Sunday, December 22, 2024
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पत्थरबाजों को छिपाया, UP पुलिस को किया बदनाम: अखिलेश यादव ने डाली कटी हुई वीडियो, जानिए क्यों मीरापुर में खाकी को ताननी पड़ी पिस्टल

घटना की असल सच्चाई के तौर पर आईपीएस अभिषेक सिंह ने कहा कि दो पक्षों में हिंसा की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुँची थी। पुलिस के पहुँचते ही वहाँ कुछ लोग सड़क जाम करने की कोशिश करने लगे। सड़क जाम को हटाने की कोशिश में जुटी पुलिस पर हमलावरों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। इस हिंसा को पुलिस ने बल प्रयोग कर के काबू किया।

उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिले में मीरापुर विधानसभा उपचुनाव के लिए बुधवार (20 नवंबर, 2024) को मतदान हुआ। इस उपचुनाव में वोट डालने में रुकावट पैदा करने का आरोप लगा कर मुस्लिम भीड़ द्वारा हिंसा की गई। इस हिंसा के तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इन्हीं में से एक वीडियो में एक पुलिस इंस्पेक्टर हाथ में पिस्टल लिए दिखाई दे रहा है।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इसे वोटरों को धमकाने की कोशिश बताते हुए इंस्पेक्टर को सस्पेंड करने की माँग की है। हालाँकि, मुज़फ्फरनगर पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है। नेटिज़ेंस ने भी अखिलेश यादव पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार (20 नवम्बर, 2024) को शाम X (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो साझा किया है। 28 सेकेंड के इस वीडियो में पुलिसकर्मियों के आगे कई महिलाएँ खड़ी हैं। वो गोली ना चलाने की माँग करते हुए कुछ फ़ौरन बंद करने का भरोसा दे रहीं हैं। वहीं पुलिस इंस्पेक्टर को पिस्टल लिए हुए दूर खड़े कुछ लोगों को चेतावनी देते सुना जा सकता है। नीचे सड़क पर कई पत्थर पड़े दिख रहे हैं।

अखिलेश यादव ने यह वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, “मीरापुर के ककरौली थाना क्षेत्र के SHO को चुनाव आयोग द्वारा तुरंत निलंबित किया जाए, क्योंकि वो रिवॉल्वर से धमकाकर वोटर्स को वोट डालने से रोक रहे हैं।” अपने ट्वीट में अखिलेश ने चुनाव आयोग सहित कई अन्य हैंडलों को टैग किया है।

नेटीजेंस ने शेयर की पूरी वीडियो

अखिलेश यादव के इस ट्वीट पर लोगों ने सच्चाई उनके सामने रख दी है। कई नेटिज़ेंस ने इस ट्वीट के नीचे 1 मिनट 48 सेकेंड का घटना का पूरा वीडियो डाला है। इस वीडियो में भीड़ को उपद्रव के साथ पुलिसकर्मियों पर हमला करते देखा जा सकता है। वीडियो में कई महिलाएँ घरों की छतों पर खड़ी हैं। हमले से बचने के लिए पुलिसकर्मी दीवालों की आड़ लिए हुए हैं। डेढ़ मिनट के वीडियो के सबसे अंत में पुलिसकर्मी हाथ में पिस्टल ले कर उपद्रवियों को खदेड़ने की कोशिश करता दिख रहा है।

अखिलेश यादव को जवाब देते हुए अजय प्रताप सिंह ने लिखा, “भैया आप तो क्लिप कटुआ बन गए, पहले पूरा वीडियो डाला बाद में पता चला कि पत्थरबाजी साफ दिख रही है तो धीरे से वीडियो क्रॉप करके जितना प्रोपेगैंडा में फिट बैठ रहा था उतना वीडियो डाल दिया।” कमोबेश इसी प्रकार के आरोप अखिलेश यादव पर जितेंद्र प्रताप सिंह व लाला आदि हैंडलों से लगाए गए हैं।

क्या है पूरी सच्चाई?

वीडियो में दिख रहे पुलिस इंस्पेक्टर का नाम राजीव शर्मा है। वह वर्तमान में SHO ककरौली हैं। मुजफ्फरनगर पुलिस ने अखिलेश यादव के ट्वीट को साजिश करार दिया है। मुज़फ्फरनगर के एसएसपी आईपीएस अभिषेक सिंह ने बताया कि एक लम्बी वीडियो का आधा-अधूरा हिस्सा सोची समझी साजिश के तहत साझा किया जा रहा है। एसएसपी ने पुलिस इंस्पेक्टर द्वारा पिस्टल निकाले जाने के एक्शन को दंगा नियंत्रण का कृत्य बताया है। उन्होंने बताया है कि उपद्रवियों पर केस दर्ज कर के कार्रवाई की जा रही है।

पुलिस प्रेसनोट

घटना की असल सच्चाई के तौर पर आईपीएस अभिषेक सिंह ने कहा कि दो पक्षों में हिंसा की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुँची थी। पुलिस के पहुँचते ही वहाँ कुछ लोग सड़क जाम करने की कोशिश करने लगे। सड़क जाम को हटाने की कोशिश में जुटी पुलिस पर हमलावरों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। इस हिंसा को पुलिस ने जरूरी बल प्रयोग कर के काबू किया। पुलिस के एक्शन के बाद उपद्रवी मौके से भाग गए और उन्होंने महिलाओं को आगे कर दिया।

मोबाइल ले कर बूथ में भी घुसने की कोशिश

ऑपइंडिया द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक मीरापुर विधानसभा उपचुनाव के दौरान सिर्फ पत्थरबाजी और सड़क जाम जैसी हरकतें नहीं हुईं बल्कि यहीं पर मोबाइल फोन भी पोलिंग बूथ के अंदर ले जाने का प्रयास हुआ। मतदान के दौरान मीरापुर विधानसभा से ओवैसी की पार्टी (AIMIM) के प्रत्याशी अरशद राणा के बेटे अब्दुल्ला ने मोबाइल फोन सहित बूथ में घुसने की कोशिश की थी। जब पुलिस ने उन्हें रोका तब वो झगड़ा करने लगा था। हालाँकि पुलिस पर अब्दुल्ला के हँगामे का कोई असर नहीं पड़ा। अंत में अब्दुल्ला को बिना मोबाइल फोन के ही बूथ में जाना पड़ा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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