Wednesday, November 20, 2024
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2019 में सबसे गरीब विधायक, 2024 में 300x बढ़ी सम्पत्ति: JMM के मंगल कालिंदी ₹30,000 से स्कॉर्पियो-बोलेरो और ₹73 लाख के घर में पहुँचे, उम्र में भी 4 साल का झोल

2019 के चुनावी हलफनामे के हिसाब से झारखंड के सबसे गरीब विधायक अब 5 साल के भीतर 3 गाड़ियों, एक आलीशान घर और लाखों के बैंक बैलेंस के मालिक हो गए हैं। उनकी सम्पत्ति में यह इजाफा 100 गुने से भी अधिक है। यही नहीं उनकी उम्र भी इन 5 सालों में उनकी सम्पत्ति की तरह उम्र भी दोगुनी स्पीड से बढ़ी है।

जिन विधायक की सम्पत्ति और उम्र में इस असामान्य इजाफे के आरोप लगे हैं, उनका नाम मंगल कालिंदी है। कालिंदी 2019 से झारखंड की जुगसलाई सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के विधायक हैं। इसी सीट से वह 2024 में दोबारा चुनावी रण में उतरे हैं।

मंगल कालिंदी ने हाल ही में चुनाव के लिए पर्चा भी भरा है। इस हलफनामे में उन्होंने बताया है कि उनके पास ₹73 लाख का एक घर है। ₹10 लाख की एक स्कॉर्पियो गाड़ी है। एक ₹3 लाख की बोलेरो गाड़ी है। साथ ही में एक पुरानी ग्लैमर बाइक भी है, इसकी कीमत ₹10,000 है।

कालिंदी ने इसके अलावा खुद के पास ₹20 लाख एक खाते में, ₹3 लाख दूसरे खाते में और ₹12 हजार तीसरे खाते में होने की बात सार्वजनिक की है। उन्होंने 5 ग्राम सोना और साथ ही में ₹50,000 नकद होने की बात भी कही है। उन्होंने यह भी बताया है कि घर के लिए उन्होंने लोन लिया है।

अब इस आर्थिक ब्यौरे से कहीं कुछ असामान्य नहीं दिखता है। लगता है किसी भी सामान्य मध्यम वर्गीय व्यक्ति के पास इतनी सम्पत्ति तो हो ही सकती है। लेकिन चौंकने वाली बात यह है कि इसमें से लगभग 98% सम्पत्ति मंगल कालिंदी ने पिछले 5 साल के भीतर बनाई है।

दरअसल, मंगल कालिंदी को 2023 में चुनावों पर काम करने वाली एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने 2023 ने झारखंड का सबसे गरीब विधायक घोषित किया था। वह झारखंड के सबसे गरीब विधायक होने के साथ ही देश के पाँचवे सबसे गरीब विधायक थे।

ADR ने यह रिपोर्ट 2019 झारखंड विधानसभा चुनाव में दाखिल किए गए कालिंदी के हलफनामे के आधार पर तैयार की थी। इस हलफनामे में कालिंदी ने बताया था कि उनके पास ले देकर ₹30,000 की सम्पत्ति है। इन आँकड़ों के हिसाब से वह गरीबी रेखा से नीचे (BPL) वाली रेखा में आते हैं।

2019 से 2024 के बीच कालिंदी झारखंड के सबसे गरीब विधायक का तमगा छोड़ने में कामयाब रहे और आलीशान घर-तीन गाड़ियाँ, बैंक बैलेंस और यहाँ तक कि सोना भी खरीद लिया। सम्पत्ति में एकाएक वृद्धि का स्रोत क्या है, इसकी अभी जानकारी सामने नहीं आई है।

मंगल कालिंदी की सम्पत्ति में बढ़ोतरी को लेकर तो चर्चे हैं ही, उनकी उम्र पर प्रश्न उठना चालू हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगल कालिंदी ने 2019 में अपनी उम्र 42 वर्ष बताई थी। 2024 में यह उम्र 47 वर्ष होनी चाहिए थी। लेकिन 2024 के हलफनामे में उन्होंने अपनी उम्र 51 वर्ष बताई है।

2019 और 2024 में दिए गए हलफनामों में उम्र का अंतर क्यों है, इसका कारण सामने नहीं आया है। इसको लेकर एक भाजपा कार्यकर्ता ने चुनाव आयोग के पास शिकायत भी की है। भाजपा कार्यकर्ता ने आरोप जड़ा है कि कालिंदी ने कागजों में जालसाजी की है।

यमराज की क्रूरता, यमुना की निर्मलता और एक वरदान… जानें कार्तिक माह में ही क्यों मनाया जाता है भैया दूज, समझें तिलक-भोज का महत्व

भारतीय संस्कृति में हर रिश्ते का अपना महत्व है और अगर बात अगर भाई-बहन के संबंध की हो तो परंपराए इस प्रकार से बनाई गई हैं कि ये समय-समय पर इस रिश्ते को और मजबूत करती हैं।

