Monday, November 18, 2024
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ऑस्ट्रेलिया में बनने जा रहा है दुनिया का सबसे ऊँचा श्रीराम मंदिर, कैंपस में अयोध्यापुरी और सनातन विश्वविद्यालय भी: PM मोदी कर सकते हैं भूमि पूजन

ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनने जा रही है। भगवान राम का यह विश्व में सबसे ऊँचा मंदिर होगा। इस मंदिर का भूमि पूजन 2025 में होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रह सकते हैं। मंदिर का स्वरूप भारतीय आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा ने तैयार किया है। आशीष वही वास्तुकार हैं, जिन्होंने अयोध्या में रामजन्मभूमि पर निर्मित भगवान राम के मंदिर का डिजाइन बनाया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पर्थ शहर में 150 एकड़ जमीन पर यह मंदिर बनाया जाएगा। यह मंदिर 5 मंजिल का होगा, जिसकी कुल ऊँचाई 721 फ़ीट होगी। मंदिर प्रांगण में 151 फ़ीट ऊँची बजरंग बली की मूर्ति भी होगी। इसमें एक सप्तसागर होगा, जिसमें महादेव की 51 फ़ीट ऊँची प्रतिमा होगी। इस मंदिर परिसर में अयोध्यापुरी और सनातन विश्वविद्यालय भी बनाया जाएगा।

इस मंदिर को श्रीराम टेम्पल फाउंडेशन द्वारा बनवाया जा रहा है। श्रीराम टेंपल फाउंडेशन के सचिव अमोद प्रकाश कटियार ने बताया कि यह दुनिया का सबसे ऊँचा मंदिर होगा। अमोद प्रकाश ने उम्मीद जताई है कि मंदिर के भूमि पूजन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद होंगे। हालाँकि, अभी तक इस कार्यक्रम के बावत प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

माना यह भी जा रहा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए तो उनके स्थान पर किसी दूसरे बड़े नेता को बुलाया जाएगा। इस मंदिर के निर्माण के बाद ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले लोग अपने ही देश में रामलला का दर्शन कर सकेंगे। इसे ले कर सनातन धर्म में आस्था रखने वाले ऑस्ट्रेलियाईयों में ख़ुशी और उत्साह देखने को मिल रहा है।

अमेरिका के जिस सरकारी वकील ने आतंकी पन्नू की हत्या में विकास यादव पर लगाए थे चार्ज, उसकी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प ने की छुट्टी: अब जे क्लेटन होंगे नए अटॉर्नी

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की है कि सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड (SEC) के पूर्व अध्यक्ष जे क्लेटन उनके शासनकाल में न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी होंगे। क्लेटन अब डेमियन विलियम्स की जगह लेंगे। विलियम्स ने ही खालिस्तानी आतंकी और आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की तथाकथित साजिश में पूर्व R&AW अधिकारी विकास यादव के खिलाफ कोर्ट में आरोप दायर किए थे। बायडेन प्रशासन खत्म होने के साथ ही उनकी छुट्टी हो जाएगी।

इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत सरकार इस घटनाक्रम पर कड़ी नज़र रख रही है। क्योंकि सरकार ने इस तरह की किसी भी साजिश से जुड़े होने या इसमें शामिल होने से इनकार किया है। इस मामले में अन्य आरोपित भारतीय नागरिक निखिल है जो अभी अमेरिका की गिरफ्त में है।

निखिल गुप्ता एक व्यवसायी है, उस पर मामले में साजिशकर्ता का साथ देने का आरोप लगाया गया था। उसे चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था। बाद में, उसे जून 2024 में अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया। गुप्ता ने इस हत्या की तथाकथित साजिश में शमिल होने से इनकार किया है।

विलियम्स ने यादव को R&AW का ‘वरिष्ठ फील्ड अधिकारी’ बताया है। यादव कथित तौर पर जबरन वसूली और अपहरण के आरोप में भारत में हिरासत में है। यादव को FBI ने अपनी वांटेड लिस्ट में शामिल कर रखा है। विकास यादव, निखिल गुप्ता और एक और अधिकारी पन्नू की हत्या के लिए कथित सुपारी देने का आरोप है।

