजपा का अभियान आदिवासी पहचान (आदिवासी अस्मिता) को लेकर है। भाजपा राज्य में अवैध अप्रवास का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही है, जिसके कारण अवैध रूप से बनाई गईं अनियंत्रित बस्तियाँ क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदल रही हैं। वहीं, JMM जनसांख्यिकी बदलाव के आरोपों को खारिज कर रही है। उसका कहना है कि भाजपा डर पैदा कर रही है।

इस बीच, ऑर्गनाइज़र की रिपोर्ट दूसरी कहानी बयां कर रही है। की एक टीम ने झारखंड के संथाल परगना जैसे तथाकथित मुस्लिम बहुल इलाकों का दौरा किया। वहाँ पर 35 हिंदू परिवार कई तरह की चुनौतियों के बीच अपनी परंपरा को बचाए एवं बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ये हिंदू परिवार उस क्षेत्र के 11,000 से ज़्यादा मुस्लिम परिवारों से घिरे हुए हैं।

हालांकि, ऑर्गनाइजर की टीम जब संथाल परगना पहुँची तो हिंदू परिवार इलाके के मुस्लिम परिवारों के दबाव के बावजूद छठ पूजा मना रहे थे। मानसिंहा और राजमहल जैसे गाँवों में हिंदू परिवार लगभग गायब हो चुके हैं। हर कुछ किलोमीटर पर मस्जिद और मदरसे स्थापित हो चुके हैं। इसके कारण पूरा इलाका किसी मुस्लिम मुल्क के जैसा दिखता है।

ये वो इलाके हैं, जिसको लेकर भाजपा लगातार चिंता जाहिर करती रहती है। इस क्षेत्र में अलग-थलग हो चुके हिंदू समुदाय कई तरह की चुनौतियों से जूझते रहते हैं। स्थानीय मुस्लिम बहुसंख्यक उन्हें मछली मारने नहीं देते। इस तरह वे इस पेशा से दूर हो गए। इसके अलावा, स्थानीय अल्पसंख्यक हिंदुओं को अपनी फसलों बचाने के लिए मुस्लिमों को ‘कर’ के रूप में कुछ देना पड़ता हैं।

ऑर्गनाइजर से बात करते हुए इलाके के धनी चौधरी बताते हैं, “हम वर्षों से कर दे रहे हैं, लेकिन 2014 के बाद चीजें बदल गईं जब हमें लगा कि केंद्र सरकार ने हमें समर्थन दिया है। इस बदलाव से चुनौतियाँ भी आईं। अब हमें मछली पकड़ने वाले क्षेत्रों में जाने नहीं दिया जाता है।” एक अन्य ग्रामीण अशोक चौधरी ने दबाव में त्योहार मनाने के बारे में बात की।

चौधरी ने कहा, “शादियों के दौरान भी संगीत के कारण विवाद पैदा कर दिया जाता है। जब अजान दी जाती है या नमाज पढ़ी जाती है तो बारात को शांत रहना पड़ता है। ढोल-नगाड़े सब बंद करने पड़ते हैं। ऐसा नहीं करने पर हमारे साथ झगड़े और मारपीट के कारण अक्सर खुशियों को खराब कर देती हैं।”

एक अन्य निवासी राजकुमार चौधरी ने तेजी से हो रहे जनसांख्यिकीय बदलाव को लेकर आशंका जताई। उन्होंने कहा, “ये नए लोग हमारे देश के मुसलमान नहीं हैं। महीने दर महीने उनकी संख्या बढ़ती जा रही है और जल्द ही वे बंगाल तक में फैल जाएँगे।” जनसांख्यिकीय बदलाव के बीच छठ पूजा सिर्फ एक उत्सव से कहीं बढ़कर हो गई है। यह लचीलेपन का संदेश है।

