"आप लोग डरिए मत, ये हम कह रहे हैं... ये जुल्म कश्मीरी बर्दाश्त नहीं करेगा। हिन्दुस्तान तो फासिस्ट है... ये हमारे लिए एक लानत है और मैं इस लानत को स्वीकार नहीं करूँगा।"
”हम समझते हैं कि नेहरू की वजह से कश्मीर हमारे पक्ष में आया। अगर रेडक्लिफ अवॉर्ड न होता और गुरदासपुर हमारे पास न होता और मैजॉरिटी का सिद्धांत माना जाता तो शायद यह राज्य हमारे पक्ष में न आता। उस वक्त सरदार पटेल होम मिनिस्टर थे और वही यहाँ 370 लेकर आए।”
कॉन्ग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी अलग ही राग छेड़ते दिखे। उन्होंने बेतुकी बात कहते हुए कश्मीर मसले को UN का मसला बता दिया। इस पर अमित शाह ने करारा जवाब देते हुए कहा कि अब कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र मॉनिटर करेगा?
दुर्घटना की सूचना मिलते ही SDRF की टीम मौक़े पर पहुँच गई है और घायल बच्चों को नजदीकी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हादसे में 5 बच्चों के गंभीर रूप से घायल होने की खबर है। अस्पताल में घायल बच्चों को हर संभव इलाज देने का प्रयास किया जा रहा है।
किताबें तो मैंने भी बहुत पढ़ी हैं, और पेज नंबर मुझे भी याद हैं, लेकिन मैं अभी तक इतना धूर्त नहीं बन पाया कि उस ज्ञान का इस्तेमाल अपनी फर्जी विचारधारा और मालिकों के प्रोपेगेंडा की रोटी सेंकने में कर सकूँ। वो तरीके रवीश को ही मुबारक हों।
जहाँ कॉन्ग्रेस के आलाकमान अनुच्छेद-370 का 'पावर' खत्म होने का विरोध कर रहे हैं, वहीं पार्टी के दो धुरंधर युवा नेता मोदी सरकार के फैसले से न सिर्फ खुश हैं बल्कि अपनी बात रख भी रहे हैं। इनके अलावा वरिष्ठ कॉन्ग्रेसी नेता जनार्दन द्विवेदी ने भी...
जेएनयू में आर्टिकल 370 पर सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ 'आजादी-आजादी' के नारों की गूँज सुनाई दी। भीड़ ने रात के अँधेरे में यहाँ जमकर नारेबाजी की और अनुच्छेद 370 को वापस लेने की माँग की। इन लोगों ने सेना को लेकर भी काफ़ी अपशब्द बोले।
"आज का दिन भारतीय इतिहास का काला दिन है। बीजेपी की सरकार ने सत्ता के नशे में और वोट हासिल करने के लिए एक झटके में अनुच्छेद 370 के साथ 35A को खत्म कर दिया। इसके साथ खिलवाड़ कर यह बहुत बड़ी गद्दारी कर रहे हैं।"
“अपनी यूनियन टैरिटरी को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के असंभव ख्वाब देखने वाले आत्ममुग्ध बौने को भी एक पूर्ण राज्य के यूनियन टैरिटरी में बदलने के प्रस्ताव का समर्थन करना पड़ रहा है, इसी को 'खुदाई-जूता' कहते हैं जो लगता भी है और रोने भी नहीं देता।”
टीवी, जो आप तक सन्देश तो पहुँचाता है, लेकिन उस सन्देश को आपने कैसे लिया इस बारे में सन्देश भेजने वाले चैनल को कुछ नहीं बताता। यानी टीवी एक कम्युनिकेशन का माध्यम- मीडिया नहीं है, ना ही उसके चैनल में काम करने वाले मीडियाकर्मी कहलाएँगे।