Wednesday, November 20, 2024
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प्रियंका ने UP की कानून व्यवस्था पर उठाए सवाल, पुलिस ने 2 वर्षों में 9225 अपराधियों के आँकड़े से कराया चुप

वैसे तो प्रियंका गाँधी वाड्रा कई मुद्दों पर मौन धारण किए रहती हैं, लेकिन जब उन्हें मोदी सरकार की आलोचना करनी होती है तब वो काफ़ी कड़ा रुख़ अख़्तियार करती नज़र आती हैं। ताज़ा समाचार यह है कि उन्होंने योगी आदित्यनाथ की क़ानून-व्यवस्था के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला है। 

आज उन्होंने ट्विटर पर यूपी पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए क्राइम न्यूज़ का एक कोलाज शेयर किया और लिखा, “पूरे उत्तर प्रदेश में अपराधी खुलेआम मनमानी करते घूम रहे हैं। एक के बाद एक अपराधिक घटनाएँ हो रही हैं। मगर उ.प्र. भाजपा सरकार के कान पर जूँ तक नहीं रेंग रही।” इसके आगे उन्होंने लिखा कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार ने अपराधियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है? 

कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा के इस आरोप को विनम्रता से न लेते हुए, उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से उन्हें जवाब दिया।

यूपी पुलिस ने जवाब में लिखा कि गम्भीर अपराधों में यूपी पुलिस द्वारा अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की गई है। पिछले 2 वर्षों में 9225 अपराधी गिरफ़्तार हुए और 81 मारे गए हैं। रासुका में प्रभावी कार्रवाई कर लगभग 2 अरब की सम्पत्ति ज़ब्त की गई है। डकैती, हत्या, लूट एवं अपहरण जैसी घटनाओं में अप्रत्याशित कमी आई है।

पुलिस द्वारा की गई त्वरित कार्रवाईयों के संदर्भ में अपने अन्य ट्वीट में यूपी पुलिस ने लिखा कि प्रभावी कार्रवाई करने के फलस्वरूप अपराधों में 20-35% की कमी आई है। सभी सनसनीखेज अपराधों का यथासम्भव 48 घंटे में ख़ुलासा हुआ है। प्रभावशाली अपराधियों के विरुद्ध भी कठोर पुलिस कार्रवाई अमल में लाकर क़ानून का राज स्थापित किया गया है।

कॉन्ग्रेसी अहमद पटेल के करीबी ने किया PNB से भी बड़ा घोटाला, बैंकों को लगाया ₹15000 करोड़ का चूना

फर्जी कंपनियाँ बनाकर बैंकों को हजारों करोड़ रुपए का चूना लगाने वाले स्टर्लिंग बॉयोटेक कंपनी के मालिक संदेसरा ब्रदर्स को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ईडी के अनुसार, संदेसरा स्कैम पंजाब नेशनल बैंक (PNB) स्कैम से भी बड़ा है।

ईडी द्वारा समाचार एजेंसी ANI को बताया गया है कि स्टर्लिंग बॉयोटेक कंपनी लिमिटेड और संदेसरा ग्रुप के मुख्य प्रमोटर नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा और दिप्ती संदेसरा ने फर्जी कंपनियाँ बनाकर कई बैंकों को करीब
₹14,500 करोड़ का चूना लगाया। जबकि हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने पीएनबी बैंक में ₹11,400 करोड़ का घोटाला किया था।

भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं से लिया था ₹9 हजार करोड़ का कर्ज

एसबीएल और प्रमोटरों के खिलाफ CBI ने अक्टूबर 2017 में धोखाधड़ी और 5 हजार 383 करोड़ के बैंक फ्रॉड का केस दर्ज किया था। इसके आधार पर ईडी ने भी मामला दर्ज किया था। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक ईडी की जाँच में पता चला कि संदेसरा ग्रुप की विदेशों में स्थित कंपनियों ने भी भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं से 9 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था।

जाँच में यह भी पता चला है कि कर्ज की रकम तय उद्देश्य के बजाय दूसरे कामों में लगाई गई। कई भारतीय और विदेशी फर्मों में राशि का हेर-फेर किया गया। प्रमोटर्स ने भारतीय बैंकों के कर्ज की रकम नाईजीरिया के तेल कारोबार में लगाई और निजी इस्तेमाल भी किया।

गत बुधवार को ईडी ने संदेसरा ग्रुप की9778 करोड़ की संपत्तियाँ अटैच की थीं। इनमें नाइजीरिया में ऑयल रिग्स, लंदन में एक जेट और आलीशान फ्लैट शामिल हैं। एसबीएल के प्रमोटर नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा और दीप्ति संदेसरा पहले ही विदेश भाग चुके हैं।

गाँधी परिवार के करीबी कॉन्ग्रेस नेता अहमद पटेल के भी करीबी बताए जा रहे हैं संदेसरा ब्रदर्स

संदेसरा ब्रदर्स के कॉन्ग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी के राजनीतिक सलाहकार और वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के करीबी होने का आरोप लगता रहा है। पटेल के बेटे फैजल पटेल और दामाद इरफान सिद्दीकी स्टर्लिंग बायोटेक में शामिल बताए जाते हैं। कंपनी का पता भी अहमद पटेल के आवास का बताया जाता है। कंपनी के सारे लेन-देन इसी पते से होते थे। ईडी ने अहमद पटेल के बेटे और दामाद को भी आरोपी बनाया था।

ईडी के सूत्रों की मानें तो संदेसरा ग्रुप में बड़ा भाई नितिन विदेश में कारोबार संभालता था, जबकि चेतन वडोदरा, मुंबई, दिल्ली और मसूरी के ऑफिस का कामकाज देखता था। कई नेताओं व आला IPS-IAS अफसरों पर धन खर्च कर और उनके सामाजिक समारोहों का खर्चा उठाकर उन्हें वह अपना चहेता बना लेता था।

कहाँ हैं संदेसरा बंधु, नहीं लगा पता

ईडी की जाँच के बाद से संदेसरा बंधु कहाँ हैं, यह पता नहीं चल सका है। ऐसे समय में जब सरकार नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण की कोशिश में जुटी है, संदेसरा बंधुओं का पता लगाना भी बड़ी चुनौती है।

AN-32 में मारे गए सैनिकों के पार्थिव शरीर लाने गई 12-सदस्यीय टीम खुद फँसी, राशन हो रहा खत्म

AN-32 हादसे में मारे गए सैनिकों के पार्थिव शरीर लाने गया 12-सदस्यीय बचाव दल खुद ही अपनी ज़िंदगी के लिए इस समय संघर्ष कर रहा है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि वे खराब मौसम में एक पहाड़ी पर फँस गए हैं, जहाँ से उन्हें न तो वायु सेना हेलीकॉप्टरों की मदद से एयरलिफ्ट कर सकती है और न ही वह खुद बारिश के कारण खतरनाक हो गए रास्ते पर पूरे दिन भर की जोखिम-भरी ट्रेकिंग कर के निकटतम गाँव तक पहुँच सकते हैं।

हालात ये हैं कि उनके पास राशन भी समाप्त होने वाली है और अपनी पोजीशन पर बने रहने पर उन्हें पहाड़ों की बारिश वाली ठंड, कीड़े-मकौड़ों और जहरीले साँपों का खतरा है। यह दल 3 जून को हुए AN-32 विमान हादसे में मारे गए वायु सैनिकों के पार्थिव शरीर लाने गया हुआ था।

दो शिकारी और एक पर्वतारोही हैं दल में शामिल

बचाव दल में नौ वायु सैनिकों के अलावा एक एवरेस्ट का पर्वतारोही और दो स्थानीय शिकारी भी शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार (जून 29, 2019) को बताया कि अरुणाचल प्रदेश के सियांग जनपद में 15 दिन पहले पहुँचे बचाव दल को एयरलिफ्ट करने के लिए सभी कोशिशें जारी हैं। हेलीकॉप्टरों को पास ही के आलो स्थित एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) पर लगातार स्टैंड-बाई पर रखा जा रहा है और ऑपरेशन की मॉनिटरिंग पश्चिमी सियांग से की जा रही है। दल के पास केवल एक सैटलाइट फ़ोन चालू हालत में है।

