Wednesday, November 20, 2024
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ये दोहरा चरित्र नहीं पुराना DNA है… जम्मू-कश्मीर के स्थापना दिवस में नहीं शामिल हुए उमर अब्दुल्ला और उनके विधायक, महबूबा ने ‘काला दिन’ बताया

जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनने के 5 साल पूरे होने पर कल राज्य में 5वाँ स्थापना दिवस मनाया गया। इस मौके पर जश्न से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने दूरी बनाई और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के सदस्य भी नदारद रहे। सत्ताधारी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं की ओर से कहा गया कि वे जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश मानते ही नहीं। वहीं महबूबा मुफ्ती की पीडीपी ने इस दिन को काला दिन बताया।

क्षेत्रीय नेताओं की इस प्रकार बयानबाजी सुनने और दूरी देखने के बाद केंद्र शासित प्रदेश के एलजी मनोज सिन्हा भड़क गए। उन्होंने इस तरह आधिकारिक कार्यक्रम के बहिष्कार को एनसी और कॉन्ग्रेस नेताओं का दोहरा चरित्र बताया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने राज्य में चुनाव जीतने के बाद सबके सामने संविधान की शपथ ली है। वे ऑफिशियल इवेंट का बहिष्कार कैसे कर सकते हैं। एक तरफ वे शपथ लेकर विधायक बने, दूसरी तरफ आधिकारिक कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहे हैं। यह इनका दोहरा चरित्र दर्शाता है।

बता दें कि केंद्र शासित प्रदेश की स्थापना दिवस का विरोध करते नेशनल कॉन्फ्रेंस या पीडीपी को देखना सवाल उठाने लायक जरूर है लेकिन चौंकाने वाला बिलकुल नहीं है। आर्टिकल 370 के रहते जिन लोगों को ‘भारतीय सेना’ दुश्मन लगती थी, हिंदुस्तानी सरकार फासीवादी लगती थी, वही आज केंद्र शासित प्रदेश में सत्ता पर हैं… ऐसे में उन्हें अगर जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने से दिक्कत नहीं होगी तो किसे होगी।

जम्मू-कश्मीर में स्थानीय पार्टियों की समस्या शायद यही रही है कि जम्मू-कश्मीर में बिन उनके दखल और प्रचार के पत्ता भी न मिले। अगर लालचौक तिरंगे के रंग में दिखता है। घाटी का कोई इलाका आतंकवाद मुक्त घोषित होता है, किसी क्षेत्र में शांति लौटती है तो इन्हे लगता है कि ऐसा कैसे और क्यों हो रहा है।

इनके लिए प्रदेश का अर्थ उसी 10 साल पुराने कश्मीर से है जहाँ हर मुद्दे पर सरकार का विरोध करना ही उनकी ‘आजादी’ थी और पत्थर चलाना ही उनके ‘विशेषाधिकार’ थे। ये बदलता कश्मीर इनके लिए अब भी चुनौती है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद 5 सालों ने कश्मीर का रंग-रूप बदला है। जिस कश्मीर में कभी भारत से आजादी के नारे लगते थे वहाँ खुद सीएम अब्दुल्लाह तो ‘रन फॉर यूनिटी’ जैसे कार्यक्रम आयोजित कराने पड़ रहे हैं। जिन कश्मीर में विकास एक सपने जैसा हो गया था वहाँ ढेरों प्रोजेस्ट सफलतापूर्वक पूरे हो रहे हैं।

जिस कश्मीर में आतंकी आए दिन सेना को निशाना बनाते थे और पत्थरबाज उनपर पत्थर चलाते थे वहाँ आतंकवाद को मिटाने के लिए त्वरित कार्रवाई हो रही है, युवाओं को सही रास्ते पर लाने के लिए मौके दिए जा रहे हैं…। वहाँ युवाओं को बरगलाने की तरह ‘मिशल यूथ’ के जरिए शिक्षा, कौशल विकास, वित्तीय सहायता और तकनीकी प्रशिक्षण मिल रहे हैं। रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, चुनाव में भागीदारी बढ़ रही, राजनैतिक रूप से लोग जागरूक हो रहे हैं, मजहबी कट्टरपंथ की जगह आर्थिक विकास को चुन रहे हैं, सामुदायिक सहयोग देकर समाज में परिवर्तन लाने का कारण बन रहे हैं।

इस तरह के बदलते कश्मीर में उन लोगों को तो समस्या होनी जाहिर ही है जिनके पास अनुभव 10 साल पुराने कश्मीर को देखने का है। इसलिए सवाल ये नहीं है कि इन्होंने स्थापना दिवस का बहिष्कार क्यों किया। सवाल ये है कि जब संवैधानिक रूप से जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में होने में नेशनल कॉन्फ्रेंस, कॉन्ग्रेस और पीडीपी को इतनी समस्या है तो फिर इन्होंने उस केंद्रशासित प्रदेश के विधायकों और मुख्यमंत्री पद के तौर पर शपथ क्यों ली।

जिस संविधान से उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने हैं उसी संविधान के तहत जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया गया है। फिर इस मामले पर सरकारी कार्यक्रम का विरोध कितना उचित है? क्या ये रवैये ये नहीं दर्शाते कि जम्मू-कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टियाँ की सोच अब भी नहीं बदली है? उन्हें मजबूरन भारतीय संविधान का सम्मान करना पड़ रहा है।

राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कार्यक्रम में खुद कहा है कि सब चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले और जब वो मिलेगा तब भी इसी तरह का जश्न होगा। मगर क्या, उमर अब्दुल्ला या उनकी पार्टी को उस वक्त तक प्रदेश में हुए विकास के नाम पर सरकारी कार्यक्रमों में शामिल नहीं होना चाहिए… ऐसे समय में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकी दोबारा से गैर कश्मीरियों में भय भरने का काम कर रहे हैं, कभी सेना को निशाना बनाया जा रहा है तो कभी मजदूरों को परेशान कर रहे हैं तब सरकार बेरुखी दिखाना क्या उन तत्वों को मजबूती नहीं देंगे जो इस फिराक में है कि किस तरह केंद्र शासित प्रदेश की शांति को भंग किया जाए।

