बधाई ट्वीट में अपने देश लिखना यूजर्स को रास नहीं आया। उन्होंने पूछा कि कॉन्ग्रेस किस देश से है। यूजर्स का कहना था कि ऐसा लगता है कि कॉन्ग्रेस भारत को अपना देश नहीं मानती। कुछ लोगों ने लिखा कि कॉन्ग्रेस पाकिस्तान या इटली को अपना राष्ट्र मानती है।
एक पाकिस्तानी ने ट्वीट किया, "पहले सुषमा स्वराज और अब अरुण जेटली। इंशाअल्लाह अगले नरेंद्र मोदी और अमित शाह होंगे, क्योंकि इनकी मौत के लिए कश्मीरी दुआ कर रहे हैं। कश्मीर में अत्याचार के लिए ये लोग गुनहगार हैं। ये सब नरक में सड़ेंगे।"
स्व-घोषित 'उदारवादियों' और लिबरपंथियों का यह रेगुलर पैटर्न बन गया है। ये किसी भी भाजपा नेता की मृत्यु के बाद जश्न मनाते हैं। संवेदना, संस्कृति, जीवन-मरण जैसे शब्द इनकी डिक्शनरी में मानो है ही नहीं। अगर होता तो शायद ये वो नहीं होते, जो आज ये बन चुके हैं!
"सर आप इस इमेज को ट्वीट करके चिदंबरम के ख़िलाफ़ पुलिस द्वारा किए जा रहे 'अत्याचार' को बंद करवा सकते हैं।" इस पर पाकिस्तानी सांसद ने तीव्र उत्सुकता में आकर लिख डाला - संयुक्त राष्ट्र के साथ इस इमेज को शेयर कर रहा हूँ।
जब संजीव नेवर की शिकायत पर राष्ट्रीय SC आयोग ने हस्तक्षेप किया तो जाँच में निकल कर आया कि पुलिस ने कई सारी गलतियाँ की थीं। SHO को मूल FIR बदलने के लिए निलंबित कर दिया गया, और बदले के इरादे से पीड़ित परिवार पर दाखिल दो FIRs नकली निकलीं, और पीड़ितों को पुलिस सुरक्षा दी गई।
केरल के एक ईसाई युवक की हत्या के मामले में उसके लिए 'दलित ईसाई' शब्द के इस्तेमाल पर The News Minute पोर्टल की सम्पादक धन्या राजेंद्रन को ट्विटर पर लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा। राजेंद्रन ने केविन पी जोसेफ़ की हत्या के मामले में खबर शेयर करते हुए कहा था कि ‘दलित ईसाई’ युवक की हत्या में दस लोगों को दोषी पाया गया है।
लोकसभा चुनाव के दौरान, तत्कालीन कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी राफ़ेल डील को लेकर पीएम मोदी की छवि धूमिल करने के लिए ‘चौकीदार चोर है’ के जुमले को ख़ूब भुनाया था, जबकि इस डील की हक़ीक़त सबके सामने आ चुकी थी। अब बारी ‘चिदंबरम चोर है’ की है जिसका अभी विस्तार होना बाक़ी है।
"गणित की सवाल। अगर कुछ लोग (हिरासत में हैं)= शांति, अगर कुछ लोग (हिरासत में नहीं हैं)= पत्थरबाजी, अशांति और भी बहुत कुछ, ये आपको कुछ लोगों के बारे में क्या बताता है?"
यह कॉन्ग्रेस का दुर्भाग्य ही हो सकता है कि एक ओर जहाँ कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता सर से पाँव तक घोटालों में पकड़े जा रहे हैं वहीं उनकी पार्टी का एकमात्र लक्ष्य आज सिर्फ सोशल मीडिया पर हैशटैग ट्रेंड करवाने तक सीमित हो चुका है। शायद अब कॉन्ग्रेस इन्हीं छोटी-छोटी खुशियों में अपना मनोबल तलाशने लगी है।