विलियम्स की जगह पर जे क्लेटन की नियुक्ति करते हुए लिखा, “मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि न्यूयॉर्क के जे क्लेटन, जो मेरे पहले कार्यकाल के दौरान SEC के मुखिया थे और वहाँ जबरदस्त काम किया था। उनको अब न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी के रूप में नामित किया गया है। जे एक बहुत ही सम्मानित कारोबैर, वकील और लोकसेवक हैं।”

ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान, जे क्लेटन ने 2017 से 2021 तक SEC के अध्यक्ष के रूप में काम किया था। उन्हें वॉल स्ट्रीट और वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित मामलों में विशेषज्ञता हासिल है। न्यूयॉर्क का दक्षिणी जिले में मैनहट्टन शामिल है जहाँ विश्व की कई बड़ी कम्पनियों के दफ्तर हैं। इनसे जुड़े मामले यहीं आते हैं।

नवंबर 2023 में, अमेरिका ने भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। यह आरोप कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा जून 2023 में भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाने के लगभग डेढ़ महीने बाद आए थे।

यह दावा किया गया था कि अमेरिका ने कनाडा को तथाकथित खुफिया जानकारी दी थी कि निज्जर की हत्या के पीछे भारत का हाथ था। जबकि भारत पन्नू की हत्या की साजिश की जाँच में सहयोग कर रहा है, कनाडा ने अभी तक निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संलिप्तता का कोई ठोस सबूत नहीं दिया है।

मदरसे में ले जाकर किया बलात्कार, शादी के लिए पूछा तो मिली मौत की धमकी: कौशांबी में FIR होते ही बिलाल अहमद फरार

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले में एक मदरसे में रेप करने का मामला सामने आया है। रेप का विरोध करने पर पीड़िता को शादी का वादा करके चुप करा दिया गया। आरोपित का नाम बिलाल अहमद है। पुलिस ने बुधवार (13 नवंबर 2024) को इस मामले में केस दर्ज करके जाँच शुरू कर दी है। केस दर्ज होने की जानकारी मिलते ही बिलाल अहमद फरार हो गया है।

यह मामला कौशाम्बी के थाना क्षेत्र महेवाघाट की है। यहाँ बुधवार को 26 वर्षीया पीड़िता ने पुलिस में तहरीर दी। पीड़िता ने बताया कि उसके गाँव का रहने वाले जफर अहमद का बेटा बिलाल पिछले एक महीने से उसका रेप कर रहा है। बिलाल ने पीड़िता को निकाह का झाँसा भी दिया था। 1 नवंबर 2024 को बिलाल ने पीड़िता को गाँव के एक मदरसे में बुलाया और वहाँ भी रेप किया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब पीड़िता को खुद के गर्भवती होने का शक हुआ तो उसने बिलाल पर निकाह का दबाव बनाया। हालाँकि, बिलाल अहमद निकाह की बात से साफ मुकर गया। बिलाल ने पीड़िता को जान से मारने की धमकी भी दी। मजबूर होकर पीड़िता ने पुलिस में प्रार्थना पत्र दी। प्रार्थना पत्र में पीड़िता ने आरोपित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की है।

पीड़िता की ओर से मिले प्रार्थना पत्र के आधार पर पुलिस ने बिलाल अहमद को नामजद करते हुए केस दर्ज कर लिया है। पुलिस ने यह केस भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 81 और 351 (3) के तहत दर्ज किया है। ऑपइंडिया के पास शिकायत कॉपी मौजूद है। खुद पर FIR दर्ज होने की जानकारी मिलते ही बेलाल फरार हो गया।

शुक्रवार (15 नवंबर) को पुलिस ने बताया कि आरोपित की तलाश के लिए टीमों को गठित कर के दबिश दी जा रही है। मामले में जाँच व अन्य कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। आरोपित और पीड़िता दोनों एक ही मजहब से हैं।

लाहौर में हिंदू तीर्थयात्री की गोली मारकर हत्या, परिवार के साथ जा रहे थे दर्शन के लिए ननकाना साहिब: अपराधियों ने लाखों रुपए की नकदी और समान भी लूटा

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराध का एक और दर्दनाक मामला सामने आया है। गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती के अवसर पर ननकाना साहिब जा रहे सिंध प्रांत के लरकाना के रहने वाले राजेश कुमार को रास्ते में लुटेरों ने गोली मार दी। यह घटना पंजाब प्रांत के मनानवाला-ननकाना साहिब रोड पर हुई, जो लाहौर से लगभग 60 किलोमीटर दूर है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजेश कुमार अपने दोस्त और बहनोई के साथ कार से यात्रा कर रहे थे। बुधवार (13 नवंबर 2024) की रात, तीन हथियारबंद लुटेरों ने उनकी कार को रोककर उनसे 4,50,000 पाकिस्तानी रुपये और ड्राइवर से 10,000 रुपये लूट लिए। राजेश ने जब इसका विरोध किया, तो लुटेरों ने उन पर गोलियाँ चला दीं। गंभीर हालत में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहाँ गुरुवार (14 नवंबर 2024) को उनकी मौत हो गई।

घटना के बाद राजेश के बहनोई की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात लुटेरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। हालाँकि, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। यह मामला न केवल पाकिस्तान में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े करता है, बल्कि वहाँ के अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता भी पैदा करता है।

गुरु नानक जयंती के उत्सव में उमड़ा जनसैलाब

राजेश कुमार ननकाना साहिब में आयोजित गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती के मुख्य समारोह में शामिल होने जा रहे थे। शुक्रवार (15 नवंबर 2024) को आयोजित इस कार्यक्रम में 2,500 से अधिक भारतीय तीर्थयात्री और बड़ी संख्या में स्थानीय और विदेशी श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। गुरुद्वारा जन्मस्थान ननकाना साहिब में हुए इस कार्यक्रम में इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के सचिव फरीद इकबाल और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) के अध्यक्ष रमेश सिंह अरोड़ा ने तीर्थयात्रियों का स्वागत किया।

हालाँकि राजेश कुमार की हत्या ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल के वर्षों में पाकिस्तान में हिंदू, सिख और ईसाई समुदायों पर हमले बढ़े हैं। यह घटना न केवल एक व्यक्ति की जान जाने की कहानी है, बल्कि एक बड़े समुदाय के लिए डर और असुरक्षा का प्रतीक भी है। पाकिस्तान सरकार और पुलिस द्वारा अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के दावे बार-बार विफल हो रहे हैं। राजेश कुमार जैसे निर्दोष लोग इस विफलता की भेंट चढ़ रहे हैं। पाकिस्तान सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में जल्द कार्रवाई करे, ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके और अल्पसंख्यक समुदायों के मन में व्याप्त भय को दूर किया जा सके।

किसान सम्मान निधि में मिले पैसे का इस्तेमाल हथियार खरीदने में कर रहे थे अल कायदा के आतंकी, पैसे वसूलने के लिए कई लोगों से भरवाया था फॉर्म: दिल्ली पुलिस ने किया खुलासा

दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया है कि हाल ही में पकड़े गए अल कायदा के आतंकी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-किसान) के पैसे का इस्तेमाल अपने जिहाद के लिए करना चाहते थे। पकड़े गए आतंकियों में 2 लोग पीएम किसान के लाभार्थी हैं और उन्होंने सरकार से खेती-किसानी के लिए मिला पैसा हथियार खरीदने को दिया था।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड और राजस्थान से पकड़े गए अल कायदा मॉड्यूल के आतंकियों की जाँच में यह तथ्य सामने आया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल इस मामले की जाँच कर रही है। उसने यह जानकारी हाल ही में कोर्ट को दी है।

दिल्ली पुलिस को जानकारी मिली है कि कुछ और लोगों ने आतंकियों के कहने पर PM-किसान योजना का फॉर्म भरा है। पुलिस को शक है कि यह ऐसा बड़ा नेटवर्क तैयार करके सरकार से मिलने वाला पैसा अपने आंतक की फंडिंग में लगाने की कोशिश में थे। दिल्ली पुलिस अब फॉर्म भरने वालों की तलाश में है।

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार 11 आतंकियों में से 8 की रिमांड दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट से 6 दिनों के लिए माँगी थी। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया है कि इस मामले के गवाह ने और आतंक में और लोगों के शामिल होने की बात कही है। पुलिस ने कहा है कि उनकी पहचान के लिए रिमांड चाहिए। कोर्ट ने पुलिस को रिमांड 12 नवम्बर, 2024 को दे दी है।