जिले के सूचना और जनसम्पर्क अधिकारी गिजुम ताली ने रक्षा मंत्रालय की बात की पुष्टि करते हुए यह भी जोड़ा है कि जो फोन चालू है, उसमें भी नेटवर्क बहुत ज्यादा नहीं आ रहा है। उन्हें नेटवर्क के लिए अधिक ऊँचे और खुले स्थान पर जाना पड़ता है, इस वजह से सम्पर्क तभी किया जा रहा है जब अति आवश्यक हो। इस समय बचाव दल परी आदि पहाड़ी की 12,000 फीट से ज्यादा की ऊँचाई की चोटी पर टेंट लगाए हुए है। बारिश की वजह से पहाड़ी से नीचे उतरना खतरनाक हो सकता है क्योंकि ज़मीन ज्यादा फिसलन भरी हो गई है। गिजुम ताली ने यह भी बताया कि उन्हें शनिवार या रविवार को मौसम में सुधार होने की उम्मीद के आशय वाली रिपोर्टें मिली हैं। मौसम साफ़ होते ही अविलम्ब बचाव-अभियान चालू हो जाएगा।

घटता राशन, करनी पड़ सकती है जानलेवा ट्रेकिंग

अधिकारी गिजुम ताली के अनुसार, हालाँकि सबसे बड़ी समस्या तेजी से घटता राशन है। 12 जून को हेलीकॉप्टर से क्रैश साइट पर उतरते समय बचाव दल के पास 15-20 दिनों का राशन था। लेकिन इस बारिश में पूर्व-निर्धारित हेलीकॉप्टर से एयरलिफ्टिंग करना असम्भव है। अगर बारिश आज-कल (शनिवार-रविवार) में नहीं रुकी तो मामला बिगड़ सकता है। ताली ने बताया कि अगर बारिश नहीं रुकी और राशन खत्म हो गया और बचाव दल को कई पहाड़ों की ट्रेकिंग करते हुए नीचे निकटतम गाँव गाते तक जाने का जोखिम उठाना पड़ सकता है। यह एक पूरे दिन भर का रास्ता है। ताली ने जोड़ा कि एक अच्छी बात यह है कि दल में शामिल दोनों शिकारी स्थानीय मौसम और भौगोलिक स्थिति से वाकिफ होने के अलावा दक्ष ट्रेकिंग गाइड भी हैं।

मेरठ पलायन: ‘सिर्फ प्रहलाद नगर नहीं, डर के कारण 30 कॉलनियों के हिंदू अपने मकान बेचने को मजबूर’

उत्तर प्रदेश के मेरठ में मुस्लिम समुदाय की गुंडागर्दी के चलते प्रह्लाद नगर में बहुसंख्यक वर्ग के लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। यहाँ से हिंदू परिवार पलायन करने को मजबूर हैं। दहशत की वजह से बहुसंख्यक समुदाय अपना मकान बेचकर वहाँ से पलायन करने को विवश हैं। यहाँ पर लगभग हर घर और दुकान के बाहर बिकाऊ होने का बोर्ड लगा हुआ है, लेकिन पुलिस प्रशासन को मुस्लिमों से परेशान हिंदू परिवारों का दर्द दिखाई नहीं दे रहा है। प्रशासन का कहना है कि हिंदू भय की वजह से पलायन नहीं कर रहे हैं।

मेरठ के एडीजी ने कहा कि जिला अधिकारियों ने इलाके में निरीक्षण किया है। प्रह्लाद नगर से लोगों का पलायन डर के कारण नहीं हुआ है। इलाके में ट्रैफिक, प्रदूषण और छेड़छाड़ की समस्याएँ हैं। उन्होंने बताया कि यहाँ पर पुलिस-पिकेट स्थापित किया गया और सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। एडीजी का कहना है कि मामले की जाँच की जा रही है। हालाँकि एडीजी साहब यह नहीं समझा पाए कि छेड़छाड़ की घटना से डर का माहौल बनता है या नहीं!

नवभारत टाइम्स द्वारा प्रकाशित की गई खबर का स्क्रीनशॉट

प्रह्लाद नगर इलाके में हिंदू परिवारों के पलायन की बात अधिकारियों द्वारा खारिज किए जाने का भाजपा नेताओं ने सख्त विरोध किया। शुक्रवार (जून 28, 2019) को भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने प्रमुख सचिव गृह, एडीजी मेरठ, कमिश्नर, डीएम और एसएसपी को पत्र लिखकर उनके द्वारा किए गए दावों पर प्रश्‍नचिह्न खड़ा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि एक संप्रदाय विशेष के असामाजिक तत्‍वों द्वारा छेड़छाड़ और बाइक स्टंट करके खौफ का वातावरण बनाया जाता है। विरोध करने पर मारपीट होती है। वाजपेयी का आरोप है कि प्रहलाद नगर ही नहीं, मेरठ के चार थाना क्षेत्र- शहर के कोतवाली, देहलीगेट, लिसाड़ी गेट और नौचंदी थाना क्षेत्र के करीब 30 मोहल्‍लों से मुस्लिम संप्रदाय से डर कर हिंदू आबादी अपना मकान बेचकर जा चुकी है।