हिंदुओं के लिए सब कुछ ठीक नहीं

चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए मधुपुर गईं पत्रकार अदिति त्यागी से बात करने वाले हिंदुओं ने भी इसी तरह की भावनाएँ व्यक्त कीं। एक बुजुर्ग हिंदू ने कहा कि हिंदुओं को कुओं से पानी भरने भी नहीं दिया जाता है। जब अदिति ने बुजुर्ग से पूछा कि वहाँ के लोगों के मुख्य चुनावी मुद्दे क्या हैं तो बुजुर्ग का गला रुंध गया और कहा- कुँआ बनवाना।

उन्होंने कहा, “हम चार महीने पहले स्थानीय मंत्री हफीजुल अंसारी के पास कुआँ बनवाने के लिए गए थे उन्होंने मदद करने से इनकार कर दिया और कहा कि हिंदुओं को कुछ नहीं मिलेगा।” उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को सारी सुविधाएँ मिलती हैं, लेकिन हिंदुओं को कुछ नहीं मिलता। अपने खेत की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “अगर हमारे पास कुआँ होता तो हम सब्ज़ियाँ उगा सकते थे।”

दुर्गा प्रतिमा विसर्जन की भी अनुमति नहीं

एक अन्य स्थानीय हिंदू निवासी ने आपबीती बताई और कहा कि प्रदीप मोदी नाम के एक हिंदू व्यक्ति का घर जलाने की कोशिश की गई। उसने कहा, “दुर्गा पूजा के दौरान हमारी मूर्ति विसर्जन जुलूस को रोक दिया गया… इस दुर्गा पूजा के दौरान… पुलिस स्टेशन से लेकर हर विभाग तक दबाव बनाए रखा जाता है।” इसका आरोप भी उस व्यक्ति ने मंत्री हफीजुल अंसारी पर लगाया।

उसने कहा कि मंत्री हफीजुल अंसारी ने स्थानीय प्रशासन पर हिंदुओं को त्योहार मनाने और कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं देने का दबाव बना रखा है। उन्होंने कहा, “जहाँ हिंदू अल्पसंख्यक हो जाते हैं, वहाँ वे हमें अज़ान के दौरान डीजे बजाने या मुस्लिम बहुल इलाकों से जुलूस निकालने की अनुमति नहीं देते।”

गोपीनाथपुर में हिंदुओं पर पथराव

एक अन्य वीडियो में हिंदू महिलाओं ने अपनी आपबीती साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे इस साल जून में गोपीनाथपुर में मुस्लिमों ने उन पर पथराव किया था। पास में ही खड़े एक बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा, “उनकी संख्या 10,000 से ज़्यादा थी। पुलिस उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकी। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए उन्हें हवा में गोलियाँ चलानी पड़ीं। उस दिन सिर्फ़ पुलिस की वजह से हम सब बच पाए थे।”

हिंदू महिला ने कहा, “वे अब भी हम पर हमला करते हैं। वे हमारे घरों में घुस जाते हैं।” झारखंड में जहाँ हिंदू अल्पसंख्यक हैं, वहाँ की स्थिति खतरनाक हो गई है। इन इलाकों में जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक तनाव बहुत गहरा है। इस चुनाव में वे स्वतंत्र रूप से मतदान कर पाएँगे या नहीं, यह भी बहुत बड़ा सवाल है।

बीफ खिलाया-नमाज पढ़वाया, मुस्लिम बॉयफ्रेंड ने रिनिमा बोराह को बना दिया आयशा हुसैन: ‘मिसेज इंडिया गैलेक्सी’ ने बताया रोंगेटे खड़े करने वाला दर्द, फिर बोली मैं- लव जिहाद नहीं मानती

हाल में ‘मिसेज इंडिया गैलेक्सी 2024’ प्रतियोगिता को जीतने वाली रिनिमा बोराह ने खुलासा किया था कि कैसे उनके पूर्व मुस्लिम बॉयफ्रेंड ने उन्हें रिश्ते में रहने के दौरान जबरन बीफ खिलाया था और नमाज पढ़ने को मजबूर किया था। उन्होंने यह खुलासा असमिया यूट्यूबर अबोयोब भुयान के पॉडकॉस्ट में किया था जोकि 8 नवंबर को यूट्यूब चैनल पर डाला गया।

