मीडिया हाउस अल जज़ीरा अरबी (Al Jazeera Arabic) ने हिंदुओं को दोषी ठहराते हुए रविवार (19 जून 2022) को मौलवी की मौत के बारे में फर्जी खबर फैलाई। उसने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि बिहार के सीवान में हिंदुओं ने एक मौलवी को मार डाला। अल जज़ीरा अरबी ने ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर की है। इसमें अरबी में लिखा है, “सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक मस्जिद के इमाम की फोटो वायरल हो रही है, जिन्हें हिंदुओं ने मार डाला। सीवान के खालिसपुर गाँव की एक मस्जिद में जब वह सो रहे थे, तभी हिंदुओं द्वारा उनका सिर कलम कर दिया गया।”
मीडिया संस्थान ने इस मामले की जाँच करने और हत्यारों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए अपनी पोस्ट में ‘जस्टिस फॉर इमाम सीवान’ और ‘जस्टिस फॉर सिवान मौलवी’ हैशटैग भी लिखा है। (Google अनुवाद)
सीवान में मौलवी की हत्या के पीछे का सच
बिहार के सीवान जिले में मौलवी की मौत के पीछे की सच्चाई अज जज़ीरा के दावे से कोसों दूर है। यह घटना सीवान जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के खालिसपुर गाँव में 9-10 जून की दरम्यानी रात की है। मौलवी की पहचान 85 वर्षीय सफी अहमद के रूप में हुई है, जिसकी स्थानीय लोगों ने मस्जिद में हत्या कर दी थी।
‘दैनिक जागरण’ की रिपोर्ट के अनुसार, मौलवी सफी अहमद का पाटीदारों के साथ जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। थाना प्रभारी विनोद कुमार सिंह ने कहा कि सफी अहमद का गाँव में ही कुछ लोगों के साथ पारिवारिक विवाद चल रहा था। परिवार के सदस्यों की शिकायत के आधार पर इस मामले में केस दर्ज कर जाँच शुरू कर दी गई है। पुलिस का मानना है कि जमीन के एक टुकड़े को लेकर उसकी हत्या की गई है। स्थानीय लोगों को घटना की जानकारी 10 जून की सुबह तब हुई, जब जुमे की नमाज के लिए मस्जिद को साफ करने सफाईकर्मी वहाँ पहुँचा। मौलवी का शव देख उसने शोर मचाया, तब आसपास लोग वहाँ एकत्रित हो गए। इसके बाद घटना की सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुँचकर शव काे कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया।
जमीन विवाद पर मौलवी के बेटे का बयान
मौलवी के बेटे अशफाक अहमद ने एक बयान में कहा कि गाँव में उनका पुश्तैनी घर है। सफी के बड़े भाई के पोते का 22 मई को निकाह होना था। इसके लिए उनके अब्बा के बड़े भाई उमर अहमद ने मेहमानों को घर में रखने के बहाने उनसे घर खाली करा लिया। इसके बाद से उसके अब्बा रात को मस्जिद में ही सोते थे। निकाह के बाद जब वे अपने घर लौटे तो उनके एक कमरे में ताला लगा हुआ था।
उन लोगों ने ताला खोलने से इनकार कर दिया और अशफाक व उसके अब्बा को जान से मारने की धमकी दी। बाद में यह मामला पंचायत तक पहुँचा, लेकिन उन्हें यहाँ भी न्याय नहीं मिला। जबकि पाँच महीने पहले ही अदालत ने उनके परिवार के पक्ष में फैसला सुनाया था। यह केस कोर्ट में पाँच साल तक चला था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कमरे में ताला लगे होने की शिकायत लेकर सफी शनिवार को पुलिस थाने में लगने वाले जनता दरबार में जाने वाले थे। परिवार के लोगों ने बताया कि इसकी सारी तैयारी उन्होंने कर ली थी और सारे कागजात भी इकट्ठे कर लिए थे। गुरुवार को उन्होंने इसकी सारी जानकारी अपने परिवार के बेटों के साथ शेयर की थी। घटना की रात गर्मी अधिक होने के कारण सफी नमाज पढ़ने के बाद मस्जिद की छत पर सोने चले गए थे। इसके बाद सोची-समझी साजिश के तहत अज्ञात हमलावरों ने उनकी हत्या कर दी। ऑपइंडिया ने इस मामले से जुड़ी अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए सीवान के मुफस्सिल पुलिस स्टेशन से सम्पर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।