तलोजा जेल से रिहा होने के बाद रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी ने गुरुवार (नवंबर 12, 2020) को अपने लाइव शो में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे के प्रति आभार व्यक्त किया। साल 2018 के सुसाइड केस में बेल दिलाने के लिए हरीश साल्वे ने ही उनके केस को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था और अपने तर्कों से वो अर्णब को जमानत दिलाने में सफल भी हुए।
वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की इसी सहायता के लिए अर्णब ने अपने रात 9 बजे वाले डिबेट शो में उनके प्रति कृतज्ञता जाहिर की और बताया कि साल्वे ने उनका केस कोर्ट में लड़ने के लिए न्यूज नेटवर्क से 1 रुपया भी नहीं लिया।
उन्होंने कहा,
“मैं नहीं जानता कि आप सभी में से कितने लोग यह जानते हैं, लेकिन हरीश साल्वे ने अदालत में अपनी कीमती उपस्थिति के लिए हमसे एक रुपया भी नहीं लिया है। वह हमारे लिए निस्वार्थ खड़े रहे। यह कुछ ऐसा है जिसके लिए मैं अपना आभार और धन्यवाद भी व्यक्त नहीं कर सकता।”
गौरतलब है कि अर्णब के ख़िलाफ़ जिस मामले में महाराष्ट्र सरकार ने कार्रवाई की है उसमें उन पर आरोप था कि उन्होंने साल 2018 में अन्वय नाइक को उनका 83 लाख रुपए का बकाया नहीं चुकाया। यह केस 2019 में सबूतों के अभाव में बंद हो चुका था। लेकिन अर्णब को फँसाने के लिए इसे दोबारा रीओपन किया गया।
इसी केस पर अपना पक्ष रखते हुए साल्वे ने अर्णब को जेल से निकलवाया। उन्होंने कोर्ट में कहा,
“वह (अन्वय नाइक) आर्थिक परेशानी से गुजर रहे थे इसलिए उन्होंने आत्महत्या की, फिर यह आत्महत्या के लिए उकसाने वाला केस कैसे हो गया। उकसाने के लिए अपराध में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से संलिप्ता होनी चाहिए। अगर कल को कोई आत्महत्या करेगा और महाराष्ट्र सरकार पर इल्जाम लगा देगा तो क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाएगा।” इसके बाद साल्वे ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हवाला देकर अर्णब के लिए अंतरिम जमानत की माँग की।
यहाँ बता दें कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को पूरे मामले में बेल दी थी। जमानत आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने इसे मानने के लिए मुंबई पुलिस को निर्देशित किया था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने अर्णब को बेल देते हुए कहा था- “हम मानते हैं कि जमानत नहीं देने में हाईकोर्ट गलत था।”
कोर्ट मे मामले में सुनवाई करते हुए कई सख्त टिप्पणियाँ की। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर हम आज इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करते हैं तो बर्बादी की राह पर बढ़ जाएँगे। उन्होंने कहा कि किसी की विचारधारा अलग हो सकती है और वो चैनल नहीं देखे, लेकिन संवैधानिक अदालतें अगर ऐसी आज़ादी की सुरक्षा नहीं करती हैं तो वो बर्बादी की राह पर बढ़ रही है।
कोर्ट ने इसके बाद अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपितों को 50,000 रुपए के बांड पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया। पुलिस आयुक्त को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि आदेश का तुरंत पालन किया जाए।