गुजरात एटीएस के डीआईजी हिमांशु शुक्ल ने बताया कि दोनों हत्यारोपितों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। ये वही दोनों हैं, जिन्होंने भगवा वस्त्रों में कमलेश तिवारी के ख़ुर्शीदबाग स्थित घर में घुस कर उनकी हत्या कर दी थी।
अदालत ने तत्कालीन एएसपी पीरजादा नावीद के ख़िलाफ़ भी एफआईआर दर्ज करने का निदेश दिया है, जो अब रिटायर हो चुके हैं। आरोप है कि एसआईटी ने झूठे बयान देने के लिए गवाहों को प्रताड़ित किया था।
आपसी दुश्मनी में लोग कई बार क्रूरता की हदें पार कर देते हैं। लेकिन ये दुश्मनी आपसी नहीं थी। ये दुश्मनी तो एक हिंसक विचारधारा और मजहबी उन्माद से सनी हुई उस सोच से उत्पन्न हुई, जहाँ कोई फतवा जारी कर देता है, और लाख लोग किसी की हत्या करने के लिए, बेखौफ तैयार हो जाते हैं।
नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने पी चिदंबरम की जमानत के लिए 'Enlargement' शब्द का प्रयोग किया, जो कि एक 'Highly technically legal term' है, लेकिन कई लोगों ने समझा कि वो पी चिदंबरम के लिए अजीबोगरीब भाषा (अश्लील) का प्रयोग कर रहे हैं।
“बलात्कार पीड़ितों के मामलों में न्यायालय को बच्चे/बच्ची द्वारा कही गई बातों पर विश्वास करना होगा। ये गलत धारणाएँ हैं कि बच्चे झूठ बोलते हैं या फिर माता-पिता उन्हें दूसरों के खिलाफ छेड़छाड़ की झूठी शिकायतें करना सिखाते हैं।"
वो सभी मजहबी बैठकों में भाग ले रहे थे। बिजनौर पुलिस ने वीजा नियमों का हवाला देते हुए बताया कि कोई भी विदेशी नागरिक टूरिस्ट वीजा लेकर मजहबी गतिविधियाँ संचालित नहीं कर सकता। इस सम्बन्ध में मस्जिद प्रशासन से भी रिपोर्ट माँगी गई है।
ख़ान और बिस्मिल की दोस्ती की आज भी कसम खाई जाती है। दोनों ही कविताओं के शौक़ीन थे और दोनों के ही मन में भारत को आज़ाद कराने का जज्बा था। दिसंबर 19, 1927 को क्रूर ब्रिटिश सरकार ने दोनों को अलग-अलग जेलों में फाँसी पर लटका दिया।
मुंबई के वर्ली में स्थित सीजे हाउस को लेकर जो डील हुई थी, उसमें हुमायूँ मर्चेंट का भी रोल था। सीजे हाउस को मिलेनियम डेवेलपर्स ने बनाया था और उसमें इक़बाल मिर्ची की बीवी हाजरा और उसके दोनों बेटों को संपत्ति दी गई थी।
दर्जनों टीएमसी कार्यकर्ताओं ने बंदूकों और हथियार के साथ शंकरी बागड़ी के घर को घेर लिया। टीएमसी और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई, तो टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने गोलीबारी शुरू कर दी। इस दौरान शंकरी बागड़ी को गोली जा लगी। झड़प में 6 अन्य भाजपा समर्थक भी घायल हो गए हैं।
अशफ़ाक़ और उसके हत्यारे साथी ने सिर्फ़ कमलेश तिवारी की ही नहीं बल्कि 'हिन्दू समाज पार्टी' के उत्तर प्रदेश प्रकोष्ठ के अध्यक्ष गौरव गोस्वामी को भी मारने की योजना बना रहे थे। इसीलिए प्लानिंग के तहत सूरत से लखनऊ आते समय उन्होंने गोस्वामी को कॉल कर के कमलेश तिवारी के दफ्तर आने की काफ़ी जिद की थी। गोस्वामी ने काम ज्यादा होने के कारण इनकार कर दिया, जिससे...