इस पॉडकास्ट में उन्होंने बताया, “मैंने पिछले 16 साल से गंदा व्यवहार सहा है। मुझे शायद इसे भूलने में सालों लग जाएँगे। मैं हर दिन खुद को ये कहकर सांत्वना देती हूँ कि अब वे दिन समय बीत गया है। लेकिन जब आज भी कुछ लोग कहते हैं कि सारी गलती मेरी थी तो मैं आज भी उस लड़ाई को लड़ती हूँ।”

बोराह ने बताया, “16 साल की उम्र में ही मैं बेंगलुरु पढ़ने गई थी। वहाँ मैं एक मुस्लिम लड़के के साथ रिश्ते में आई। बाद में उसने मुझे गाली देनी शुरू कर दी। मुझे लगा शायद माता-पिता की तरह ही वो मुझे मेरे भले के लिए गाली देता है। कई बार मैं उसका रवैया देख उसे तालिबानी भी कहती थी… वो मुझे बेरहमी से पीटता था। मुझे वह दिन याद है जब उसने मुझे जबरन बीफ खिलाया… उसके अम्मी-अब्बा ने मुझे वो बीफ खाने के लिए बहुत मजबूर किया था। उन्होंने मेरा नाम भी रिनिमा बोराह से बदलकर आयशा हुसैन रख दिया था और मुझे नमाज पढ़ने को मजबूर करते थे।”

इंटरव्यू के दौरान रिनिमा ने यह माना था कि उनकी स्थिति लगभग लव जिहाद वाली थी। उनका बॉयफ्रेंड उन्हें ये भी धमकी देता था कि अगर उन्होंने उसे छोड़ा तो वह उनपर एडिड फेंक देगा। आदि।

रिनिमा बोराह पलटीं लव जिहाद की बात से

इस इंटरव्यू के बाद सोशल मीडिया पर लव जिहाद को लेकर चर्चा तेज हो गई। लोग उनकी वीडियो शेयर करके लड़कियों को सचेत करने लगे। लेकिन, जैसे ही ये सब शुरू हुआ तभी रिनिमा बोराह ने अपने बयानों से उलट जाकर बयानबाजी कर दी और लव जिहाद की घटनाओं को नकार दिया।

उन्होंने जबरन नमाज पढ़ाने की बात, बीफ खिलाने की बात, नाम बदलने की बात सब पॉडकॉस्ट में स्वीकारी थी मगर बाद में एक पोस्ट किया कि वो लव जिहाद जैसी चीजों में मानती ही नहीं। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, “इस रील को देखने के लिए आप सभी का धन्यवाद, लेकिन मैं एक बात बहुत स्पष्ट कर देना चाहती हूँ। मैं ‘लव जिहाद’ की अवधारणा पर विश्वास नहीं करती या उसका समर्थन नहीं करती- ये एक विचारधारा जो मुझे लगता है कि प्रेम, सम्मान और समझ के आधार पर अपने रिश्ते चुनने के हमारे मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।”

रिनिमा बोराह ने कहा, “पूरे पॉडकॉस्ट में मैंने एक व्यक्ति से जुड़ा व्यक्तिगत अनुभव साझा किया था न कि पूरे मजहब से। मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है कि यह बातचीत वास्तविक मुद्दे, घरेलू हिंसा पर केंद्रित रहे, न कि मजहबी मतभेदों पर।”

उन्होंने अपने दर्शकों से कहा, “मैं सभी को पूरी समझ के लिए पूरा पॉडकास्ट देखने के लिए प्रोत्साहित करती हूँ और इसे मजहबी मामले में बदलने से बचने को कहती हूँ। आइए बातचीत को सम्मानजनक और सहानुभूति पर आधारित रखें।”

