Saturday, July 27, 2024
Homeराजनीतिमोदी सरकार का बड़ा फैसला: 3 राज्यों में AFSPA का दायरा घटा, जानें क्या...

मोदी सरकार का बड़ा फैसला: 3 राज्यों में AFSPA का दायरा घटा, जानें क्या है ये कानून और कहाँ-कहाँ किया गया है इसे लागू

"PM मोदी के नेतृत्व में एक अहम फैसला लिया गया है। भारत सरकार ने दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर राज्य में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों का दायरा कम करने का निर्णय लिया है।"

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दशकों बाद पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों का दायरा कम करने का फैसला किया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार (31 मार्च 2022) को सिलसिलेवार तीन ट्वीट कर यह जानकारी दी। गृहमंत्री ने लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक अहम फैसला लिया गया है। भारत सरकार ने दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर राज्य में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों का दायरा कम करने का निर्णय लिया है।”

उन्होंने लिखा, “अफस्पा (AFSPA) के इलाकों में सरकार के शांति लाने के लिए किए जा रहे प्रयास मददगार रहे हैं। इन इलाकों में उग्रवाद पर भी नियंत्रण बढ़ा है। कई समझौतों के कारण सुरक्षा के हालात और विकास ने भी कानून हटाने में मदद की।” इसके बाद वह (अमित शाह) अपने अंतिम ट्वीट में पीएम मोदी को धन्यवाद करते हुए लिखते हैं, “पीएम मोदी की प्रतिबद्धता के कारण हमारा पूर्वोत्तर क्षेत्र, जो दशकों से उपेक्षित था, अब शांति, समृद्धि और अभूतपूर्व विकास के एक नए युग का गवाह बन रहा है। मैं इस महत्वपूर्ण अवसर पर पूर्वोत्तर के लोगों को बधाई देता हूँ।”

क्या है अफस्पा

सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को केवल अशांत क्षेत्रों में ही लागू किया जाता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने लगा तो यहाँ भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया था। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है। आसान शब्दों में अफस्पा कानून को ऐसे समझे। यह किसी भी राज्य या किसी भी क्षेत्र में तभी लागू किया जाता है, जब राज्य या केंद्र सरकार उस क्षेत्र को ‘अशांत क्षेत्र’ अर्थात डिस्टर्बड एरिया एक्ट (Disturbed Area Act) घोषित कर देती है। इस कानून के लागू होने के बाद ही वहाँ सेना या सशस्त्र बल भेजे जाते हैं। कानून के लगते ही सेना या सशस्त्र बल को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार मिल जाता है।

अंग्रेजों के जमाने में लागू कानून को नेहरू की सरकार ने भी जारी रखा

इस एक्ट को सबसे पहले अंग्रेजों के जमाने में लागू किया गया था। उस वक्त ब्रिटिश सरकार ने भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने के लिए सैन्य बलों को विशेष अधिकार दिए थे। आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने भी इस कानून को जारी रखने का फैसला लिया। फिर वर्ष 1958 में एक अध्यादेश के जरिए AFSPA को लाया गया और तीन महीने बाद ही अध्यादेश को संसद की स्वीकृति मिल गई। इसके बाद 11 सितंबर 1958 को AFSPA एक कानून के रूप में लागू हो गया।

कानून को लागू करने के पीछे का तर्क

इस कानून को लागू करने के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि इसे उन इलाकों में लागू किया जाता है, जिनमें उग्रवादी गतिविधियाँ होती रहती हैं। भारत और म्यांमार की सीमा के दोनों तरफ कई अलगाववादी विद्रोही संगठनों के ठिकाने हैं। नागालैंड के अलावा मणिपुर में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी सक्रिय है, जो सेना पर हमले करती रहती है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में भी अलगाववादी संगठन सक्रिय है। इन संगठनों से निपटने और देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सेना को अफस्पा के तहत विशेष अधिकार दिए गए।

इन राज्यों में लागू है AFSPA कानून

AFSPA को असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर समेत देश के कई हिस्सों में लागू किया गया था। लेकिन, समय-समय पर परिस्थितियों को देखते हुए हटा भी दिया जाता है। मणिपुर में अफस्फा के खिलाफ इरोम चानू शर्मिला ने 16 साल तक अनशन किया था। नवंबर 2000 में आयरन लेडी के नाम से मशहूर इरोम शर्मिला के सामने एक बस स्टैंड के पास दस लोगों को सैन्य बलों ने गोली मार दी थी। इस घटना का विरोध करते हुए उस वक्त 29 वर्षीय इरोम ने भूख हड़ताल शुरू कर दी थी, जो 16 साल तक चली। अगस्त 2016 में उन्होंने भूख हड़ताल खत्म करके राजनीति में आने का फैसला किया और चुनाव भी लड़ा था, जिसमें उन्हें नोटा (NOTA) से भी कम वोट मिले थे। बताया जाता है कि उन्हें सिर्फ 90 वोट मिले थे, जबकि 143 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘तुम कोटा के हो ब#$द… कोटा में रहना है या नहीं तुम्हें?’: राजस्थान विधानसभा में कॉन्ग्रेस विधायक ने सभापति और अधिकारियों को दी गाली,...

राजस्थान कॉन्ग्रेस के नेता शांति धारीवाल ने विधानसभा में गालियों की बौछार कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने सदन में सभापति को भी धमकी दे दी।

अग्निवीरों को पुलिस एवं अन्य सेवाओं की भर्ती में देंगे आरक्षण: CM योगी ने की घोषणा, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ सरकारों ने भी रिजर्वेशन...

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी और एमपी एवं छत्तीसगढ़ की सरकार ने अग्निवीरों को राज्य पुलिस भर्ती में आरक्षण देने की घोषणा की है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -