Monday, November 18, 2024
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‘सरकारी कर्मचारी सम्मान न करें तो जूता निकालो और मारो’

उत्तर प्रदेश के ललितपुर से भाजपा विधायक रामरतन कुशवाहा ने सरकारी कर्मचारियों को लेकर विवादित बयान दिया है। कुशवाहा ने पार्टी के कार्यकर्ताओं के सामने कहा है कि यदि प्रदेश के कर्मचारी 2 महीने में ठीक से काम नहीं करते हैं तो उनको जूता उठाकर मारिए। अब कुशवाहा के इस बयान पर जिला प्रभारी रामकिशोर साहू ने अपनी आपत्ति दर्ज करवाई है, साथ ही जिलाध्यक्ष जगदीश सिंह लोधी ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त किया है।

दरअसल, मंगलवार (जून 4, 2019) को सांसद अनुराग शर्मा की जीत के बाद आयोजित भाजपा कार्यकर्ताओं के अभिनंनद समारोह में भाजपा विधायक महरौनी पहुँचे थे। यहाँ उन्होंने मंच से कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “अभी भी जो प्रदेश सरकार के कर्मचारी हैं वो महीने, दो महीने में ठीक नहीं होते और हमारे कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं करते तो मैं कहता हूँ कि अपना जूता उतारिए और मारिए, क्योंकि एक सीमा होती है बर्दाश्त करने की। ये सपा-बसपा मानसिकता के अधिकारी हैं, इन्होंने बदतमीजी करने का कार्य चुनाव के समय भी किया। हमारे कार्यकर्ताओं को हड़काया और सदस्यता के लिए मजबूर किया। मेरे पास पुलिस और राजस्व कर्मचारियों की ऐसी सूचना है, वो अभी सतर्क हो जाएँ।”

रामरतन के बयान के बाद अब उनकी ही पार्टी के नेता भी उनसे इस मामले में पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं। जिला प्रभारी रामकिशोर साहू ने इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये सच है कि पहले की सरकारों में अधिकारियों ने भ्रष्टाचार और मनमानी की है, लेकिन फिर भी वे सदर विधायक कुशवाहा के बयान से सहमत नहीं हैं।

बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब किसी भाजपा विधायक के सुर इतने बिगड़े हों, इससे पहले भी विधायक सुरेंद्र सिंह ने विवादित बयान देते हुए अधिकारियों और कर्मचारियों की तुलना वेश्याओं की थी। इस दौरान उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी घूस माँगता है तो उनको आप घूसा मारो और अगर उस पर भी नहीं मानता है तो जूता मारो।

‘अपने लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिमों की गुंडागर्दी वाली घटना पर गंभीर चुप क्यों?’ Twitter पर लोग नाराज़

सोशल मीडिया पर कई लोग पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर से नाराज़गी जता रहे हैं। लोगों की नाराज़गी की वजह है अपने ही लोकसभा क्षेत्र में हुई एक बड़ी घटना पर उनकी चुप्पी। लोग सिर्फ़ इसीलिए नहीं नाराज़ हैं क्योंकि गौतम ने इस घटना को लेकर कुछ नहीं बोला, लोग इसलिए नाराज़ हैं क्योंकि गुरुग्राम की झूठे दावों वाली घटना पर बिना सच जाने त्वरित प्रतिक्रिया देकर असहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले गौतम गंभीर दिल्ली की इस घटना पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। वह ईस्ट दिल्ली के सांसद हैं। जहाँ यह घटना हुई, वह इलाक़ा भी ईस्ट दिल्ली में ही आता है।

सबसे पहले आपको बताते हैं कि घटना क्या है? दरअसल, दिल्ली में एक मस्जिद के पास से एक कार तेज़ी में गुजर गई। इतनी सी बात पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने न सिर्फ़ थाने का घेराव किया, बल्कि डीटीसी की बसों सहित कई गाड़ियों को क्षतिग्रस्त भी कर दिया। काफ़ी देर तक दिल्ली में वही कश्मीर वाला नज़ारा देखने को मिला, जहाँ पत्थरबाज़ी एक आम बात हो गई है। मुस्लिम समुदाय के बच्चों से लेकर बड़ों तक ने पत्थर चला कर परिवहन को बाधित किया, कई घंटे तक ट्रैफिक जाम लगा रहा और पुलिस द्वारा अमन कमिटी के पदाधिकारियों की मदद लेने के बाद स्थिति थोड़ी शांत हुई।

इस घटना का विडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हुआ। इसमें साफ़-साफ़ देखा जा सकता है कि बेख़ौफ़ बदमाश कैसे सड़क पर बेवजह, अकारण और बिना कोई बात पत्थरबाज़ी कर रहे हैं। डीटीसी की बस को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया गया। गौतम गंभीर अभी तक अपने लोकसभा क्षेत्र में हुई इस घटना से अनजान हैं, ऐसा ट्विटर पर कई लोगों का मानना है। वहीं कई लोगों का मानना है कि गुरुग्राम की घटना पर पीएम मोदी की ‘छपास और दिखास’ वाली सलाह भूल त्वरित प्रतिक्रिया देने वाले गंभीर अभी जानबूझ कर अनजान बने हुए हैं।

आइए, संक्षेप में जान लेते हैं कि गुरुग्राम वाली घटना क्या थी और गंभीर उसमें कैसे उलझ गए। एक मुस्लिम युवक ने दावा किया कि “जय श्री राम” न बोलने पर उसकी पिटाई की गई। इसके बाद ‘डर का माहौल’ ब्रिगेड ने हंगामा शुरू कर दिया कि मोदी के दोबारा आने के बाद भारत अब मुस्लिमों के लिए और सुरक्षित नहीं रहा। बाद में पुलिस की छानबीन और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई के बाद पता चला कि न तो उक्त मुस्लिम युवक बरकत अली की इस्लामी स्कल कैप उछाली गई और न ही उसकी शर्ट फाड़ी गई। उसने झूठ बोला था। वह कोई ‘हेट क्राइम’ नहीं बल्कि ‘Mistaken Identity’ की घटना थी।

लेकिन, तब तक दो ट्वीट कर गंभीर भारत में निहित टॉलरेंस और सेकुलरिज्म का पाठ पढ़ा चुके थे। एक व्यक्ति ने दिल्ली की पत्थरबाज़ी घटना के बाद कहा कि गुरुग्राम वाली घटना पर बिना सच जाने टिप्पणी करने वाली गंभीर की उनके ख़ुद के लोकसभा क्षेत्र में हुई घटना को लेकर चुप्पी का राज़ क्या है?

धोनी के ग्लव्स पर Indian Army की सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली फ़ोर्स का बैज

विश्व कप क्रिकेट 2019 चल रहा है। टूर्नामेंट में भारत का पहला मैच बुधवार को दक्षिण अफ्रीका से हुआ। इस मैच में पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्स पर एक अनोखा चिह्न बना हुआ दिखाई दिया। यह चिह्न भारतीय सेना की पैरा स्पेशल फ़ोर्स का ‘बलिदान’ रेजिमेंटल डैगर चिह्न है। धोनी के ग्लव्स की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आते ही वायरल हो गईं और लोगों ने उनकी तारीफ करनी शुरू कर दी। धोनी बचपन से ही इंडियन आर्मी के फैन रहे हैं। भारतीय सेना ने उन्हें 2011 में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद (Honorary) रैंक प्रदान की थी। धोनी ने कुछ समय के लिए स्पेशल फ़ोर्स के सैनिकों के साथ ट्रेनिंग भी ली थी।

स्पेशल फ़ोर्स का ‘बलिदान’ बैज प्राप्त करना सबके बस की बात नहीं होती। सेना में से बहुत कम सैनिक स्पेशल फ़ोर्स का हिस्सा बनते हैं। स्पेशल फ़ोर्स की ट्रेनिंग इतनी कठिन होती है कि सभी ट्रेनी पूरी नहीं कर पाते। ट्रेनिंग के अंतिम चरण में 100 किमी तक बिना रुके दौड़ भी लगानी होती है। ऐसी ट्रेनिंग पूरी करने पर ही बलिदान बैज मिलता है। इसे प्राप्त करना किसी भी सैनिक या अफसर का सपना होता है।   

पैरा स्पेशल फ़ोर्स भारतीय सेना की एलीट फ़ोर्स है जिसका इस्तेमाल सर्जिकल स्ट्राइक जैसी विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। किसी देश की सेना के विशेष रूप से प्रशिक्षित सैनिक शत्रु के क्षेत्र में भीतर तक घुसकर किसी विशेष लक्ष्य को भेदकर वापस लौट आते हैं। ऐसा मिलिट्री ऑपरेशन ‘स्पेशल ऑपरेशन’ कहलाता है। इसका प्रारंभ द्वितीय विश्व युद्ध के समय हुआ था जब अमेरिका ने हवा से कूद कर शत्रु की भूमि पर उतरने वाली स्पेशल एयरबोर्न डिवीज़न बनाई थी।

पैरा स्पेशल फ़ोर्स के लिए धोनी का प्यार कोई नई बात नहीं है। वर्ल्ड कप से पहले IPL के दौरान भी धोनी ने इनके बलिदान बैज वाली टोपी पहनी थी। धोनी के पास एक मोबाइल केस भी है, जिसके पीछे यह बैज बना हुआ है।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही लगभग सभी शक्तिशाली देशों की सेनाओं के पास स्पेशल ऑपरेशन फ़ोर्स है। भारत की थलसेना के पास भी स्पेशल ऑपरेशन के लिए PARA SF यूनिट है। इसके अतिरिक्त नौसेना, वायुसेना और यहाँ तक की केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के पास भी क्रमशः MARCOS, GARUD और COBRA नामक दस्ते हैं जो कठिन परिस्थितियों में शत्रु के क्षेत्र में विशेष लक्ष्य को बर्बाद करने का कार्य करते हैं।

केंद्र सरकार ने हाल ही में संयुक्त स्पेशल ऑपरेशन डिवीजन का गठन किया था मेजर जनरल ए के ढींगरा को आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल आपरेशंस डिवीजन का पहला मुखिया नियुक्त किया गया है। इस ट्राई सर्विसेज डिवीजन के गठन में सेना की पैराशूट रेजिमेंट, नौसेना की मार्कोस और वायु सेना के गरुड़ कमांडो बल के विशेष कमांडो शामिल हैं।

उत्तराखंड में 3 दिन का राजकीय शोक, वित्त मंत्री प्रकाश पंत का अमेरिका में निधन

उत्तराखंड सरकार में वित्त मंत्री प्रकाश पंत का लंबी बीमारी के बाद कल (जून 5, 2019) निधन हो गया। 59 वर्षीय प्रकाश ने अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टैक्सस के अस्पताल में अपनी आखिरी साँस ली। 30 मई को उन्हें कैंसर के इलाज के लिए अमेरिका ले जाया गया था। बताया जा रहा है कि शनिवार (जून 8, 2019) शाम तक उनका पार्थिव शरीर अमेरिका से देहरादून लेकर आया जा सकता है।

पंत के निधन पर सभी राजनैतिक दलों के नेताओं ने अपना शोक जताया है। उत्तराखंड सीएम त्रिवेंद्र रावत ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए गुरुवार (जून 6, 2019) से तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। साथ ही इस बात की भी घोषणा की है कि गुरुवार को सभी सरकारी कार्यालय, बैंक और कोषागार बंद रहेंगे।

गौरतलब है कि अमेरिका जाने से कुछ दिन पहले प्रकाश पंत दिल्ली स्थित राजीव गाँधी अस्पताल के आईसीयू में भी भर्ती रहे थे। इस बीच उनकी गंभीर बीमारी के बारे में किसी को भी स्पष्ट जानकारी नहीं थी। ऐसे में उनके आकस्मिक निधन से पूरे प्रदेश में शोक की लहर है।

पंत की बीमारी के कारण प्रदेश के मुख्यमंत्री उनके सभी विभाग संभाल रहे थे। पंत के विभाग में संसदीय कार्य, विधायी, भाषा, वित्त, आबकारी, पेयजल एवं स्वच्छता, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग आते थे।

