2016 में ख़बर आई थी कि 32 अच्छी तरह शिक्षित और समृद्ध मुस्लिमों ने ISIS जॉइन किया है। इस वर्ष स्थानीय इस्लामिक आतंकी संगठन तोहिथ जमात के मुस्लिमों से विस्फोटक सामग्रियाँ ज़ब्त की गई। श्रीलंकाई मुस्लिमों ने समाज सुधारने की बजाए सरकार पर ही आरोप लगा दिए।
कोलंबो में आज सैंट एंटनी चर्च के पास एक वैन में विस्फोट हो गया। रॉयटर्स के अनुसार यह धमाका तब हुआ जब बम निरोधक दस्ते के अधिकारी बम को डिफ्यूज करने की कोशिश कर रहे थे। इसके अलावा ईस्टर के मौके पर हुए बम धमाकों के बाद श्रीलंका में एक बस स्टैंड से 87 डेटोनेटर भी बरामद हुए हैं।
राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने देशव्यापी आपातकाल की घोषणा कर दी है। इस बीच, श्रीलंका में ईस्टर संडे के दिन लगातार 8 बम विस्फोटों के पीछे श्रीलंका सरकार ने नेशनल तौहीत जमात (NTJ) नाम के कट्टरपंथी मुस्लिम आतंकी संगठन को श्रीलंका में सीरियल ब्लास्ट का जिम्मेदार बताया है।
श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर रविवार को गिरजाघरों और पांच सितारा होटलों में एक के बाद एक सीरियल बम धमाकों में अब तक कम से कम 290 लोगों की मौत को पुष्टि हो चुकी है।
होटल के एक कर्मचारी ने बताया कि हमलावर मोहम्मद अज्जाम मोहम्मद ब्लास्ट के एक दिन पहले ही आकर ठहरा था। सुबह के समय होटल की कैंटीन लोगों से भरी हुई थी, ऐसे में वो नाश्ते की लाइन में आकर सबसे आगे खड़ा हो गया।
पुलिस प्रमुख के अलर्ट के बाद अगर इस तरह का हमला हुआ है तो ये श्रीलंकाई प्रशासन के लिए चिंता का विषय है। अगर समय रहते पुलिस प्रमुख के अलर्ट पर कार्रवाई होती तो आज 187 से अधिक लोगों की जान नहीं जाती और श्रीलंका धूमधाम से ईस्टर मना रहा होता।
नुसरत के ऊपर मिट्टी का तेल डालने वाली एक महिला समेत पंद्रह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से दो लोगों ने उसे मारने की बात कबूल कर ली है। दोनों एक ही मदरसे में पढ़ रहे थे, जहाँ नुसरत ने पढ़ाई की है।
"मकरान कोस्टल हाईवे पर बस को रोका गया और 14 लोगों को मार दिया गया। मृतकों में एक नौसेना अधिकारी और एक तट रक्षक सदस्य भी मारा गया। ऐसा अनुमान है कि सभी पीड़ित..."
कुछ मुस्लिमों ने तो यहाँ तक कहा कि नॉन-मुस्लिम इमारतों व पूजा घरों का इस तरह से बर्बाद होना इस्लाम की सत्यता की पुष्टि करता है। कुछ ने कहा कि ये अल्लाह का दंड है जो इस्लाम न मानने वालों को मिलता है। दुनिया भर के कई हिस्सों के मुस्लिमों ने इस आग को लेकर ख़ुशी मनाई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में पाकिस्तान में अपनी आस्था के मुताबिक जिदंगी गुजारने पर अल्पसंख्यकों ने उत्पीड़न का सामना किया, उन्हें गिरफ्तार किया गया। यहाँ तक की कई मामले में उनकी मौत भी हुई।