Monday, November 18, 2024
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क्या है AFSPA, जिसे मणिपुर में मंत्री-MLA के घरों पर हमले के बाद 6 थाना क्षेत्रों में किया गया है लागू: क्यों राज्य सरकार ने इसे हटाने के लिए केंद्र को लिखा पत्र

मणिपुर में लापता 6 लोगों की लाश मिलने के बाद राज्य में हिंसा का एक नया दौर शुरू हो गया और तीन मंत्रियों एवं छह विधायकों के घरों पर हमला करके आग लगा दी गई। इसके बाद हिंसा प्रभावित छह पुलिस थानों में केंद्र सरकार ने ‘सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम (AFSPA)’ को फिर से लागू कर दिया है। शनिवार को इसकी समीक्षा करने और उसे हटाने का अनुरोध किया गया है।

केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव (गृह) को एक पत्र में कहा गया है, “राज्य मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर को हुई बैठक में इस (AFSPA को फिर से लागू करने) पर विचार-विमर्श किया है और केंद्र सरकार को इसकी समीक्षा करने और इसे वापस लेने की सिफारिश की है।” राज्य के छह पुलिस थाना क्षेत्रों में AFSPA 1958 की धारा 3 के तहत अशांत क्षेत्र घोषित की गई है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 14 नवंबर 2024 को राजधानी इंफाल के पश्चिम जिले सेकमाई पीएस एवं लामसांग पीएस, इंफाल पूर्व में लामलाई, बिष्णुपुर में मोइरांग, कांगपोकपी में लीमाखोंग और जिरीबाम जिले के जिरीबाम पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में AFSPA को फिर से लागू कर दिया था। सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम (AFSPA) विशेष शक्तियों वाला प्रावधान है।

बता दें कि 11 नवंबर को मणिपुर कुकी उग्रवादियों जिरीबाम जिले के बोरोबेकरा स्थित सीआरपीएफ कैंप पर हमला कर दिया था। इसके जवाब में सुरक्षाबलों ने 11 कुकी उग्रवादियों को मार गिराया था। इस हमले के बाद तीन महिलाएँ और तीन बच्चे लापता हो गए थे। माना जाता है कि कुकी उग्रवादियों ने इनका अपहरण किया था। अब इनकी लाश मिली है।

क्या है AFSPA?

सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को केवल अशांत क्षेत्रों में ही लागू किया जाता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने लगा तो यहाँ भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया था। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है।

यह किसी भी राज्य या किसी भी क्षेत्र में तभी लागू किया जाता है, जब राज्य या केंद्र सरकार उस क्षेत्र को ‘अशांत क्षेत्र’ अर्थात डिस्टर्बड एरिया एक्ट (Disturbed Area Act) घोषित करती है। इस कानून के लागू होने के बाद ही वहाँ सेना या सशस्त्र बल भेजे जाते हैं। कानून के लगते ही सेना या सशस्त्र बल को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार मिल जाता है।

अंग्रेजों के कानून को नेहरू सरकार ने भी जारी रखा

इस एक्ट को सबसे पहले अंग्रेजों के जमाने में लागू किया गया था। उस वक्त ब्रिटिश सरकार ने भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने के लिए सैन्य बलों को विशेष अधिकार दिए थे। आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने भी इस कानून को जारी रखने का फैसला लिया। फिर वर्ष 1958 में एक अध्यादेश के जरिए AFSPA को लाया गया और तीन महीने बाद ही अध्यादेश को संसद की स्वीकृति मिल गई। इसके बाद 11 सितंबर 1958 को AFSPA एक कानून के रूप में लागू हो गया।

कानून को लागू करने के पीछे का तर्क

इस कानून को लागू करने के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि इसे उन इलाकों में लागू किया जाता है, जिनमें उग्रवादी गतिविधियाँ होती रहती हैं। भारत और म्यांमार की सीमा के दोनों तरफ कई अलगाववादी विद्रोही संगठनों के ठिकाने हैं। नागालैंड के अलावा मणिपुर में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी सक्रिय है, जो सेना पर हमले करती रहती है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में भी अलगाववादी संगठन सक्रिय है। इन संगठनों से निपटने और देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सेना को अफस्पा के तहत विशेष अधिकार दिए गए।

इन राज्यों में लागू रहा AFSPA कानून

AFSPA को असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर समेत देश के कई हिस्सों में लागू किया गया था। हालाँकि, समय-समय पर परिस्थितियों को देखते हुए हटा भी दिया जाता है। नागालैंड, असम और मणिपुर में साल 2022 में AFSPA के दायरे को कम कर दिया गया था।

मणिपुर में अफस्फा के खिलाफ इरोम चानू शर्मिला ने 16 साल तक अनशन किया था। नवंबर 2000 में आयरन लेडी के नाम से मशहूर इरोम शर्मिला के सामने एक बस स्टैंड के पास दस लोगों को सैन्य बलों ने गोली मार दी थी। इस घटना का विरोध करते हुए उस वक्त 29 वर्षीय इरोम ने भूख हड़ताल शुरू कर दी थी, जो 16 साल तक चली।

महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान नवनीत राणा पर हमला, बोलीं BJP नेत्री- अल्लाहू अकबर के नारे लगा किए गंदे इशारे: आमिर ने दी थी गैंगरेप की धमकी

महाराष्ट्र के अमरावती में भाजपा नेता एवं पूर्व सांसद नवनीत राणा की रैली में उन पर हमला कर दिया गया। हालाँकि, इस हमले में वह बाल-बाल बचीं। नवनीत जब भाषण दे रही थीं तब उन्हें गंदे इशारे किए गए और ‘अल्लाह हू अकबर’ के आपत्तिजनक नारे लगाए गए। इसके बाद भीड़ ने उन्हें गालियाँ देते हुए उन पर कुर्सी से हमला शुरू कर दिया। इस मामले में पुलिस अज्ञात लोगों के मामला दर्ज कर लिया है।

दरअसल, नवनीत राणा अपने पति रवि राणा की ‘युवा स्वाभिमान पार्टी’ के दरियापुर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार रमेश बुंडिले के समर्थन में रैली करने पहुँची थीं। यह रैली खल्लार गाँव में आयोजित की गई थी। घटना के बाद नवनीत राणा खल्लार पुलिस स्टेशन पहुँचकर शिकायत दर्ज कराई। घटना के बाद इलाके में तनाव फैल गया है। पुलिस ने लोगों को अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की है।

इंस्पेक्टर क्राइम ब्रांच ग्रामीण अमरावती किरण वानखेड़े का कहना है, “बीजेपी नेता नवनीत राणा कल खल्लार गाँव में दरियापुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार रमेश बुंदिले के लिए प्रचार करने आए थे…रैली के दौरान दो पक्षों के बीच विवाद हो गया। हमने नवनीत राणा की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है।” रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने 40-50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

नवनीत राणा ने कहा, “खल्लार में शांतिपूर्वक तरीके से प्रचार चल रहा था। जब मैं भाषण दे रही थी तो कुछ लोग दूर से इशारे और हूटिंग कर रहे थे। मैं अपना भाषण खत्म करने की कोशिश कर रही थी। जब मैं भाषण खत्म करके नीचे आई तब भी मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसी बीच मुझे और मेरे कार्यकर्ताओं को देखकर उन लोगों ने ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे लगाए।”

पूर्व सांसद ने आगे कहा, “जब हमारे लोगों ने उनसे (उपद्रवियों से) कहा कि आप लोग भाभी के लिए अपशब्द ना कहें, हम जाने वाले हैं। इसके बाद वे कुर्सियाँ फेंकने लगे और मारना शुरू कर दिया। वे मुझे गाली देने लगे, मेरे ऊपर कुर्सी फेंकने लगे। इस दौरान मेरे ऊपर थूका। मेरी जाति को लेकर गाली दी। अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए। मेरे 6 अंगरक्षक और मेरे निजी सचिव मुझे घेरकर बाहर ले गये।”

बता दें कि 11 अक्टूबर को पूर्व सांसद नवनीत राणा को एक चिट्ठी भेजकर धमकी दी गई थी। इस चिट्ठी में उनसे 10 करोड़ रुपए की माँग की गई थी। इतना ही नहीं आमिर नाम से भेजे गई इस चिट्ठी में नवनीत को गैंगरेप की धमकी दी गई थी। इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि उनके घर के सामने गाय काटा जाएगी। आमिर ने चिट्ठी में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ भी लिखा था।

स्पीड पोस्ट से भेजी गई इस चिट्ठी में नवनीत के लिए चिट्ठी में बेहद आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही उनके पति रवि राणा के लिए भी अभद्र बातें लिखी गई थीं। यह पत्र नवनीत राणा के आवास पर एक कर्मचारी को मिला था। इसके बाद नवनीत राणा के निजी सचिव विनोद गुहे ने अमरावती के राजापेठ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।

बता दें कि नवनीत राणा फिल्म अभिनेत्री से राजनेता बनी हैं। उन्होंने हिंदी, तेलुगु, कन्नड, मलयालम और पंजाबी फिल्मों में काम किया है। साल 2014 में वह एनसीपी की टिकट पर पहली बार अमरावती से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सकीं। साल 2019 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और शिवसेना के दिग्गज नेता आनंद अडसुल को हराकर लोकसभा सांसद बनीं। नवनीत काफी मुखर वक्ता मानी जाती हैं।

सरगना मुस्लिम डॉक्टर, मंसूबा भारत में इस्लामी हुकूमत लाने का… दिल्ली पुलिस का कोर्ट में खुलासा- मोदी सरकार की योजना से मिले पैसों का इस्तेमाल कर रहे थे अल-कायदा आतंकी

दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट को बताया है कि झारखंड में अल-कायदा प्रेरित आतंकी मॉड्यूल ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan) योजना के माध्यम से जिहाद के लिए धन इकट्ठा करने की योजना बनाई थी। अगस्त में 11 लोगों की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस ने यह दावा किया। जाँच में पता चला कि इनमें से दो आरोपित इस योजना के लाभार्थी थे और इन्होंने आतंकवादी गतिविधियों के लिए हथियार खरीदने के लिए पैसा दिया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 22 अगस्त 2024 को हुई इस गिरफ्तारी के लिए पुलिस को केंद्रीय एजेंसियों से जानकारी मिली थी कि झारखंड आधारित एक आतंकी समूह और दिल्ली में उनके समर्थक आतंकी हमले की साजिश रच रहे थे। गिरफ्तार लोगों में अनीमुल अंसारी, शाहबाज अंसारी, अल्ताफ अंसारी, हसन अंसारी, अरशद खान, और उमर फारूक शामिल हैं, जिन्हें राजस्थान के भीवाड़ी में हथियार प्रशिक्षण लेते हुए पकड़ा गया। पुलिस ने मौके से एक असॉल्ट राइफल, पिस्तौल, रिवॉल्वर, 66 जीवित कारतूस, एक हैंड ग्रेनेड, बैटरी के साथ एक रिमोट कंट्रोल डिवाइस, एक कार्बाइन, और एक नकली INSAS राइफल बरामद की।

इसके अलावा, रांची में छापेमारी कर डॉ. इश्तियाक अहमद उर्फ कैप्टन, मोहम्मद रिजवान, मोती-उर-रहमान, मोहम्मद रहमतुल्ला, और फैजान अहमद को गिरफ्तार किया गया। इनके पास से SLR, कार्बाइन और 5.1 लाख रुपये जब्त किए गए। जाँच में सामने आया कि इस मॉड्यूल की अगुवाई डॉक्टर इश्तियाक अहमद कर रहा था और सभी सदस्य भीवाड़ी में हथियार चलाने का प्रशिक्षण ले रहे थे। ताकि इश्तियाक फिदायीन आतंकी दस्ता तैयार कर कर देश में इस्लामी खिलाफत ला सके।

पुलिस ने कोर्ट को बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan) योजना के माध्यम से जिहाद के लिए धन इकट्ठा करने की योजना पर ये ग्रुप काम कर रहा था, ऐसे में वो ऐसे युवाओं को आतंकी समूह से जोड़ता, जिन्हें सरकार की तरफ से पैसे मिले। इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने 12 नवंबर को पुलिस को आठ आरोपितों की छह दिन की हिरासत दी, जिसमें यह कहा गया कि उन्हें 18 नवंबर को पेश किया जाएगा

कोर्ट में पेशी के दौरान सरकारी वकील ने दलील दी कि आरोपितों से पूछताछ बेहद जरूरी है ताकि साजिश के पूरे जाल का पर्दाफाश किया जा सके और इसके अन्य जुड़े लोगों की पहचान की जा सके। सरकारी वकील ने कोर्ट से कहा कि पुलिस हिरासत में पूछताछ से ही इस केस की गहराई तक जाया जा सकता है। अदालत ने इस तर्क को मानते हुए हिरासत की मंजूरी दे दी।

कोर्ट ने जाँच अधिकारी (IO) को निर्देश दिया कि हिरासत के दौरान आरोपितों की सेहत और सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाए। इसके तहत, भारतीय कानूनी प्रावधानों के अनुसार, पुलिस हिरासत के दौरान इनकी नियमित मेडिकल जाँच कराना अनिवार्य होगा। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि पुलिस की यह जिम्मेदारी होगी कि आरोपितों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ये गिरोह खास नेटवर्क के जरिए अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था और इसके पीछे बड़े स्तर पर योजना बनाई गई थी। जाँच के दौरान यह भी पता चला है कि इनका कनेक्शन कुछ बाहरी समूहों से भी हो सकता है। पुलिस अब इनके फोन रिकॉर्ड और संपर्कों की गहनता से जाँच कर रही है ताकि पूरे मामले को समझा जा सके।

बता दें कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan) योजना के तहत किसानों को हर साल 6000 रुपये दिए जाते हैं, जो 3 किश्तों में सीधे उनके खाते में आते हैं। ये योजना किसानों को खाद-बीज खरीदने में मदद के लिए सरकार ने शुरू की थी, लेकिन आतंकवादी इस योजना का लाभ अपने घिनौने मकसद को पूरा करने में लगा रहे हैं।

‘तेजी से बढ़ रही है अवैध घुसपैठियों की तादाद, फर्जी बनवा रहे हैं वोटर और आधार’: दिल्ली के LG ने अधिकारियों से कहा- पहचान के लिए विशेष अभियान चलाओ

