इंडिया टुडे चैनल ने 10 जनवरी 2020 को एक स्टिंग ऑपरेशन प्रसारित किया। इस स्टिंग ऑपरेशन को उन्होंने अपनी खोजी पत्रकारिता का कमाल बताया। इंडिया टुडे द्वारा किया गया यह स्टिंग ऑपरेशन JNU हिंसा पर आधारित था। दिल्ली पुलिस द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के ठीक बाद इंडिया टुडे ने स्टिंग ऑपरेशन का प्रसारण किया और यह दिखाया कि JNU हिंसा के संदिग्धों के रूप में JNUSU अध्यक्ष समेत वामपंथी छात्रों को फँसाया गया है।
स्टिंग ऑपरेशन के प्रसारण के दौरान, ABVP ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि अक्षत अवस्थी, जिस व्यक्ति की पहचान ABVP कार्यकर्ता के रूप में की जा रही है, वह किसी भी तरह से ABVP से नहीं जुड़ा हुआ है। राहुल कंवल ने इसी शख़्स के लिए दावा किया कि उनके पास ABVP की रैली में अक्षत के भाग लेने का प्रमाण है।
स्टिंग ऑपरेशन के प्रसारित होने के बाद राहुल कंवल ने अक्षत को लेकर कहे अपने झूठे दावे को सच साबित करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। और यहीं पर राहुल कंवल और इंडिया टुडे के “स्टिंग ऑपरेशन” का ख़ुलासा या यूँ कहें कि पर्दाफाश भी हो गया।
Akshat Awasthi now says he’s ‘not in any way associated with the ABVP.’ Here he is on the front page of national newspapers at an ABVP rally. Go on. Zoom in. He’s the one holding the tricolour. #JNUTapes Weak defences won’t fly. pic.twitter.com/dQESc9fkzP
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) January 10, 2020
राहुल कंवल ने दावा किया कि अक्षत ने भले ही यह कहा हो कि वो ABVP से नहीं जुड़ा है, लेकिन एक फ़ोटो में हाथ में तिरंगा लिए हुए नज़र आ रहा है और यह फ़ोटो ABVP रैली का है।
राहुल कंवल के अनुसार, फ़ोटो में भारतीय ध्वज को हाथ में थामे हुए जो शख़्स है, वो अक्षत अवस्थी है।
इसके बाद, हमारी टीम ने इस फ़ोटो से संबंधित जानकारी जुटाने की कोशिश की और यह जानने का प्रयास किया कि इस फ़ोटो का अन्य किन प्रकाशनों में इस्तेमाल हुआ है। जानकारी जुटाने का मक़सद यह भी जानना था कि क्या यह वाकई ABVP की रैली थी, और अगर थी तो इस रैली के आयोजन का मुद्दा क्या था।
मनोरमा प्रकाशन द्वारा इस्तेमाल की गई तस्वीर के अनुसार, यह फ़ोटो 11 नवंबर 2019 की है, जब पुलिस ने JNU के उन छात्रों को रोका, जो हॉस्टल की फीस वृद्धि के मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे। यह फ़ोटो पीटीआई के कमल सिंह ने ली थी।
मनोरमा और इंडिया टुडे के राहुल कंवल द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली इस फ़ोटो को हमने ध्यान से देखा और यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या वाकई दोनों फ़ोटो में अक्षत अवस्थी ही था।
अपनी जाँच में हमने पाया कि राहुल कंवल जिसे ABVP की रैली कह रहे थे, वो 11 नवंबर 2019 को JNU छात्रावास शुल्क वृद्धि के विरोध में आयोजित की गई थी।
हमें इंडिया टुडे का वो लेख भी मिला जिसमें उन्होंने ख़ुद इस बात की पुष्टि की कि वो फ़ोटो 11 नवंबर के विरोध-प्रदर्शन की थी, जिसे राहुल कंवल ABVP की रैली कह रहे थे।