ऐसी ही एक परंपरा हमारे समाज में भैया दूज को मनाने की सदियों से चलती चली आई है। जीवन में तमाम व्यस्तता के बाद भी अगर आज इस त्योहार का लोग महत्व समझते हैं, इसे मनाने के लिए उत्सुक रहते हैं, तो यही इस परंपरा की जीत है।

भैया दूज हर वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन भाई के माथे पर तिलक करके बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है, लेकिन सिर्फ तिलक से लंबी उम्र का क्या संबंध है ये कई लोग सोचते हैं तो चलिए आज एक पौराणिक कथा के जरिए इस तिलक के महत्व के बारे में जानते हैं और समझते हैं कि इसका संबंध कैसे भाई की दीर्घायु से जोड़ते हैं।

यम और यमुना से जुड़ी कथा

ये कथा है यमराज और उनकी बहन यमुना मैया की। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यमराज और यमुना मैया दोनों ही भगवान सूर्य की संताने हैं लेकिन सूर्य देव की तेज किरणों के कारण वो अपनी माता संज्ञा के साथ अलग रहे। बाद में यम देव ने अपनी यमपुरी बसाई जहाँ दुष्टों को उनके कर्मों के लिए दंड दिया जाता था।

यमुना मैया निर्मल स्वभाव की थीं। उनसे ज्यादा दिन ये सब देखा नहीं गया और आखिर में वह गोलोक चली गईं। समय बीता। एक दिन यमराज को अपनी बहन की बहुत याद आई। उन्होंने अपने दूतों को भेज कहा कि वो जाकर यमुना जी का पता लगाएँ। बहुत खोजने के बाद जब किसी को यमुना जी का पता नहीं चला, तब यम देव खुद गोलोक के लिए चले और इस तरह बहुत वर्ष बाद भाई-बहन की आपस में भेंट हुई।

यमुना जी अपने भाई को देख इतनी प्रसन्न थीं कि उन्होंने यम देव का तिलक कर उनका स्वागत किया और उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया। बहन का प्रेम देख यमराज भी भावुक हो गए। उन्होंने अपनी बहन से कहा कि वो उनसे कुछ भी वरदान माँग लें। इस पर यमुना मैया को यमपुरी में लोगों को दी जाने वाली यातनाओं की याद आई और उन्होंने कहा – “मुझे ये वर दें कि जो कोई मेरे जल में स्नान करे वो यमपुरी में न जाए।”

यमराज इस वरदान को सुन सोच में पड़ गए कि अगर ऐसा हुआ तो यमपुरी में आएगा ही कौन। तभी बहन यमुना ने फिर कहा कि आप चिंता न करें, मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन बहन से तिलक कराएँ और मेरे जल में स्नान करे वो कभी यमपुरी न जाए।

इसी वरदान के बाद द्वादशी तिथि को भाई दूज मनाने की परंपरा चली और हर बहन ने अपने भाई के माथे पर तिलक करके उनकी लंबी उम्र की कामना करनी शुरू की।

माना जाता है कि जो भाई इस दिन अपनी सगी बहन के हाथ से भोजन को स्नेहपूर्वक करता है, उसके उपहार देता है उसके बल में वृद्धि होती है। वह एक साल तक किसी कलह एवं शत्रु के भय का सामना नहीं करता। उसके धन, यश, धर्म, काम में बढोतरी होती है।

भगवान कृष्ण और सुभद्रा की कहानी

इस कथा के अलावा एक कथा और मशहूर है जिसका संबंध भगवान कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा से जुड़ा है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने जब नरकासुर का वध किया तो उसके बाद वो अपनी बहन से मिलने गए।इसके बाद सुभद्रा ने उनका स्वागत तिलक करके और आरती करके किया। इस दौरान भगवान ने अपनी बहन को आशीर्वाद दिया कि वो हमेशा अपनी बहन की रक्षा करेंगे।

भाई दूज का भारत में महत्व

आज इस त्योहार को मनाने का तरीका जगह-जगह अलग हो सकता है लेकिन इस त्योहार को लेकर विश्वास सबका एक ही है। ये केवल एक भाई दूज केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का अवसर भी प्रदान करता है। पूरे भारत में इसे विभिन्न नामों से मनाया जाता है। कहीं इसे भाई दूज कहते हैं तो कहीं पर भाई तीज कहा जाता है। विदेशों में भी धीरे-धीरे भारतीय संस्कृति के प्रति रूचि रखने वाले लोग इस उत्सव को मनाते हैं।

पटाखे फोड़ रहे हिंदू परिवार की बेटी की छाती पर हाथ फेरा, कपड़े फाड़े: फरीदाबाद में मुस्लिम राज और आशिक पर आरोप, पीड़ित परिवार ने लगाए ‘मकान बिकाऊ’ के पोस्टर

हरियाणा के फरीदाबाद जिले की सुभाष कॉलोनी में एक हिंदू परिवार ने अपने घर के बाहर “यह मकान बिकाऊ है” का पोस्टर लगा दिया है। हिंदू परिवार का आरोप है कि दिवाली पर उनके बच्चे द्वारा पटाखे जलाने पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उन पर हमला कर दिया। उन्होंने घर में घुसपर बहन बेटियों से छेड़छाड़ की, उनके कपड़े फाड़ दिए और रेप की कोशिश की। पीड़ित परिवार ने पुलिस पर मामले को अनसुनी करने का भी आरोप लगाया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिवाली की रात को फरीदाबाद के सुभाष कॉलोनी में एक हिंदू लड़का अपने घर के बाहर पटाखे जला रहा था, इसी दौरान पड़ोस में रहने वाले राज और आशिक की अगुवाई में इस्लामी कट्टरपंथियों के झुंड ने पटाखे जलाने को लेकर बच्चे को धमकाना शुरू कर दिया। पीड़ित परिवार ने बताया कि जब वे इस मामले को शांत कराने और विरोध दर्ज करने के लिए उन लोगों से बात करने गईं तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।

परिवार का आरोप है कि इसी दौरान मुस्लिम पड़ोसियों ने उन पर ईंट और पत्थरों से हमला कर दिया।घर के मुख्य दरवाजे को तोड़ने की कोशिश की गई और परिवार की महिला सदस्यों के साथ मारपीट भी की गई। पीड़ित परिवार की बेटी का दावा है कि हमलावरों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया, उनके कपड़े फाड़ने की कोशिश की और उन्हें नाखूनों से नोच डाला। हमलावरों ने उनकी छाती पर हाथ मारा और जबरदस्ती करने की कोशिश की। बेटी ने कहा कि हमने पुलिस से भी शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

इस हमले के बाद पड़ोस में लगे सीसीटीवी कैमरों में सबकुछ रिकॉर्ड हो गया। फुटेज में कई लोग दुर्गा प्रसाद के घर पर पथराव और दरवाजे को तोड़ने का प्रयास करते दिख रहे हैं। फुटेज में महिला और बच्चे पर किए गए हमले का भी दृश्य सामने आया है, जिसमें आरोपितों द्वारा उनके घर पर हमला किया जा रहा है। इस दौरान हमलावरों की संख्या 40 से 50 तक थी।

घटना के समय मौजूद कुछ पड़ोसियों ने यह गवाही दी है कि उन्होंने दुर्गा प्रसाद के घर पर हुए हमले को देखा। उनके एक पड़ोसी रवि ने बताया कि “वह यहाँ बचपन से रह रहे थे लेकिन अब माहौल बहुत खराब हो गया है।” उनके अनुसार, मोहल्ले में पहले हिंदू समुदाय के लोगों की संख्या अधिक थी लेकिन अब धीरे-धीरे समुदाय विशेष की संख्या बढ़ने से माहौल बदलता जा रहा है।

घटना के बाद दुर्गा प्रसाद की बेटी ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन पर और उनके परिवार पर हुए हमले की जानकारी थी। स्थानीय पुलिस स्टेशन ने मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है। हालाँकि, मीडिया रिपोर्टों में पुलिस की ओर से अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है और अधिकारी मामले की जाँच कर रहे हैं। पीड़ित परिवार का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद पुलिस का रवैया सहयोगात्मक नहीं रहा, जिससे कई हिंदू परिवार पहले ही पलायन कर चुके हैं।

हरियाणा महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया ने कहा कि वो पीड़ित परिवार के साथ हैं। लड़कियों और महिलाओं पर हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने पीड़ित परिवार को न घबराने की सलाह दी।

तिरुपति मंदिर में सिर्फ हिंदू काम करेंगे: TTD के नए अध्यक्ष BR नायडू ने कहा- मुस्लिम कर्मचारियों को दूसरे विभागों में भेजने या रिटायर करने पर विचार

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष बीआर नायडू ने कहा है कि भगवान वेंकटेश्वर के निवास तिरुपति मंदिर में काम करने वाले सभी लोग हिंदू होने चाहिए। उन्होंने कहा कि वे आंध्र प्रदेश की सरकार से बात करेंगे कि दूसरे धर्म के कर्मचारियों का क्या किया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे कर्मचारियों को दूसरे विभागों में भेजा जा सकता है या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) दी जा सकती है।

बीआर नायडू ने गुरुवार (31 अक्टूबर 2024) को कहा, “तिरुमाला में काम करने वाला हर व्यक्ति हिंदू होना चाहिए। यह मेरा पहला प्रयास होगा। इसमें कई मुद्दे हैं। हमें इस पर विचार करना होगा।” भगवान वेंकटेश्वर के अनन्य भक्त नायडू ने कहा कि वह TTD बोर्ड के अध्यक्ष नियुक्त किए जाने को सौभाग्य मानते हैं। इसके लिए उन्होंने आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू को धन्यवाद दिया।

बीआर नायडू ने आरोप लगाया कि वाईएसआर कॉन्ग्रेस की पिछली सरकार के दौरान तिरुमाला में कई अनियमितताएँ हुईं। उन्होंने कहा कि अब मंदिर की पवित्रता की रक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे कर्तव्य पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ निभाएँगे। बता दें कि बीआर नायडू मीडिया पर्सनालिटी हैं। वह भक्ति चैनल के साथ-साथ तेलुगु टीवी चैनल भी चलाते हैं।