बता दें कि पंत सबसे पहले पिथौरगढ़ विधानसभा से 2002 से 2007 तक निर्वाचित हुए थे। इस दौरान उन्हें
बीसी खंडूरी की सरकार में पर्यटन, तीर्थाटन, धर्मस्व कार्य, संस्कृति, संसदीय कार्य, विधायी एवं पुर्नगठन मंत्री बनाया गया था। इसके बाद 2012 के चुनावों में उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा था लेकिन 2017 में उन्होंने एक बार फिर से जीत हासिल की। हाल ही में बजट सत्र के दौरान उनकी तबियत बिगड़ने लगी थी, इस कारण वह बजट भाषण तक पूरा नहीं पढ़ पाए थे। यहाँ भी उनका बजट भाषण त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ही पूरा किया था।

पुजारी की पिटाई व देवस्थान में तोड़-फोड़ मामले में महबूब, मोनीस सहित 5 गिरफ़्तार

पीलीभीत स्थित रौहनिया गाँव में देवस्थान पर भजन-कीर्तन में विघ्न डालने और पुजारी की पिटाई करने के मामले में पाँचों आरोपितों को गिरफ़्तार कर लिया गया है। ग्रामीण सौरभ शुक्ला की शिकायत पर मुस्लिम समुदाय के महबूब, आज़ाद, इसराइल, मोनीस और अलानूर को पुलिस ने अपने शिकंजे में लिया। इन लोगों ने देवस्थान में मूर्तियाँ खंडित कर दी थीं, देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ उठा कर ले गए थे और वहाँ जम कर उत्पात मचाया था। इन्हें लाउडस्पीकर पर भजन-कीर्तन होने से ‘दिक्कतें’ थी। गाँव में अभी भी पुलिस बल तैनात है।

क्या थी पूरी घटना?

दरअसल, पीलीभीत में समुदाय विशेष के लोगों को भजन-कीर्तन इतना नागवार गुजरा था कि उन्होंने मंदिर में पहुँच कर तोड़फोड़ की। घटना उत्तर प्रदेश के पीलीभीत स्थित रौहनिया गाँव की है। मंगलवार को जब वहाँ स्थित एक मंदिर में भजन-कीर्तन चल रहा था, तब समुदाय विशेष के लोग वहाँ पहुँच गए और पूजा में विघ्न डाला। बेख़ौफ़ आरोपितों ने न सिर्फ़ लाउडस्पीकर को तोड़ डाला बल्कि धार्मिक कैलेंडर को भी फाड़ डाला। वहाँ भजन-कीर्तन करते लोग असहाय बने रहे और बदमाश वहाँ से देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ उठा कर ले गए। पुलिस ने भी इस बात की पुष्टि की है।

ताज़ा सूचना के अनुसार, किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक तनाव की स्थिति से बचने के लिए पुलिस ने मौके पर अभी भी कैम्प किया हुआ है। लोगों को समझा-बुझा कर स्थिति को शांत कराया गया। ये घटना रौहनिया गाँव के बाहर स्थित एक देवस्थान की है, जहाँ रोज भजन-कीर्तन होता है। ऐसा पहली बार नहीं था, जब लाउडस्पीकर से भजन गया जा रहा हो। शाम के शाम वहाँ लोग धार्मिक कार्यक्रमों में व्यस्त रहते हैं। गाँव में हिन्दू और मुस्लिम, दोनों ही समुदाय के लोग रहते हैं। इसके बावजूद मुस्लिम गुंडों ने पुजारी की पिटाई भी की

रात के करीब 9 बजे समुदाय विशेष के लोगों ने लाउडस्पीकर से भजन-कीर्तन किए जाने का विरोध शुरू कर दिया। भजन-कीर्तन कर रहे लोगों में कई साधू भी शामिल थे। समुदाय विशेष के लोगों ने ईद होने और नमाज़ का समय हो जाने की बात करते हुए कहा कि अब उनका त्यौहार आ गया है, इसीलिए लाउडस्पीकर पर भजन नहीं होना चाहिए। श्रद्धालुओं का तर्क था कि वे गाँव के बाहर आकर भजन-कीर्तन कर रहे हैं, जबकि नमाज़ गाँव के भीतर पढ़ी जाती है। इसी बात को लेकर कहासुनी हुई और फिर उत्पात मचाया गया।


