केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने 2 मार्च 2021 को नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा पाठ्यक्रमों की अध्ययन सामग्री जारी की। इसके बाद कुछ मीडिया रिपोर्टों में भ्रामक जानकारी फैलाए जाने का काम धड़ल्ले से किया गया।
सोशल मीडिया पर तो कुछ लोगों ने NIOS की नई कोशिश पर ऊँगली उठाई ही, लेकिन कुछ मीडिया संस्थान भी झूठ फैलाने में पीछे नहीं रहे। टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान ने एक रिपोर्ट छापी जिसमें बताया कि NIOS गीता, रामायण को मदरसों में पहुँचा रही है। हालाँकि खबर अपना असर दिखाती, इससे पहले ही सरकार ने इसकी हकीकत बता दी। पीआईबी फैक्टचेक के अनुसार सरकार ने इस खबर को पूर्ण रूप से भ्रमित करने वाला बताया है।
TOI has reported “NIOS to take Gita, Ramayan to Madrassas”#PIBFactCheck: The claim is #Misleading & misrepresent the truth. It is totally the discretion of the learner to opt for subject combination from the bouquet of the subjects provided by NIOS
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) March 4, 2021
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पीआईबी ने लिखा, टाइम्स ऑफ इंडिया का दावा गलत है और इसे गलत तरह से पेश किया गया है। NIOS द्वारा उपलब्ध कराए गए विषयों में से शिक्षार्थी के पास यह चयन करने का हक है कि उसे उतने विषयों में से कौन से सब्जेक्ट का कॉम्बिनेशन पढ़ना है।
शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा किया गया कि टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा सच्चाई से छेड़छाड़ की गई और तथ्य को गलत तरह से पेश किया गया, ये सब दुर्भावनापूर्ण इरादा जान पड़ता है। इसमें यह भी साफ किया गया कि NIOS मदरसों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान देता है।
On hand bjp is closing Madarsa and sanskrit school in Assam and on other hand they are imposing, Ramayana and Mahabharata teachings to Madarsa students.
— Munauwr Ahsan (@ehsan6321) March 3, 2021
Hypocrisy.
NIOS to take Gita, Ramayan to madrassas – Times of India https://t.co/peiM9U2FWp
इस प्रावधान के तहत शिक्षार्थी को आधिकारिक एजुकेशन सिस्टम की तरह तमाम विषय ऑफर किए जाते हैं। इसमें से वे अपनी सुविधा के अनुसार कोई भी कॉम्बिनेशन चुन सकते हैं।
प्रेस रिलीज में कहा गया कि लगभग 100 मदरसों के 50 हजार छात्र NIOS से जुड़े हैं। प्लान किया जा रहा है कि NIOS से 500 और मदरसे जोड़े जाएँ और ये भी पूर्ण रूप से सिर्फ़ मदरसों की माँग पर होगा।
अब शिक्षा मंत्रालय के बयान के बाद ये तो साफ है कि NIOS ने शिक्षा प्रणाली में कुछ बदलाव जरूर किए हैं लेकिन इतने भी नहीं कि मदरसों के छात्रों पर उनकी मर्जी के बिना कोई विषय थोपा जाए। नए विषय वैकल्पिक हैं। ये जरूरी नहीं कि मदरसे के छात्र इन्हें पढ़ें ही। इसलिए ये दावा कि उन्हें गीता महाभारत पढ़ने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, बिलकुल गलत है।
बता दें कि NIOS उन दो राष्ट्रीय बोर्डों में से एक है, जो प्राथमिक, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर ओपन और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से पाठ्यक्रम संचालित करता है। NIOS ने ,भारतीय ज्ञान परंपरा को लेकर 15 कोर्स तैयार किए हैं, जिसमें वेद, योग, विज्ञान, संस्कृत भाषा, व्यावसायिक कौशल, रामायण, गीता और पाणिनि-प्रवर्तित महेश्वरा सूत्र शामिल हैं। ये पाठ्यक्रम प्राथमिक शिक्षा के क्लास 3, 5 और 8 के बराबर हैं।
केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल ने मंगलवार को नोएडा स्थित एनआईओएस के केंद्रीय मुख्यालय में इसका स्टडी मैटिरियल जारी करते हुए कहा था, “भारत प्राचीन भाषाओं, विज्ञान, कला, संस्कृति और परंपरा की खान है। अब देश अपनी प्राचीन परंपरा को पुनर्जीवित करके ज्ञान के क्षेत्र में सुपरपावर बनने को तैयार है। हम इन कोर्सों के लाभ को मदरसों और विश्व में मौजूद भारतीय समाज तक पहुँचाएँगे।”