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गुरुवार (14 नवंबर 2024) को राष्ट्रीय राजधानी में अवैध घुसपैठियों की पहचान करने के लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर सहित कई अधिकारियों को निर्देश दिए। LG कार्यालय से जारी एक पत्र में आधार कार्ड और वोटर कार्ड में हेराफेरी का सरकारी जगहों पर अतिक्रमण की बात कही गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि पिछले कुछ समय में घुसपैठियों की बढ़ी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, वीके सक्सेना ने दिल्ली के प्रमुख सचिव, म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन दिल्ली (MCD) के कमिश्नर और नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (NDMC) को एक पत्र लिखकर जरूरी निर्देश दिए। उन्होंने राजधानी में तेजी से बढ़ती अवैध घुसपैठियों की संख्या पर ध्यान दिलाते हुए इस दिशा में जरूरी कदम उठाने को कहा है। इसके लिए एक महीने तक विशेष अभियान चलाने के लिए कहा गया है।

उपराज्यपाल के इस पत्र में दिल्ली के अधिकारियों से कहा गया है कि घुसपैठियों का इस्तेमाल कुछ लोगों द्वारा राजनैतिक स्वार्थों के लिए किया जा रहा है। इसमें आगे कहा गया है कि अवैध घुसपैठियों की जानकारी विश्वसनीय स्रोतों से आई है। ये संख्या तेजी से बढ़ रही है। आशंका है कि ये घुसपैठियों ने फर्जी कागजातों से आधार और वोटर कार्ड हासिल कर मतदान की कोशिश कर रहे हैं।

मतदान का अधिकार लोकतंत्र का सबसे प्रभावी हक बताते हुए इस पत्र में कहा गया है कि इसे घुसपैठियों को मिलना किसी भी रूप में देश हित में नहीं हो सकता। घुसपैठियों की बढ़ती संख्या को उपराज्यपाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा भी बताया है। पत्र में घुसपैठियों की पहचान के लिए विशेष अभियान चलाने और केंद्रीय एजेंसियों से समन्वय स्थापित करने के लिए कहा गया है।

उपराज्यपाल के इसी पत्र में सभी सरकारी संस्थाओं से कहा गया है कि दिल्ली में कहीं भी अवैध कब्ज़ा किसी भी रूप में न हो। इस बावत उपराज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने की नसीहत दी है। बताते चलें कि दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वो घुसपैठियों का मुद्दा विधानसभा चुनावों में अपने राजनैतिक लाभ के लिए उठा रही है।

PM मोदी ने कार्यकर्ताओं से बातचीत में दिया जीत का ‘महामंत्र’, बताया कैसे फतह होगा महाराष्ट्र का किला: लोगों से संवाद से लेकर बूथ मैनेंज के बारे में बताया, जानिए डिटेल में

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के कार्यकर्ताओं से बातचीत की और उनको चुनाव को लेकर निर्देश दिए। पीएम मोदी ने इस दौरान समझाया कि कैसे राज्य में महायुति के लिए वोट बढ़ाए जाएँ। उन्होंने इस दौरान कॉन्ग्रेस पर भी हमला बोला। पीएम मोदी ने कहा कि जब तक देश में SC-ST-OBC समाज जागरूक नहीं हुआ था, तब तक कॉन्ग्रेस को बहुमत मिलता था। पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को भाजपा का मजबूत सिपाही बताया और कहा कि आप सभी मेरे प्रतिनिधि हैं।

जल्दबाजी ना करें, लोगों को आराम से समझाएँ

पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं से कहा, “जल्दबाजी में घर से बाहर जुलूस में गए, पर्चा दे दिया, वोट दे देना कह दिया, ऐसे प्रचार नहीं करना है। एक-एक के घर में जाकर बैठना है, बात करना है, समस्या समझनी है। उनसे बात करनी है। हमारा काम मत परिवर्तित करना है। बहुत से मतदाता ऐसे होते हैं जिनके पास गलत जानकारी और समस्या होती है। उन्हें सुलझाना हमारी जिम्मेदारी है… ऐसे में सभी घरों से निकट संबंध बनेगा और वह हमारे कहने पर घरों से निकलेंगे और वोट देंगे।”

पीएम मोदी ने कहा कि लोगों को एक एक मुद्दे पर समझाया जाए कि आखिर भाजपा की क्या रणनीति है और वह सत्ता में आने पर कैसे समस्याएँ सुलझाएँगे। पीएम मोदी ने कहा कि मतदाता की बात नहीं काटनी है और विवाद को संवाद में बदलना है। उन्होंने वोट डलवाने पर जोर दिया।

पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को बताया कि बूथ सबसे मजबूत कड़ी है और किसी युद्ध में जिस तरह चौकी जीती जाती हैं, वैसे ही बूथ चुनाव के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने याद दिलाया कि भाजपा एक काडर आधारित पार्टी है और ऐसे में बूथ मैनेजमेंट से ही चुनाव जीता जाएगा।

महायुति से लोग खुश

पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को बताया कि वह जहाँ भी गए उन्होंने पाया कि लोग महायुति की सरकार से खुश हैं। उन्होंने बताया कि पिछली सरकार में लोगो नको काफी दुख झेलना पड़ा है। उन्होंने कहा कि महायुति सरकार महाराष्ट्र का गौरव बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि लोगों को बताया जाए कि उन्हें क्या फायदा मिला है और कितनी आसानी से मिली है। उन्होंने कहा कि लोगों के अनुभव जान कर ही आगे की रणनीति बन पाएगी।

कार्यकर्ताओं से की सीधी बातचीत

पीएम मोदी ने इस दौरान कई कार्यकर्ताओं से बातचीत की और उनके अनुभव भी जानने की कोशिश की। उन्होंने कार्यकर्ताओं से पूछा कि आखिर महाराष्ट्र के लोगों को महाविकास अघाड़ी और महायुति की सरकार में क्या फर्क लगता है। इस पर कार्यकर्ताओं ने उन्हें बताया कि अघाड़ी सरकार में विकास कार्य पूरी तरह से रुक गया था।

कार्यकर्ताओं ने बताया कि वर्तमान सरकार में बुलेट ट्रेन और मेट्रो प्रोजेक्ट तेज हो गया है। कार्यकर्ताओं ने बताया कि जिन लोगों को योजनाओं का लाभ मिला है वह अपने आप वोट देने को कह रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि जब विकास होता है तो उसका फायदा हर वर्ग को होता है।

पीएम मोदी को महिला कार्यकर्ताओं ने बताया कि सरकार की लाडकी बहिन योजना की जनता में काफी चर्चा है, विशेष कर महिलाएँ इस योजना का समर्थन कर रही है। महिला कार्यकर्ताओं ने बताया कि लोग अघाड़ी पर विश्वास नहीं कर रहे हैं।

आदिल और आयशा ने नाबालिग लड़की का अपहरण किया, फिर गुजरात के व्यापारी को बेचा: लगातार होती रही रेप की शिकार, पुलिस ने 4 को दबोचा

मध्य प्रदेश के इंदौर में पुलिस ने एक नाबालिग लड़की का अपहरण करके उसे गुजरात में एक किराना व्यापारी को बेचने के मामले में आयशा एवं उसके शौहर आदिल को गिरफ्तार किया है। किराना व्यापारी ने पीड़िता को लम्बे समय तक बंधक बनाकर रेप किया। जैसे-तैसे पीड़िता आरोपितों के चंगुल से निकल पाई। पुलिस ने इस केस में आयशा और आदिल के अलावा 5 अन्य आरोपितों को भी नामजद किया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला इंदौर के थाना क्षेत्र चंदननगर का है। यहाँ 5 नवंबर की रात 9 बजे 17 वर्षीया पीड़िता अपने घर के बाहर खड़ी थी। उसी दौरान उसकी परिचित महिला आयशा और उसका शौहर आदिल वहाँ बाइक से पहुँचे। इन दोनों ने लड़की को बेटमा घुमाने का झाँसा दिया और बाइक पर बैठा लिया। पीड़िता कहीं जाने की बात अपने घर में किसी को नहीं बता पाई।

थोड़ी दूर जाकर आयशा और आदिल लड़की के साथ राज मोहल्ला में रुके। वहाँ विमला, धर्मेंद्र, जीवन और रवि एक कार लेकर खड़े थे। इन सभी ने पीड़ित को कार में बैठा लिया और सभी पीड़िता को लेकर गुजरात के राजकोट पहुँचे। यहाँ से वे एक किराना व्यापारी प्रकाश के पास गए और 1.80 लाख देकर खरीद पीड़िता को बेच दिया। इस पैसे को सभी आरोपितों ने आपस में बाँट लिया और लौट गए।

प्रकाश ने पीड़िता को अपने गोदाम में बंधक बना कर रखा। यहाँ उसने लड़की से कई बार बलात्कार किया। इधर गोदाम में कैद पीड़िता जैसे-तैसे खुद को छुड़ाने की कोशिश करती थी। 9 नवंबर (शनिवार) को पीड़िता कैद से आज़ाद हो गई। वह ट्रेन पकड़ कर इंदौर पहुँच गई और अपनी माँ को पूरी बात बताई। मामले की जानकारी हिन्दू संगठन को हुई तो उन्होंने पीड़िता के साथ जाकर पुलिस में तहरीर दी।

पुलिस ने BNS (भारतीय न्याय संहिता) की विभिन्न धाराओं सहित पॉक्सो एक्ट में केस दर्ज करके मामले की जाँच शुरू कर दी है। पुलिस की 3 टीमों ने ताबड़तोड़ दबिश दी और रात भर में 6 आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। इनसे हुई पूछताछ में पता चला कि किराना व्यापारी प्रकाश अधेड़ उम्र का हो चुका है। अभी तक उसकी शादी नहीं हो पाई है।

उसने अपने नौकर से शादी के लिए कोई लड़की खोजने को कहा था। प्रकाश का नौकर आरोपित रवि का दोस्त है। उसने रवि से लड़की खोजने को कहा। आखिरकार रवि ने अपने गिरोह के साथ नाबालिग पीड़िता को अपना टारगेट बनाया। जाँच में यह भी पता चला कि आरोपित विमला के पति की कुछ वर्ष पहले हत्या हो चुकी थी। तब से वह आयशा के साथ जुड़कर ऐसे अनैतिक कामों को अंजाम दे रही थी।

आयशा के साथ उसका शौहर आदिल भी इस काम में शामिल हो गया। धीरे-धीरे इस गिरोह में कई अन्य लोग जुड़ते चले गए। फ़िलहाल 7 में से 6 आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और उन्हें जेल भेज दिया है। पीड़िता का मेडिकल और काउंसिलिंग करवाई गई है। मामले में जाँच व अन्य जरूरी कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

नमाज के लिए शुक्रवार की छुट्टी पर सीएम सरमा ने उठाया सवाल: कहा- हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए मंगलवार को छुट्टी क्यों नहीं?