SHO ने पुलिस की वर्दी पर पहनी जालीदार टोपी, BJP विधायक ने शेयर किया वीडियो

कल (जून 5, 2019) देश भर में ईद का त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाया गया। बड़े-बड़े नेताओं से लेकर आम लोगों ने ईद को अपने ढंग से सेलीब्रेट किया। लेकिन, इस बीच हैदराबाद से ईद की बधाई देने पर हुए विवाद की खबर भी सामने आई। ये विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि हैदराबाद की गोशामहल सीट से भाजपा विधायक राजा सिंह ने एसएचओ के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग कर डाली।

दरअसल, ईद के मौक़े पर मुबारकबाद देते हुए फलकनुमा थाने के एसएचओ श्रीनिवासन ने सिर पर जालीदार टोपी पहन रखी थी। भाजपा विधायक ने इसे नियमों का उल्लंघन बताया। विधायक राजा सिंह ने ट्विटर पर एसएचओ का वीडियो शेयर किया है। उन्होंने इस ट्वीट में तेलंगाना के डीजीपी से एसएचओ के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की माँग की है।

नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार राजा सिंह ने कहा कि ईद की बधाइयाँ देते हुए उन्हें फलकनुमा थाने के एसएचओ श्रीनिवास का एक वीडियो दिखा। इस वीडियो में उन्होंने अपनी यूनिफॉर्म वाली टोपी की जगह जालीदार टोपी लगा रखी थी, जो नियमों के ख़िलाफ़ था। राजा सिंह के मुताबिक एसएचओ के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी ही चाहिए।

सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स, राजा सिंह की इस शिकायत पर उनसे सवाल करते नजर आए। यूजर्स का कहना था कि अगर एसएचओ तिलक लगाकर और सिर पर चुनरी बाँधकर किसी हिंदू त्यौहार की शुभकामना देते, तब भी क्या उन्हें इसी तरह से आपत्ति होती, क्या तब भी वो कड़ी कार्रवाई की माँग करते? इस सवाल पर विधायक ने यूजर्स को सटीक जवाब देते हुए कहा कि उनकी आपत्ति नियमों के उल्लंघन पर है। जो कि यूनिफॉर्म वाली टोपी उतारकर सिर पर भगवा कपड़ा बाँधकर हिंदू त्योहार की बधाई देने से भी होती। राजा सिंह का कहना है कि वो तब भी विरोध करते और अगर भविष्य में ऐसा कुछ हुआ, तो वो इसका विरोध जरूर करेंगें।

कुछ लोगों ने ट्विटर पर राजा सिंह की शिकायत पर अपना समर्थन दिखाया है। उन लोगों का भी मानना है कि ईद की बधाई देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकारी कर्मचारी होने पर जालीदार टोपी लगाकर बधाई देना एसएचओ को शोभा नहीं देता। एक यूजर का कहना है कि जब तक कोई भी व्यक्ति किसी सरकारी विभागों में काम कर रहा हो तो उसका सबसे बड़ा धर्म संविधान है जो हमे धर्मनिरपेक्ष रहने की शपथ दिलाता है उम्मीद है उचित कार्यवाही होगी।

‘अवैध सम्बन्ध’ के लिए शबनम चाची ने कहा – No: निसार ने गड़ासे से गर्दन काट दी, शादी को था बेचैन

उत्तर प्रदेश स्थित हमीरपुर से रिश्ते-नातों को तार-तार कर देने वाली घटना समाने आई है। वहाँ एक भतीजे ने अपनी चाची की ही हत्या कर डाली। परिजनों का कहना है कि अवैध सम्बन्ध बनाने में असफल रहने के कारण इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया। मृतका का नाम शबनम है, वहीं आरोपित की पहचान निसार के रूप में हुई है। आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, जब चाची ने भतीजे की इच्छानुसार उसके साथ अवैध सम्बन्ध बनाने से इनकार कर दिया, तब निसार ने गड़ासे से उनकी हत्या कर दी। यह हत्या निर्ममतापूर्वक गर्दन काट कर की गई है।