अब्बा ने ही अपनी 10 साल की बेटी को मार डाला: रीढ़ की हड्डी में थे 10 फ्रैक्चर, दोनों कंधे, दोनों हाथ की हड्डियाँ टूटी हुईं… जलाता था गर्म लोहे से

ब्रिटेन में 10 साल की सारा शरीफ की हत्या का मामला जैसे-जैसे अदालत में खुलता जा रहा है, उसके साथ ही दिल दहलाने वाली सच्चाई भी सामने आ रही है। सारा की हत्या का दोष उसके अपने अब्बू उरफान शरीफ और उसकी सौतेली अम्मी बेनाश बटूल पर लगा है। घटना के बाद यह दोनों अपने एक रिश्तेदार के साथ पाकिस्तान भाग गए। घर पर पुलिस को सारा शरीफ का शव मिला और उसके शरीर पर चोटों के 71 निशान पाए गए। यह साफ हो गया कि सारा को कई दिनों तक बेरहमी से प्रताड़ित किया गया था।

हत्या के बाद भागा पाकिस्तान

डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक, सारा का शव 10 अगस्त 2023 को वोकिंग स्थित उसके घर में पाया गया। शव मिलने से कुछ ही घंटे पहले उरफान शरीफ, उसकी दूसरी बीवी बटूल और भाई फैसल मलिक सीसीटीवी फुटेज में हीथ्रो एयरपोर्ट पर देखे गए थे। वहाँ से ये तीनों लोग पाकिस्तान के लिए फ्लाइट पकड़ते हुए दिखाई दिए।

ब्रिटेन के अधिकारियों का कहना है कि सारा के अब्बू ने हत्या के बाद पाकिस्तान भागने की योजना पहले से ही बना रखी थी। पाकिस्तान पहुँचने के बाद उरफान ने पुलिस को फोन करके खुद ही अपनी बेटी की हत्या की बात कबूल की। उसने फोन पर कहा, “मैंने उसे सज़ा दी, जो बहुत ज्यादा हो गई और वह मर गई।”

अदालत में सामने आई दरिंदगी

अदालत में पेश सबूतों से पता चला कि उरफान ने सारा के साथ बेहद क्रूर व्यवहार किया था। सारा के शव पर जो निशान मिले, उनसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह किस हद तक अत्याचार सहन कर रही थी। सारा शरीफ के शरीर पर कई भयानक चोटें पाई गईं। उसकी रीढ़ की हड्डी में दस फ्रैक्चर थे।

इसके अलावा, उसके दाहिने कॉलर बोन, दोनों कंधों, दोनों बाजुओं, दोनों हाथों की हड्डियाँ और कलाई के पास की हड्डियाँ भी टूटी हुई थीं। उसके तीन अलग-अलग उंगलियों, दो पसलियों और गले की हड्डी में भी फ्रैक्चर थे। कहा जा रहा है कि उरफान ने सारा को गर्म लोहे से जलाया था और बार-बार उसकी पिटाई की थी।

गुस्से की वजह से बेटी की जिंदगी को नरक बनाया

सारा की सौतेली अम्मी बटूल ने अदालत को दिए अपने बयान में कहा कि उरफान का गुस्सा बहुत भयानक था और उसकी वजह से सारा की जिंदगी नर्क बन गई थी। बटूल ने कहा कि उरफान बहुत छोटी-छोटी बातों पर बेकाबू हो जाता था। एक बार जब गलती से गरम चाय गिर गई, तो उसने घर में चीजों को तोड़फोड़ कर दिया। उसने कई तस्वीरों के फ्रेम और पर्दे फाड़ दिए। बटूल ने कहा कि उरफान के गुस्से के ये हमले सारा को सहन करने पड़ते थे और वह बार-बार उससे पिटती थी। बटूल के अनुसार, कई बार सारा के शरीर पर इतने काले-नीले निशान पड़ जाते थे कि वह ठीक से चल भी नहीं पाती थी।

बच्ची को पूरी रात उठक-बैठक करवाता था उरफान

उरफान की दरिंदगी यहीं खत्म नहीं होती थी। उसने कई बार सारा को पूरी रात उठक-बैठक करने की सज़ा दी थी। यह सिर्फ छोटी-छोटी गलतियों पर दी जाने वाली सज़ा थी। एक बार सारा ने गलती से घर की चाबियाँ छुपा दी थीं, जिस पर गुस्साए उरफान ने उसे पूरी रात बिना सोए उठक-बैठक करने के लिए मजबूर किया था। बटूल ने कहा कि उरफान का गुस्सा इतना खतरनाक था कि कई बार वह सारा का हाथ या पैर तोड़ने पर आमादा हो जाता था।

हत्या के बाद उरफान ने अपने हाथ से एक नोट लिखा, जिसमें उसने कहा कि उसने अपनी बेटी को मारा लेकिन उसका इरादा उसे मारने का नहीं था। नोट में उसने लिखा कि वह डर की वजह से भाग रहा है। यह नोट पुलिस को सारा के शव के पास ही मिला। उरफान ने यह नोट इस उम्मीद में छोड़ा था कि शायद पुलिस इस बात को उसकी गलती मानकर माफ कर देगी।

ब्रिटेन के कानून अधिकारियों ने पाकिस्तान से उरफान शरीफ, बटूल और फैसल को प्रत्यर्पित करने की माँग की है ताकि उन्हें यहाँ सज़ा दी जा सके। सारा शरीफ की हत्या ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कैसे एक बाप अपनी ही बेटी के साथ इतनी बेरहमी कर सकता है। यह मामला सिर्फ ब्रिटेन ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान और दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब अदालत इस पर फैसला सुनाएगी कि सारा को इंसाफ मिलेगा या नहीं।

उद्धव के सांसद ने शिवसेना नेत्री को बताया ‘इम्पोर्टेड माल’, जवाब में शाइना एनसी बोलीं- महिला हूँ, माल नहीं: पुलिस को दी शिकायत

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच उद्धव ठाकरे की शिवसेना के सांसद अरविन्द सावंत ने शिवसेना की नेत्री शाइना एनसी पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने एक चुनाव अभियान के दौरान शाइना एनसी को ‘इम्पोर्टेड माल’ करार दिया। इसके बाद शाइना एनसी ने उनको करारा जवाब दिया है, उन्होंने इस संबंध में पुलिस में शिकायत भी दी है।

अरविन्द सावंत ने मुंबई में शाइना एनसी को लेकर कहा, “उनकी हालत देखों ना भैया, जिन्दगी भर वो भाजपा में रहीं, अब कहीं नहीं मिला तो दूसरी पार्टी में गईं। इम्पोर्टेड माल नहीं चलता है यहाँ, हमारे यहाँ ओरिजिनल माल चलता है। ओरिजिनल माल है हमारा।”

अरविन्द सावंत ने बयान शाइना एनसी को मुंबई कि मुंबादेवी सीट से विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाए जाने के बाद की। उन्हें शिवसेना (शिंदे) से टिकट दिया गया है। वह यहाँ महायुति की संयुक्त उम्मीदवार हैं, उनके सामने कॉन्ग्रेस के अमीन पटेल हैं जो अभी इस सीट से विधायक हैं।

शाइना एनसी ने इस अरिवन्द सावंत द्वारा ‘इम्पोर्टेड माल’ करार दिए जाने पर करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा, “ये महिलाओं का ऑब्जेक्टिफिकेशन उनकी मानसिकता उजागर करता है। उनके साथ कॉन्ग्रेस MLA मौजूद थे और हंस रहे थे। मैं उनको बताना चाहती हूँ हम उन पर कानूनी कार्रवाई करेंगे।”

शाइना एनसी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, “महिला हूँ, माल नहीं।” शाइना एनसी ने अरविन्द सावंत के बयान पर मुंबई के नागपाडा थाने में शिकायत दर्ज करवाई है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र चुनाव में महा विकास अघाड़ी का बुरा हाल होने वाला है।

शिवसेना कार्यर्क्ताओं ने अरविन्द सावंत के इस बयान पर नागपाड़ा थाने के बहर प्रदर्शन भी किया है। शिवसेना की महिला कार्यकर्ताओं ने अरविन्द सावंत से माफ़ी माँगने को कहा है। अरविन्द सावंत ने अपने बयान पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया है और शाइना एनसी बाहरी हैं।

हेमंत सोरेन: 5 वर्षों में जिनकी उम्र बढ़ गई 7 साल, प्लॉट 2 से हो गए 23… BJP के आरोपों से झारखंड चुनाव में गरमाया माहौल

झारखंड विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उम्र और संपत्ति को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। 2019 के चुनावी हलफनामे में हेमंत सोरेन ने अपनी उम्र 42 साल बताई थी, लेकिन इस बार 2024 में दाखिल हलफनामे में उन्होंने अपनी उम्र 49 साल बताई है। यह देखकर राजनीतिक हलकों में बवाल मच गया है कि पाँच साल में उनकी उम्र सात साल कैसे बढ़ गई। इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टी बीजेपी ने सोरेन की उम्मीदवारी रद्द करने की माँग की है।

बीजेपी ने न केवल हेमंत सोरेन की उम्र पर सवाल उठाए हैं, बल्कि उनके संपत्ति के ब्योरे पर भी सवाल खड़े किए हैं। बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने JMM पर निशाना साधते हुए कहा कि जेएमएम पार्टी में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं, और हेमंत सोरेन ने हलफनामे में भी गड़बड़ी की है।

हेमंत सोरेन के दो हलफनामे (फोटो साभार: इंडिया टीवी)

बीजेपी प्रवक्ता शाहजाद पूनावाला ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने हलफनामे में संपत्ति की जानकारी छिपाई है। 2019 में जहाँ उन्होंने सिर्फ दो भूखंडों का जिक्र किया था, वहीं इस बार 23 भूखंडों का जिक्र किया है। यह भूखंड 2006 से 2008 के बीच खरीदे गए थे, लेकिन पिछले हलफनामे में उनका कोई उल्लेख नहीं था। बीजेपी ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि चुनाव आयोग को उनकी उम्मीदवारी रद्द करनी चाहिए। शहजाद ने कहा, “जेएएम का मतलब ‘झोल, मुस्लिम अपीजमेंट और माफिया’ है।”

इस मुद्दे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह हार के डर से यह विवाद खड़ा कर रही है। JMM प्रवक्ता मनोज पांडेय का कहना है कि सभी दस्तावेज चुनाव आयोग के पास हैं, और रिटर्निंग ऑफिसर ने हेमंत सोरेन का नामांकन स्वीकार कर लिया है। उनका कहना है कि बीजेपी हार की बौखलाहट में जनता का ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के आरोप लगा रही है।

इस बार बरहेट सीट से बीजेपी ने गमालिएल हेम्ब्रोम को अपना उम्मीदवार बनाया है। हेम्ब्रोम का कहना है कि बरहेट के लोगों को अभी भी बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़क, पानी और बिजली की कमी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वह इन मुद्दों को हल करने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। हेम्ब्रोम ने 2019 में आजसू पार्टी के टिकट पर बरहेट से चुनाव लड़ा था और अब वह बीजेपी के टिकट पर सीएम के खिलाफ मैदान में हैं।

