कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने सोमवार (जुलाई 20, 2020) को ट्वीट कर कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं से असम और बिहार में आई बाढ़ की वजह से प्रभावित लोगों की मदद करने की अपील की। उन्होंने साथ में दो तस्वीरें भी शेयर कीं, जो बाढ़ की भयावहता को दिखाती हैं।
असम, बिहार और यूपी के कई क्षेत्रों में आई बाढ़ से जनजीवन अस्त व्यस्त है। लाखों लोगों पर संकट के बादल छाए हुए हैं।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 20, 2020
बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए हम तत्पर हैं। मैं कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं से अपील करती हूं कि प्रभावित लोगों की मदद करने का हर संभव प्रयास करें। pic.twitter.com/RiOMe5R0D3
प्रियंका गाँधी ने ट्विटर पर लिखा, “असम, बिहार और यूपी के कई क्षेत्रों में आई बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। लाखों लोगों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए हम तत्पर हैं। मैं कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं से अपील करती हूँ कि प्रभावित लोगों की मदद करने का हर संभव प्रयास करें।”
Dear @priyankagandhi, the images you’ve used is from 2017 and 2019.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) July 20, 2020
This is what happens when you show Fake Sympathy on Twitter instead of actually helping people. https://t.co/02kOA6WBFQ pic.twitter.com/WL9nfNeoju
अब इस ट्वीट को लेकर प्रियंका गाँधी खुद ही घिर गई है। प्रियंका के ट्वीट को यूजर्स ने हाथों हाथ लेते हुए जहाँ प्रियंका पर जमकर निशाना साधा है वहीं कुछ ने इसे ठीक करने की सलाह भी दी है।
सच क्या है?
प्रियंका गाँधी ने अपने ट्वीट में जिन तस्वीरों का इस्तेमाल किया है वे पुरानी हैं। इनमें से एक तस्वीर साल 2019 की है और दूसरी साल 2017 की।
पहली तस्वीर
तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने से हमें One India नाम की वेबसाइट पर 24 जुलाई, 2019 यानी पिछले साल का आर्टिकल मिला, जिसमें इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था। आर्टिकल का शीर्षक, ‘Bihar-Assam flood: Death toll mount to 174’ था।
तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा गया था, ‘असम के बाढ़ प्रभावित मोरीगाँव जिले में जलमग्न गाँव की तस्वीर।’ फोटो के लिए समाचार एजेंसी पीटीआई को क्रेडिट दिया गया था।
दूसरी तस्वीर
रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिए हमें Hindustan Times का 31 अगस्त, 2017 को छपा आर्टिकल मिला। खबर का शीर्षक, ‘Google announces $1 mn for flood relief in India, Nepal, Bangladesh’ था और इसी तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था।
तस्वीर के लिए पीटीआई को क्रेडिट दिया गया था और इसे बिहार के अररिया जिले का बताया गया था।
निष्कर्ष
प्रियंका गाँधी ने असम और बिहार की बाढ़ के नाम पर जो तस्वीरें ट्वीट की हैं वे 2020 की नहीं बल्कि साल 2019 और 2017 की हैं।
गौरतलब है कि ये पहली बार नहीं है जब कॉन्ग्रेस नेता ने इस तरह से गलत तस्वीर शेयर कर फर्जी खबर फैलाने की कोशिश की है। कुछ दिनों पहले कॉन्ग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार को नीचा दिखाने के लिए मंगलवार (मई 19, 2020) अपने ट्विटर अकाउंट से नेपाल की एक तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा था, “न्यू इंडिया का सच!” इस तस्वीर में एक महिला अपने बच्चे को पीठ पर बाँधे साइकल से जा रही थी। रणदीप सुरजेवाला के ट्वीट करते ही लोगों ने बता दिया कि यह तस्वीर भारत का नहीं, बल्कि नेपाल के नेपाल का है। वो भी 2014 का।
सुरजेवाला ने इससे पहले एक तस्वीर शेयर करते हुए कहा था, “मोदी जी, इन्हीं को जहाज़ में बिठाने का सपना बेचा था ना!” हालाँकि जिस तस्वीर को पोस्ट कर के सुरजेवाला, PM मोदी से सवाल कर रहे थे, वो उनकी ही पार्टी यानी, कॉन्ग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ की निकली।
इसके अलावा ‘दलित कॉन्ग्रेस’ नाम के ट्विटर एकाउंट से एक ऐसी तस्वीर शेयर की गई थी, जिसमें एक व्यक्ति को अपनी पीठ पर बूढ़ी महिला को ले जाते हुए देखा जा सकता था। कॉन्ग्रेस के इस ट्विटर अकाउंट में बताया गया था कि यह कॉन्ग्रेस का SC विभाग है। हालाँकि, बाद में खुलासा हुआ कि जिस तस्वीर को कॉन्ग्रेस के एकाउंट शेयर कर रहे थे, वो बांग्लादेशी रोहिंग्याओं की थी।