मृतका की उम्र 29 वर्ष थी। हत्या की ख़बर के बाद गाँव के कई लोग घटनास्थल पर जमा हो गए और जिस परिवार में यह घटना हुई, उस घर के बाहर बड़ी भीड़ जमा हो गई। हालाँकि, पुलिस ने अभी तक साफ़-साफ़ कुछ नहीं बताया है। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है और वे लगातार कहते रहे कि आरोपित भतीजा अपनी चाची पर बुरी निगाह रखता था, जिस कारण उसने हत्या कर दी। घटना के समय मृतका के परिजन खेत की तरफ गए हुए थे। ख़बर मिलने पर उसका पति जब भागा-भागा घर पहुँचा तो खून देख कर उसके होश उड़ गए।

‘अमर उजाला’ के स्थानीय संस्करण में छपी ख़बर

सनकी भतीजे को परिजनों ने स्टेशन से पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। हालाँकि, पुलिस ने इसकी पुष्टि अभी तक नहीं की है। वह भागने की कोशिश कर रहा था। मृतका का परिवार झाड़ू बनाने का काम करता है। नासिर की अभी शादी नहीं हुई है और परिजनों व गाँववालों के अनुसार, वह सनकी स्वाभाव का है। वह काफ़ी समय से अपनी शादी को लेकर परेशान था और घरवालों को अपनी शादी कराने बोलता रहता था। वह अपनी चाची शबनम से भी शादी करने की बातें कहता था, जिसे वह टाल जाती थी। निसार को लगता था कि उसकी शादी न होने के पीछे उसकी चाची का ही हाथ है।

मंगलवार की सुबह (जून 4, 2019) जब शबनम का पति बबलू खेतों की तरफ गया तो शबनम को कमरे में अकेला पाकर निसार ने धारदार हथियार से उसकी गर्दन पर वार कर दिया। उस समय वह लेटी हुई थी। उसकी गर्दन से खून का फव्वारा फूट पड़ा। शबनम व बबलू की शादी को 10 वर्ष हो गए थे। दोनों की कोई संतान नहीं थी। परिजनों के मुताबिक़, दोनों हँसी-ख़ुशी अपना जीवन बसर कर रहे थे। मृतका के पिता मुश्ताक को शक है कि इस घटना में अकेले निसार ही नहीं बल्कि कुछ और लोग भी शामिल हैं, जिसकी जाँच होनी चाहिए।

पुलिस ने कहा कि आरोपित घर-घर घूम कर अपनी शादी की बातें करता रहता था। उसे लगता था कि उसकी चाची ही उसकी राह में रोड़ा है। उसके पास कोई घर-मकान नहीं है और उसकी माली हालत भी ठीक नहीं है। वह कोई ख़ास काम-धंधा भी नहीं करता था।

‘मुझे गोली मार दो’- गुलाम नबी आज़ाद के साथ मीटिंग में हरियाणा कॉन्ग्रेस अध्यक्ष की बात से बवाल

राजस्थान के बाद अब हरियाणा में भी कॉन्ग्रेस नेताओं के बीच कलह की शुरुआत हो गई है। दिल्ली में वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद की मौजूदगी में हुई बैठक में काफ़ी कुछ ऐसा देखने को मिला, जिससे हरियाणा में पार्टी नेताओं के बीच कलह की पोल खुलती है। हार की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक बेनतीजा ख़त्म हुई। राज्य में कॉन्ग्रेस सभी 10 सीटें हार चुकी हैं। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे के नेता लगातार प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अशोक तँवर के इस्तीफे पर अड़े हैं। हालाँकि, यह गुटबाजी आज की नहीं है बल्कि पिछले 6 वर्षों से चल रही है। गुलाम नबी आज़ाद हरियाणा कॉन्ग्रेस के प्रभारी हैं।

दैनिक जागरण के सूत्रों के अनुसार, बैठक में परेशान आज़ाद ने कहा कि अगर प्रदेश अध्यक्ष अपना इस्तीफा सौंपेंगे भी तो किसे? उन्होंने कहा कि अभी परिस्थितियाँ सही नहीं हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ख़ुद इस्तीफा दिया हुआ है, ऐसे में नेता अपना इस्तीफा किसे देंगे? गुलाम नबी आज़ाद नेताओं को लगातार अपना घर मजबूत करने की सलाह देते रहे और गुटबाजी छोड़ने को कहा। एक घंटे तक चली बैठक में आज़ाद ने नेताओं को जानकारियाँ सार्वजनिक न करने को कहा, इसके बाद वे निकल लिए। गुलाम नबी ने मीडिया से भी बात नहीं की।