PM-किसान योजना तहत छोटी जोत वाले किसानों को ₹6000 प्रतिवर्ष दिए जाते हैं। यह पैसा तीन किश्तों में दिया जाता है। इस योजना को 2019 में लाया गया था। सरकार ने किसानों को खाद-बीज खरीदने और उनकी लागत कम करने के लिए योजना शुरू की थी। लेकिन आतंकियों ने इसका इस्तेमाल अपने मंसूबे के लिए इस्तेमाल करने का प्लान बना लिया।

गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और ATS ने 22 अगस्त, 2024 को राँची और बाकी जगहों पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी में डॉक्टर इश्तियाक और उसके साथी आतंकियों को इनामुल अंसारी, शाहबाज अंसारी, मोतिउर्रहमान और अल्ताफ को गिरफ्तार किया गया था। सामने आया था कि यह सभी अल कायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट से जुड़े हुए थे।

इस मामले में राजस्थान में भी छापेमारी हुई थी। राजस्थान में हुई छापेमारी में अनामुल, शाहबाज, अल्ताफ, अरशद, हसन और उमर को गिरफ्तार किया गया था। यह राजस्थान के भिवाड़ी में हथियार चलाने की ट्रेनिंग ले रहे थे। यह भी सभी रहने वाले राँची के पास के गाँव के ही है हैं।

सुरक्षा एजेंसियों को यहाँ से ए के 47 राइफल, प्वाइंट 38 बोर की रिवाल्वर और छह जिंदा कारतूस , .32 बोर की 30 जिंदा कारतूस, एके 47 की 30 कारतूस, डमी इंसास, एयर राइफल, आयरन एल्बो पाइप, हैंड ग्रेनेड समेत अन्य चीजें मिली थीं।

जाँच में सामने आया था कि तंकी डॉक्टर इश्तियाक फिदायीन आतंकी दस्ता तैयार कर रहा था। इश्तियाक ने इसके लिए एक पहाड़ी इलाका चुना था। यहाँ वह अपने साथी आतंकियों को लाकर हमले की ट्रेनिंग देने वाला था। वह देश में खिलाफत लाना चाहता था।

रामेश्वरम कैफे हमले के आतंकियों का ISIS से कनेक्शन, पाकिस्तान से हमले का आ रहा था निर्देश: NIA ने किया खुलासा, क्रिप्टोकरेंसी में मिल रही थी फंडिंग

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में गिरफ्तार आरोपितों के संबंध पाकिस्तान और कुख्यात आतंकी संगठन ISIS से मिले हैं। इसका खुलासा राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने किया है। फरवरी 2023 में हुए इस आतंकी हमले में एजेंसी ने मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ को आरोपित करते हुए चार्जशीट दाखिल की थी। ये सभी अपने पाकिस्तानी हैंडलर के निर्देश पर भारत में हमलों के योजना पर काम कर रहे थे।

शुक्रवार (15 नवंबर 2024) को हुए इस खुलासे में आरोपितों के अंतर्राष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क से जुड़े होने की बात कही गई है। इस धमाके का मुख्य आरोपित अभी भी फरार है। हालाँकि, चार आरोपित अभी जेल में हैं। उसके पाकिस्तान में होने की आशंका जताई जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट को कुल 6 आतंकियों ने मिलकर अंजाम दिया था। ये सभी ISIS से जुड़े हुए हैं।

मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ ने बम धमाके की बाकायदा ट्रेनिंग भी ली थी। एक हफ्ते तक चली इस ट्रेनिंग में आरोपितों ने विस्फोटक बनाने की सामग्री ऑनलाइन खरीदी थी। इसके बाद रेकी करके धमाके की जगह तलाशी गई। आतंकियों में अब्दुल मतीन ताहा इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था।

मूलतः शिवमोगा जिले का रहने वाला अब्दुल मतीन सोशल मीडिया के जरिए आतंकी संगठनों से जुड़ा था। साल 2017 में वह टारगेट किलिंग केस में 5 साल की सजा काट कर निकले शोएब अहमद मिर्जा से मिला था। ताहा का सम्पर्क जेल में बंद मोहम्मद शाहिद फैज़ल से भी बताया जा रहा है। फैज़ल युवाओं को कट्टरपंथी बना रहे संगठन अल हिन्द ट्रस्ट का संचालक था।