लव जिहाद की बढ़ रही घटनाएँ

गौरतलब है कि एक तरफ रिनिमा आपबीती सुनाने के बाद जहाँ समाज में लव जिहाद न होने के कॉन्सेप्ट की बात करती हैं वहीं बता दें कि ऑपइंडिया ने लव जिहाद के 153 मामले सिर्फ 2023 में रिपोर्ट किए थे और यही संख्या 2022 में भी रिपोर्ट की गई थी। आज रिनिमा भले ही वामपंथी प्रभाव में आकर अपने अनुभव और उसकी सच्चाई को सबके सामने रखने से डरती हैं लेकिन हकीकत तो यह है कि अनगिनत महिलाओं के ऊपर हुए अत्याचार वो नहीं नकार सकतीं, जिन्हें फँसाने का और प्रताड़ित करने का ढंग एक ही था।

‘नहीं होगा कोई जागरण’: लुटियंस दिल्ली में TMC सांसद साकेत गोखले ने माता की चौकी में डाला विघ्न, स्थानीय निवासी बोले- हर साल होता रहा है आयोजन

तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) सांसद साकेत गोखले पर आरोप लगा है कि उन्होंने अपनी माँ की बीमारी का हवाला देकर एक अपार्टमेंट में हो रहे देवी माँ के जागरण को रुकवा दिया और आयोजकों पर अपना गुस्सा भी निकाला। उनकी इस हरकत पर स्थानीय लोगों ने नाराजगी जताई है। लोगों का कहना है कि ये जागरण हर साल होता था, मगर इस बार सांसद ने पुलिस भिजवाकर कार्यक्रम रुकवा दिया।

समाचार एजेंसी IANS ने वीडियो साझा करते हुए कहा है, “तृणमूल कॉन्ग्रेस सांसद साकेत गोखले ने अपनी माँ की बीमारी का हवाला देते हुए विशंभर दास मार्ग स्थित सिंधु गोमती अपार्टमेंट में होने वाले वार्षिक माता जागरण को रुकवा दिया। घटना के बाद अपार्टमेंट के निवासियों में नाराजगी है।”

एक निवासी ने बताया कि सांसद पंडाल में आए और कहा, “मैं इतनी तेज आवाज की अनुमति नहीं दूँगा। मेरी माँ को दिल की बीमारी है। अगर उनको कुछ हुआ तो आपका नाम आएगा।” निवासियों ने बताया कि अपनी माँ की तबीयत के कारण उन्होंने सोसायटी में हर साल होने वाले जागरण को नहीं होने दिया जिसमें आसपास के लोग शामिल होते हैं।

स्थानीय लोगों के मुताबिक वे चाहते थे कि जागरण कम आवाज में होने दिया जाए। वे लोग शांतिपूर्वक ढंग से जागरण करने को तैयार थे। मगर सांसद आए और उन्होंने जागरण रुकवाने के लिए पुलिस को भेज दिया। इस दौरान जागरण में भाग लेने के लिए बच्चे, महिलाओं, और बुजुर्ग बड़ी संख्या में बैठे थे। मगर किसी की कोई बात नहीं सुनी गई। फिर सभी श्रद्धालु अपनी समस्या लेकर पूर्व दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता के पास गए।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक आदेश गुप्ता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “यहाँ पर पिछले पच्चीस सालों से यह जागरण हो रहा है और कभी कोई बाधा नहीं आई। लेकिन आज बड़ी हैरानी की बात है और बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है की जो सनातन धर्म के विरोधी हैं, उनका चेहरा उजागर हो गया है। लोगों ने जागरण के लिए बड़ी मेहनत की थी। बड़ी धार्मिक भावना के साथ स्टाफ क्वार्टर के लोग मिलकर कर रहे हैं और हम लोग इनका समर्थन करते हैं। ईश्वर टीएमसी के सांसद को सद्बुद्धि दे और माता की चौकी यहाँ हो जाए, नहीं तो उनका ये चेहरा तो उजागर हो गया है।”