उधर इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़ प्रदेश अध्यक्ष अशोक तँवर ने अजीब सा बयान देते हुए बीच बैठक में ख़ुद को गोली मारे दिए जाने की बात कहीं। ख़बर के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “अगर मेरे को ख़त्म करना है, तो मुझे गोली मार दो।” बैठक में आज़ाद ने कहा कि पार्टी के भीतर कुछ बड़े संगठनात्मक बदलाव किया जाने वाला है, जिसके लिए जिला स्तर पर योजनाएँ तैयार की गई हैं। उनकी बात को नज़रअंदाज़ करते हुए कॉन्ग्रेस नेता आपस में लड़ते रहे। हुड्डा कैम्प के एक विधायक ने तँवर पर तंज कसा और फिर एक लोकसभा प्रत्याशी ने भी तँवर द्वारा नज़रअंदाज़ किए जाने की बात उठाई। जवाब में तँवर ने कहा कि उक्त प्रत्याशी उनका फोन ही नहीं उठाते हैं।

कॉन्ग्रेस विधायक किरण चौधरी द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर ख़ुद को नेता प्रतिपक्ष घोषित किए जाने निवेदन किया गया था। इसपर भी बवाल हुआ। नेताओं ने कहा कि बिना प्रदेश अध्यक्ष से बात किए यह क़दम उठाना ग़लत है और पार्टी को उन पर अनुशासत्मक कार्रवाई करनी चाहिए। नेताओं का आरोप था कि ख़ुद को बड़ा साबित करने के चक्कर में उन्होंने यह पत्र लिखा है। हंगामे के कारण बैठक बीच में ही ख़त्म करनी पड़ी और ग़ुलाम नबी आज़ाद इस कलह को दूर करने में नाकाम रहे।

बगल के राज्य पंजाब में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद हरियाणा में कॉन्ग्रेस का प्रदर्शन बाकि अन्य राज्यों की तरह बहुत बुरा रहा और पार्टी के कई कद्दावर नेता चुनाव हार गए। राजस्थान में पहले से ही पार्टी में घनघोर कलह चल रही है और सीएम व डिप्टी सीएम के खेमों के बीच मतभेद की बातें सामने आ रही हैं। ऐसे में, संगठनात्मक बदलाव की बात तो हो रही है लेकिन इस पर अमल कब तक हो पाएगा, यह देखने लायक बात होगी।

नाबालिक लड़की को ड्रग देने और रेप के आरोपित कॉन्ग्रेसी विधायक को झटका, 12 जून को होंगे आरोप तय

₹50 लाख में लड़की ‘खरीद’ कर उसके साथ बलात्कार के आरोप में फँसे गोवा कॉन्ग्रेस के पणजी से विधायक अतानासियो मोनसेराते की अभियोग हटाने की अपील गोवा के न्यायालय ने ख़ारिज कर दी है। सत्र न्यायालय की जज शेरीन पॉल को 2016 के इस मामले की चार्जशीट में मामला चलाने लायक दम दिखा है। उन्होंने आरोप तय करने की आधिकारिक तारीख 12 जून घोषित की है

376, पॉक्सो का मामला, विधायक ने कहा, ‘खुद चाहता हूँ जल्द फैसला’

अतानासियो ‘बाबुश’ मोनसेराते पर आरोप है कि उन्होंने एक नाबालिग किशोरी को नशे की दवा देकर 2016 में उसके साथ बलात्कार किया। उन पर अब इस मामले में पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत नाबालिग से बलात्कार के अलावा गैर-कानूनी तौर पर किशोरी को अपने कब्जे में रखने का भी मुकदमा चलेगा। पहले भी रंगदारी के मामले में फँस चुके अतानासियो को उस समय समर्पण करने पर आठ दिन हवालात में बिताने के बाद जमानत मिल गई थी। उस समय उन्होंने तत्कालीन गोवा सरकार की राजनीतिक दुर्भावना से मामले को प्रेरित बताया था।

