"इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए 2010 के फैसले में, विवादित भूमि का एक तिहाई हिस्सा दूसरे समुदाय को दिया गया था, न कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को। इसलिए वो अपना हिस्सा हिन्दुओं को देना चाहते हैं। इसका एक आधार यह भी है कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ की संपत्ति है।"
भुर्जी बनाने के लिए पहले बुद्धिजीवी की किसी बात का एक छोर पकड़ लें। फिर उसको खींचना शुरू करें। जब बुद्धिजीवी के साथ उसके नाते-रिश्तेदार और खानदान भी उछलता दिखने लगे तब बीच-बीच में एक दो ट्वीट छोड़ते हुए धीरे-धीरे बुद्धिजीवी को पकने दें, आप देखेंगे कि वह गर्म हो रहा है। उसकी बातों में आपको भाप उड़ती हुई साफ़ दिखने लगेगी।
मैं आत्महत्या कर लूँगा, मुझसे शादी कर लो - ऐसे ही इमोशनल ब्लैकमेल करके अब्दुल ने हिंदू लड़की को शादी के लिए तैयार किया। फिर धर्म परिवर्तन करवा कर निकाह किया और ससुराल में उसे छोड़ सऊदी अरब चला गया। देवर और उसके पति के बहनोई ने कई बार रेप की कोशिश की और...
"जब तक अपील करने का समय है, तब तक किसी को विदेशी नहीं माना जाएगा। राज्य सरकार कानूनी समर्थन का विस्तार करेगी। सरकार इन लोगों की परेशानियों पर ध्यान देगी और यह देखेगी कि उनका किसी तरह का उत्पीड़न न हो।"
"हमारे पास कुछ निजी वाहनों के पंजीकरण नंबर हैं जो अभी भी सड़कों पर चल रहे हैं और हम उनके मालिकों को एक अंतिम चेतावनी जारी कर रहे हैं। कोई भी रास्ता नहीं खोला जाना चाहिए। कोई भी महिला सड़क पर नहीं दिखनी चाहिए। महिलाएँ अपने घर में रहें।"
पाक मूल के अवैसी चौधरी ने कहा कि वो लोगों के ऊपर चाकू से हमला करने वाला है, क्योंकि उसे सिर्फ चाकू चलाना ही आता है। लेकिन यदि वो (अंडरकवर एजेंट) उसे बम बनाने का तरीका सिखा देंगे, तो वो बमबारी करके भी हमला कर सकता है।
फारुख ने बताया कि वह कुछ साल पहले एक इज्तमा में शामिल हुआ था। इसमें तकरीर से प्रभावित होकर उसने दाढ़ी बढ़ा ली थी। अब कुछ दिन से गर्मी अधिक होने के कारण वह दाढ़ी से परेशान था और दाढ़ी कटवाना चाह रहा था। लेकिन, समाज व धर्म का भय था। इसलिए उसने जबरदस्ती दाढ़ी कटवाने की झूठी कहानी बनाई।
भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर से पाकिस्तान पर बने दवाब के चलते पीड़िता को सुरक्षित उसके घर पहुँचा दिया गया है। वहीं, पाकिस्तानी पंजाब प्रांत की ननकाना साहिब पुलिस ने इस मामले में 8 आरोपितों को गिरफ़्तार कर लिया है।
दीनी तालीम के नाम पर चल रहे मदरसों में गरीब लोग इस उम्मीद से अपने बच्चे भेज रहे कि वह बड़ा होकर इमाम बनेगा। पर मौलवी उनसे भीख मॅंगवा रहे। पैसा लेकर नहीं आने पर पीटते हैं। गुलामों की तरह रह रहे मदरसों के एक लाख बच्चों को मौलवियों से बचाएगा कौन?
रवीश कुमार ने बीजगणित के अध्याय की तरह सब कुछ अब 'मान लिया' है। इससे बड़ी हानि यह है कि वो चाहते हैं कि उनके इसी 'मान लेने' को बाकी लोग भी मान लें, जबकि उनकी यह बीजगणित एकदम ऊसर है, इससे कुछ भी सृजन नहीं हो सकता है।