"हम बहुत डरे हुए हैं, यदि हमारे सामने कोई दिक्कत आती है तो क्या आप हमारे साथ खड़ी होंगी? उधर से फोन पर उन्होंने यह कहा लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मैं उनके साथ नहीं खड़ी हो सकी। भले ही शारीरिक रूप से नहीं लेकिन मानसिक रूप से हम उनके साथ हैं।"
"जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में जो पुरानी व्यवस्था थी उसने वंशवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। महिलाओं, बच्चों व दलितों के साथ भेदभाव हो रहा था। अनुच्छेद 370 पर हमारे निर्णय का विरोध करने वालों से मेरा सवाल यह है कि अगर ये इतना ही महत्वपूर्ण था तो इसे स्थायी क्यों नहीं बनाया गया?"
"बंगालियों या तमिल लोगों की तरह हम अपनी भाषा से प्रेम नहीं करते। हमें महानगरों में, मॉल्स में, कॉरपोरेट दफ्तरों में, मैथिली बोलने में शर्म आती है। यह हीन भावना हम मैथिली बोलने वालों ने खुद ही विकसित की है।"
महबूबा मुफ़्ती ने कहा था कि अगर अनुच्छेद 370 से छेड़छाड़ की गई तो J&K में कोई तिरंगे को कंधा देने वाला भी नहीं बचेगा। पिछले 3 साल में 700 आतंकियों को कन्धों की ज़रूरत पड़ चुकी है, वो भी चार-चार। समय बदल गया है। ब्लैकमेलिंग का ज़माना गया।
हर परंपरा में उच्च स्थान बाँधने वाले को दिया जाता है कि उसका दिया गया सूत्र (धागा) बँधवाने वाले की रक्षा करेगा क्योंकि इसमें उसने अपनी अराधना, आत्मीयता, स्नेह आदि की शक्ति संचित कर दी है। फिर यहाँ स्त्री हीन कैसे है ये समझ से परे है।
मीडिया के इस ख़ास वर्ग का दर्द यह है कि इतना बड़ा ऐतिहासिक फैसला बिना किसी हिंसा और संघर्ष के इतने शानदार होम वर्क के साथ आखिर कैसे सम्भव हो गया? बुद्धिपीड़ितों को तो अभी भी यह उम्मीद है कि काश कहीं तो कुछ खूनखराबा हो, ताकि सरकार के निर्णय पर प्रश्नचिन्ह लगाया जा सके।
प्रियंका गाँधी कॉन्ग्रेस के शीर्ष परिवार से आती हैं, उनकी जगह अगर कोई भाजपा वार्ड सदस्य के साले के फूफे की बहन का भतीजा होता तो न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट में भी इस पर एकाध लेख लिखा जा चुका होता कि कैसे भारत की 'राइट विंग हिंदुत्व पार्टी' ने मीडिया की स्वतंत्रता पर ग्रहण लगा दिया है और देश में पत्रकारों को खतरा है।
इमाम मुहम्मद तौहीदी ने कहा है, "पाकिस्तान और कश्मीर दोनों भारत के हैं। हिन्दुओं के धर्म बदलकर मुस्लिम बनने से इस सच को झुठलाया नहीं जा सकता कि वह पूरा इलाका हिन्दू भूमि है।" साथ ही बलूचिस्तान की आजादी का भी समर्थन किया है।
ओवैसी ने रजनीकांत के उस बयान पर भी तंज कसा जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर पर क्रन्तिकारी निर्णय लेने के लिए मोदी-शाह की तुलना कृष्ण और अर्जुन की जोड़ी से की थी। ओवैसी ने पूछा कि अगर मोदी-शाह को कृष्ण-अर्जुन कहा जा रहा है तो पांडव और कौरव कौन हैं?
एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि शेहला जैसे लोगों को सुरक्षा कवर देना जनता के टैक्स का ग़लत इस्तेमाल है। एक अन्य यूजर ने लिखा कि अब जब जम्मू-कश्मीर पुलिस केंद्र सरकार के अधीन होगी, क्या शेहला रशीद अपनी सुरक्षा वापस कर देगी?