लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी ने हाल ही में एक शो में दावा किया है कि उन्होंने पूर्व भाजपा नेता नुपूर शर्मा को उनके बयान पर सफाई देने का मौका अपने चैनल पर दिया था। नुपूर शर्मा ने सौरभ द्विवेदी की इस बात को झूठ बताया है। उन्होंने कहा है कि उन्हें ऐसा कोई मौका नहीं दिया गया।
यूट्यूब चैनल द लल्लनटॉप पर नेता नगरी नाम के शो में एक दर्शक ने नुपूर शर्मा को लेकर द्विवेदी से प्रश्न पूछा। पंकज शर्मा ने एक शख्स ने प्रश्न उठाया कि लल्लनटॉप पर नुपूर शर्मा को बुलाकर उनसे बातचीत क्यों नहीं की गई।
इसका द्विवेदी ने जवाब दिया कि उन्होंने नुपूर शर्मा की टिप्पणियों और उससे उपजे विवाद को लेकर उन्हें अपने चैनल पर आकर चीजें साफ करने के लिए आने का मौक़ा दिया था। सौरभ ने इस मामले में अपनी बात नीचे लगे वीडियो में 2 घंटे 11 मिनट से 2 घंटे 19 मिनट के रखी।
द्विवेदी ने दावा किया कि उन्होंने एक बार भाजपा के एक कार्यक्रम और एक बार एक IAS के घर आयोजित निजी कार्यक्रम में नुपूर शर्मा को अपने चैनल पर आकर इस पूरे मुद्दे को रखने का मौका दिया था। सौरभ द्विवेदी ने बताया कि नुपूर शर्मा ने इस पर इनकार कर दिया था। द्विवेदी ने यह भी दावा किया कि उनकी टीम ने फिर से नुपूर शर्मा तक पहुँचने की कोशिश की है ताकि वह अपना पक्ष रख सकें। यह पूरा प्रकरण आनंद रंगनाथन के इस मुद्दे को उठाने के बाद चालू हुआ था।
सौरभ द्विवेदी का दावा नंबर 1 और नुपूर शर्मा का पक्ष
टाइम्स नाउ पर डिबेट के दौरान नुपूर शर्मा ने ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग का अपमान करने पर तस्लीम रहमानी को जवाब दिया था। सौरभ द्विवेदी का दावा है कि इसके बाद वे बीजेपी के एक कार्यक्रम में नुपूर से मिले और लल्लनटॉप पर आकर उनसे अपना पक्ष रखने को कहा।
इस दावे की पुष्टि के लिए ऑपइंडिया ने नुपूर शर्मा से बात की। द्विवेदी बीजेपी के जिस कार्यक्रम की बात कर रहे हैं वह मोदी सरकार के आठ साल पूरे होने पर पार्टी की ओर से आयोजित प्रेस वार्ता थी। यह प्रेस वार्ता 31 मई 2022 को हुई थी। मोहम्मद जुबैर द्वारा नुपूर को टारगेट करने के लिए कांटछांट कर वीडियो ट्वीट करने के करीब एक सप्ताह बाद। जुबैर के इसी ट्वीट के बाद नुपूर को दुनिया भर से हत्या और बलात्कार की धमकी मिली थी।
ऑपइंडिया से बातचीत में नुपूर शर्मा ने माना है कि 31 मई की प्रेस वार्ता में उनकी सौरभ द्विवेदी से से भेंट हुइ थी। कई अन्य पत्रकारों से भी वे मिली थीं जो उस कार्यक्रम में मौजूद थे। लेकिन सौरभ द्विवेदी ने उन्हें कोई प्रस्ताव दिया था ऐसा उन्हें स्मरण नहीं है।
सौरभ के दावे को लेकर इसलिए भी संदेह होता है क्योंकि 31 मई को मीडिया से नुपूर के बात करने पर कोई प्रतिबंध नहीं था। उन्होंने मीडिया को बाइट दिया था। 31 मई को ही करीब एक घंटे का साक्षात्कार ऑपइंडिया को दिया था। ऐसे में कोई तुक समझ नहीं आता कि सौरभ द्विवेदी प्रस्ताव दें और नुपूर इनकार कर दें।
थोड़ी देर के लिए यह मान भी लें कि सौरभ ने प्रस्ताव दिया था तो भी वह एक ऐसा कार्यक्रम था जिसमें ढेर सारे पत्रकार मौजूद थे। ऐसी मेल मुलाकात के दौरान अनौपचारिक बातचीतों को औपचारिक न्योता नहीं माना जाता है। यदि सौरभ द्विवेदी वास्तव में नुपूर को अपना पक्ष रखने के लिए लल्लनटॉप का प्लेटफॉर्म मुहैया कराना चाहते थे तो उन्हें औपचारिक तरीके से उनसे संपर्क करना चाहिए था। उनसे बातचीत करनी चाहिए। लेकिन उन्होंने ऐसा कभी किया ही नहीं।