ऑनलाइन गेम में फँसाई हिंदू लड़की से दोस्ती, फिर होटल बुलाकर रेप किया: बिहार का समीर मंसूर ओडिशा में गिरफ्तार, धर्मांतरण का बना रहा था दबाव

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में एक महिला ने शुक्रवार (8 नवंबर 2024) को समीर मंसूर नाम के एक मुस्लिम युवक पर लव जिहाद का आरोप लगाते हुए केस दर्ज करवाया है। यौन शोषण की शिकार पीड़िता का आरोप है कि उसे लम्बे समय से इस्लाम कबूल करने पर मजबूर किया जा रहा है। इनकार करने पर पिटाई की जाती थी। मूल रूप से बिहार के रहने वाले आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामले की शिकायत भुवनेश्वर के महिला थाने में की गई है। मूल रूप से जगतसिंहपुर जिले के कुजंग पुलिस थाना क्षेत्र की रहने वाली पीड़िता ने शुक्रवार को बताया कि साल 2022 में ऑनलाइन गेम ‘फ्री फायर’ खेलते हुए उसकी जान-पहचान एक युवक से शुरू हुई थी। इस दौरान समीर मंसूर ने अपना मजहब छिपा लिया था। थोड़े ही समय में दोनों के बीच नजदीकी बढ़ गई।

पीड़िता ने आरोप लगाया कि कुछ दिनों के बाद समीर ने उसे अपने झाँसे में ले लिया। वह मार्च 2024 में ओडिशा आकर लड़की से मिला। वह लड़की को एक होटल में ले गया और वहाँ पीड़िता से रेप किया। इस दौरान आरोपित समीर मंसूर ने इसका वीडियो भी बना ली। कुछ समय बाद समीर मंसूर पीड़िता पर इस्लाम कबूल करके उससे निकाह करने का दबाव बनाने लगा।

जब लड़की को पता चला कि समीर मुस्लिम है तो उसने आरोपित से दूरी बनानी शुरू कर दी। इसके साथ ही पीड़िता ने इस्लाम कबूल करने से इनकार कर दिया। पीड़िता के इनकार से भड़के समीर मंसूर ने उसकी अश्लील फोटो और वीडियो दिखाकर उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। इसे पोर्न साइट पर अपलोड करने का डर दिखाकर पीड़ित परिवार से 5 लाख रुपए भी ऐंठ लिए थे।

बकौल पीड़िता, समीर मूलतः बिहार के चंपारण का रहने वाला है और जम्मू-कश्मीर में इलेक्ट्रिशियन का काम करता है। समीर मंसूर अब पीड़िता के साथ उसके परिजनों को भी ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया है। इससे लड़की अवसाद में घिर गई है।अपनी शिकायत में पीड़िता ने आरोपित समीर मंसूर पर कड़ी कार्रवाई की माँग की है। पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर केस दर्ज कर लिया है।

भुवनेश्वर के सहायक पुलिस आयुक्त शुभनारायण मृदुली ने बताया कि आरोपित समीर मंसूर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(1), 385, 386, 294, 506 के साथ आईटी एक्ट में केस दर्ज हुआ है। समीर मंसूर को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले की जाँच एवं आगे की अन्य जरूरी कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

‘कॉन्ग्रेस प्रत्याशी ने की थी आतंकी याकूब मेमन के लिए दया की माँग’: सैयद मुज़फ्फर हुसैन के हस्ताक्षर वाला पत्र वायरल, नेता ने ‘फर्जी’ बताकर सोशल मीडिया हैंडलों पर कराई FIR

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में MVA (महाविकास अघाड़ी) के उम्मीदवार का एक कथित एक पत्र मंगलवार (5 नवंबर 2024) से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें कहा गया है कि मुंबई की मीरा भयंदर सीट से कॉन्ग्रेस प्रत्याशी सैयद मुज़फ्फर हुसैन ने आतंकी याकूब मेमन की फाँसी रुकवाने के लिए दया याचिका दाखिल की थी। पत्र में 28 जुलाई 2015 की तारीख़ है।

