Wednesday, October 9, 2024
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‘बहाली में तमिलों पर उत्तर भारतीयों को तरजीह’: रेलवे ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस के दावों को नकारा

बोर्ड ने बताया है कि कुल दो पदों के लिए बहाली हुई थी। पहला सहायक लोको पायलट और दूसरा तकनीकी सहायक। सहायक लोको पायलट के पद पर लगभग 53 फ़ीसदी तमिलनाडु के लोगों की भर्ती हुई है।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने 4 अगस्त 2020 को एक खबर प्रकाशित की। इसमें दावा किया गया था कि भारतीय रेलवे की एक भर्ती में स्थानीय तमिलों पर उत्तर भारतीयों को प्राथमिकता दी गई।

रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया था कि भर्ती से जुड़े कागज़ात सत्यापन कराने के लिए तमाम उत्तर भारतीय हवाई जहाज़ से आए। तमिलनाडु के त्रिचि में हुई इस भर्ती में शामिल होने से पहले उन्होंने कोविड 19 की जाँच भी नहीं करवाई। फिर उन्होंने खुद को ‘सेल्फ आइसोलेट’ कर लिया। दक्षिण रेलवे ने रिपोर्ट में किए गए सभी दावों को सिरे से खारिज कर दिया है।  

रिपोर्ट के मुताबिक़ पॉनमलाई वर्कशॉप में तकनीकी सहायक (ग्रेड 3) के 581 पद निकाले गए थे। इतने पदों में सिर्फ 12 पदों पर स्थानीय यानी तमिलनाडु के लोगों की भर्ती हुई थी। इसके अलावा 163 पदों पर बिहार के लोग और 115 पदों पर राजस्थान के लोगों की भर्ती हुई थी।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ नए प्रशिक्षुओं ने आरोप लगाया था कि रेलवे भर्ती में भ्रष्टाचार किया जा रहा है। भर्तियों में उत्तर भारतीयों को प्राथमिकता दी जा रही है। प्रशिक्षुओं ने यह सवाल किया था कि महामारी के दौर में उत्तर भारतीयों को कैसे बुलाया गया।  

रिपोर्ट में एक पूर्व प्रशिक्षु का बयान भी दर्ज किया गया था। इसके मुताबिक़ तमिलनाडु के स्थानीय लोग जिनकी भर्ती साल 2008 में हुई थी, वह अभी तक स्थायी नौकरी की राह देख रहे हैं। रेलवे उनके बारे में न सोच कर उत्तर भारतीयों को पहले नौकरी पर रख रहा है। इसके अलावा रिपोर्ट में पूर्व प्रशिक्षु ने यह भी पूछा है कि क्या दस्तावेज़ का सत्यापन कराने से पहले लोगों ने दिशा-निर्देशों का पालन किया था।

इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के ठीक 2 हफ़्ते के बाद भारतीय रेलवे ने जवाब दिया है। भारतीय रेलवे ने रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है।  

दक्षिण भारतीय रेलवे ने जवाब में कहा है भारत में कुल 21 रेलवे भर्ती बोर्ड हैं। सारे ही भर्ती बोर्ड आवेदन के लिए एक ही अधिसूचना जारी करते हैं। अधिसूचना में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि किस क्षेत्र या इकाई में कितनी भर्तियाँ होनी हैं। इसका ब्यौरा रेलवे भर्ती बोर्ड की वेबसाइट पर भी दिया जाता है। इसका यह मतलब हुआ कि देश के कोई भी नागरिक किसी भी रेलवे भर्ती बोर्ड में आवेदन कर सकता है। आवेदन के वक्त उन्हें किसी एक बोर्ड का चुनाव करना होता है। इसके बाद उनके चुनाव के आधार पर उन्हें एक ज़ोन में नियुक्त किया जाता है। एक बार बोर्ड का चुनाव करने के बाद इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता है।  

इसके बाद आरोप का ज़िक्र करते हुए बोर्ड ने कहा जितने लोगों का चयन हुआ है उसमें से 17 फ़ीसदी तमिलनाडु के थे। यह भर्तियाँ कुल दो पदों के लिए हुई थीं, पहला सहायक लोको पायलट और दूसरा तकनीकी सहायक। सहायक लोको पायलट के पद पर लगभग 53 फ़ीसदी तमिलनाडु के लोगों की भर्ती हुई है। इसके बाद बोर्ड ने अपने बयान में कहा कि तकनीकी सहायक के पदों पर तमिलनाडु के स्थानीय लोगों की भर्ती इसलिए कम हुई है, क्योंकि यहाँ के लोगों की योग्यता उसके हिसाब से कहीं ज़्यादा थी। इस पद के लिए व्यक्ति के पास आईटीआई की डिग्री होनी चाहिए। इंजीनियरिंग की डिग्री और डिप्लोमा वालों को इसके लिए नहीं चुना जा सकता है।  

वहीं दूसरी तरफ सहायक लोको पायलट के लिए इंजीनियरिंग की डिग्री अनिवार्य होती है। इसलिए इस पद पर तमिलनाडु के लोगों की भर्ती ज़्यादा संख्या में हुई है। इसके अलावा बोर्ड ने उन दावों को खारिज किया है जो कोरोना महामारी के दौर में दस्तावेज़ सत्यापन के लिए दूसरे राज्य से आए लोगों पर लगाए गए थे। बोर्ड ने कहा आवेदन करने वालों को 4 अगस्त को बुलाया गया था। उन्हें इसकी जानकारी बहुत पहले ही दे दी गई थी। इसके अलावा उन सभी लोगों ने 14 दिन की आइसोलेशन अवधि भी पूरी की। इसके बाद दिशा-निर्देशों के आधार पर उनकी जाँच भी की गई। उनकी जाँच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई शुरू की गई।  

अंत में बोर्ड ने यह भी साफ़ किया कि रेलवे भर्ती सेल में लगभग 20 फ़ीसदी पद चिन्हित किए ही जाते हैं। इसके तहत जितने भी लोगों का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है वह आवेदन कर सकते हैं। बोर्ड के मुताबिक़ रिपोर्ट में जितने भी आरोप लगाए गए हैं उनमें कोई सच्चाई नहीं है। बोर्ड जितनी भी परीक्षाएँ करवाता है वह पारदर्शी प्रणाली के तहत होता है। आवेदन करने वालों के पास कोई भी बोर्ड चुनने का अधिकार होता है, इसमें किसी भी तरह की पाबंदी नहीं होती है। हर व्यक्ति का चुनाव तय मानदंडों और उसकी योग्यता के आधार पर ही किया जाता है। दक्षिण रेलवे ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से इस मामले से जुड़े सही तथ्य प्रकाशित करने को भी कहा है।        

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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