अब्दुल मतीन ने अपने एक दोस्त हुसैन शाज़िब के साथ अल हिन्द ट्रस्ट के लिए काम शुरू किया। साल 2020 में अल हिंद ट्रस्ट पर आतंकी गतिविधियों को चलाने के आरोप में केस दर्ज हुआ था। यह केस दर्ज होते ही अब्दुल मतीन ने अपने साथी सहित बेंगलुरु छोड़ दिया। बाद में जनवरी 2023 में इन्ही दोनों ने रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट की साजिश रचने में प्रमुख भूमिका निभाई।

पहले यह धमाका 22 जनवरी 2023 को बेंगलुरु भाजपा मुख्यालय पर अयोध्या में श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन करने की योजना था। हालाँकि, उस दिन भारी पुलिस बल की तैनाती की वजह से आरोपित अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए। आखिरकार कई असफल प्रयासों के बाद आरोपितों ने बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में ब्लास्ट की तैयारी की।

29 फरवरी 2023 को मुसव्विर हुसैन ने इस कैफे में विस्फोटक रखा, जिसमें दोपहर लगभग 1:07 पर ब्लास्ट हो गया। इस धमाके में ग्राहकों और कैफे के स्टाफ आदि मिलाकर कई लोग जख्मी हो गए थे। सितंबर 2024 को दायर NIA की चार्जशीट में मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ के नाम हैं।

इन सभी पर IPC की विभिन्न धाराओं सहित UAPA, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और पीडीएलपी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है। इन सभी को विदेश में बैठे आतंकी ऑपरेट कर रहे थे। कोड के तौर पर महबूब पाशा कहा जाता था। तलहा और शाज़िब को उनके विदेशी हैंडलर्स क्रिप्टो करेंसी के जरिए पैसे पहुँचा रहे थे। इन पैसों का उपयोग बेंगलुरु में आतंकी हरकतों को अंजाम देने में होना था।

एक और प्रॉपर्टी पर कब्जे में जुटा कर्नाटक वक्फ बोर्ड, हाई कोर्ट ने लताड़ा: कहा- पहले ट्रिब्यूनल जाओ, संपत्ति के मूल मालिकों ने कोर्ट में दी चुनौती

कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य के वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति हथियाने की एक कोशिश पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने बोर्ड को वक्फ ट्रिब्यूनल में मामला ले जाने का आदेश दिया है। वक्फ बोर्ड 1976 में खुद के द्वारा ही निजी घोषित की गई एक सम्पत्ति को दोबारा वक्फ में बदलना चाहता है।

कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस MGS कमाल ने एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि वक्फ बोर्ड पहले के समय में प्रशासक द्वारा दिए गए फैसले को सिर्फ के कमिटी बना कर नहीं बदल सकता और इसके लिए उसे ट्रिब्यूनल जाना होगा। कोर्ट ने कहा है कि पहले का प्रशासक और अब ट्रिब्यूनल बराबर की संस्थाएँ हैं।

क्या है मामला?

यह मामला कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में स्थित एक सम्पत्ति से जुड़ा है। जिस सम्पत्ति पर वक्फ अपना कब्जा करना चाहता है वह शाह मोहम्मद रज़ा अली नाम के शख्स की थी और अब इस मामले में उसके बेटे जाबिर अली ने याचिका लगाई है। इस सम्पत्ति को 1965 में तब के मैसुरु वक्फ बोर्ड ने वक्फ सम्पत्ति घोषित कर दिया था। यह आदेश तब वक्फ के प्रशासक ने दिया था।

वक्फ घोषित की जाने वाली सम्पत्तियों में एक कब्रिस्तान भी शामिल था। वक्फ घोषित किए जाने के बाद भी यह सम्पत्तियाँ रजा अली के कब्जे में ही रही थी और इसको लेकर बोर्ड ने 1975 में उन्हें नोटिस भी भेजा था। इस मामले में की गई जाँच के बाद 1976 में राज्य के वक्फ बोर्ड ने यह सभी सम्पत्तियाँ रजा अली की निजी सम्पत्तियाँ घोषित कर दी थी।

इन सम्पत्तियों को वक्फ बोर्ड की लिस्ट से हटाने के आदेश भी 1977 में ही दे दिए गए थे। इसके बाद 2020 तक किसी को भी इस मामले में कोई समस्या नहीं थी। लेकिन 2020 में कर्नाटक वक्फ बोर्ड की निगाह इन पर पड़ गई। उसने नवम्बर, 2020 में एक नोटिस जारी करके रजा अली के बेटे जाबिर अली को अतिक्रमणकारी घोषित कर दिया।