गौरतलब है कि झारखंड में कुल 81 विधानसभा सीटों के लिए 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 13 नवंबर को 43 सीटों पर मतदान होगा, जिसमें 743 उम्मीदवार मैदान में हैं। दूसरे चरण में 20 नवंबर को शेष 38 सीटों पर वोटिंग होगी। उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जाँच पूरी हो चुकी है और 1 नवंबर तक उम्मीदवार अपने नामांकन वापस ले सकते हैं। मतगणना 23 नवंबर को होगी।

क्या है ‘डिजिटल कंडोम’, फोन पर कैसे करेगा काम, प्राइवेसी के लिए क्यों जरूरी: जानें सब कुछ

कुछ साल पहले तक सरकार कई अनोखे विज्ञापनों के माध्यम से कंडोम का प्रचार किया करती थी। इसका उद्देश्य था कि लोग सुरक्षित यौन संबंध बनाएँ और साथ ही बढ़ती जनसँख्या को भी रोका जा सके। इसके लिए विज्ञापन के साथ ही और भी प्रयोग किए गए। लेकिन अब वो दौर चला गया है, अब दुनिया में डिजिटल कंडोम नाम की चीज आई है। यह भी निजी पलों को सुरक्षित रखने का वादा कर रही है।

क्या है डिजिटल कंडोम?

डिजिटल कंडोम असल में एक एप है। इसे जर्मनी की एक कम्पनी ने बनाया है। इस कम्पनी का नाम बिली बॉय है। यह कम्पनी लोगों की यौन सुरक्षा पर कम करती है। इस एप का काम है कि यह आपके निजी क्षणों को रिकॉर्ड होने से रोकती है। यानि जैसे किसी की बिना सहमति के उससे संबंध नहीं बनाए जा सकते है, उसी तरह इस एप की मदद से निजी क्षणों को रिकॉर्ड होने से रोका जा सकता है।

इस कम्पनी का कहना है कि इससे बिना सहमति के निजी क्षणों का रिकॉर्ड होना और बाद में उनका दुरूपयोग रुक सकेगा। कम्पनी का कहना है कि अभी बिना सहमति के रिकॉर्ड किए गए फोटो वीडियो बाद में काफी समस्या पैदा करते हैं। ऐसे में यह एप इन सब को रोक सकेगा।

कैसे करता है काम?

CADOM नाम का वह लोग डाउनलोड करेंगे जो अपने निजी क्षणों को निजी ही रखना चाहते हैं। इसके बाद दोनों एक दूसरे के पास फोन रख कर इस फोन में बटन ऑन कर देंगे। इस तरह से कैमरा और माइक्रोफोन को बंद कर देगा और रिकॉर्डिंग या फोटोग्राफी नहीं हो सकेगी।

यदि दोनों में से कोई भी इस बीच फोटो लेने, वीडियो बनाने या फिर आवाज तक रिकॉर्ड करने की कोशिश करता है तो इस एप के माध्यम से अलार्म बज जाएगा। इससे निजता नहीं भंग होगी और पता चल जाएगा कि कोई इस चीज को तोड़ने की कोशिश कर रहा है।

CAMDOM नाम का यह एप ब्लूटूथ के सहारे काम करता है। इसे अभी 30 देशों में लॉन्च किया गया है। कम्पनी का कहना है कि वह इस एप के माध्यम से एक बड़ी समस्या सुलझा रही है। कम्पनी ने कहा है कि अभी जिन युवाओं के साथ उनके निजी फोटो या वीडियो लीक होने की समस्या होती है, वह डिप्रेशन और यहाँ तक कि आत्महत्या तक का शिकार हो सकते हैं।

कम्पनी का कहना है कि यह एप आज के समय में जरूरी हो चुकी डिजिटल निजता को बढ़ावा देने में सहायता करेगा। कम्पनी ने कहा है कि इससे वह निजता के नए मानक सेट कर रही है।

मुस्लिम लड़की के संपर्क में आकर इस्लाम का प्रचार करने लगी थी हिंदू नाबालिग, फिर सलमान के साथ भागी: ‘केरला स्टोरी’ की तर्ज पर ब्रेनवॉश, 3 गिरफ्तार

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक नाबालिग लड़की को सलमान नाम के एक हज्जाम द्वारा भगा ले जाने के बाद विवाद बढ़ गया है। स्थानीय हिंदू सड़कों पर उतर आए हैं। वहीं, राज्य महिला आयोग ने आरोपित के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए कहा है। इस मामले में पुलिस ने सलमान सहित तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। ये बात सामने आई है कि लड़की को बेहद शातिर तरीके से ब्रेनवॉश किया गया था।

राज्य महिला आयोग सख्त

इस मामले में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल से फोन पर बात करके आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने पीड़ित किशोरी की काउंसलिंग कराने और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी महिला आयोग की टीम द्वारा कराने को कहा है। पीड़िता को फिलहाल पीड़िता को वन स्टॉप सेंटर में रखा गया है। वहीं, आरोपितों को जेल भेज दिया गया है।

महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि देवभूमि में लव जिहाद, धर्मान्तरण जैसी घटनाओं के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य में बेटियों को सोशल मीडिया पर नाम बदलकर दोस्ती के नाम पर बहलाया-फुसलाया जा रहा है और उन्हें गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने लड़कियों के अभिभावकों और कानून से जुड़ी एजेंसियों को सतर्क रहने का आह्वान किया।

टिहरी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) आयुष अग्रवाल ने बताया कि 23 साल के आरोपित हज्जाम सलमान उर्फ ईशान और 24 साल के शान मलिक उर्फ इमरान को उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया गया है। कीर्ति नगर की इस लड़की को आरोपितों के साथ भगाने में मदद करने के आरोप में 32 साल के राकेश भट्ट नाम के एक स्थानीय को भी गिरफ्तार किया गया है।