झारखंड में विधानसभा चुनावों के बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को स्कूलों में साप्ताहिक छुट्टी के मुद्दे को सियासी बहस का केंद्र बना दिया है। उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अगर नमाज पढ़ने के लिए शुक्रवार को स्कूलों में छुट्टी दी जा सकती है, तो हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए मंगलवार को क्यों नहीं?

हिमंत बिस्वा सरमा ने झारखंड में कहा, “हम हिंदू सांप्रदायिक नहीं हैं। संविधान निर्माण के समय हिंदू नेताओं ने बड़ा दिल दिखाकर रविवार को राष्ट्रीय अवकाश का समर्थन किया, लेकिन अब शुक्रवार को स्कूल बंद किए जा रहे हैं। यह कहाँ तक सही है?” उनका कहना है कि “अगर मुस्लिम समुदाय के लिए शुक्रवार को स्कूल बंद किए जा सकते हैं, तो हिंदू बच्चों के लिए मंगलवार को क्यों नहीं?”

हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि यह केवल धार्मिक पक्षपात का मामला नहीं है, बल्कि इससे समाज में असमानता और तनाव पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा, “हमने कभी सांप्रदायिक सोच नहीं रखी, लेकिन दूसरों की माँगों के सामने हमारी परंपराओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।”

सरमा ने अपने बयान को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर भी साझा करते हुए राज्य की जेएमएम-कॉन्ग्रेस सरकार को घेरा। सरमा का आरोप है कि यह छुट्टी तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा है।

यह विवाद नया नहीं है। झारखंड और बिहार के कई जिलों में शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी देने की परंपरा पिछले कुछ वर्षों से चली आ रही है। झारखंड में यह मुद्दा पहली बार तब उभरा जब जामताड़ा और दुमका के 33 स्कूलों में शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी घोषित की गई। इसके बाद, मामला बिहार के किशनगंज तक पहुँचा, जहाँ 37 स्कूलों ने इसी परंपरा को अपनाया।

गौरतलब है कि झारखंड में दो चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, 13 नवंबर के बाद अब 20 नवंबर को दूसरे चरण के मतदान होंगे। वहीं, वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी। बीजेपी ने झारखंड विधानसभा के लिए बीजेपी का सह-प्रभारी बनाया गया है। इस बीच, झारखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान शुक्रवार की छुट्टी और हनुमान चालीसा पर बहस ने सियासत को गरमा दिया है। अब देखना यह होगा कि क्या यह मुद्दा चुनावी नतीजों को प्रभावित करेगा, या सिर्फ एक विवाद बनकर रह जाएगा।

‘पिता का सिर तेजाब से जलाया, सदमे में आई माँ ने किया था आत्महत्या का प्रयास’: गोधरा दंगों के पीड़ित ने बताई आपबीती

गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने और 59 हिंदू तीर्थयात्रियों के नरसंहार के 22 वर्षों बाद एक पीड़ित ने अपनी आपबीती कैमरे पर सुनाई है। स्वराज्य द्वारा हाल ही में जारी एक डॉक्यूमेंट्री में पीड़ितों के परिवारों के साथ हुई त्रासदी को सामने लाया गया है।

अशोक प्रजापति भी उन हिन्दुओं में से एक थे जिनके परिजन इस दंगे का निशाना बने। मुकेश के पिता फरवरी, 2002 में मुस्लिम भीड़ द्वारा मारे गए 59 हिंदुओं में से एक थे। उन्होंने स्वराज्य को बताया है, “जब मेरे पिता सीढ़ियाँ चढ़ रहे थे, तो उन्होंने (मुस्लिम हमलावरों) ने ना केवल उन पर पेट्रोल डाला, बल्कि तेज़ाब भी डाला।”

मुकेश प्रजापति ने बताया, “एसिड ​​के कारण उनके सिर का पूरा मांस पिघल गया। मुझे अपने पिता के शरीर को देखने की हिम्मत नहीं थी। लेकिन श्मशान घाट पर, जब मैंने अपने पिता के शरीर को देखा, तो मैंने अपने पिता के दिमाग के बचे हुए हिस्से इकट्ठा किए।”