वक्फ बोर्ड ने आरोप लगाया कि जाबिर अली को गड़बड़ी से यह सम्पत्ति मिली है। इसके बाद जाबिर अली कोर्ट पहुँच गए। कोर्ट ने जाबिर को वक्फ को जवाब देने को कहा था। वक्फ बोर्ड ने इसके बाद एक कानूनी कमिटी बना दी। इस कमिटी ने 1976 का आदेश पलट दिया और कहा कि यह अब वक्फ सम्पत्ति है।

इसके बाद जाबिर अली फिर से हाई कोर्ट पहुँचे। उन्होंने दलील दी कि 1976 में खत्म हो गए मसले को वक्फ बोर्ड अब उठा रहा है जो सही नहीं है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासक का आदेश अब के क़ानून के अनुसार वक्फ ट्रिब्यूनल या और कोई बड़ा न्यायालय बदल सकता है।

जाबिर अली ने वक्फ की कमिटी के जरिए इस सम्पत्ति पर कब्जे की कोशिश को गलत ठहराया था। हाई कोर्ट ने उनकी दलीलों को सही मानते हुए इसे दोबारा वक्फ की सम्पत्ति बनाने के आदेश को रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को इस मामले में वक्फ ट्रिब्यूनल जाने को कहा है।

BJP अध्यक्ष नड्डा को गुरुद्वारा में घुसने नहीं दिया: कॉन्ग्रेस ने फिर किया गलत दावा, प्रबंधन कमिटी ने बयान जारी कर आरोपों को नकारा; कहा- दशमेश दरबार में हुई संगत

हाल ही में कॉन्ग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने एक ट्वीट में दावा किया कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने महाराष्ट्र के ठाणे में गुरु पूरब के दिन (15 नवंबर 2024) गुरुद्वारे में चुनाव प्रचार करने की कोशिश की, जिसके चलते उन्हें और भाजपा के सदस्यों को गुरुद्वारे से बाहर कर दिया गया। उनके ट्वीट ने सोशल मीडिया पर तेजी से तूल पकड़ा और इसे लेकर कई तरह की चर्चाएँ शुरू हो गईं। सुप्रिया ने लिखा कि “गुरुद्वारे में सब एक समान हैं और भावनाओं की इज्जत की जानी चाहिए,” इस बात को आधार बनाकर उन्होंने नड्डा और भाजपा पर निशाना साधा।

हालाँकि, इस दावे को लेकर गुरुद्वारा श्री दशमेश दरबार, ठाणे की ओर से अध्यक्ष गुरमुख सिंह स्यान का एक स्पष्ट बयान सामने आया है। बयान के मुताबिक, जेपी नड्डा जी गुरु ग्रंथ साहिब के दर्शन करने आए थे और पूरी श्रद्धा के साथ मत्था टेका। गुरुद्वारा प्रबंधन ने उन्हें अंदर रुकने का अनुरोध भी किया। बयान में कहा गया कि नड्डा ने अन्य भक्तों की तरह पूरे सम्मान और श्रद्धा से गुरुद्वारे में अपने दर्शन किए और कोई चुनाव प्रचार नहीं किया।

गुरमुख सिंह स्यान ने कहा, “गुरुद्वारे की मर्यादा का पालन करते हुए नड्डा जी ने सभी नियमों का पालन किया। कुछ मीडियाकर्मी और पत्रकारों ने इस घटना को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और झूठी अफवाहें फैलाईं।” बयान में स्पष्ट किया गया कि नड्डा जी ने केवल श्रद्धा में हिस्सा लिया था और चुनाव प्रचार का कोई इरादा नहीं था।

गुरुद्वारा कमेटी ने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह की अफवाह फैलाने वाले पत्रकारों की खबरें पूरी तरह से निराधार हैं। इसके अलावा, उन्होंने भक्तों से अपील की कि वे ऐसी झूठी बातों पर ध्यान न दें।

निष्कर्ष: कॉन्ग्रेस द्वारा लगाया गया दावा झूठा और भ्रामक है। गुरुद्वारा प्रबंधन की ओर से जारी बयान ने स्पष्ट कर दिया कि नड्डा जी का दौरा पूरी तरह से श्रद्धा पर आधारित था और चुनाव प्रचार का इससे कोई लेना-देना नहीं था।