दरअसल, मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश की एनडीए सरकार ने बुधवार (30 अक्टूबर 2024) को TTD के लिए 24 सदस्यों वाला एक नया बोर्ड गठित किया। सरकार ने बीआर नायडू को नवगठित टीटीडी बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया है, जबकि भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड की सह-संस्थापक और एमडी सुचित्रा एला को बोर्ड में सदस्य बनाया है।

बता दें कि कुछ दिन पहले ही तिरुपति मंदिर के प्रसाद में गाय एवं सुअर का मांस और मछली का तेल पाए जाने पर विवाद बढ़ गया था। इसकी जाँच के लिए SIT गठित की गई थी। इसके बाद जगन मोहन रेड्डी के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान तिरुपति मंदिर का प्रशासन करने वाले तिरुपति देवस्थानम बोर्ड से जुड़े लोगों पर सवाल उठाया गया था।

इसी साल फरवरी में तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने कहा था कि वह मुस्लिम भक्तों के तिरुपति की सेवा करने का रास्ता तलाशेगा। ऐसा मुस्लिम भक्तों के अनुरोध पर करने की बात कही गई थी। बोर्ड ने दावा किया था कि कुछ मुस्लिम भक्तों ने भगवान् वेंकटेश्वर की सेवा करने की माँग बोर्ड से की है। इसे श्रीवरी सेवा के नाम से जाना जाता है।

यह एक प्रकार की कारसेवा होती है, इसमें बोर्ड हिन्दू श्रद्धालुओं को मंदिर से जुड़े कामों में लगाता है। हिन्दू भक्त इसे अपनी श्रद्धानुसार कर सकते हैं, इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। इसकी शुरुआत TTD ने वर्ष 2000 में की थी। इस सेवा के तहत मंदिर प्रशासन ऐसे श्रृद्धालुओं को 60 से अधिक क्षेत्रों, जैसे कि- ट्रांसपोर्ट, साफ़ सफाई, अन्नप्रसादम और अन्य कार्यों में लगाता है।

बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ बोलने की भी मनाही, युनुस सरकार लगा रही ‘देशद्रोह’ का मुकदमा: 19 पर FIR, 2 गिरफ्तार

बांग्लादेश के चटगाँव में ऐतिहासिक लाल दीघी मैदान में हिन्दू संगठनों ने हाल ही में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन किया था। अब बांग्लादेश की युनुस सरकार ने इन हिन्दुओं को देशद्रोह की पुलिसिया कार्रवाई से डराना चालू कर दिया है।

यह रैली आयोजित करने वाली संस्था सनातन जागरण मंच (SJM) के लोगों के खिलाफ अब पुलिस देशद्रोह के मामले दर्ज करने चालू कर दिए हैं। बांग्लादेश की पुलिस ने SJM के 19 लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए हैं। यह मुकदमा बुधवार (30 अक्टूबर, 2024) को दर्ज किया है।

चटगाँव में यह रैली 25 अक्टूबर को हिंदुओं पर इस्लामी कट्टरपंथियों के हमलों के विरोध में आयोजित की गई थी। इसके बाद फिरोज खान नामक व्यक्ति ने पुलिस में SJM के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण ब्रह्मचारी, इस्कॉन के पुजारी लीलराज दास ब्रह्मचारी और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

फिरोज खान ने हिन्दुओं पर चटगाँव के न्यू मार्केट चौराहे पर कथित तौर पर भगवा हिंदू झंडा लगाकर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का ‘अपमान’ करने का आरोप लगाया था। चटगाँव पुलिस ने इसके बाद कोतवाली पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की।

हिन्दू समुदाय के अन्य लोगों के खिलाफ भी पुलिस ने मामले दर्ज किए हैं। पुलिस ने अजय दत्ता, गोपाल दास टीपू, कथक दास, अमित धर, रोनी दास, राजीव दास, कृष्ण कुमार दत्त, जीकू चौधरी, न्यूटन डे, तुषार चक्रवर्ती, मिथुन डे, रूपन धर, रिमोन दत्त, सुकांत दास और विश्वजीत गुप्ता को आरोपित बनाया है।

बांग्लादेश की पुलिस इस्लामी कट्टरपंथियों के आगे नतमस्तक हो चुकी है और उसने कथित देशद्रोह के आरोप में दो हिन्दू व्यक्तियों राजेश चौधरी और हृदय दास नामक दो हिंदुओं को गिरफ्तार कर लिया। चटगाँव के प्रशासन ने मुख्य मार्केट में लगा भगवा झंडा भी हटा दिया है।

मंदिरों, दुकानों और व्यवसायों को निशाना बनाए जाने के खिलाफ़ अपनी नाराज़गी दिखाने वाले हिंदुओं पर अब बांग्लादेश तोड़ने और ‘देश की संप्रभुता को कमज़ोर करने और अशांति पैदा करने’ और बांग्लादेशी झंडे का अपमान करने के मामलों में आरोपित बना दिया है।