इंडिया टुडे के लेख में पहले पैराग्राफ में कहा गया, “छात्रावास शुल्क बढ़ने के ख़िलाफ़ नारे लगाने और बैनर उठाने के कारण, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के हज़ारों छात्र सोमवार को पुलिस के साथ भिड़ गए। यूनिवर्सिटी के छात्र, जिन्हें हाल के वर्षों में कई ऐसे आंदोलन करते देखा गया, वो ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) परिसर के बाहर विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे, जहाँ यूनिवर्सिटी के तीसरे दीक्षांत समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने छात्रों को संबोधित किया था।”
इस दौरान, उप-राष्ट्रपति तो दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेकर किसी तरह वहाँ से निकल गए, लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक वहाँ क़रीब छ: घंटे तक फँसे रहे।
एक सवाल के जवाब में इंडिया टुडे के लेख में खुद ही बताया गया कि किसने विरोध-प्रदर्शन का समर्थन कर रहे अन्य दलों को संगठित किया।
इंडिया टुडे के लेख में उल्लेख किया गया था कि 11 नवंबर का विरोध-प्रदर्शन JNUSU द्वारा आयोजित किया गया था। JNUSU के वर्तमान अध्यक्ष आइशी घोष हैं, जिन्हें दिल्ली पुलिस ने JNU हिंसा में एक संदिग्ध के रूप में नामित किया है और वो वामपंथी संगठन SFI से हैं।
यह विरोध BAPSA (बिरसा अम्बेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन), Kshatra राजद (RJD, लालू की पार्टी का छात्रसंघ) और कॉन्ग्रेस की NSUI जैसी पार्टियों द्वारा समर्थित था।
उन्होंने विरोध-प्रदर्शन के दौरान मिलकर, “हमें चाहिए आज़ादी” के नारे लगाए थे।
ग़ौर करने वाली बात यह है कि तब के अपने लेख में इंडिया टुडे ने ABVP का ज़िक्र कहीं किसी कोने में भी नहीं किया था।
11 नवंबर 2019 को एआईसीटीई के बाहर JNUSU विरोध के बारे में इंडिया टुडे की एक वीडियो रिपोर्ट यहाँ दी गई है।
Here's video of your channel from the day of protest. Channel shows Aishe Ghosh speaking, SFI's Soori at the protest.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) January 10, 2020
Do you have any shame @rahulkanwal before calling it ABVP rally?
Or are you saying that anyone who holds a flag must be from ABVP? pic.twitter.com/0mH2JnEJxD
दिलचस्प बात यह है कि इस वीडियो रिपोर्ट में भी ABVP का कोई ज़िक्र नहीं था।
इससे यह बात एकदम साफ़ हो जाती है कि राहुल कंवल के फ़र्ज़ी दावे वाली फ़ोटो का संबंध दूर-दूर तक ABVP या “ABVP की रैली” से नहीं था। राहुल कंवल के खोखले दावे का सच ख़ुद राहुल कंवल द्वारा शेयर किए गए जनसत्ता के लेख से भी हो गया। इसमें विरोध-प्रदर्शन के लिए स्पष्ट तौर पर आइशी घोष और JNUSU का उल्लेख किया गया था, न कि ABVP का।
JNU में 11 नवंबर के विरोध-प्रदर्शन से जुड़े JNUSU के पर्चे (Pemphlate) ऑपइंडिया के पास भी हैं।
इस तरह राहुल कंवल के दावे का कोई प्रमाण नहीं है, जो उनकी बात को सही साबित कर सके। विरोध मार्च, जिसे इंडिया टुडे के राहुल कंवल ने “ABVP रैली” करार दिया, वो विरोध-प्रदर्शन JNUSU द्वारा किया गया था, जो वामपंथियों के प्रभुत्व और कॉन्ग्रेस की छात्र शाखा NSUI सहित अन्य वाम संगठनों द्वारा समर्थित है। इसलिए यह कहना ग़लत नहीं होगा कि अक्षत अवस्थी JNUSU कार्यकर्ता तो हो सकते हैं, लेकिन ABVP के सदस्य तो बिलकुल नहीं हो सकते।
यह कई महत्वपूर्ण प्रश्न हैं, जिनका राहुल कंवल और इंडिया टुडे को जवाब देना चाहिए:
1. यदि इंडिया टुडे को केवल यही साबित करना है कि अक्षत अवस्थी ABVP के सदस्य हैं, तो इस स्टिंग ऑपरेशन को हवा क्यों दी गई?