चाकू की नोंक पर बिलाल आजम ने हिंदू सहकर्मी लड़की से किया रेप, ब्लैकमेल कर निकाह का बना रहा दबाव: हिंदू संगठनों ने लव जिहाद बता आंदोलन की दी चेतावनी

मध्य प्रदेश के इंदौर में बिलाल आज़म नाम के एक युवक पर हिन्दू लड़की को प्रताड़ित करने का आरोप लगा है। दोनों के बीच 2 साल पहले साथ में काम करते हुए पहचान हुई थी। बाद में बिलाल लड़की पर उससे निकाह करने का दबाव बनाने लगा। इनकार करने पर उसने पीड़िता का फोटो-वीडियो वायरल करने की धमकी देने लगा। शुक्रवार (15 नवंबर 2024) को पुलिस में शिकायत की गई है। हिन्दू संगठनों ने बिलाल पर एक्शन की माँग को लेकर आंदोलन का एलान किया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना इंदौर के विजयनगर थाना क्षेत्र की है। यहाँ शुक्रवार को पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। उसने बताया है कि साल 2022 में वह एक कम्पनी में टेलीकॉलिंग की जॉब करती थी। यहीं पर उसकी मुलाकात बिलाल आज़म नाम से हुई। बाद में दोनों में दोस्ती हो गई। थोड़े दिनों के बाद बिलाल आज़म ने पीड़िता पर उससे निकाह करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।

पीड़िता ने अपने रिश्ते को महज दोस्ती तक बताकर निकाह करने से इनकार कर दिया। इस पर बिलाल आज़म भड़क गया। वो पीड़िता का आते-जाते हुए पीछा करने लगा। 15 जून 2022 को उसने चाकू की नोंक पर पीड़िता से रेप किया। इस दौरान उसने अश्लील फोटो और वीडियो बना लिए और इसके आधार पर वह उसे ब्लैकमेल करने लगा।

बिलाल आज़म से परेशान होकर पीड़िता जॉब करने बेंगलुरु चली गई। साल 2023 में पीड़िता वापस लौट कर इंदौर आई। इंदौर में वो निरंजनपुर इलाके में रहने लगी। आज़म बिलाल ने पीड़िता को फिर से खोज निकाला और परेशान करना शुरू कर दिया। वह लड़की पर खुद से निकाह करने का दबाव बनाते हुए शारीरिक संबंध बनाने पर मजबूर करने लगा।

जब पीड़िता ने इसका विरोध किया तो उसकी बेरहमी से पिटाई की गई। 22 अक्टूबर 2024 को आज़म ने पीड़िता के नाम पर एक पर्सनल लोन भी ले डाला। इस लोन की किश्त अभी तक पीड़िता ही भर रही है। 2 नवंबर 2024 को पीड़िता का मोबाइल फोन भी गुम हो गया। तब पीड़िता ने इसकी शिकायत लसूड़िया थाने में दर्ज करवाई थी। काफी तलाश के बाद यह फोन बिलाल आज़म की गाडी में मिला।

मजबूर होकर लड़की ने हिन्दू संगठन के सदस्यों से सम्पर्क किया। शुक्रवार को पीड़िता विजयनगर थाने पहुँची। उनके साथ हिन्दू संगठन से जुड़े कई कार्यकर्ता भी थे। तहरीर देकर कार्रवाई की माँग की गई। पुलिस FIR दर्ज करके जाँच शुरू कर दी है। हिन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं ने एलान किया है कि अगर जल्द ही कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन होगा। उन्होंने इस घटना को लव जिहाद बताया है।

अहमदाबाद में आयुष्मान योजना का पैसा लेने के लिए अस्पताल का बड़ा घोटाला: स्वस्थ ग्रामीणों का भी कर दिया हार्ट ऑपरेशन, 2 की मौत के बाद ख्याति अस्पताल के डॉक्टर गिरफ्तार

अहमदाबाद के ख्याति अस्पताल में दो मरीजों की मौत के बाद गुजरात सरकार ने अस्पताल के डॉक्टर और डायरेक्टर के साथ तीन अन्य के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज की है। FIR दर्ज किए जाने के बाद 19 रोगियों की सेहत को खतरे में डालने के आरोपित डॉ. प्रशांत वजीरानी को गिरफ्तार कर लिया गया है।