करती थी इस्लाम का प्रचार

एसएसपी आयुष अग्रवाल ने पत्रकार वार्ता में बताया कि 26 अक्तूबर को कीर्तिनगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले एक विद्यालय के प्रबंधन ने थाने में तहरीर देकर बताया कि एक नाबालिग छात्रा फर्जी नाम से इंस्टाग्राम आईडी बनाकर इस्लाम का प्रचार-प्रसार कर रही है। इसके बाद पुलिस ने नाबालिग के परिजनों के सामने उसकी काउंसलिंग करवाई। इसके बाद लड़की परिजनों को इसकी जानकारी मिली। 

SSP ने बताया कि इस नाबालिग लड़की की उम्र 16 साल की और वह कक्षा 10 में पढ़ती है। इस लड़की की माँ ने सोमवार (28 अक्टूबर 2024) को कीर्तिनगर थाने में सलमान के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी। लड़की की माँ ने अपनी शिकायत में सलमान पर बेटी से छेड़छाड़ करने और उसका धर्म परिवर्तन करने की कोशिश का आरोप लगाया था। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था।

घर से निकलकर राकेश भट्ट के घर गई, फिर सलमान संग भागी

पुलिस अधिकारी ने बताया कि लड़की की माँ ने जिस दिन शिकायत दर्ज कराई, उसी दिन रात 11 बजे लड़की गायब हो गई। इसके अगले दिन स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और सलमान एवं अन्य मुस्लिमों की दुकानों में तोड़फोड़ की। हालात तनावपूर्ण हो गए थे। स्थानीय लोगों ने लड़की बरामद करने और आरोपित को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को 12 घंटे का अल्टीमेटम दिया था।

पुलिस की टीम ने आरोपितों एवं लड़की की ‘कॉल डिटेल’ और CCTV फुटेज को खंगालना शुरू किया। उफल्डा के एक जिम की सीसीटीवी फुटेज में किशोरी को दो लोगों के साथ आते-जाते देखी गई। इनकी पहचान घिल्डियाल गाँव कीर्तिनगर राकेश भट्ट और मोहसिन के रूप में हुई। अपने घर से उफल्डा जिम पहुँचने पर किशोरी ने वहाँ कपड़े भी बदले। इसके बाद उसे एक कार से नजीबाबाद ले जाया गया।

वहीं, राकेश भट्ट ने लड़की को पहले अपने घर बुलाया था और वहाँ से लेकर वह मोहसिन के साथ बाहर निकला था। पहचान होने के बाद पुलिस की टीम उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद के गढ़ी थाना क्षेत्र के मोजमपुर तुलसी जाकर लड़की को बरामद कर लिया है। साथ ही आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपितों के खिलाफ उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम एवं POCSO ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।

मुस्लिम लड़की के संपर्क में थी नाबालिग

रिपोर्ट के मुताबिक, नाबालिग हिंदू लड़की अलकनंदा पार श्रीनगर गढ़वाल में एक मुस्लिम लड़की के संपर्क में थी। वह मुस्लिम लड़की उसे इस्लाम धर्म संबंधी वीडियो और सोशल मीडिया हैंडल के लिंक आदि भेजा करती थी। यह नाबालिग इसे देखा करती थी। इस तरह उसका ब्रेनवॉश कर दिया गया। उसने सोशल मीडिया हैंडल में अपना नाम ‘मुस्लिम आमीन मिर्जा’ रखा लिया था और इस्लाम का प्रचार करने लगी।

इसकी जानकारी जब स्कूल के प्रबंधन को लगी तो उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद से लड़की की करतूतों के बारे में लड़की के परिजनों को जानकारी मिली। इस बीच पता चला कि वह इलाके के ही हज्जाम सलमान के संपर्क में है। दोनों पिछले सात महीने से एक दूसरे के संपर्क में थे। इसके बाद परिजनों ने उसका धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश आदि सहित शिकायत दर्ज कराई।

इतना ही नहीं, सलमान और उसका साथी मोहसिन उस नाबालिग लड़की के मोबाइल में रिचार्ज कराने और पैसे देने का प्रलोभन दिया करते थे। मोहसिन उफल्डा में कारपेंटर का काम करता है। फिलहाल मोहसिन फरार है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है। इसके लिए पुलिस जगह-जगह दबिश दे रही है।


शिवाजी पार्क में दीपोत्सव होता देख उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना तिलमिलाई, EC के पास की शिकायत : BJP ने पूछा- क्या ‘औरंगजेब फैन क्लब’ को चुभने लगे हैं हिंदू त्योहार?

मुंबई में शिवाजी पार्क पर दिवाली समारोह को लेकर शिवसेना (यूबीटी) ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। शिवसेना (यूबीटी) ने महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी को एक पत्र में आरोप लगाया कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए मुंबई के दादर इलाके के छत्रपति शिवाजी महाराज पार्क में दिवाली के दौरान दीपोत्सव का आयोजन किया। इस मामले के सामने आने पर बीजेपी ने उद्धव ठाकरे की पार्टी को ‘औरंगजेब फैन क्लब’ करार दिया है।

शिवसेना (यूबीटी) ने गुरुवार (31 अक्टूबर 2024) को चुनाव आयोग को लिखे पत्र में माँग की है कि इस दीपोत्सव का सारा खर्च एमएनएस उम्मीदवार अमित ठाकरे के चुनावी खर्च में जोड़ा जाए। अमित ठाकरे एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे के बेटे हैं और महिम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार शिवसेना (यूबीटी) इस दीपोत्सव का विरोध कर रही है क्योंकि 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आचार संहिता लागू है।