2. दिल्ली पुलिस द्वारा स्पष्ट रूप से प्रारंभिक संदिग्धों के नाम दिए जाने के बाद भी, इंडिया टुडे ने ग़लत स्टिंग ऑपरेशन का प्रसारण क्यों किया और दिल्ली पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। क्या इसके लिए इंडिया टुडे माफ़ी माँगेगा?
3. इंडिया टुडे का इसके पीछे क्या मक़सद था, क्या ABVP के एक सदस्य के नाम पर इंडिया टुडे कोई साज़िश रचने की फ़िराक में था?
4. प्रथम वर्ष का वो छात्र कौन है, जो स्पष्ट रूप से कैमरे पर झूठ बोल रहा था कि उसने साबरमती छात्रावास में हिंसा का आयोजन किया था और कई ABVP कार्यकर्ताओं को बुलाया था?
5. इंडिया टुडे के राहुल कंवल का पैंतरा कहीं वामपंथी दलों की करतूत पर पर्दा डालने की कोशिश तो नहीं थी?
इसके अलावा, इंडिया टुडे के ग्राफ़िक्स भी एक अलग ही इतिहास गढ़ने का कुचक्र रचते दिखे। आजतक पर, अक्षत अवस्थी के बोलने के दूसरे खंड में टाइम स्टैम्प को छिपा दिया गया, इस दौरान एक अजीब सा टाइम स्टैम्प सामने आया है।
अक्षत अवस्थी को दिखाए जाने वाले वीडियो के दूसरे खंड पर टाइम स्टैम्प 22 अक्टूबर 2019 अंकित है। जबकि JNU में हिंसा 5 जनवरी 2020 को हुई थी।
इस सेगमेंट में, अक्षत अवस्थी सामान्य बयान दे रहे थे कि कैसे ABVP के कार्यकर्ताओं को उनके चेहरे पर मास्क लगाने का विचार आया, दिलचस्प बात यह है कि इस सेगमेंट में अक्षत अवस्थी द्वारा 5 जनवरी की हिंसा के बारे में कोई विवरण नहीं बताया गया था।
इसके पीछे हो सकता कि कोई तकनीकी गड़बड़ी रही हो, लेकिन जिस विश्वसनीयता के साथ इंडिया टुडे ने इस ख़बर का प्रसारण किया, उससे उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं। इसलिए इस स्टिंग ऑपरेशन के सन्दर्भ में कुछ सवाल हैं, जिनका जवाब चैनल और राहुल कंवल को देना होगा:
1. क्या यह सेगमेंट वास्तव में अक्टूबर में ही रिकॉर्ड किया गया था?
2. यदि यह सेगमेंट अक्टूबर में रिकॉर्ड किया गया था, तो क्या इंडिया टुडे के जाँचकर्ताओं ने ABVP को फँसाने के लिए एक तरह की साज़िश रची थी?
3. यदि यह एक तकनीकी गड़बड़ी थी, तो इंडिया टुडे या आजतक ने कोई डिस्क्लेमर क्यों नहीं जोड़ा?
कई ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब इंडिया टुडे को अपने JNU स्टिंग ऑपरेशन के लिए देना चाहिए और यह स्पष्ट करना चाहिए कि जब दिल्ली पुलिस ने JNU हिंसा के लिए में वामपंथियों के होने का ख़ुलासा कर दिया, बावजूद इसके इंडिया टुडे ने ABVP के छात्र को बदनाम कर वामपंथी छात्र की तरह दिखाने की कोशिश क्यों की?
We did our job as journalists. @DelhiPolice Commissioner Mr Amulya Patnaik you should, at least now, do yours. Without fear or favour. Show some spine. Goodnight. See you all tomorrow. Jai Hind.
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) January 10, 2020
राहुल कंवल ने आरोप लगाया कि उनके चैनल ने “डर या पक्षपात” के बिना अपना काम किया है। लेकिन अगर JNU की हिंसा पर इंडिया टुडे के स्टिंग ऑपरेशन की बात की जाए तो उसका मक़सद दिल्ली पुलिस की छवि को धूमिल करने का था, ऐसा करना चैनल और राहुल कंवल को किसी भी तरह से शोभा नहीं देता।
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यह मूल ख़बर OpIndia English की एडिटर नुपुर जे शर्मा की है, जिसका अनुवाद प्रीति कमल ने किया है।