इस घोटाले में एक अन्य डॉक्टर संजय पटोलिया पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका राजकोट तथा सूरत के अस्पतालों से कनेक्शन है। ख्याति अस्पताल पर प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के अंतर्गत गड़बड़ी करके पैसा लेने का आरोप है। यह गड़बड़ी एकदम स्वस्थ लोगों की फर्जी सर्जरी करवा कर की गई।

इस सर्जरी को आयुष्मान योजना के तहत दिखाया गया और फिर इसका बिल सरकार से ले लिया गया। दूसरे डॉक्टरों द्वारा की गई जाँच से सामने आया है कि अस्पताल के कहने पर जिन मरीजों ने एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी कराई थी, उनको कोई पहले से स्वास्थ्य समस्या नहीं थी और उन्हें किसी इलाज की जरूरत नहीं थी।

सोला सिविल अस्पताल के CDMO डॉ. प्रकाश मेहता ने अब इस मामले में FIR दर्ज करवाई है। राज्य के हेल्थ सेक्रेटरी द्वारा बनाई गई जाँच समिति के सदस्य मेहता ने इस मामले में बताया, “हमारी रिपोर्ट से पता चला है कि डॉ. प्रशांत वजीरानी ने ख्याति मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. कार्तिक पटेल, डॉ. संजय पटोलिया, राजश्री कोठारी, CEO चिराग राजपूत और अन्य लोगों के साथ मिलकर PMJAY का दुरुपयोग किया और सरकारी पैसे का घोटाला किया।”

डॉक्टर मेहता ने बताया, “उन्होंने कथित तौर पर मरीजों की असली शारीरिक स्थिति के बारे में गलत जानकारी दी और एक आपराधिक साजिश रची। उन्होंने मरीजों को गुमराह किया, उन्हें झूठे बहाने से सहमति पत्र पर दस्तखत करवाकर स्टेंट लगाने और अनावश्यक एंजियोप्लास्टी और एंजियोप्लास्टी के लिए राजी किया।”

इस मामले में दर्ज की गई FIR के अनुसार, “इस गड़बड़ी के कारण कथित तौर पर दो मरीजों की मौत हो गई और बाकी को गंभीर शारीरिक नुकसान पहुँचा। क्योंकि ऑपरेशन इस तरह से किया गया जिससे और अधिक मौतें हो सकती थीं।”

जाँच कैम्प लगा ढूंढे थे मरीज, हार्ट की बीमारी पर बोला झूठ

मृतकों के परिजनों द्वारा करवाई गई FIR में बताया गया गया है कि ख्याति अस्पताल ने मरीज ढूँढने के लिए 10 नवम्बर, 2024 को मेहसाणा जिले के कडी तालुका के बोरिसाना गाँव में एक मुफ्त जाँच कैम्प आयोजित किया था। कैम्प के बाद, अस्पताल ने 11 नवंबर को 19 लोगों को अपने अहमदाबाद वाले अस्पताल में भर्ती कर दिया।

इन मरीजों से बताया गया कि उन्हें एंजियोग्राफी करवानी होगी। एंजियोग्राफी के बाद उनकी एंजियोप्लास्टी भी कर दी गई। इन मरीजों को उसी दिन स्टंट भी लगा दिए गए। स्टंट उन मरीजों को लगाया जाता है जिनकी खून की धमनियों में कुछ अवरोध पैदा हो जाता है और। यह स्टेट उनकी धमनियों से यह अवरोध हटाता है और हार्ट अटैक का ख़तरा कम करता है।

इस मामले में अहमदाबाद के जोन-1 के DCP हिमांशु कुमार वर्मा ने बताया, “अस्पताल के चेयरमैन कार्तिक जसु पटेल, CEO चिराग हीरासिंह राजपूत, डायरेक्टर राजश्री प्रदीप कोठारी और बैरिएट्रिक सर्जन डॉ. संजय मुलजी पटोलिया पुलिस की गिरफ्त से फरार हैं।”

इस मामले में आरोपितों BNS अधिनियम के तहत गैर इरादतन हत्या, गैर इरादतन हत्या का प्रयास, जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए हैं। वस्त्रपुर पुलिस धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के लिए ख्याति अस्पताल के डॉक्टरों और प्रबन्धन के खिलाफ एक और शिकायत दर्ज करने पर विचार कर रही है।