7, अप्रैल को परीक्षा पे चर्चा के पहले वर्चुअल संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ चर्चा की। यह परीक्षा पे चर्चा का चौथा संस्करण था। नब्बे मिनट की इस चर्चा में पीएम मोदी ने अपने अनुभव साझा किए और साथ ही शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को सुझाव भी दिए। विदेशों में रहने वाले छात्र भी परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम से जुड़े।
पीएम मोदी के सुझाव पर विवाद :
कार्यक्रम के बाद सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की कथित सलाह पर प्रश्न उठाए जाने लगे। ऐसा कहा गया कि पीएम मोदी ने परीक्षा में पहले सरल प्रश्नों को हल करने के स्थान पर कठिन प्रश्नों को प्राथमिकता देने की बात कही है। कई पूर्व अधिकारियों, विपक्षी नेताओं एवं सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे आत्मघाती और आपत्तिजनक कहा।
इस मुद्दे पर कॉन्ग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आजतक के उस ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की जिसे डिलीट किया जा चुका है। आजतक के द्वारा अपनी वेबसाइट से वह रिपोर्ट भी हटा ली गई है जिसमें इस मुद्दे पर गुमराह करने वाली खबर बनाई गई थी।
PM advises students to attempt difficult question first and devote more time to it.
— Naresh Singh (@nareshbareth) April 7, 2021
Kids please forgive him as he doesn’t know what he is saying.
Please attempt the easiest once first.
Kathin questions ko pehley karo ….
— Kirandeep Kaur ( Santoor mom🤓) (@OnePanjaban) April 7, 2021
Dekho me to PM ki baat se agree nai karti hu..
PM modi education per kuch reham karo…
Kyu students ko galat salah de rahe ho…
Students inki baat mat sunlena ,exams me fail ho jaogey…..
Ohh god 🙏🏿
क्या वाकई पीएम मोदी ने पहले कठिन प्रश्नों को हल करने कि बात कही?
अरुणाचल प्रदेश की छात्रा पुण्यो सुन्या और दिल्ली की शिक्षिका विनीता गर्ग जी ने यह दिलचस्प सवाल किया कि कुछ विषयों से बच्चों को डर लगने लगता है। इससे कैसे उबरें? देखिए, इसका जवाब… pic.twitter.com/J4YwH8lG0O
— Narendra Modi (@narendramodi) April 8, 2021
कठिन विषयों और अध्यायों के विषय में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि छात्रों को प्रत्येक विषय को एक ही ऊर्जा के साथ समय देना चाहिए। उन्होंने दैनिक आधार पर प्रत्येक विषय को समय देने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि हालाँकि छात्रों को यही सिखाया जाता है कि पहले सरल विषयों और परीक्षा में सरल प्रश्नों को ही हल करना है किन्तु पढ़ाई के दौरान विषयों के संबंध में उनके विचार थोड़े अलग हैं।
उन्होंने कहा कि कठिन अध्याय एकदम फ्रेश माइंड के साथ पहले हल किए जाने चाहिए क्योंकि नई ऊर्जा से ऐसे अध्याय और भी सरल हो जाते हैं। उन्होंने अपने गुजरात के मुख्यमंत्री और अब प्रधानमंत्री के कार्यकाल का उदाहरण देते हुए कहा कि वे सदैव ही दिन की शुरुआत कठिन चीजों से ही करते हैं क्योंकि सुबह की ऊर्जा नई और दिमाग पूरी तरह से फ्रेश रहता है। उन्होंने छात्रों को कठिन अध्यायों से भागने के स्थान पर उन्हें अध्ययन के दौरान पहले हल करने का सुझाव दिया।
चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कठिन अध्यायों को पहले पढ़ने का सुझाव दिया न कि छात्रों को परीक्षा में कठिन प्रश्नों को पहले हल करने का। लेकिन कई बड़े अधिकारी, विपक्षी नेता और सामान्य लोग कन्फ्यूज हो गए। पीएम मोदी ने तो इसकी चर्चा की कि परीक्षा के दौरान अक्सर छात्रों को सरल प्रश्न पहले हल करने की सलाह दी जाती है लेकिन कहा यह कि पढ़ाई के दौरान पहले कठिन हिस्से से निपटना बेहतर है क्योंकि तरोताजा दिमाग और नई ऊर्जा के साथ शुरुआत करने से कठिन प्रश्न भी आसान हो जाते हैं। पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि कठिन टॉपिक्स को छोड़ते रहने की आदत से नुकसान ही होता है। उन्होंने ऐसे टॉपिक्स को सॉल्व करने पर जोर दिया जिससे पढ़ाई में विश्वास हासिल किया जा सके।
इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि पीएम मोदी का सुझाव परीक्षा के संबंध में न होकर पढ़ाई पर आधारित था। उन्होंने परीक्षा में कठिन प्रश्नों को पहले हल करने का सुझाव नहीं दिया अपितु उन्होंने पढ़ाई के दौरान कठिन टॉपिक्स को हल करने और कठिन विषयों को भी बराबर महत्व देने का सुझाव दिया।