सौरभ द्विवेदी का दावा नंबर 2 और नुपूर शर्मा का पक्ष
सौरभ द्विवेदी ने एक आईएएस अधिकारी की पार्टी में नुपूर शर्मा से मुलाकात और दोबारा प्रस्ताव देने की बात कही है। यह पार्टी अप्रैल 2023 की है। यह एक निजी पार्टी थी और इसके आयोजक IAS दंपती नुपूर शर्मा के पारिवारिक दोस्त हैं।
नुपूर शर्मा ने ऑपइंडिया को बताया कि इस पार्टी में सौरभ द्विवेदी और उनकी पत्नी को देख वे हैरान रह गईं थी। उन्होंने ही सौरभ और उनकी पत्नी से मिलने की पहल की थी। इस दौरान नुपूर ने जुबैर के कारण उनकी जिंदगी पर आए खतरों को लेकर बात की थी लेकिन सौरभ द्विवेदी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
उन्हें यह भी याद नहीं कि उन्हें लल्लनटॉप पर आकर अपना पक्ष रखने का कोई प्रस्ताव मिला था, जैसा कि सौरभ द्विवेदी दावा कर रहे हैं। फिर से थोड़ी देर के लिए मान लेते हैं कि सौरभ द्विवेदी ने नुपूर को लल्लनटॉप पर आने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन वह एक निजी पार्टी थी और संवाद की पहल भी नुपूर की ओर से हुई थी।
ऐसे में द्विवेदी का यह दावा सफेद झूठ है कि उन्होंने पहल कर नुपूर को प्रस्ताव दिया था। जाहिर है कि सौरभ द्विवेदी की नुपूर का पक्ष जानने में कोई दिलचस्पी ही नहीं थी। यदि ऐसा होता तो वे सीधे नुपूर से संपर्क करते जैसा अमूमन पत्रकार करते हैं।
सौरभ द्विवेदी का दावा नंबर 3 और नुपूर शर्मा का पक्ष
यह दावा सरासर झूठ है। नुपुर शर्मा ने ऑपइंडिया को बातचीत में बताया है कि पिछले महीने आनद रंगनाथन की वीडियो वायरल होने के बाद, सौरभ द्विवेदी या उनकी लल्लनटॉप टीम में से किसी ने भी उनसे संपर्क नहीं साधा है।
गौरतलब है कि एक माह पहले डॉ आनंद रंगनाथन आरजे रौनक के पॉडकास्ट में गए थे। यहाँ उन्होंने नुपूर शर्मा के मामले में द लल्लनटॉप के रवैये पर प्रश्न उठाए थे। डॉ रंगनाथन ने प्रश्न उठाया था कि सौरभ द्विवेदी और लल्लनटॉप ने दृष्टि कोचिंग के मुखिया डॉ विकास दिव्यकीर्ति को हाथों हाथ अपने प्लेटफार्म पर बुलाकर अपना पक्ष रखने का मौका दिया था जब डॉ दिव्यकीर्ति की रामायण का अपमान करने के कारण आलोचना हो रही थी। लेकिन लल्लनटॉप ने यही नुपूर शर्मा के मामले में नहीं किया।
डॉ रंगनाथन ने कहा कि लल्लनटॉप को विकास दिव्यकीर्ति के दावों का फैक्ट चेक करने में कोई खतरा नहीं नजर आया था क्योंकि उन्हें हिन्दू समुदाय से कोई धमकियाँ नहीं मिलती। हालाँकि, वह नुपूर शर्मा की बातों का फैक्ट चेक करने में डरे हुए थे क्योंकि अगर वह कह देते कि नुपूर शर्मा की बातें इस्लामिक सिद्धांतों के अनुसार सही हैं तो उन्हें कट्टरपंथियों से धमकियाँ मिलती।
डॉ रंगनाथन ने सौरभ द्विवेदी के झूठों पर भी जवाब दिया है। उन्होंने कहा, “वाह, नुपूर शर्मा से माफ़ी माँगने के बजाय द लल्लनटॉप के कायर यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने फैक्ट चेक इसलिए नहीं किया क्योंकि वह उनके प्लेटफॉर्म पर नहीं आईं। उनके प्लेटफॉर्म पर प्रधानमंत्री मोदी भी नहीं आते, तो क्या वह लोग उनका फैक्ट चेक नहीं करते?”