मुकेश प्रजापति ने बताया है कि उनकी माँ इस घटना के कारण सदमे में आ गईं। उन्होंने बताया, “मेरी माँ को देखो। वैसे कोई समस्या नहीं है। लेकिन मेरे पिता की मौत के कारण, वह अपना विवेक खो बैठीं। वह आत्महत्या करना चाहती थी। ये विचार कभी-कभी मन में आते हैं।”

प्रजापति ने 2022 के गोधरा कांड के कारण उन पड़े दुखों के पहाड़ के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ” जैसा कि आपने पूछा है, मुझे कैसा महसूस हो रहा है? हर कोई नहीं समझता… माता-पिता, आखिर माता-पिता होते हैं जबकि बच्चे वैसे ही रहते हैं। हम उसे अकेला नहीं छोड़ते, लेकिन वह अकेलापन महसूस करती है क्योंकि उसका जीवनसाथी अब नहीं रहा। उसने अपना मानसिक संतुलन खो दिया।”

साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने के मामले में 31 मुस्लिमों को दोषी पाया गया था, इस घटना में 59 हिंदुओं (ज्यादातर महिलाओं और बच्चों) की जान चली गई थी। उनमें से 11 को 1 मार्च, 2011 को एक विशेष फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी।

मौत की सजा पाने वाले इन दंगाइयों के नाम अब्दुल रज्जाक कुरकुर, इस्माइल सुलेजा, जब्बीर बिन्यामीन बेहरा, रमजानी बिन्यामीन बेहरा, महबूब हसन, सिराज बाला, इरफान कलंदर, इरफान पटाडिया, हसन लालू, महबूब चंदा और सलीम जर्दा हैं।बाद में अक्टूबर, 2017 में उनकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था।

अन्य 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। आजीवन कारावास की सजा पाने वालों के नाम सुलेमान अहमद हुसैन, अब्दुल रहमान अब्दुल माजिद धनतिया, कासिम अब्दुल सत्तार, इरफान सिराज पदो घांची, अनवर मोहम्मद मेहदा, सिद्दीक, मेहबूब याकूब मीठा, सोहेब यूसुफ अहमद कलंदर, सौकत, सिद्दीक मोहम्मद मोरा, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी असला, अब्दुल रऊफ शामिल थे। अब्दुल माजिद ईसा, यूनुस अब्दुलहक समोल, इब्राहिम अब्दुल रजाक अब्दुल सत्तार समोल, सौकत यूसुफ इस्माइल मोहन, बिलाल अब्दुल्ला इस्माइल बादाम घांची, फारूक, अयूब अब्दुल गनी इस्माइल पटालिया, सौकत अब्दुला मौलवी इस्माइल बादाम, मोहम्मद हनीफ हैं।

जैसा कि नामों से ही स्पष्ट है, जिन कट्टरपंथियों ने ट्रेन को जलाया और 59 हिंदू तीर्थयात्रियों को जलाकर मार डाला, वे सारे मुस्लिम थे। इनको बचाने के लिए वामपंथी मीडिया आउटलेट्स ने जोर लगाया और यहाँ तक कि ट्रेन जलाने की घटना तक को झूठ बताने की कोशिश की।

छत्तीसगढ़ में ‘सरकारी चावल’ से चल रहा ईसाई मिशनरियों का मतांतरण कारोबार, ₹100 करोड़ तक कर रहे हैं सालाना उगाही: सरकार सख्त

छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरीबों के लिए बनाई गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) और राज्य सरकार की अन्नपूर्णा योजना के तहत दिए जा रहे राशन के दुरुपयोग को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन योजनाओं से गरीबों को वितरित किए जा रहे सरकारी चावल का ईसाई मिशनरियाँ मतांतरण के लिए दुरुपयोग कर रही हैं।

मिशनरी कुछ इस तरह से बना रहे पैसा

जानकारी के मुताबिक, मिशनरियों ने गरीब परिवारों से “एक मुट्ठी चावल योजना” के तहत अनाज इकट्ठा करना शुरू किया है। प्रत्येक परिवार से हर सदस्य प्रतिदिन एक मुट्ठी चावल दान करता है। यह चावल बड़े पैमाने पर इकट्ठा कर खुले बाजार में 25-30 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है। इस प्रक्रिया से मिशनरियों की वार्षिक आय 100 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है।

दरअसल, साल 2019 से लागू विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए या फारेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट, 2019) कानून के कारण मिशनरियों को विदेशों से धन प्राप्त करने में बाधा आई। इसके बाद से उन्होंने चावल इकट्ठा के इस अनूठे मॉडल को अपनाया, जिससे उन्हें गाँव-गाँव में मजहबी प्रचारकों को वेतन और अन्य सुविधाएँ देने का साधन मिल गया।

जशपुर और अन्य जिलों में स्थिति गंभीर

छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा प्रभावित जशपुर जिला है, जहाँ ईसाई आबादी तेजी से बढ़ रही है। जशपुर में 2011 में ईसाई आबादी 1.89 लाख यानी कि कुल 22.5% आबादी ने स्वयं को ईसाई बताया था। वर्तमान में यह संख्या 35% यानी आँकड़ा 3 लाख के पार जाने का अनुमान है। मार्च 2024 में आरटीआई से पता चला कि कानूनी रूप से सिर्फ 210 लोग ही ईसाई बने। राज्य में 3.05 करोड़ लोगों में से लगभग 2.5 करोड़ लोगों को सरकारी अन्न योजनाओं का लाभ मिल रहा है।

