श्रमिक ट्रेनों को लेकर रेल मंत्रालय को घेरने के लिए मीडिया का फेक न्यूज़ चला रहा है। ‘दैनिक भास्कर’ ने ऐसी ही एक इमोशनल स्टोरी प्रकाशित कर के दावा किया कि मजदूर पहले ट्रैक पर मर रहे थे, अब वो ट्रेनों में मर रहे हैं। अपनी इमोशनल स्टोरी में भास्कर ने दावा किया कि ईद के दिन इरशाद नामक बच्चे की ट्रेन में ही मौत हो गई। हालाँकि, रेलवे ने बाद में जब सच्चाई बयान की तो भास्कर के इस ख़बर की पोल खुल गई।
इरशाद के पिता मोहम्मद पिंटू के हवाले से ‘दैनिक भास्कर’ ने दावा किया कि गर्मी की उमस और भूख के कारण उनके बेटे की मौत हुई है। इस ख़बर में ये भी दावा किया गया कि सूरत से सीवान पहुँचने में ट्रेनों को पूरे 9 दिन लग गए। रेलवे ने इस ख़बर को नकारते हुए कहा है कि ये पूरी की पूरी रिपोर्ट अर्धसत्य और गलत सूचनाओं से भरी हुई है। भारतीय रेलवे के प्रवक्ता ने ट्विटर के माध्यम से बताया कि 25 मई को सूरत से दो ट्रेनें 2 दिन मे पहुँच गई थी, इसीलिए 9 दिन वाली बात झूठी है।
रेलवे ने बताया कि वो बच्चा पहले से ही बीमार था और इलाज के बाद उसके परिजन उसे लेकर लौट रहे थे। अभी तक पोस्टमॉर्टम भी नहीं कि गई है, ऐसे में उसकी मौत के कारण के बारे में कुछ पता ही नहीं है। रेल मंत्रालय के सूत्रों ने ऑपइंडिया को कन्फर्म किया कि 099339 नंबर की ट्रेन सूरत से 23 मई को सुबह साढ़े 5 बजे चली थी और 25 मई को 2:20 बजे सीवान पहुँच चुकी थी। वहीं 09439 नंबर की दूसरी ट्रेन सूरत से 23 मई को 11 बजे चली और 25 मई को शाम 4:55 में सीवान पहुँच गई।
ऐसे में 9 दिन वाली बात कहाँ से या गई, ये ‘दैनिक भास्कर’ ने बिना समय का जिक्र किए ही दावा कर दिया है। इसी तरह गया के एक मजदूर के बारे में ख़बर में दावा किया गया कि उसकी भी मौत ट्रेन में ही हो गई। उसकी पहचान 44 वर्षीय नसीर खान के रूप मे बताई गई है। जबकि रेलवे ने बताया कि नसीर को लेकर जब ट्रेन दानापुर पहुँची, तब वह बेहोशी की हालत में था। वहीं महाराष्ट्र से भी एक श्रमिक की मौत की बात कही गई, जिसके लिए रेलवे को जिम्मेदार ठहराया गया।
रेलवे से बात करने पर इस घटना की सच्चाई पता चली। दरअसल, उक्त व्यक्ति अपने भतीजे अरमान खान के साथ सफर कर रहा था। वो ट्रेन संख्या 09447 से सफर कर रहा था। वहाँ पर उसकी तबीयत खराब होने की सूचना मिलते ही रेलवे की मेडिकल टीम डॉक्टर नीलेश के नेतृत्व में पहुँची। वहाँ जाँच-पड़ताल के बाद उक्त व्यक्ति को मृत घोषित किया गया। इसके बाद आगे की प्रक्रिया की जा रही है, जिसके बाद और भी डिटेल्स सामने आएँगे। बावजूद इसके इस मौत के लिए रेलवे को जिम्मेदार ठहरा दिया गया।
इसी तरह कटिहार के 55 वर्षीय मोहम्मद अनवर की ख़बर प्रकाशित की गई। वो मुंबई के बांद्रा टर्मिनल से चढ़ा था। ‘दैनिक भास्कर’ ने उसके बारे में बताया कि वो 4 दिन से भूखा था और उसे खाने को नहीं दिया गया, इसीलिए वो मर गया। अनवर के बारे मे बताया गया कि उसने बरौनी में बस 10 रुपए का सत्तू खरीद कर खाया था। ‘दैनिक भास्कर’ का वर्जन कहता है कि वो पानी लेने उतरा और उसकी मौत हो गई।
इस मामले में भी रेलवे ने सच्चाई सामने रखी है।। रेलवे ने बताया कि अनवर पानी की पाइपलाइन के पास ही गिर गया था और बेहोशी की अवस्था में था। इसके बाद तुरंत स्टेट मेडिकल स्क्रीनिंग टीम के डॉक्टर मौके पर पहुँचे, जहाँ उसे मृत घोषित किया गया। बाद में पता चला कि वो अपने 3 परिचितों के साथ मुंबई से मधुबनी वाली ट्रेन में बैठा था। इसके बाद वो बेगूसराय में ट्रेन का इंतजार कर रहा था। मृत शरीर को बेगूसराय अस्पताल में भेजा गया। इस मामले में भी जाँच के बाद और जानकारी सामने आएगी।
The report is filled with errors and half-truths.
— Spokesperson Railways (@SpokespersonIR) May 26, 2020
The 2 trains from Surat reached Siwan on 25th in two days time instead as reported 9 days. The Child was ill & returning from Delhi after treatment. The cause of death can’t be determined without post mortem. https://t.co/YhfM7Cvlxx
अगर रेलवे द्वारा घटनाओं के संबंध में दी गई जानकारी को देखें तो पता चलता है कि ‘दैनिक भास्कर’ ने आधे-अधूरे तथ्यों के साथ किसी भी प्रकार की मौत के लिए रेलवे को ही जिम्मेदार ठहराने के लिए ऐसी कहानियाँ ढूँढी हैं। जबकि हर मामले में जैसे ही रेलवे को सूचना मिली, डॉक्टरों की टीम भागी हुई आई। इसमें से पहले से ही बीमार और इलाजरत लोगों की मौत के लिए भी रेलवे के मत्थे ही दोष मढ़ दिया गया।
‘दैनिक भास्कर’ ने दावा कर दिया कि रेलवे के कारण एक दिन में कुल 7 मौतें हुई हैं। एक कटिहार जा रही महिला की मौत की बात कही गई। साथ ही एक महिला की अपने पति की गोद में दम तोड़ने की ‘भावुक’ स्टोरी पब्लिश की गई। ये सारी मौतें बिहार में ही हुईं। किसी भी घटना में रेलवे का पक्ष नहीं लिखा गया और डॉक्टरों के मौके पर पहुँचने की बात भी छिपा ली गई। जब ट्रेन की टाइम ही गलत बताई गई तो आप सोच सकते हैं बाकी ख़बरों में कितनी हेरफेर की गई होगी।