अपने खिलाफ आरोप तय होने की खबर पर नाखुशी जताते हुए अतानासियो ने कहा कि उनके वकील ने पहले ही इसका अंदेशा जता दिया था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनके वकील अब इस मामले को जल्दी-से-जल्दी निपटने के लिए उच्च न्यायालय से अपील करेंगे। वह रोज़ाना सुनवाई के लिए भी तैयार हैं।

31 को एक और छेड़छाड़ का मामला

31 मई को अतानासियो, मेयर उदय मडकईकर और पूर्व मेयर यतिन पारेख के खिलाफ एक महिला के साथ छेड़छाड़ (मोलेस्टेशन) और अभद्रता का नया मामला भी दर्ज हुआ है। यह एक अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई के दौरान का वाकया है। विधायक ने इस मामले में भी खुद को निर्दोष बताते हुए 1 जून को अग्रिम जमानत याचिका दायर कर दी थी। इस मामले में उन पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं 323 (जानबूझकर चोट पहुँचाना), 354 (शील भंग), 504 (शांति भंग), 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज हुआ था।

कार के टक्कर से 17 नमाजी घायल: मीडिया ने फैलाई झूठी ख़बर, दिल्ली पुलिस ने दी असली जानकारी

दिल्ली पुलिस ने मीडिया द्वारा फैलाई जा रही झूठी खबर की एक तेज रफ़्तार कार ने नमाजियों को टक्कर मार दी है, जिसमें 17 नमाज़ी घायल हो गए हैं, से साफ इनकार कर दिया। यह घटना पूर्वी दिल्ली की खुरेजी की बताई जा रही थी। न्यूज़ एजेंसी IANS ने सबसे पहले यह ख़बर चलाई थी जो उस समय विभिन्न स्रोतों से उठाई गई थी।

IANS की रिपोर्ट में, शहादरा की DCP मेघा यादव के हवाले से लिखा था कि 17 लोग इसमें घायल हैं। इस रिपोर्ट को तुरंत ही कई मीडिया समूहों जैसे The QuintIndia TodayIndia TV और Business Standard द्वारा हाथों-हाथ लिया गया।

जबकि, DCP मेघा यादव ने ऐसे किसी भी दावे से इनकार किया है। ऑपइंडिया ने मेघा यादव से इस सम्बन्ध में बात की तो उन्होंने किसी भी न्यूज़ एजेंसी को ऐसी कोई भी सूचना देने से इनकार किया। उन्होंने इसे पूरी तरह से झूठ करारा दिया।

मेघा यादव ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा, “जो मीडिया समूह या मीडिया पोर्टल मेरे नाम से यह स्टेटमेंट जारी कर रहे हैं कि 17 लोग घायल हुए हैं, वह गलत है। वहाँ कोई भी घायल नहीं है। उन्होंने आगे जोड़ा कि तीन लोग बाद में पुलिस स्टेशन आए थे कि वह घायल हैं लेकिन उन्हें देखकर यह साफ था कि कोई भी घायल नहीं था।”

हालाँकि, ये तीनों लोग जो दावे कर रहे थे कि वह घायल है, उन्हें बाद में मेडिकल जाँच के लिए भी भेज दिया गया।

यादव ने आगे कहा जहाँ पर यह घटना घटी अक्सर वहाँ पर भीड़ रहती है लेकिन जिस समय कार वहाँ से गुज़री, उस समय वहाँ कोई नमाज़ अदा नहीं हो रही थी। बल्कि नमाज़ बहुत पहले ही ख़त्म हो चुकी थी और लोग वहाँ से है चुके थे।

कमाल की बात यह है कि जहाँ ज़्यादातर इंग्लिश मीडिया ने 17 नमाजियों के घायल होने की झूठी ख़बर छापी और चलाई वहीं कुछ हिंदी मीडिया ने ऐसा लिखा कि वहाँ कोई घायल नहीं हुआ है। और इस खबर की सच्चाई बताने की कोशिश की।

उदहारण के लिए Amar Ujala की एक रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस अधिकारी के हवाले से लिखा गया था कि कोई भी घायल नहीं हुआ है। इसी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि तेजी से गुज़रने वाली कार का विरोध करने के लिए इकट्ठी हुई भीड़ ने पत्थर फेंक कर और तोड़-फोड़ कर अपना विरोध जताया। जिससे आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।