बता दें कि छत्तीसगढ़ में 35 किलो चावल प्रति माह, चार सदस्यों वाले परिवार को दिया जाता है। यह अनाज भुखमरी और गरीबी दूर करने के लिए है, लेकिन इनका दुरुपयोग समाज में नई चुनौतियाँ खड़ी कर रहा है।

बजरंग दल के पूर्व अध्यक्ष नितिन राय के अनुसार, मिशनरियाँ चंगाई सभाओं के माध्यम से मतांतरण कर रही हैं। अन्य प्रभावित जिलों में अंबिकापुर, रायगढ़ और बलरामपुर हैं। महज इन जिलों में ही मिशनरियाँ हर साल 50-55 करोड़ रुपये जुटा रही हैं। मतांतरण के विरुद्ध सक्रिय कल्याण आश्रम के न्यायिक सलाहकार सत्येंद्र तिवारी का कहना है कि मिशनरियाँ अब सिर्फ स्कूल और अस्पतालों के लिए विदेशी फंड प्राप्त कर सकती हैं। ऐसे में सरकारी योजनाओं से मिलने वाला चावल उनका आर्थिक सहारा बन गया है।

छत्तीसगढ़ के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री दयाल दास बघेल ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार गरीबों के लिए अनाज उपलब्ध करा रही है। अगर कुछ लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं और इसे मतांतरण के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, तो यह गंभीर मामला है। हम पूरे प्रकरण की जाँच कराएँगे।” उन्होंने कठोर कार्रवाई का वादा किया है।

कैसे हो रहा मतांतरण का आयोजन?

मिशनरियों द्वारा आयोजित चंगाई सभाएँ और धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान, अनाज का उपयोग लोगों को सहायता देने और मतांतरण के लिए प्रेरित करने में हो रहा है। 2020 में जशपुर के समरबहार गाँव में चंगाई सभा के दौरान पकड़े गए 10 लोगों ने “एक मुट्ठी चावल योजना” की जानकारी दी थी। हाल ही में जनवरी 2024 में जशपुर के जुरगुम गाँव में गिरफ्तार किए गए लोगों ने भी इसकी पुष्टि की।

छत्तीसगढ़ में सरकारी अनाज का दुरुपयोग न केवल कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि यह गरीबों की खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य को भी विफल कर रहा है। अगर इस पर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो यह समाज में असमानता और तनाव को और बढ़ा सकता है। सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देना होगा।

ऑस्ट्रेलिया में बनने जा रहा है दुनिया का सबसे ऊँचा श्रीराम मंदिर, कैंपस में अयोध्यापुरी और सनातन विश्वविद्यालय भी: PM मोदी कर सकते हैं भूमि पूजन

ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनने जा रही है। भगवान राम का यह विश्व में सबसे ऊँचा मंदिर होगा। इस मंदिर का भूमि पूजन 2025 में होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रह सकते हैं। मंदिर का स्वरूप भारतीय आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा ने तैयार किया है। आशीष वही वास्तुकार हैं, जिन्होंने अयोध्या में रामजन्मभूमि पर निर्मित भगवान राम के मंदिर का डिजाइन बनाया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पर्थ शहर में 150 एकड़ जमीन पर यह मंदिर बनाया जाएगा। यह मंदिर 5 मंजिल का होगा, जिसकी कुल ऊँचाई 721 फ़ीट होगी। मंदिर प्रांगण में 151 फ़ीट ऊँची बजरंग बली की मूर्ति भी होगी। इसमें एक सप्तसागर होगा, जिसमें महादेव की 51 फ़ीट ऊँची प्रतिमा होगी। इस मंदिर परिसर में अयोध्यापुरी और सनातन विश्वविद्यालय भी बनाया जाएगा।

इस मंदिर को श्रीराम टेम्पल फाउंडेशन द्वारा बनवाया जा रहा है। श्रीराम टेंपल फाउंडेशन के सचिव अमोद प्रकाश कटियार ने बताया कि यह दुनिया का सबसे ऊँचा मंदिर होगा। अमोद प्रकाश ने उम्मीद जताई है कि मंदिर के भूमि पूजन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद होंगे। हालाँकि, अभी तक इस कार्यक्रम के बावत प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

माना यह भी जा रहा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए तो उनके स्थान पर किसी दूसरे बड़े नेता को बुलाया जाएगा। इस मंदिर के निर्माण के बाद ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले लोग अपने ही देश में रामलला का दर्शन कर सकेंगे। इसे ले कर सनातन धर्म में आस्था रखने वाले ऑस्ट्रेलियाईयों में ख़ुशी और उत्साह देखने को मिल रहा है।