दो हिंदुओं की जानबूझकर पर की गई FIR और गिरफ्तारी के बाद हिन्दुओं ने चटगाँव के चेरागी पहाड़ चौराहे पर विरोध मार्च निकाला। SJM ने इस मामले ने शुक्रवार (1 नवंबर) को बांग्लादेश के 65 जिलों में प्रदर्शन की भी घोषणा की है।

25 अक्टूबर के प्रदर्शन में हिंदू समुदाय ने 8 मांगें रखीं थी:-

1.अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामलों में त्वरित सुनवाई, पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा और पुनर्वास।

2.अल्पसंख्यक संरक्षण अधिनियम।

3.अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का गठन।

4.हिंदू कल्याण ट्रस्टों को हिंदू फाउंडेशन में अपग्रेड करना।

5.संपत्ति पुनर्प्राप्ति और संरक्षण अधिनियम और सौंपी गई संपत्ति के हस्तांतरण अधिनियम का उचित क्रियान्वयन।

6.हर शैक्षणिक संस्थान में अल्पसंख्यकों के लिए पूजा स्थलों का निर्माण और हर छात्रावास में प्रार्थना कक्ष आवंटित करना।

7.संस्कृत और पाली शिक्षा बोर्ड का आधुनिकीकरण।

8.दुर्गा पूजा पर 5 दिन की छुट्टी।

जहाँ हिन्दुओं पर उत्पीड़न के खिलाफ बोलने के लिए मुकदमे की कार्रवाई हो रही है, वहीं मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली नई सरकार ने 15 जुलाई से 8 अगस्त के बीच हुए प्रदर्शनों में शामिल ‘प्रदर्शनकारियों’ को किसी भी सजा से मुक्त रखने का आदेश हाल ही में जारी किया है।

छत्तीसगढ़ में भगवा ध्वज लगे ऑटो से मिशनरी झोंक रहे आँखों में धूल, कर रहे ईसाइयत का प्रचार: राजधानी से सटे इलाके में फैला मतांतरण का जाल

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण से जुड़े विवाद का केंद्र रायपुर के पास के गाँव बने हुए हैं, जहाँ ईसाई मत का प्रचार-प्रसार जोर-शोर से हो रहा है। लेकिन ये प्रचार लोगों को भ्रमित करके किया जा रहा है। यहाँ जिन गाड़ियों से ईसाईयत का प्रचार हो रहा है, उन गाड़ियों पर भगवा ध्वज लगाकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। इस पूरे मामले के सामने आने के बाद स्थानीय युवाओं ने जमकर हंगामा किया। इस पूरे विवाद के केंद्र में वनवासी इलाके हैं, जहाँ लोगों को छल से ईसाईयत में बदला जा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रायपुर के पथरी गाँव में ईसाईयत का प्रचार करने वाले लोग भगवा झंडा लगे ऑटो में सवार होकर पहुँचे और पर्चे बाँटने लगे। लोगों के घरों में यीशू से जुड़ी सामग्री बाँटी गई, जिसके सामने आते ही स्थानीय युवक और बजरंग दल के कार्यकर्ता सक्रिय हो गए। उन्होंने मिशनरियों का जोरदार विरोध किया, जिसके बाद मिशनरी भाग खड़े हुए। इस मामले में राष्ट्रीय बजरंग दल ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की है।

जानकारी के मुताबिक, ये घटना कुछ दिन पहले की है, जब दो-तीन लोग ऑटो में सवार होकर पथरी गाँव पहुँचे। उनके ऑटो पर भगवा झंगा लहरा रहा था, जिसकी वजह से लोगों ने विरोध नहीं किया। इस मिशनरियों ने घरों में जाकर ईसा मसीह की महिमा का प्रचार किया और पर्चे बाँटे। गाँव के युवाओं के विरोध की भनक लगते ही मिशनरी फरार हो गए।

इस बीच, छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार एक कानून लाने की योजना बना रही है, जिसमें जबरन, प्रलोभन या धोखे से धर्म परिवर्तन कराने वालों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान होगा। कानून के तहत, धर्म परिवर्तन के लिए पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होगा, ताकि जाँच हो सके कि यह स्वेच्छा से हुआ है या नहीं। ऐसे मामलों में कानूनी प्रक्रिया के तहत दोषियों को दंडित किया जाएगा।

तिल्दा में ईसाइयों के कार्यक्रम का विरोध

इस बीच, 1 नवंबर को तिल्दा स्थित हेवरोन नगर सासाहोली में द इंडियन पेंटेकोस्टल चर्च ऑफ गॉड 18 कन्वेंशन के माध्यम से पादरियों द्वारा कार्यक्रम के आयोजन की जानकारी सामने आई है, जिसका राष्ट्रीय बजरंग दल ने विरोध किया है। राष्ट्रीय बजरंग दल ने कहा कि अगर कार्यक्रम को रोका नहीं गया, तो संगठन इस मतांतरण कार्यक्रम को बंद कराएगा और इसका आयोजन नहीं होने दिया जाएगा।

डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिकी हिंदुओं को बचाने का वादा, बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले की निंदा की: कहा- इस दिवाली अंधकार पर प्रकाश की जीत हो

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार एवं पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की निंदा की है। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिकी हिंदुओं के हितों की रक्षा करने और उन्हें कट्टरपंथी वामपंथ के धर्म-विरोधी एजेंडे से बचाने की कसम खाई है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत के साथ अपने संबंधों को और मजबूत बनाने की बात भी कही है।

भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने के प्रयास के तहत डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ साझेदारी बढ़ाने की इच्छा भी व्यक्त की। उन्होंने पीएम मोदी को अपना ‘अच्छा मित्र’ बताया। डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी भावनाएँ सोशल मीडिया साइट X (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पोस्ट के जरिए शेयर की है।

बांग्लादेश में हिंदू एवं अन्य अल्पसंख्यक समूहों पर हमलों की निंदा करते हुए ट्रंप ने कहा, “मैं हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ बर्बर हिंसा की कड़ी निंदा करता हूँ। उन पर बांग्लादेश में भीड़ द्वारा हमला किया जा रहा है और लूटपाट की जा रही है। वहाँ पूरी तरह अराजकता की स्थिति बनी हुई है।”

बता दें कि 5 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्तापलट कर दिया गया था। वह सैन्य विमान से भारत भाग आई थीं। तब से वह भारत में ही हैं। हसीना के इस्तीफे के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में एक कार्यवाहक सरकार का गठन किया गया। माना जाता है कि यूनुस को कट्टरपंथी विपक्षी नेता खालिदा जिया का समर्थन हासिल है।

ट्रंप ने राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस पर हिंदुओं की अनदेखी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “मेरे कार्यकाल में ऐसा कभी नहीं होता। कमला और बाइडेन ने दुनिया भर में और अमेरिका में हिंदुओं की अनदेखी की है। वे इज़राइल से लेकर यूक्रेन और हमारी अपनी दक्षिणी सीमा तक तबाही मचा चुके हैं। हम अमेरिका को फिर से मज़बूत बनाएँगे और ताकत के ज़रिए शांति लाएँगे!”

ट्रम्प ने आगे कहा, “कमला हैरिस अधिक विनियमन और उच्च करों के साथ आपके छोटे व्यवसायों को नष्ट कर देंगी। इसके विपरीत, मैंने करों में कटौती की, विनियमन में कटौती की, अमेरिकी ऊर्जा को मुक्त किया और इतिहास की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का निर्माण किया। हम इसे फिर से करेंगे, पहले से कहीं अधिक बड़ा और बेहतर – और हम अमेरिका को फिर से महान बनाएँगे।”

अंत में डोनाल्ड ट्रंप ने सभी को दिवाली की शुभकामनाएँ दी। अपनी पोस्ट के अंत में उन्होंने लिखा, “सभी को दिवाली की शुभकामनाएँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि रौशनी का यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत की ओर ले जाएगा!”

कर्नाटक के हावेरी में वक्फ के कब्जे पर हिंसा, माँ दुर्गा और हनुमान मंदिर की जमीन को लेकर बवाल: बेघर होने के खौफ में हिन्दू

कर्नाटक के हावेरी जिले के एक गाँव में हिन्दुओं को अपने मंदिर और जमीन वक्फ द्वारा हथियाए जाने का डर सता रहा है। हिन्दुओं का आरोप है कि उनके गाँव के मुस्लिमों के जमीनों को वक्फ को देने के लिए याचिका भी लगाई है। खौफ में आए हिन्दुओं से मुस्लिमों का विवाद भी हुआ और पत्थर भी चले।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हावेरी जिले के कडाकोल गाँव में बुधवार (30 अक्टूबर, 2024) की देर रात तनाव फ़ैल गया। स्थानीय हिन्दुओं ने आरोप लगाया कि यहाँ के मुस्लिमों ने हनुमान मंदिर और दुर्गा मंदिर के परिसर और उसके आस-पास की जमीन को वक्फ जमीन घोषित करने के लिए याचिका दी है।

इसके बाद जब गाँव के हिन्दुओं के मुस्लिमों से इस संबंध में प्रश्न किए तो विवाद खड़ा हो गया। गाँव में मुस्लिमों के अगवा मोहम्मद रफ़ी से इस संबंध में विवाद हुआ। इसके बाद गाँव में पथराव चालू हो गया। जमीनों पर वक्फ के कब्जे से डरे लोगों ने मोहम्मद रफ़ी के घर पर पथराव किया।

कडाकोल गाँव में एक मोटरसाइकिल भी जलाई गई। पथराव में 5 लोग घायल हुए हैं। इनमें से गंभीर रूप से घायल लोगों को इलाज के लिए हुबली भेजा गया है। प्रशासन ने मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया है। गाँव में रिजर्व पुलिस की भी बटालियन लगा दी गई हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि लड़ाई झगड़े के बाद पुलिस ने लगभग 32 लोगों को पकड़ा है। इनमें से अधिकांश हिन्दू बताए जा रहे हैं। इनसे पूछताछ की जाएगी। अभी गाँव में शांति बनाई हुई है लेकिन वक्फ का डर अभी खत्म नहीं हुआ है।