जानकारी के मुताबिक, मेरठ का माहौल इन दिनों ऐसा बना हुआ है कि सूरज निकलने के साथ ही मुस्लिम समुदाय के युवा बाइक पर तेज हॉर्न के साथ स्पीड से निकलते हैं और युवतियों पर कमेंट करते हैं, उनके साथ छेड़छाड़ करते हैं। ये यहाँ का दिनचर्या बन चुका है। इसी से परेशान होकर हिंदू आबादी अपने उस घर को बेचकर जाने को विवश हो गए हैं, जहाँ वो वर्षों से रह रहे थे।

दरअसल, प्रहलाद नगर कॉलोनी तीन तरफ से मुस्लिम समुदाय से घिरी हुई है। यहाँ पर देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान से 1947 से 1950 के बीच आए शरणार्थी रहते हैं। इस कॉलोनी के पीछे मोहल्ला इस्लामाबाद है, जिसकी मुख्य निकास हापुड़ रोड पर है। इन दोनों मोहल्‍लों के बीच 4 से 5 फुट की एक गली है। इसी गली से मुस्लिम समुदाय के लोग आकर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और बदतमीजी करते हैं। विरोध करने पर मारपीट की जाती है और गोलियाँ भी चलाई जाती है। कॉलोनी के लोग इस विवादित गली पर गेट लगाने की माँग कर रहे हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय के लोग गेट का विरोध कर रहे हैं। अब तक यहाँ से 200 हिंदू परिवारों के पलायन की खबर है।

गौरतलब है कि इससे पहले प्रह्लाद नगर से 125 परिवारों के पलायन की ख़बरें सामने आई थी। लोगों ने साफ-साफ कहा था कि एक विशेष समुदाय के लोगों द्वारा ऐसी परिस्थितियाँ पैदा की गईं कि वे पलायन को मजबूर हुए। मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुँची। बूथ अध्यक्ष महेश मेहता ने नमो ऐप पर शिकायत की थी। जिसके बाद पीएमओ की तरफ से उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय को उचित क़दम उठाने को कहा गया।

सुषमा स्वराज ने छोड़ा सरकारी आवास, इससे पहले जेटली भी पेश कर चुके हैं नज़ीर

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार को घोषणा की कि वह नई दिल्ली में अपने आधिकारिक आवास 8, सफदरजंग लेन से बाहर आ गई हैं। सुषमा स्वराज ने इस बात की जानकारी भी दी कि अब वो पहले के पते या फोन नंबर पर उपलब्ध नहीं होंगी।

सुषमा स्वराज ने एक ट्वीट में कहा, “मैं अपने आधिकारिक आवास 8, सफदरजंग लेन, नई दिल्ली से बाहर आ गई हूँ। कृपया ध्यान दें कि अब मुझसे पहले के पते और फोन नंबर्स पर सम्पर्क नहीं किया जा सकेगा।”

सुषमा स्वराज ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा और अपने स्वास्थ्य के कारण इस साल सरकार से बाहर होने का विकल्प चुना।

पिछले महीने पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के बाद, सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर एक भावनात्मक संदेश लिखा था, इसमें उन्होंने पाँच साल के लिए पद संभालने का अवसर देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया था।

अपने ट्वीट में, सुषमा स्वराज ने लिखा, “प्रधान मंत्री जी – आपने 5 वर्षों तक मुझे विदेश मंत्री के तौर पर देशवासियों और प्रवासी भारतीयों की सेवा करने का मौका दिया और पूरे कार्यकाल में व्यक्तिगत तौर पर भी बहुत सम्मान दिया। मैं आपके प्रति बहुत आभारी हूँ। हमारी सरकार बहुत यशस्विता से चले, प्रभु से मेरी यही प्रार्थना है।”

सुषमा स्वराज, सरकार और लोगों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी थीं। कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने सरकार के शुरुआती महीनों में स्वराज को मोदी के लिए चुनौती के रूप में देखा।

