श्रमिक ट्रेनों को लेकर रेल मंत्रालय को घेरने के लिए मीडिया फेक न्यूज चला रहा है, जिसमें अब NDTV के प्रोपेगेंडा पत्रकार रवीश कुमार भी शामिल हो चुके हैं। इस तरह से रवीश कुमार लगातार 3 फर्जी खबर फैलाते हुए पाए गए हैं।
रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर ‘दैनिक भास्कर’ अखबार की एक ऐसी ही भावुक किन्तु फर्जी तस्वीर शेयर की है जिसे कि भारतीय रेलवे एकदम बेबुनियाद बताते हुए पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि ये पूरी की पूरी रिपोर्ट अर्धसत्य और गलत सूचनाओं से भरी हुई है।
भारतीय रेलवे के प्रवक्ता ने ट्विटर के माध्यम से बताया कि 25 मई को सूरत से दो ट्रेनें 2 दिन मे पहुँच गई थी, इसीलिए 9 दिन वाली बात झूठी है।
रवीश कुमार और NDTV हमेशा की ही तरह आजकल भी लगातार झूठी और फर्जी कहानियों को शेयर करते हुए पकड़े गए हैं। इससे कुछ दिन पहले ही रवीश कुमार टाइम्स मैगजीन की एक फर्जी तस्वीर शेयर करते हुए पकड़े गए थे। उन्होंने टाइम मैगजीन के कवर की तस्वीर शेयर की, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तस्वीर दिख रही है और साथ ही लिखा है- ‘Time To Go’, अर्थात जाने का समय आ गया है। रवीश ने इसे शेयर करते हुए तंज कसा और पूछा कि किसके बारे में लिखा हुआ है? हालाँकि, फेसबुक ने उनका फैक्ट-चेक कर दिया, जिसमें ये तस्वीर फर्जी निकली।
इससे पहले रवीश कुमार ने मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिए ‘द हिन्दू’ की एक खबर शेयर करते हुए चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू यादव का गुणगान किया था, जो फ़िलहाल राँची जेल में बंद है। उसमें कहा गया था कि सरकार की पहल के बाद भारतीय रेलवे ने मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजने का निर्णय लिया है, जिसके लिए उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होगा। रवीश ने झूठा दावा किया था कि मजदूरों से किराया लिया जा रहा है जबकि कोसी बाढ़ के समय लालू ने मुफ्त में ट्रेनें चलवाई थी।
दरअसल अब, ‘दैनिक भास्कर’ ने ऐसी ही एक ‘फेक’ इमोशनल स्टोरी प्रकाशित करके दावा किया कि मजदूर पहले ट्रैक पर मर रहे थे, अब वो ट्रेनों में मर रहे हैं। अपनी इमोशनल स्टोरी में भास्कर ने दावा किया कि ईद के दिन इरशाद नामक बच्चे की ट्रेन में ही मौत हो गई। हालाँकि, रेलवे ने बाद में जब सच्चाई बयान की तो भास्कर के इस ख़बर की पोल खुल गई।
इरशाद के पिता मोहम्मद पिंटू के हवाले से ‘दैनिक भास्कर’ ने दावा किया कि गर्मी की उमस और भूख के कारण उनके बेटे की मौत हुई है। इस ख़बर में ये भी दावा किया गया कि सूरत से सीवान पहुँचने में ट्रेनों को पूरे 9 दिन लग गए।
रेलवे ने इस ख़बर को नकारते हुए कहा है कि ये पूरी की पूरी रिपोर्ट अर्धसत्य और गलत सूचनाओं से भरी हुई है। भारतीय रेलवे के प्रवक्ता ने ट्विटर के माध्यम से बताया कि 25 मई को सूरत से दो ट्रेनें 2 दिन मे पहुँच गई थी, इसीलिए 9 दिन वाली बात झूठी है।
रेलवे ने बताया कि वो बच्चा पहले से ही बीमार था और इलाज के बाद उसके परिजन उसे लेकर लौट रहे थे। अभी तक पोस्टमॉर्टम भी नहीं की गई है, ऐसे में उसकी मौत के कारण के बारे में कुछ पता ही नहीं है।
रेल मंत्रालय के सूत्रों ने ऑपइंडिया को कन्फर्म किया कि 099339 नंबर की ट्रेन सूरत से 23 मई को सुबह साढ़े 5 बजे चली थी और 25 मई को 2:20 बजे सीवान पहुँच चुकी थी। वहीं 09439 नंबर की दूसरी ट्रेन सूरत से 23 मई को 11 बजे चली और 25 मई को शाम 4:55 में सीवान पहुँच गई।
ऐसे में 9 दिन वाली बात कहाँ से या गई, ये ‘दैनिक भास्कर’ ने बिना समय का जिक्र किए ही दावा कर दिया है। इसी तरह गया के एक मजदूर के बारे में ख़बर में दावा किया गया कि उसकी भी मौत ट्रेन में ही हो गई।
उसकी पहचान 44 वर्षीय नसीर खान के रूप मे बताई गई है। जबकि रेलवे ने बताया कि नसीर को लेकर जब ट्रेन दानापुर पहुँची, तब वह बेहोशी की हालत में था। वहीं महाराष्ट्र से भी एक श्रमिक की मौत की बात कही गई, जिसके लिए रेलवे को जिम्मेदार ठहराया गया।
रेलवे से बात करने पर इस घटना की सच्चाई पता चली। दरअसल, उक्त व्यक्ति अपने भतीजे अरमान खान के साथ सफर कर रहा था। वो ट्रेन संख्या 09447 से सफर कर रहा था। वहाँ पर उसकी तबीयत खराब होने की सूचना मिलते ही रेलवे की मेडिकल टीम डॉक्टर नीलेश के नेतृत्व में पहुँची।
वहाँ जाँच-पड़ताल के बाद उक्त व्यक्ति को मृत घोषित किया गया। इसके बाद आगे की प्रक्रिया के तहत जाँच की जा रही है, जिसके बाद और भी डिटेल्स सामने आएँगे। बावजूद इसके इस मौत के लिए रेलवे को जिम्मेदार ठहरा दिया गया।