गाँव के हिन्दुओं ने जमीनों के रिकॉर्ड बदले जाने का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि राज्य वक्फ मामलों के मंत्री ज़मीर अहमद के आदेश के बाद जमीन के रिकॉर्ड बदले जा रहे थे। इसके लिए आदेश भी जारी किए गए थे। गाँव के हिन्दुओं को डर है कि उनका घर तक वक्फ हथिया सकता है।

वहीं प्रशासन ने बताया है कि उसने वक्फ बोर्ड द्वारा दी गई लिस्ट को केवल वेरीफाई करके रिपोर्ट भेजने की कार्यवाही चालू की है और इससे कोई सम्पत्ति वक्फ की नहीं हो जाती। वहीं वक्फ मंत्री ज़मीर अहमद खुद भी इस मामले के बाद बैकफुट पर हैं।

जमीर अहमद का कहना है कि कडाकोल गाँव में हुआ विवाद दुखद है और वक्फ किसानों की जमीन नहीं लेगा। इस बीच भाजपा ने कॉन्ग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए वक्फ के कब्जे को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। हावेरी सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई ने कहा है कि वक्फ को लेकर जारी किए गए नोटिस तुरंत वापस लिए जाएँ।

केन्द्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने वक्फ पर लोगों को बेघर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “हावेरी के जिला पंचायत सीईओ ने हनुमान मंदिर और दुर्गव्वा मंदिर को अपने नियंत्रण में लेने का आदेश पारित किया है। कल वक्फ बोर्ड के सदस्य वहाँ कब्जा लेने गए थे और लोगों ने इसका विरोध किया। मौके पर पहुँची पुलिस ने इसके स्थानीय हिंदुओं के खिलाफ FIR दर्ज की है जो 60-70 सालों से वहाँ रह रहे हैं।”

प्रल्हाद जोशी ने कहा, “वे (वक्फ) हनुमान मंदिर पर कब्जा करना चाहते हैं। वे स्थानीय लोगों को बेघर करने की कोशिश कर रहे हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिला पंचायत के CEO ने यह आदेश दिया है। मैं सरकार और खास तौर पर पंचायत की कार्रवाई की कड़ी निंदा करता हूँ। ज़मीर अहमद अधिकारियों को निर्दोष हिंदुओं पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।

कर्नाटक में वक्फ के कब्जे पर विवाद का यह पहला मामला नहीं है। हाल ही में विजयपुरा जिले के टिकोटा तालुक स्थित होनवाड़ा गाँव के 1200 किसानों को वक्फ का नोटिस पहुँचा था। वक्फ बोर्ड ने इन सभी किसानों की जमीन पर अपना हक बताया था। यह विवाद भी लगातार बढ़ रहा है। हावेरी जिले में ही वक्फ ने जिले के कोर्ट की जमीन पर ही दावा ठोंक दिया है।

आदि ईश्वर बनकर सद्दाम ने हिंदू महिला से शादी की, बच्चा हुआ तो उसकी कुर्बानी देने का बनाने लगा दबाव: कहता था- इससे घर में बरकत होगी

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक हिंदू महिला ने अपने शौहर पर काला जादू करने और बेटे की कुर्बानी देने की साजिश का आरोप लगाकर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। महिला का कहना है कि उसका शौहर सद्दाम घर में अमन-चैन के लिए उसके बेटे की कुर्बानी देना था। इस घटना को वह अंजाम देता, इससे पहले ही उसे भनक लग गई। सद्दाम ने महिला से लव मैरिज की है।

केआरपुरम की रहने वाली महिला ने स्थानीय थाने में इसकी शिकायत दी। जब थाने में उसकी शिकायत नहीं सुनी गई तो उसने बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर को एक पत्र लिखा। इसके बाद पुलिस कमिश्नर के हस्तक्षेप के बाद मामला दर्ज किया गया। अपने शिकायती पत्र में महिला ने सद्दाम की जालसाजी और अपने साथ हुए छल के बारे में बताया है। उसने सद्दाम पर कड़ी कार्रवाई की माँग की है।

थाने में दी गई अपनी शिकायती पत्र मे महिला ने लिखा है कि सद्दाम से उसकी मुलाकात एक कूरियर सर्विस कंपनी में काम करने के दौरान हुई थी। महिला ने बताया कि उस समय सद्दाम ने अपना परिचय एक हिन्दू के रूप में दिया था और अपना नाम आदि ईश्वर बताया था। वह हिंदू होने का दिखावा करता था। धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हो गई। बाद में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सद्दाम में उससे शादी कर ली।

शादी के बाद सद्दाम का असली चेहरा सामने आ गया। हालाँकि, तब तक महिला उसके जाल में फँस चुकी थी। उसने बताया कि बाद में सद्दाम ने उस पर इस्लाम अपनाने और इस्लामी रीति-रिवाजों से शादी करने के लिए मजबूर किया था। उसने मुस्लिम मैरिज सर्टिफिकेट पर उससे जबरन साइन करवाया और उसका नाम बदल दिया। वह कहता था कि मुस्लिम नाम रखने से घर में बरकत होगी।

