प्रोपेगेंडा फैलाने वाले पत्रकारों में से एक राणा अयूब इन दिनों देश के FCRA कानूनों का उल्लंघन करने को लेकर चर्चा में हैं। शनिवार (29 मई 2021) की रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्रकार राणा अयूब ने संभावित अनियमितताओं के सामने आने के बाद अपना कोविड-19 के लिए फंड इकट्ठा करने का कैम्पेन समाप्त कर दिया है। ऐसा कहा जा रहा था कि ये पैसे उनके पर्सनल अकाउंट में जाएँगे। साथ ही इस कैम्पेन को लेकर यह आशंका भी जताई जा रही थी कि इसमें राणा देश के FCRA कानूनों का उल्लंघन कर रही थीं।
पत्रकार ने केटो (ketto) पर बनाए गए फंड कैम्पेन में लिखा गया था कि विदेशी दान के लिए FCRA कानून के तहत योग्य भारतीय एनजीओ के साथ टाई-अप किया गया है। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए चिकित्सकीय उपकरण की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है। राणा ने कहा कि इसके बाद उनके खिलाफ कई वेबसाइट द्वारा कैम्पेन चलाए गए।
दरअसल, कैम्पेन समाप्त करने के बाद उन्होंने इस बात से इनकार किया है कि उनके पर्सनल अकाउंट में पैसे आ रहे थे। अयूब ने दावा किया कि केटो के फंडरेजर पेज (Ketto’s fundraiser page) पर दिखाया गया अकाउंट उनका नहीं है, बल्कि यह केटो का ही अकाउंट है, जिसे वे प्रत्येक फंडरेजर (अपनी गैर सरकारी संस्थाओं के लिए पैसे की व्यवस्था करते हैं) के लिए बनाते हैं।
राणा अयूब फंडरेजर कैम्पेन में लाभार्थियों का उल्लेख ‘प्रवासी श्रमिक’ के रूप में किया गया था। केटो ने फंडरेजर के लिए जो बैंक अकाउंट बनाया था उसमें कहा गया था, ‘प्रवासी श्रमिक-केटो” (Migrant Workers-Ketto)। हालाँकि, जब एक ट्विटर यूजर परिक्षित को फंडरेजर को लेकर छानबीन की, तो उन्होंने इसको लेकर सवाल उठाए और फंडरेजर को किए गए दान का एक स्क्रीनशॉट डालते हुए ट्वीट किया। इस ट्वीट के मुताबिक, रसीद में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि यह एक ‘पर्सनल’ फंडरेजर था और इसकी ऑनर राणा अयूब थीं। इसके साथ ही कहा गया कि यह दान आयकर अधिनियम की धारा 80G (tax exemption under 80G) के तहत छूट के लिए मान्य नहीं था।
This can be further verified by receipt too which clearly says FUND TYPE=PERSONAL & the donation is NOT eligible for tax exemption(80G).
— The Hawk Eye (@parixit111) May 9, 2021
In this crisis, a donation is a noble cause but how come NO accountability or records of such huge fundraising?
2/3 pic.twitter.com/HfaQSn2lO3
अब हम अगले प्वांइट पर आते हैं, वह पैसा कहाँ से निकालेंगी? प्रवासी श्रमिकों के नाम से उनका किसी बैंक में अकाउंट नहीं हो सकता है। वह या तो अपने पर्सनल अकाउंट (सेविंग या करंट) में निकाल लेगी, या इसे अपने एनजीओ के अकाउंट में वापस ले लेगी। अगर इसे उनके एनजीओ के खाते में वापस लेना था, तो उनका नाम कहीं भी क्यों नहीं लिखा गया?