क्या है वायरल पत्र में

राष्ट्रपति को लिखे इस पत्र में कहा गया है, “हम महामहिम से याकूब मेमन की सजा के लिए क्षमादान की अपील करते हैं।” याकूब मेमन की फाँसी टालने के प्रयास में फिल्म निर्माता महेश भट्ट, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, कार्यकर्ता तुषार गाँधी, CPI नेता सीताराम येचुरी, सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, वकील वृंदा ग्रोवर और 290 अन्य लोगों ने दया याचिका पर दस्तखत किए थे।

इस पत्र में मुजफ्फर हुसैन के अलावा पूर्व मंत्री आरिफ नसीम खान, अमीन पटेल, असलम शेख, शेख आसिफ, शेख राशिद, हुस्नबानो खलिफ, यूसुफ अब्राहनी और जावेद जुनेजा के भी दस्तखत हैं। वायरल हो रहे इस पत्र में संविधान का हवाला देते हुए आतंकी याकूब मेमन को मिले मृत्युदंड की सजा को उम्रकैद में बदलने की अपील की गई थी।

बताते चलें कि साल 1993 के मुंबई बम धमाकों में याकूब मेमन का हाथ था। इस मामले में उसे फाँसी की सजा हुई थी। यह पत्र कॉन्ग्रेस प्रत्याशी मुज़फ्फर हुसैन की तस्वीरों के साथ शेयर हो रहा है। चिट्ठी के साथ ‘कॉन्ग्रेस को वोट देना मतलब लव जिहाद को वोट देना’ और ‘कॉन्ग्रेस को वोट देना मतलब मुस्लिम समर्थक मुख्यमंत्री बनाना’ जैसे स्लोगन भी लिखे हुए हैं।

मुज़फ्फर हुसैन ने अपनी दस्तखत वाले इस पत्र को फर्जी करार दिया है। उन्होंने इसे वोटों के ध्रुवीकरण और साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश बताया है। हालाँकि, साल 2015 में कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि आतंकी याकूब की दया याचिका पर कॉन्ग्रेस पार्टी के 6 विधायकों, 1 पूर्व MLA और 1 पार्षद ने हस्ताक्षर किए थे।

इंडियन एक्सप्रेस 29 जुलाई 2015 की एक रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि तत्कालीन MLC मुज़फ्फर हुसैन के दस्तखत उस पत्र पर थे। इसके अलावा, महाराष्ट्रनामा और लोकसत्ता जैसी स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में भी इसी तरह का दावा किया गया है। हालाँकि, तमाम कोशिशों के बावजूद साल 2015 में याकूब मेमन को फाँसी पर लटका दिया गया था।

पत्र को फर्जी बता कर मुज़फ्फर ने दर्ज करवाई FIR

मुज़फ्फर हुसैन के वकील राहुल दिनेश रॉय द्वारा इस वायरल पत्र के खिलाफ 6 नवंबर (बुधवार) को मुंबई के मीरा रोड थाने में FIR दर्ज करवाई गई है। शिकायतकर्ता ने इस पत्र को फर्जी करार देते हुए इसे सोची-समझी साजिश बताया है। यह FIR भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299, 302 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 125 के तहत दर्ज हुई है।

FIR Copy

हालाँकि, तमाम सोशल मीडिया हैंडलों से इस वायरल पत्र के असली होने का दावा अभी भी किया जा रहा है। कॉन्ग्रेस नेता मुज़फ्फर हुसैन की आलोचना करते हुए तमाम सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा है कि FIR के बाद अब सच अदालत में सामने आ जाएगा।