उद्धव ठाकरे की पार्टी की तरफ से चुनाव आयोग को लिखा गया पत्र

शिवसेना (यूबीटी) के उप सचिव सचिन पारस्नाइक ने बयान में कहा कि “पूरे राज्य में आचार संहिता लागू है। इसके बावजूद बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने एमएनएस को शिवाजी पार्क में दीपोत्सव आयोजित करने की अनुमति दी, जो बीएमसी के अधिकार क्षेत्र में आता है। एमएनएस ने वहाँ पार्टी के बैनर लगाए, गेट बनाए और दीप जलाए। यह आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है।”

पारस्नाइक ने यह भी बताया कि दीपोत्सव के उद्घाटन के समय अमित ठाकरे वहाँ मौजूद थे, इसलिए इस आयोजन के खर्च को उनके चुनावी खर्च में गिना जाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) से सार्वजनिक स्थलों पर राजनीतिक प्रचार की अनुमति देने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की। शिवसेना (यूबीटी) ने महेश सावंत को महिम से उम्मीदवार बनाया है, जहाँ से एमएनएस के अमित ठाकरे और शिवसेना-शिंदे गुट के सदा सरवणकर भी मैदान में हैं।

औरंगजेब फैन क्लब को चुभने लगी है दिवाली : बीजेपी

बीजेपी की प्रतिक्रिया बीजेपी ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया दी और दिवाली के दौरान चुनाव आयोग में शिकायत करने पर शिवसेना (यूबीटी) की आलोचना की। बीजेपी ने कहा, “मुंबई का शिवाजी पार्क, एक ऐतिहासिक स्थल है और दिवंगत बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व पर दिए गए ऐतिहासिक भाषणों का साक्षी रहा है। यह उनके बेटे की तरफ से विरासत का अपमान है, जो दिवाली समारोह के खिलाफ शिकायत कर रहे हैं। क्या हिंदू त्योहार अब ‘औरंगजेब फैन क्लब’ को भी चुभने लगे हैं?”

एमएनएस ने भी शिवसेना (यूबीटी) के दिवाली समारोह पर आपत्ति जताने पर पलटवार किया। एमएनएस नेता बाला नंदगांवकर ने कहा, “हम यहाँ कई सालों से दीपोत्सव मना रहे हैं। इसका अमित ठाकरे के प्रचार से कोई लेना-देना नहीं है। शिवसेना (यूबीटी) एक हिंदू त्योहार पर आपत्ति कर रही है क्योंकि उसने हिंदू विचारधारा को छोड़ दिया है। अब उन्हें अपना धर्म बदल लेना चाहिए।”

शिवसेना (यूबीटी) ने भी बीजेपी पर हिंदुत्व के नाम पर गंदी राजनीति करने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा, “हिंदुत्व का उपयोग आप लोग गंदी राजनीति के लिए करते हैं। स्पष्ट है कि विरोध ‘दिवाली’ मनाने का नहीं, बल्कि उसके राजनीतिक उपयोग का है। लगातार झूठ और ‘फेक नैरेटिव’ फैलाकर आप लोगों ने अपने ‘चुनावी हिंदुत्व’ का चेहरा दिखाया है! आपने चुनाव के लिए राम मंदिर का भी इस्तेमाल किया। आधे बने मंदिर में श्रीराम को स्थापित किया, जिसका नतीजा भी आपके सामने है। अयोध्या जो श्रीराम की नगरी है, वहाँ बीजेपी का सफाया हुआ! अब महाराष्ट्र भी ‘बीजेपी मुक्त’ होगा।”

मुंबई के जिला चुनाव अधिकारी और बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी ने बताया कि शिवाजी पार्क में आयोजित समारोह का खर्च चुनावी खर्च में शामिल किया जाएगा।

शिवसेना (यूबीटी) का चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराना तब हुआ, जब बीजेपी और शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने महिम सीट से अमित ठाकरे को महायूति का समर्थन देने का निर्णय लिया। वहीं, शिवसेना उम्मीदवार और मौजूदा विधायक सदा सरवणकर ने अपना नामांकन वापस लेने से इनकार कर दिया है। बुधवार (30 अक्टूबर 2024) को उन्होंने राज ठाकरे से अनुरोध किया कि वे उनके साथ अन्याय न करें और अपना समर्थन दें।

2019 में सबसे गरीब विधायक, 2024 में 300x बढ़ी सम्पत्ति: JMM के मंगल कालिंदी ₹30,000 से स्कॉर्पियो-बोलेरो और ₹73 लाख के घर में पहुँचे, उम्र में भी 4 साल का झोल

2019 के चुनावी हलफनामे के हिसाब से झारखंड के सबसे गरीब विधायक अब 5 साल के भीतर 3 गाड़ियों, एक आलीशान घर और लाखों के बैंक बैलेंस के मालिक हो गए हैं। उनकी सम्पत्ति में यह इजाफा 100 गुने से भी अधिक है। यही नहीं उनकी उम्र भी इन 5 सालों में उनकी सम्पत्ति की तरह उम्र भी दोगुनी स्पीड से बढ़ी है।

जिन विधायक की सम्पत्ति और उम्र में इस असामान्य इजाफे के आरोप लगे हैं, उनका नाम मंगल कालिंदी है। कालिंदी 2019 से झारखंड की जुगसलाई सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के विधायक हैं। इसी सीट से वह 2024 में दोबारा चुनावी रण में उतरे हैं।

मंगल कालिंदी ने हाल ही में चुनाव के लिए पर्चा भी भरा है। इस हलफनामे में उन्होंने बताया है कि उनके पास ₹73 लाख का एक घर है। ₹10 लाख की एक स्कॉर्पियो गाड़ी है। एक ₹3 लाख की बोलेरो गाड़ी है। साथ ही में एक पुरानी ग्लैमर बाइक भी है, इसकी कीमत ₹10,000 है।

कालिंदी ने इसके अलावा खुद के पास ₹20 लाख एक खाते में, ₹3 लाख दूसरे खाते में और ₹12 हजार तीसरे खाते में होने की बात सार्वजनिक की है। उन्होंने 5 ग्राम सोना और साथ ही में ₹50,000 नकद होने की बात भी कही है। उन्होंने यह भी बताया है कि घर के लिए उन्होंने लोन लिया है।

अब इस आर्थिक ब्यौरे से कहीं कुछ असामान्य नहीं दिखता है। लगता है किसी भी सामान्य मध्यम वर्गीय व्यक्ति के पास इतनी सम्पत्ति तो हो ही सकती है। लेकिन चौंकने वाली बात यह है कि इसमें से लगभग 98% सम्पत्ति मंगल कालिंदी ने पिछले 5 साल के भीतर बनाई है।

दरअसल, मंगल कालिंदी को 2023 में चुनावों पर काम करने वाली एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने 2023 ने झारखंड का सबसे गरीब विधायक घोषित किया था। वह झारखंड के सबसे गरीब विधायक होने के साथ ही देश के पाँचवे सबसे गरीब विधायक थे।

ADR ने यह रिपोर्ट 2019 झारखंड विधानसभा चुनाव में दाखिल किए गए कालिंदी के हलफनामे के आधार पर तैयार की थी। इस हलफनामे में कालिंदी ने बताया था कि उनके पास ले देकर ₹30,000 की सम्पत्ति है। इन आँकड़ों के हिसाब से वह गरीबी रेखा से नीचे (BPL) वाली रेखा में आते हैं।

2019 से 2024 के बीच कालिंदी झारखंड के सबसे गरीब विधायक का तमगा छोड़ने में कामयाब रहे और आलीशान घर-तीन गाड़ियाँ, बैंक बैलेंस और यहाँ तक कि सोना भी खरीद लिया। सम्पत्ति में एकाएक वृद्धि का स्रोत क्या है, इसकी अभी जानकारी सामने नहीं आई है।

मंगल कालिंदी की सम्पत्ति में बढ़ोतरी को लेकर तो चर्चे हैं ही, उनकी उम्र पर प्रश्न उठना चालू हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगल कालिंदी ने 2019 में अपनी उम्र 42 वर्ष बताई थी। 2024 में यह उम्र 47 वर्ष होनी चाहिए थी। लेकिन 2024 के हलफनामे में उन्होंने अपनी उम्र 51 वर्ष बताई है।

2019 और 2024 में दिए गए हलफनामों में उम्र का अंतर क्यों है, इसका कारण सामने नहीं आया है। इसको लेकर एक भाजपा कार्यकर्ता ने चुनाव आयोग के पास शिकायत भी की है। भाजपा कार्यकर्ता ने आरोप जड़ा है कि कालिंदी ने कागजों में जालसाजी की है।

यमराज की क्रूरता, यमुना की निर्मलता और एक वरदान… जानें कार्तिक माह में ही क्यों मनाया जाता है भैया दूज, समझें तिलक-भोज का महत्व

भारतीय संस्कृति में हर रिश्ते का अपना महत्व है और अगर बात अगर भाई-बहन के संबंध की हो तो परंपराए इस प्रकार से बनाई गई हैं कि ये समय-समय पर इस रिश्ते को और मजबूत करती हैं।

ऐसी ही एक परंपरा हमारे समाज में भैया दूज को मनाने की सदियों से चलती चली आई है। जीवन में तमाम व्यस्तता के बाद भी अगर आज इस त्योहार का लोग महत्व समझते हैं, इसे मनाने के लिए उत्सुक रहते हैं, तो यही इस परंपरा की जीत है।

भैया दूज हर वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन भाई के माथे पर तिलक करके बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है, लेकिन सिर्फ तिलक से लंबी उम्र का क्या संबंध है ये कई लोग सोचते हैं तो चलिए आज एक पौराणिक कथा के जरिए इस तिलक के महत्व के बारे में जानते हैं और समझते हैं कि इसका संबंध कैसे भाई की दीर्घायु से जोड़ते हैं।

यम और यमुना से जुड़ी कथा

ये कथा है यमराज और उनकी बहन यमुना मैया की। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यमराज और यमुना मैया दोनों ही भगवान सूर्य की संताने हैं लेकिन सूर्य देव की तेज किरणों के कारण वो अपनी माता संज्ञा के साथ अलग रहे। बाद में यम देव ने अपनी यमपुरी बसाई जहाँ दुष्टों को उनके कर्मों के लिए दंड दिया जाता था।

यमुना मैया निर्मल स्वभाव की थीं। उनसे ज्यादा दिन ये सब देखा नहीं गया और आखिर में वह गोलोक चली गईं। समय बीता। एक दिन यमराज को अपनी बहन की बहुत याद आई। उन्होंने अपने दूतों को भेज कहा कि वो जाकर यमुना जी का पता लगाएँ। बहुत खोजने के बाद जब किसी को यमुना जी का पता नहीं चला, तब यम देव खुद गोलोक के लिए चले और इस तरह बहुत वर्ष बाद भाई-बहन की आपस में भेंट हुई।

यमुना जी अपने भाई को देख इतनी प्रसन्न थीं कि उन्होंने यम देव का तिलक कर उनका स्वागत किया और उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया। बहन का प्रेम देख यमराज भी भावुक हो गए। उन्होंने अपनी बहन से कहा कि वो उनसे कुछ भी वरदान माँग लें। इस पर यमुना मैया को यमपुरी में लोगों को दी जाने वाली यातनाओं की याद आई और उन्होंने कहा – “मुझे ये वर दें कि जो कोई मेरे जल में स्नान करे वो यमपुरी में न जाए।”

यमराज इस वरदान को सुन सोच में पड़ गए कि अगर ऐसा हुआ तो यमपुरी में आएगा ही कौन। तभी बहन यमुना ने फिर कहा कि आप चिंता न करें, मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन बहन से तिलक कराएँ और मेरे जल में स्नान करे वो कभी यमपुरी न जाए।