जब हमने महिला पत्रकार की प्रोफाइल को स्क्रॉल किया, तो उनके द्वारा किए जा रहे राहत कार्यों कई वीडियो और तस्वीरें सामने आई। वह उन कार्यों के लिए पैसा इकट्ठा कर रही हैं, इसलिए हम यह मान सकते हैं कि उन्होंने केटो अकाउंट से अब तक कुछ पैसे निकाल लिए होंगे। अगर उन्होंने पैसे निकाले होते तो वे किसी बैंक अकाउंट में चले जाते। वह बैंक अकाउंट उनका पर्सनल/करंट/गैर सरकारी संगठन (Non government organization) का होगा, लेकिन इसका उल्लेख कैम्पेन में ही किया जाना चाहिए था। हालाँकि, उसके द्वारा इकट्ठा किया गया पैसा फंडरेजर में किसी काम का नहीं रहेगा, यदि वह इसे अपने किसी भी अकाउंट में नहीं निकाल रही हैं।
यह मानते हुए कि राणा आयूब को इस बात की जानकारी नहीं है कि केटो एक फंडरेजर को मिलने वाले दान के बारे में क्या मापदंड अपनाता है। हम कैसे फंडिंग कैम्पेन किया जाता है कि उन मानदंडों को एक बार फिर से यहाँ पर दिखा रहे हैं। कृपया ध्यान दें कि नीचे दी गई जानकारी केटो की वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिसे हर कोई आसानी से देख सकता है।
फंडरेजर के साथ दिखाया गया बैंक अकाउंट
सबसे पहले फंडरेजर पेज पर बैंक अकाउंट के बारे में बात करते हैं। राणा अयूब की बात सही है कि वहाँ बताया गया अकाउंट सीधे तौर पर उनका नहीं है। यह केटो का अकाउंट है। केटो पर अक्सर पूछे जाने वाले FAQs सेक्शन में यह कहता है, “यह अकाउंट नंबर आपके फंडरेजर के लिए बनाया गया एक वर्चुअल यूपीआई अकाउंट है, जिसके माध्यम से दानकर्ता एनईएफटी NEFT से दान कर सकते हैं, यह बैंक अकाउंट नहीं है।”
इसमें आगे कहा गया है, “यह लेन-देन करने का एक और तरीका है। इस प्रक्रिया के माध्यम से सभी दान आपकी दाता सूची और डैशबोर्ड पर दिखाई देंगे। कृपया ध्यान दें कि UPI अकाउंट केवल दिए गए फंडरेजर के लिए ही मान्य है। यह यस बैंक के साथ बनाया गया कोई नया बैंक अकाउंट नहीं है। यह केवल आपके फंडरेजर के लिए NEFT के माध्यम से दान स्वीकार करने के लिए केटो पर बनाया गया एक वर्चुअल अकाउंट (virtual account) है।”
यह तर्कसंगत है कि पैसा इकट्ठा करने के लिए केटो अपने मंच पर शुरू किए गए हर कैम्पेन के लिए एक नया बैंक अकाउंट नहीं खोलेगा। यह ना तो संभव है और ना ही व्यावहारिक होगा। इसलिए, वे वर्चुअल यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। केटो ने ऐसे वर्चुअल अकाउंट मुहैया कराने के लिए यस बैंक के साथ करार किया है।
पैसा कैसे निकाला जाता है
दान किया गया पैसा केटो द्वारा बनाए गए वर्चुअल यूपीआई अकाउंट में इकट्ठा किया जाता है। फंडरेजर प्लेटफॉर्म सीधे लाभार्थियों को पैसा नहीं देता है। फंडरेजर के संचालक को केटो के अकाउंट से पैसों को अपने खुद के अकाउंट में ट्रांसफर करना होगा, जहाँ से वे कैम्पेन के मुताबिक पैसों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
केटो के अनुसार, पैसा सीधे फंडरेजर से जुड़े बैंक अकाउंट में जाता है। इस मामले में वह राणा अयूब के पर्सनल या करंट अकाउंट में होगा, जो इस बात पर निर्भर करता है कि उसने केटो को अपने किस अकाउंट की जानकारी दी थी। राणा के मामले में इसका मतलब है कि केटो सीधे प्रवासी श्रमिकों को पैसे ट्रांसफर नहीं करेगा, उसे या उसके संगठन को अपने अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने होंगे।
मालूम हो कि राणा आयूब ने कहा था कि एक पत्रकार होने के नाते उनका कर्त्तव्य है कि फॉलोअर्स का उनके प्रति विश्वास बना रहे और उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि भारत के टैक्स और अन्य कानूनों का पूरा पालन किया जाए। अपने फंड इकट्ठा करने वाले कैम्पेन को समाप्त करते हुए राणा ने यह भी लिखा था कि वह दान लेने वालों और अपने लिए किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं चाहती हैं। इसलिए उन्होंने दान में जो भी मिला है उसे विदेशी दानदाताओं को वापस करने का निर्णय लिया गया है। हालाँकि, राणा ने इसे राहत कार्यों को एक बड़ा झटका बताते हुए यह भी कहा कि ऐसे कठिन समय में इस तरह का निर्णय लेना दुर्भाग्यपूर्ण है।
बता दें कि राणा आयूब का यह पहला कैम्पेन नहीं है जो संदेह के दायरे में आया है। इससे पहले उन्होंने महाराष्ट्र, बिहार और असम में राहत कार्यों के लिए कैम्पेन चलाया गया था। इस कैम्पेन में 68 लाख रुपए इकट्ठा हुए थे। हालाँकि, केटो (ketto) ने बिना किसी उचित कारण के यह कैम्पेन समाप्त कर दिया था।