महिला ने आगे आरोप लगाया कि सद्दाम का व्यवहार उसके प्रति बेहद हिंसक था। वह उसकी गर्भवती होने के दौरान भी मारपीट करता था, बल्कि उसका शारीरिक शोषण भी करता था। इसी बीच महिला को एक बेटा हुआ। महिला ने बताया कि उसके बेटे के जन्म के बाद सद्दाम उसे पहुँचाने की कोशिश करने लगा। वह घर में अमन-चैन और समृद्धि के लिए ‘कुट्टी पूजा’ नाम का काला जादू करता था।

सद्दाम देर रात तक कुछ-कुछ बुदबुदाते रहता था और टोटकों में लगा रहता था। महिला ने बताया कि इस पूजा करने के दौरान सद्दाम उस पर बेटे की कुर्बानी देने का दबाव बनाने लगा। इससे महिला डर गई और अपने बेटे को लेकर घर छोड़कर अपने मायके तुमकुर चली गई। वहाँ भी सद्दाम ने पीछा नहीं छोड़ा। वह महिला की माँ को धमकाता था। आखिरकार उसकी धमकी से डरकर उसने पुलिस में शिकायत की।

रूस के कोर्ट ने लगाया गूगल पर 36 जीरो वाले आँकड़े का जुर्माना, दुनिया की जीडीपी से भी बड़ी है ये धनराशि: न्यूज रोकने पर हुई कार्रवाई

रूस की एक अदालत ने कई मीडिया आउटलेट्स को ब्लॉक करने के चलते अमेरिकी कम्पनी गूगल को एक बड़ी रकम अदा करने का आदेश दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सोमवार (28 अक्टूबर, 2024) को रूस की एक अदालत ने गूगल पर 2.5 अंडसिलियन रूबल या लगभग 25 डेसिलियन अमरीकी डॉलर का जुर्माना लगाया।

1 अंडसिलियन में 1 के बाद 36 जीरो होते हैं, जबकि 1 डेसिलियन में 1 के बाद 33 जीरो होते हैं। इसका मतलब है कि गूगल को अब 20,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000 अमरीकी डॉलर का भुगतान करने के लिए कहा गया है।

यह धनराशि ना केवल केवल गूगल के स्वामित्व वाली कम्पनी अल्फाबेट की मार्केट कैप से बड़ी है, बल्कि यह पूरी दुनिया की कुल जीडीपी से भी ज्यादा है। पूरी दुनिया के सभी देशों की कुल जीडीपी मिलाकर अभी 100 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है।

यह फैसला गूगल के खिलाफ 4 साल चली अदालती लड़ाई के बाद आया है। गूगल ने कई रूसी मीडिया संस्थानों पर प्रतिबंध लगा दिया था। गूगल ने जिन रूसी चैनलों को बैन किया था, उनमें राष्ट्रवादी चैनल ज़ारग्रेड भी था। इसे यूट्यूब पर से हटा दिया गया था। इसके मुखिया पर भी अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिए थे।

मामले में शामिल TASS के वकील इवान मोरोज़ोव ने कहा, “रूसी अदालत ने यूट्यूब से चैनल हटाने के लिए गूगल को जवाब देने को कहा था। अदालत ने गूगल को इन चैनलों को बहाल करने का आदेश दिया था।” इसके बाद अब जुर्माने की बात सामने आई है।

अदालत के इसी आदेश में कहा गया है कि यदि 9 महीने के भीतर गूगल यह जुर्माना नहीं भर्ती है तो उसके बाद हर दिन के साथ दोगुना होता जाएगा। इस जुर्माने की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। जब गूगल यह जुरमाना भर देगी, तभी उसे वापस रूस के बाजार में घुसने की अनुमति दी जाएगी।

अदालत ने यह धनराशि 2020 के बाद हुए नुकसान को लेकर तय की है। 2020 में गूगल की कार्रवाई के खिलाफ कई रूसी मीडिया संस्थान रूस की अदालत में पहुँच गए थे और कार्रवाई की माँग की थी। हालाँकि, अब इस बात की कम ही संभावना है कि गूगल यह जुर्माना भरे।

गूगल वर्तमान में रूस किसी प्रकार का व्यापार नहीं करती। गूगल ने 2022 में यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष चालू होने के साथ ही अपना धंधा रूस में बंद कर दिया था। जो कम्पनी रूस के भीतर गूगल की सहायता करती थी, वह अदालती कार्रवाई के कारण दिवालिया हो गई थी।

इस आँकड़े के बीच यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि गूगल शब्द की उत्पत्ति एक और बड़ी संख्या, ‘Googol’ से हुई है। 1 गूगल में 1 के बाद 100 शून्य होते हैं। इसके संस्थापक लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन कंपनी का नाम गूगल रखना चाहते थे, लेकिन टाइपिंग की गलती के कारण उन्होंने इसे गूगल के रूप में रजिस्टर कर दिया था।