हालाँकि, उन्होंने अपनी भूमिका में तालमेल बिठाया और पहली बार विदेश मंत्रालय को एक मानवीय चेहरा दिया। वो विदेश में कहीं भी फँसे किसी भी भारतीय के लिए संकटमोचक थीं। उन्होंने ज़रूरतमंदों को वीज़ा जारी करने और संकट में भारतीयों को राहत दिलाने जैसे मामूली मुद्दों को सुलझाने में भी व्यक्तिगत रुचि ली।

इससे पहले पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया था। अपने प्राइवेट बंगले में शिफ्ट होने जा रहे अरुण जेटली ने अपने कर्मचारियों की संख्या में भी कटौती की थी। उन्होंने अपनी सुरक्षा व्यवस्था कम कर दी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपनी सरकारी गाड़ियाँ भी सरकार को वापस कर दी हैं।

‘मेरे घर के बाहर गांजा मत पिओ’ – सिर्फ इतनी सी बात पर मंगरू की हत्या: साजिद, आज़म और रमज़ान गिरफ़्तार

एक चौंकाने वाली घटना में, झारखंड के आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मंगरू पाहन (30 वर्ष) की 21 जून की रात चाकू घोंपकर हत्या कर दी गई। हत्या तो अमूमन हर दिन होती है लेकिन यह घटना चौंकाने वाली इसलिए है क्योंकि जिस कारण से हत्या की गई, वह अमूमन नहीं होती। हत्या की वजह थी – अपने घर के सामने गांजा पीने से मना करना। यह मनाही गांजा पी रहे तीन लोगों को इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने घर के मालिक की हत्या कर दी।

दैनिक भास्कर की ख़बर के अनुसार, मोहम्मद साज़िद उर्फ़ ​​छोटू, आज़म अंसारी उर्फ़ ​​बाबू और रमज़ान अंसारी उर्फ़ ​​चुटरी को इस हत्या के आरोपित के तौर पर गिरफ़्तार किया गया है। इस मामले में पुलिस ने कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया चाकू भी बरामद किया है।

आरोपितों ने पुलिस के सामने यह स्वीकार भी कर लिया कि बहस के दौरान उसने मंगरू पाहन के पेट में छुरा घोंपा था।

मंगरू पाहन, जो अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ जीवयापन कर रहा था। वो कडरू इलाक़े में सरना टोली का निवासी था। पाहन, एक मजदूर के रूप में अपनी ज़िंदगी जी रहे थे, परिवार पाल रहे थे। घटना वाली रात लगभग 9 बजे के आसपास तीनों आरोपित अपने दोस्तों के साथ कडरू के सरना टोली में मंगरू के घर के बाहर गांजा पी रहे थे। मंगरू ने विनम्रतापूर्वक उन तीनों से उसके घर के बाहर गांजा न पीने का अनुरोध किया। लेकिन, उन तीनों में से एक को मंगरू की बात इतनी नागवार गुज़री कि उसने ग़ुस्से में मंगरू के पेट में छुरा घोंप दिया और वहाँ से भाग गया।

मंगरू के रिश्तेदार ने इस घटना को याद करते हुए बताया:

“वे (मंगरू) घर से बाहर आए (जहाँ एक पेड़ है) वहाँ तीनों आरोपित गांजा पी रहे थे। इस पर मंगरू ने आपत्ति जताई। उनसे कहा कि आप रेलवे स्टेशन जा सकते हैं, जहाँ लोग नहीं हैं। लेकिन, उन्होंने (आरोपितों) बहस की और फिर उनमें से एक ने उन्हें (मंगरू) चाकू मार दिया।”

मंगरू के रिश्तेदारों ने पुष्टि की, “हम उन्हें रिम्स (राजेंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) ले गए, जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।”

गांजा पीने पर आपत्ति को लेकर पिछले साल भी ऐसी ही घटना में वसीम ने संतोष को मार दिया था (सौजन्य:द हिन्दू)

पिछले साल, इसी तरह की एक घटना में, संतोष नाम के एक व्यक्ति को वसीम द्वारा मार दिया गया था क्योंकि उसने गांजा पीने पर आपत्ति जताई थी। संतोष भाजपा के सदस्य थे और वसीम कथित तौर पर कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता का बेटा था। हमले के गवाह रहे 27 वर्षीय अशोक ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा था कि संतोष ने मुख्य आरोपित वसीम के गांजा पीने पर आपत्ति जताई थी।

‘पूरा यूरोप मुस्लिम देश बन जाएगा, अप्रवासियों को उनके देशों में वापस भेजा जाना जरूरी’