झूठ से परे – लल्लनटॉप के सौरभ द्विवेदी की धूर्तता
स्पष्ट है कि सौरभ द्विवेदी ने अपनी कायरता को सही ठहराने के लिए उसके ऊपर झूठ की चादर डाल दी है। उन्होंने नुपूर शर्मा से उनका पक्ष जानने के लिए पिछले 2 साल में एक बार भी व्यक्तिगत रूप से संपर्क नहीं किया। उन्होंने गाहे-बगाहे होने वाली बातचीत को साक्षात्कार के लिए अनुरोध का ढोंग रचा। यही कारण है कि नुपूर शर्मा को यह वाकया याद भी नहीं है।
सौरभ द्विवेदी की पत्रकारिता को देखेंगे तो पाएँगे कि यह झूठ से भी दो कदम आगे जाती है, धूर्तता की सीमा तक। सौरभ द्विवेदी और लल्लनटॉप को किसी खबर के फैक्ट चेक के लिए उससे संबंधित लोगों को अपने शो में बुलाने की जरूरत नहीं। उदाहरण देखिए। क्या लल्लनटॉप ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपने शो में बुलाया था? अगर नहीं तो, “भारत के संसाधनों पर मुसलमानों का पहला अधिकार” वाली खबर का फैक्ट चेक कैसे किया?
लल्लनटॉप ने कई ऐसे ‘फैक्ट-चेक’ भी किए हैं, जहाँ वे पीएम मोदी या बीजेपी द्वारा कई बयानों और भाषणों में कही गई बातों के बारे में सच्चाई पेश करने का दावा करते हैं। क्या इन सब फैक्ट चेक के लिए सौरभ द्विवेदी के शो में पीएम मोदी आए?
आखिर सौरभ द्विवेदी इस बात पर क्यों जोर दे रहे हैं कि नुपूर शर्मा को उनके बयान के दावों की फैक्ट चेक के लिए उनके शो में आना चाहिए? नुपूर शर्मा ने जो कहा, वह इस्लामी किताबों के अनुसार तथ्यात्मक रूप से सही है या नहीं, इस पर चर्चा करते हुए इसका फैक्ट चेक किया जा सकता है। क्यों नहीं किया? लल्लनटॉप के शो में हदीस को क्यों नहीं खोल कर पढ़ा गया? क्यों नहीं मोहम्मद जुबैर जैसे इस्लामी ट्रोल्स का फैक्ट चेक किया, जिसने दावा किया था कि नुपूर शर्मा ने ‘इस्लाम का अपमान’ किया? सौरभ द्विवेदी बिना नुपूर शर्मा के एक शो क्यों नहीं कर सके, यह दिखाते हुए कि नुपूर शर्मा का बयान झूठ नहीं था, बल्कि जाकिर नाइक ने भी वही बात कही थी?
यह वीडियो कुछ और नहीं बल्कि सौरभ द्विवेदी की कायरता का प्रतीक है। कट्टर ढंग से फैल चुके वैश्विक इस्लामी तंत्र के डर से सौरभ द्विवेदी एक पीड़ित महिला के पक्ष में खड़ा होने से डर गया।
गौरलतब है कि भाजपा प्रवक्ता की हैसियत से नुपूर शर्मा ने एक टीवी चैनल पर बहस में हिस्सा लिया था। यह बहस ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिलने को लेकर रखी गई थी। इसमें एक मुस्लिम वक्ता के शिवलिंग के विषय में अभद्र भाषा बोलने पर नुपूर शर्मा ने पैगम्बर मुहम्मद को लेकर एक टिप्पणी की थी। इसके बाद उनके खिलाफ देश भर में इस्लामी कट्टरपंथियों ने प्रदर्शन किए थे। उनको ‘सर तन से जुदा’ की धमकियाँ दी गई थीं। भाजपा ने उन्हें निलम्बित कर दिया था।
नुपूर शर्मा ने इस विवाद के बाद उनको मिली धमकियों और उनके जीवन में आई कठिनाइयों पर ऑपइंडिया की एडिटर इन चीफ नुपुर जे शर्मा से बात की थी। उन्होंने इस दौरान बताया था कि ऑल्टन्यूज के फाउंडर और प्रोपेगेंडा फैलाने वाले मुहम्मद जुबैर उनके जीवन पर आए खतरे के लिए जिम्मेदार है।