नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन हो रहा है। कल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, कर्नाटक के मंगलुरू, गुजरात के अहमदाबाद, मुंबई और राजधानी दिल्ली समेत देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए। मैंगलोर में स्कूल-कॉलेजो में छुट्टी घोषित कर दी गई है।
इस कथित विरोध प्रदर्शन के पीछे की मुख्य वजह ये है कि उन लोगों को नागरिकता संशोधन कानून के बारे में सही से पता नहीं है और इसके पीछे कुछ मीडिया संस्थानों का भी हाथ है, जो कि इनके बीच भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं और झूठ फैलाते हैं। इसमें मीडिया संस्थान ‘द वायर’ भी शामिल है। ये लोग बस मुस्लिमों को भड़का रहे हैं और इनमें डर पैदा कर रहे हैं कि सभी मुस्लिमों को देश से बाहर कर दिया जाएगा।
चार्ट में बताया गया है कि CAA लागू होने के बाद जब पूरे देश में NRC लागू होगा तो खुद को भारत का नागरिक साबित करने के लिए धर्म का प्रमाण पत्र दिखाना होगा। इसमें जो हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी पाए जाएँगे, उनके लिए देखा जाएगा कि वो किस देश से हैं? अगर वो पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश या फिर भारत से होंगे तो उन्हें वैध नागरिक माना जाएगा और नागरिकता दी जाएगी। वहीं इस चार्ट के अनुसार जो मुस्लिम होंगे, वो अवैध नागरिक होंगे। उन्हें वोट करने का अधिकार नहीं होगा, उन्हें डिटेंशन सेंटर भेज दिया जाएगा, उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा। इसमें बताया गया है ये सारी योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने बनाई है।
द वायर ने इसमें दिखाने की कोशिश की है कि किस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह CAA और NRC के जरिए मुस्लिमों को नागरिकता से वंचित करना चाहती है। हालाँकि उन्होंने यह नहीं बताया है कि ये चार्ट उन्होंने कहाँ से लिया है। उन्होंने जो चार्ट पेश किया है, वो किसी भी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है, क्योंकि सरकार ने तो इस तरह का कोई चार्ट जारी नहीं किया है।
द वायर ने ये भी नहीं बताया कि उसने किस आधार पर यह तय किया कि पूरे देश में NRC लागू होने का यही तरीका होगा। क्या इसके लिए सिर्फ धर्म ही एकमात्र आधार होगा। क्या इसके लिए आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र वगैरह जैसे किसी अन्य दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी? पूरे देश में NRC लागू होने का क्या प्रोसेस होगा, इसके बारे में फिलहाल कोई नहीं जानता। खुद सरकार ने ऐसा कोई आधिकारिक डॉक्यूमेंट भी नहीं जारी किया है। लेकिन द वायर के बकलोल पत्रकार AC कमरे में बैठकर मनगढ़ंत रिपोर्ट लिखकर देश में बवाल करवाने पर उतारू है। असम में भी जिस प्रोसेस से NRC लागू हुआ है, वो प्रोसेस भी सुप्रीम कोर्ट का था। सुप्रीम कोर्ट ने जैसा कहा, वैसा ही वहाँ किया गया। ये पीएम मोदी और अमित शाह का तरीका नहीं था और अमित शाह ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा भी है कि NRC लागू करने में धर्म का कोई आधार नहीं होगा। जो घुसपैठिए हैं, उन्हें देश से बाहर निकाला जाएगा। इसे आप यहाँ पर सुन सकते हैं।
नागरिकता कानून को NRC से जोड़कर देखने और फिर इसके नतीजे के बारे में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि NRC में धर्म के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी और जो कोई भी एनआरसी के तहत इस देश का नागरिक नहीं पाया जाएगा, सबको निकालकर देश से बाहर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ मुस्लिमों के लिए NRC नहीं है। उन्होंने कहा कि इस कानून से देश के अल्पसंख्यकों को रत्ती भर भी नुकसान नहीं होने वाला है। उनकी सुविधा का खास ख्याल रखा जाएगा।
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