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी को लेकर एक बार फिर से बयान दिया है। इस बयान में उन्होंने कहा कि उनकी उत्तराधिकारी कोई खूबसूरत महिला भी हो सकती है। दरअसल, दलाई लामा ने हाल ही में बीबीसी की पत्रकार रजनी वैद्यनाथन को एक इंटरव्यू दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि उनकी उत्तराधिकारी कोई महिला भी हो सकती है, लेकिन वह आकर्षक होनी चाहिए। उन्होंने ये बात 2015 में भी कही थी, और अभी भी वो अपनी इस बात पर अडिग हैं। उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि जितना महत्त्व दिमाग का है, उतना ही खूबसूरती का भी है। साथ ही उन्होंने कहा, “अगर महिला दलाई लामा बनती हैं तो उसे कहीं ज्यादा आकर्षक होना चाहिए।”

जब रजनी ने उनसे ऐसा बोलने के पीछे की वजह पूछी तो दलाई लामा ने कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि अगर कोई महिला लामा आती हैं और वो खुश दिखती हैं तो लोग भी उन्हें देखकर खुश होंगे और अगर कोई महिला लामा दुखी दिखती हैं तो लोग उन्हें देखना पसंद नहीं करेंगे। साथ ही दलाई लामा ने कहा, “असली खूबसूरती मन की खूबसूरती है, ये सच है, लेकिन मैं समझता हूँ कि आकर्षक दिखना भी ज़रूरी है।”

दलाई लामा ने यूरोप में अप्रवासियों पर भी अपनी राय रखी और कहा कि केवल सीमित संख्या में शरणार्थियों को रहने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूरोप, यूरोपियों के लिए है और अगर अप्रवासी अपने देशों में वापस नहीं भेजे जाते हैं, तो पूरा यूरोप मुस्लिम देश या फिर अफ्रीकी देश बन सकता है। इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि जो शरणार्थी यूरोप आ गए हैं, उन शरणार्थियों को अपने यहाँ शरण देकर उन्हें शिक्षा एवं प्रशिक्षण देना चाहिए। इनका कौशल विकास कर फिर उन्हें उनके देश में भेजने का लक्ष्य होना चाहिए।

इसके साथ ही दलाई लामा ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप में नैतिक सिद्धांत की कमी है। उन्होंने कहा कि एक दिन ट्रंप कुछ कहते हैं, तो अगले दिन वो (ट्रंप) कुछ और कहते हैं। उन्होंने ट्रंप के अमेरिका फर्स्ट नीति की आलोचना की और कहा कि अमेरिका को वैश्विक जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज सुमन कुमारी के साथ गालीगलौज और मारपीट: फ़िरोज़, वसीम के साथ राहुल भी गिरफ्तार

कोलकाता में अंतरराष्ट्रीय महिला मुक्केबाज सुमन कुमारी के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की घटना सामने आई है। पुलिस के अनुसार, महिला मुक्केबाज सुमन कुमारी पर हमला उस वक़्त किया गया जब वो अपने दोपहिया वाहन से कार्यालय जा रही थीं।

सुमन ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पूरे मामले की जानकारी देते हुए लिखा:

“मैं शुक्रवार को 11 बजे स्कूटी से दफ़्तर जा रही थी। उसी समय 25 साल का एक लड़का मेरे सामने आया और बिना वजह मुझे गालियाँ देने लगा। इतना ही नहीं जब मैंने इसका विरोध किया तो उसने मेरे साथ मारपीट भी की। इसके बाद मैंने वहाँ खड़े पुलिस वालों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने मुझे पास के थाने में जाने की की सालह दी और इस मामले से पल्ला झाड़ लिया। लेकिन मैं जल्दी में थी इसलिए मैं पुलिस स्टेशन नहीं जा पाई और अपने ऑफ़िस पहुँच गई।” इसके आगे उन्होंने लिखा, “फिर भी मुझे कोलकाता पुलिस पर पूरा भरोसा है। मैं केपी (कोलकाता पुलिस) से अनुरोध करती हूँ कि वह इस मामले को देखें और क़ानून व्यवस्था को यथासंभव बहाल करें। केवल तभी मेरा प्रिय शहर महिलाओं के लिए अधिक सुरक्षित होगा।”