यूजर्स को डराने की कोशिश नाकाम

कई यूजर्स ने तो कॉन्ग्रेस नेता को सलाह दी कि बेहतर होगा वो अपनी शिकायत वापस ले ले। एक यूजर ने लिखा, “एक बार अदालतों में साबित होने के बाद यह पूरे समाचार जगत में ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाएगा।” अपने खिलाफ दर्ज FIR पर टिप्पणी करते हुए बेफिटिंग फैक्ट्स ने लिखा, “हुसैन अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं। वो वोट के लिए मंदिरों में जा रहे हैं।”

इस सोशल मीडिया हैंडल ने आगे कहा, “वह (मुजफ्फर हुसैन) अपने इतिहास को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं और सोशल मीडिया यूजर्स को भी डरा रहे हैं, लेकिन वह भूल गए कि शिकायत दर्ज करके वह जाल में फँस रहे हैं। अब अदालत कहेगी कि हाँ, मुजफ्फर ने याकूब मेमन की दया याचिका पर हस्ताक्षर किए थे।”

मुज़फ्फर हुसैन की FIR में आमची मुंबई का इंस्टाग्राम चैनल, कुणाल शुक्ला, जेरोम डिसूजा और गणेश मुरुगन को नामजद किया गया है। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने पत्र को अलग-अलग प्लेटफॉर्म से वायरल किया है। ऑपइंडिया से बात करते हुए जेरोम डिसूजा ने कहा कि मुजफ्फर हुसैन के वकील एडवोकेट रॉय की FIR में लगाए गए आरोप झूठे हैं। यह पत्र पहले ही पब्लिक डोमेन में है। जेरोम ने चुनाव बाद नोटिस पर जवाब देने की बात कही है।

प्रयागराज महाकुंभ में ‘थूकलीगी गैंग’ की एंट्री पर बैन, हलाल प्रोडक्ट की बिक्री पर रोक: संत समिति ने उठाई माँग, कहा- पर्व की पवित्रता और हिंदुओं की सुरक्षा महत्वपूर्ण

प्रयागराज महाकुंभ-2025 की तैयारियाँ जोरों पर हैं। इसमें देश-विदेश के 40 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुँचने की संभावना है। इस बीच अखिल भारतीय संत समिति ने कहा कि कुंभ क्षेत्र में हलाल प्रोडक्ट भी नहीं बेचे जाने चाहिए। कट्टरपंथी मुस्लिमों को ‘थूकलीगी गैंग’ बताते हुए मेले में उनकी एंट्री रोकने की भी बात कही। उन्होंने कुंभ के 50 किलोमीटर की परिधि में नए दुकानदारों को अनुमति नहीं देने की बात कही।

संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने शनिवार (8 नवंबर 2024) को एक बयान जारी किया। लगभग 2 मिनट 15 सेकेंड के इस बयान में उन्होंने कुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा और प्राचीनतम व्यवस्था बताया है। कुंभ में मुस्लिम दुकानदारों को व्यापार करने की अनुमति देने जैसी बातों को जितेंद्रानंद सरस्वती ने कुछ नेताओं और तथाकथित सेक्युलरों की कोरी बयानबाजी बताया है।

उन्होंने कहा कि इस पर्व में पवित्रता इतनी अधिक होती है कि यहाँ आने वाले कल्पवासी भयानक ठंड में भी 2 समय स्नान करते हैं। उन्होंने आगे कहा, “ऐसी परिस्थिति में हम इस थूकलीगी गैंग पर भरोसा कैसे कर सकते हैं?” उन्होंने कहा 12 वर्षों के बाद आने वाले इस महापर्व में हिन्दू समाज की सुरक्षा के साथ कोई खिलवाड़ कतई नहीं किया जा सकता है।

संत समिति का पक्ष रखते हुए जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि कुंभ परिक्षेत्र से 50 किलोमीटर की परिधि में किसी भी नए व्यक्ति को दुकान लगाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हलाल सर्टिफाइड को हम कतई स्वीकार नहीं करने वाले, चाहे उसे हिन्दू व्यापारी बनाते हों या मुस्लिम।” उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से कुंभ मेले की पवित्रता और शुचिता हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुरूप बनाए रखने की माँग की।