इसी वरदान के बाद द्वादशी तिथि को भाई दूज मनाने की परंपरा चली और हर बहन ने अपने भाई के माथे पर तिलक करके उनकी लंबी उम्र की कामना करनी शुरू की।

माना जाता है कि जो भाई इस दिन अपनी सगी बहन के हाथ से भोजन को स्नेहपूर्वक करता है, उसके उपहार देता है उसके बल में वृद्धि होती है। वह एक साल तक किसी कलह एवं शत्रु के भय का सामना नहीं करता। उसके धन, यश, धर्म, काम में बढोतरी होती है।

भगवान कृष्ण और सुभद्रा की कहानी

इस कथा के अलावा एक कथा और मशहूर है जिसका संबंध भगवान कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा से जुड़ा है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने जब नरकासुर का वध किया तो उसके बाद वो अपनी बहन से मिलने गए।इसके बाद सुभद्रा ने उनका स्वागत तिलक करके और आरती करके किया। इस दौरान भगवान ने अपनी बहन को आशीर्वाद दिया कि वो हमेशा अपनी बहन की रक्षा करेंगे।

भाई दूज का भारत में महत्व

आज इस त्योहार को मनाने का तरीका जगह-जगह अलग हो सकता है लेकिन इस त्योहार को लेकर विश्वास सबका एक ही है। ये केवल एक भाई दूज केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का अवसर भी प्रदान करता है। पूरे भारत में इसे विभिन्न नामों से मनाया जाता है। कहीं इसे भाई दूज कहते हैं तो कहीं पर भाई तीज कहा जाता है। विदेशों में भी धीरे-धीरे भारतीय संस्कृति के प्रति रूचि रखने वाले लोग इस उत्सव को मनाते हैं।

पटाखे फोड़ रहे हिंदू परिवार की बेटी की छाती पर हाथ फेरा, कपड़े फाड़े: फरीदाबाद में मुस्लिम राज और आशिक पर आरोप, पीड़ित परिवार ने लगाए ‘मकान बिकाऊ’ के पोस्टर

हरियाणा के फरीदाबाद जिले की सुभाष कॉलोनी में एक हिंदू परिवार ने अपने घर के बाहर “यह मकान बिकाऊ है” का पोस्टर लगा दिया है। हिंदू परिवार का आरोप है कि दिवाली पर उनके बच्चे द्वारा पटाखे जलाने पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उन पर हमला कर दिया। उन्होंने घर में घुसपर बहन बेटियों से छेड़छाड़ की, उनके कपड़े फाड़ दिए और रेप की कोशिश की। पीड़ित परिवार ने पुलिस पर मामले को अनसुनी करने का भी आरोप लगाया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिवाली की रात को फरीदाबाद के सुभाष कॉलोनी में एक हिंदू लड़का अपने घर के बाहर पटाखे जला रहा था, इसी दौरान पड़ोस में रहने वाले राज और आशिक की अगुवाई में इस्लामी कट्टरपंथियों के झुंड ने पटाखे जलाने को लेकर बच्चे को धमकाना शुरू कर दिया। पीड़ित परिवार ने बताया कि जब वे इस मामले को शांत कराने और विरोध दर्ज करने के लिए उन लोगों से बात करने गईं तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।

परिवार का आरोप है कि इसी दौरान मुस्लिम पड़ोसियों ने उन पर ईंट और पत्थरों से हमला कर दिया।घर के मुख्य दरवाजे को तोड़ने की कोशिश की गई और परिवार की महिला सदस्यों के साथ मारपीट भी की गई। पीड़ित परिवार की बेटी का दावा है कि हमलावरों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया, उनके कपड़े फाड़ने की कोशिश की और उन्हें नाखूनों से नोच डाला। हमलावरों ने उनकी छाती पर हाथ मारा और जबरदस्ती करने की कोशिश की। बेटी ने कहा कि हमने पुलिस से भी शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

इस हमले के बाद पड़ोस में लगे सीसीटीवी कैमरों में सबकुछ रिकॉर्ड हो गया। फुटेज में कई लोग दुर्गा प्रसाद के घर पर पथराव और दरवाजे को तोड़ने का प्रयास करते दिख रहे हैं। फुटेज में महिला और बच्चे पर किए गए हमले का भी दृश्य सामने आया है, जिसमें आरोपितों द्वारा उनके घर पर हमला किया जा रहा है। इस दौरान हमलावरों की संख्या 40 से 50 तक थी।

घटना के समय मौजूद कुछ पड़ोसियों ने यह गवाही दी है कि उन्होंने दुर्गा प्रसाद के घर पर हुए हमले को देखा। उनके एक पड़ोसी रवि ने बताया कि “वह यहाँ बचपन से रह रहे थे लेकिन अब माहौल बहुत खराब हो गया है।” उनके अनुसार, मोहल्ले में पहले हिंदू समुदाय के लोगों की संख्या अधिक थी लेकिन अब धीरे-धीरे समुदाय विशेष की संख्या बढ़ने से माहौल बदलता जा रहा है।

घटना के बाद दुर्गा प्रसाद की बेटी ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन पर और उनके परिवार पर हुए हमले की जानकारी थी। स्थानीय पुलिस स्टेशन ने मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है। हालाँकि, मीडिया रिपोर्टों में पुलिस की ओर से अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है और अधिकारी मामले की जाँच कर रहे हैं। पीड़ित परिवार का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद पुलिस का रवैया सहयोगात्मक नहीं रहा, जिससे कई हिंदू परिवार पहले ही पलायन कर चुके हैं।

हरियाणा महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया ने कहा कि वो पीड़ित परिवार के साथ हैं। लड़कियों और महिलाओं पर हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने पीड़ित परिवार को न घबराने की सलाह दी।