सुमन कुमारी ने इस पोस्ट में कोलकाता पुलिस को भी टैग किया है। ख़बर है कि इस मामले में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है।

शहर की पुलिस ने अपने फेसबुक पेज में उल्लेख किया कि इस मामले को दर्ज कर लिया गया है और इलाक़े की सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद तीन लोगों- राहुल शर्मा, शेख़ फ़िरोज़ और वसीम ख़ान को गिरफ़्तार कर लिया गया है।

पुलिस ने मुक्केबाज सुमन कुमारी के फेसबुक पेज पर इस बात की जानकारी दी, “हमने एक घंटे के भीतर अपराधियों की पहचान कर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया। और सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें सज़ा दी जाए।”

इससे पहले, पूर्व मिस इंडिया यूनिवर्स जोशी सेनगुप्ता को कुछ बदमाशों द्वारा परेशान करने का मामला सामने आया था। इस घटना को अभी दो हफ़्ते भी नहीं बीते थे कि मुक्केबाज सुमन कुमारी के साथ मारपीट की ख़बर सामने आ गई।

Viral वीडियो की सच्चाई: किसी हिन्दू ने नहीं, आप्सी मियाँ ने असगर अली से ‘जय श्री राम’ बुलवाया, हुआ अरेस्ट

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति को कान पकड़कर उठक-बैठक करते हुए जय श्री रीम बोलने के लिए मजबूर करते देखा गया। वीडियो वायरल होने के बाद पत्रकारिता के समुदाय विशेष और लिबरल गैंग ने इसे हेट क्राइम के तौर पर खूब भुनाया। लेकिन हकीकत सबसे सामने है। दरअसल जाँच के बाद पुलिस ने इस मामले में एक मुस्लिम शख्स को गिरफ्तार किया है। खबर के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले में आप्सी मियाँ नाम के शख्स को असगर अली को जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

जबरन ‘जय श्रीराम’ बोलने की यह घटना लोकसभा चुनाव के बाद ही हुई थी, लेकिन हाल ही में वीडियो वायरल होने के बाद राज्य प्रशासन ने इस पर संज्ञान लिया। इस वीडियो में उठक-बैठक करते हुए जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर करने के साथ ही असगर को ये भी धमकी दी जा रही है कि वो न तो कभी ममता बनर्जी का नाम लेगा और न ही वो कभी टीएमसी के लोगों के साथ दिखना चाहिए। मुंबई मिरर के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद, आप्सी मियाँ ने असगर अली और उत्पल दास के साथ मार-पीट की थी, उसे प्रताड़ित किया था। हालाँकि, उस समय कोई गिरफ्तारी नहीं हुई थी।

अब वीडियो वायरल होने के बाद, आप्सी मियाँ को गिरफ्तार कर लिया गया। आप्सी को शुक्रवार (जून 28, 2019) को कूच बिहार के तूफानगंज अदालत में पेश किया गया और फिर उसे पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। मुंबई मिरर ने बताया कि भाजपा ने आप्सी मियाँ के साथ किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है।

इन दिनों कई ऐसी घटनाएँ हुई हैं, जहाँ आरोप लगाया गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को जय श्री राम का नारा लगाने के लिए मजबूर किया गया है और जय श्री राम न बोलने पर उनके साथ मारपीट की जाती है। हालाँकि,जब पुलिस द्वारा इसकी जाँच की जाती है, तो इनमें से अधिकतर मामले फर्जी ही निकलते हैं।

हाल ही में, मदरसा के एक शिक्षक ने आरोप लगाया था कि उन्हें जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर किया गया था। लेकिन जब पुलिस ने जाँच शुरू की और प्रत्यक्षदर्शियों से बात की तो मदरसा के शिक्षक मोहम्मद मोमिन का दावा बिल्कुल झूठा निकला। वहीं, गुरुग्राम में भी एक ऐसी ही घटना में बरकत आलम नाम के एक मुस्लिम व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि हिंदुओं के एक समूह ने उसे जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर किया और जब उसने ऐसा करने से मना किया तो उसके साथ मारपीट की गई, उसके सिर से टोपी फेंक दिया गया। हालाँकि, जब पुलिस ने मामले की तहकीकात की और घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला तो बरकत का आरोप भी बिल्कुल निराधार निकला।

पहलू खान गो-तस्करी के मामले में अपराधी: राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार

तकरीबन 2 साल पहले राजस्थान के अलवर में कथित मॉब लिंचिंग के जिस मामले ने पूरे देश को हिला दिया था, उस पहलू खान के खिलाफ राजस्‍थान की कॉन्ग्रेस सरकार ने चार्जशीट दाखिल की है। ताजा चार्जशीट में खान पर गो-तस्‍करी का आरोप लगाया गया है। डेरी चलाने वाले पहलू खान को 1 अप्रैल 2017 को बहरोड़ के पास कथित गो-रक्षकों की एक भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। नई फाइल की गई चार्जशीट में उस पिक-अप ट्रक के मालिक का नाम भी दर्ज है, जिसे पशुओं को ले जाने के लिए इस्‍तेमाल किया गया था।

राज्य में कॉन्ग्रेस के सत्ता में आने के कुछ दिन बाद ही, पिछले साल 30 दिसंबर को यह चार्जशीट तैयार की गई थी। 29 मई 2019 को बहरोड़ के एडिशनल चीफ जुडिशियल मजिस्‍ट्रेट की अदालत में यह चार्जशीट पेश की गई। इस चार्जशीट में पहलू खान और उनके बेटों पर राजस्थान गोवंशीय पशु (वध और अस्थायी प्रवासन या निर्यात पर प्रतिबंध) अधिनियम, 1995 की धारा 5, 8 और 9 लगाई गई है।

खान के सबसे बड़े बेटे इरशाद (25 साल) का नाम भी चार्जशीट में है। इरशाद ने द इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत में कहा, “हमने गो-रक्षकों के हमले में अपने पिता को खो दिया और अब हमें गो-तस्‍कर बताया गया है। हमें उम्‍मीद थी कि राजस्‍थान की नई कॉन्ग्रेस सरकार हमारे खिलाफ दर्ज मुकदमे की समीक्षा कर उसे वापस ले लेगी, मगर अब हमारे खिलाफ चार्जशीट फाइल कर दी गई है। हमने सरकार बदलने के बाद न्‍याय की उम्‍मीद लगाई थी पर ऐसा हुआ नहीं।”

इरशाद के छोटे भाई आरिफ को भी चार्जशीट में आरोपी बताया गया है। पिछले साल, राज्‍य की तत्‍कालीन भाजपा सरकार ने भी ऐसी ही चार्जशीट खान के सहयोगियों अज़मत और रफीक़ के खिलाफ दाखिल की थी। लेकिन तब विपक्ष में बैठे कॉन्ग्रेसी नेताओं ने इस मसले पर खूब राजनीति की थी और पुलिस की कार्रवाई को ‘भगवा रंग’ देने का प्रयास किया गया था।

अब अलवर के बहरौर पुलिस स्टेशन में दर्ज चार्जशीट में कहा गया है कि मामले की पूरी जाँच करने के बाद आरोपित इरशाद, आरिफ और पहलू खान के खिलाफ आरबीए अधिनियम की धारा 5, 8, 9 के तहत अपराध साबित हुआ है, जबकि आरोपित खान मोहम्मद के खिलाफ आरबीए अधिनियम के धारा 6 के तहत अपराध साबित हुआ है। चूँकि, दो अलग-अलग पिक अप वैन पर हमला हुआ था, इसलिए पुलिस ने आरबीए अधिनियम के तहत दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की। पहला पिक अप वैन जगदीश का था, जिसे अर्जुन ड्राइव कर रहा था, जबकि दूसरे पिक अप वैन में पहलू खान और उसके बेटे सवार थे, जो कि मोहम्मद का था।

जानकारी के मुताबिक, राजस्थान की CID- क्राइम ब्रांच ने पहलू खान की हत्या के आरोपित सभी 6 लोगों को क्लीन चिट दे दी। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हमले में इन 6 लोगों के मौजूद होने का कोई सबूत नहीं है। राजनीतिक रूप से गौर करने वाली बात यह है कि जब भाजपा सरकार ने पहलू खान और उनके बेटों पर गो-तस्करी का आरोप लगाया था और जब कथित भीड़ द्वारा पहलू खान पर हमला किया गया था तो कॉन्ग्रेस ने बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) पर प्रतिबंध लगाने की माँग की थी और आरोप लगाया था कि राज्य में गो-रक्षा के नाम पर सांप्रदायिक तनाव को भड़काने की कोशिश की जा रही है। और अब सत्ता में आते ही राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार ने पहलू खान को गो-तस्करी के मामले में अपराधी बताया है।