स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि थूकलीगी गैंग का कोई सामान कुंभ क्षेत्र में नहीं बिकना चाहिए और ना ही उन्हें मेले में किसी भी प्रकार की अनुमति मिलनी चाहिए। अपनी माँग को उन्होंने राष्ट्र और हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया। वीडियो के अंत में उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा। बता दें कि धीरेन्द्र शास्त्री ने भी महाकुंभ मेले में गैर-हिंदू दुकानदारों की एंट्री पर बैन लगाने की माँग की है।

रेप के बाद महिला के गुप्तांग में घुसाया बैंगन: मौलवी इरशाद पर मुजफ्फरनगर में केस दर्ज, पीड़िता से बोला था- जिन्न करेंगे तुम्हारे साथ गलत काम

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में मौलवी इरशाद ने मंगलवार (5 नवंबर 2024) को एक महिला को जिन्न का डर दिखाकर उसके साथ रेप किया। दिल्ली की रहने वाली पीड़िता बीमारी का इलाज कराने के लिए मौलवी के पास गई थी। मौलवी ने जिन्न का डर दिखाकर कहा कि वह अंधा हो जाएगी। उसके बाद उसके साथ रेप और अप्राकृतिक रूप से कुकर्म किया। मौलवी इरशाद फरार है।

यह मामला मुज़फ्फरनगर के थाना क्षेत्र सिविल लाइंस का है। यहाँ बुधवार (6 नवंबर) को एक महिला ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत में महिला ने बताया कि वह बीमार रहती थी। बीमारी का इलाज के लिए वह अपनी बहन के साथ 5 नवंबर को मुज़फ्फरनगर आई थी। यहाँ के सिविल लाइंस इलाके में रहने वाला मौलवी इरशाद झाड़-फूँक और रूहानी ताकतों से इलाज का दावा करता था।

महिला ने कहा कि वह इरशाद के झाँसे में आ गई और इलाज के लिए उसके घर पहुँच गई। वहाँ मौलवी इरशाद ने महिला से कहा कि उसे जो समस्या है उसे वह अकेले में बताना चाहता है। उसे वह उसकी बहन के सामने नहीं बता सकता। इसके बाद मौलवी ने उसे अकेले आने के लिए कहा। उसी शाम 4 बजे पीड़िता मौलवी के पास अकेले पहुँची। तब इरशाद ने उसे जिन्न आने की बाते कहकर डराया।

पीड़िता को मौलवी ने बताया कि उस पर जिन्नात आते हैं, वे सभी उसके साथ गलत करेंगे। इतना सुनकर महिला डर गई। झाड़-फूँक के दौरान मौलवी इरशाद ने महिला को पीने के लिए पानी दिया। इस पानी में कुछ डाला गया था। कुछ देर बाद मौलवी इरशाद ने पीड़िता के कपड़े उतारने शुरू किए तो पीड़ता ने इसका विरोध किया। इस पर मौलवी ने कहा कि उसके आँखों की रौशनी चली जाएगी।

अंत में पीड़िता को निर्वस्त्र करके मौलवी इरशाद ने रेप किया। पीड़िता ने बताया कि मौलवी ने उसके गुप्तांग में बैगन भी डाला। आखिर में मौलवी ने पीड़िता को कहा कि यह बात वह किसी को ना बताए। मौलवी पीड़िता को लेकर बस अड्डा गया और वहाँ उसे जबरन बस में बैठाने लगा। पीड़िता ने वहीं से 112 नंबर डायल करके पुलिस बुलाई। इसके बाद थाने जाकर शादीशुदा पीड़िता ने तहरीर दी।

तहरीर के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64 और 351 (2) के तहत FIR दर्ज कर ली। FIR में मौलवी इरशाद को नामजद किया गया है। शिकायत की कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है। अपने ऊपर केस दर्ज होने की सूचना मिलते ही इरशाद फरार हो गया है। पुलिस टीमें मौलवी की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रहीं हैं।