कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी का ट्विटर एकाउंट अस्थायी तौर पर लॉक किया गया है और माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ने कहा है कि यह कार्रवाई POCSO एक्ट के अंतर्गत राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के द्वारा दिए गए आदेश के बाद की गई है। ट्विटर ने बुधवार (11 अगस्त 2021) को दिल्ली की अदालत में सूचना दी कि राहुल गाँधी ने नाबालिग रेप पीड़िता के परिवार के सदस्यों की फोटो एक ट्वीट में शेयर करके ट्विटर की नीतियों का उल्लंघन किया है।
इसके बाद कई कॉन्ग्रेस नेताओं ने अपनी प्रोफाइल फोटो में राहुल गाँधी लिखकर ट्विटर का विरोध किया और उसे एक पक्षपाती सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बताया। खुद राहुल गाँधी ने यूट्यूब पर वीडियो पोस्ट कर ट्विटर द्वारा की गई कार्रवाई को गलत बताते हुए उस पर मोदी सरकार के इशारों पर काम करने का आरोप लगाया।
हालाँकि, सिर्फ कॉन्ग्रेस नेता ही राहुल गाँधी के एकाउंट को लॉक किए जाने को लेकर परेशान नहीं हैं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने भी राहुल गाँधी के खिलाफ ट्विटर की कार्रवाई के संबंध में नाबालिग पीड़ितों के लिए बनाए गए कानून को लेकर झूठी जानकारी दी।
इंदिरा जयसिंह ने राहुल गाँधी का बचाव करते हुए लिखा कि रेप पीड़ित की पहचान उजागर न करने का प्रावधान जीवित पीड़ित के लिए लागू होता है न कि मृत पीड़ित के लिए। अपने ट्वीट के साथ उन्होंने ट्विटर इंडिया, शशि थरूर और राहुल गाँधी को टैग किया।
We must understand the prohibition against disclosing the identity of a rape victim is to protect the living survivor , that logic does not apply to the dead victim @TwitterIndia @ShashiTharoor @RahulGandhi
— Indira Jaising (@IJaising) August 12, 2021
Does it make any sense to prohibit publishing a photograph of a dead rape victim? No! The prohibition is meant for the living .@TheLeaflet_in https://t.co/FsmvCFOaE2
— Indira Jaising (@IJaising) August 12, 2021
अक्सर राष्ट्रहितों के विपरीत आचरण करने वाली और आतंकियों एवं अर्बन नक्सल की सहायता करने वाली इंदिरा जयसिंह ने राहुल गाँधी के बचाव में अपने ट्वीट में दो बिंदुओं पर गुमराह करने का कार्य किया है। पहला यह कि कानून सिर्फ जीवित पीड़ितों की पहचान उजागर न करने के लिए प्रतिबद्ध है और दूसरा यह कि अगर पीड़ित की मौत हो जाती है तो उसकी पहचान उजागर न करने से रोकने का कोई औचित्य ही नहीं बनता है। हालाँकि, कानून इस मामले में पूरी तरह से स्पष्ट है।
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 की धारा 74 के अंतर्गत बच्चे की पहचान को किसी भी तरह के मीडिया में उजागर करने की मनाही है और POCSO एक्ट, 2012 की धारा 23 भी ऐसा करने से रोकती है। POCSO एक्ट के अंतर्गत जिस पहचान को उजागर करने को प्रतिबंधित किया गया है उसमें बच्चे का नाम, पता, परिवार की जानकारी, फोटो, स्कूल, पड़ोसी और अन्य ऐसी जानकारी जिससे बच्चे की पहचान सामने आती हो, शामिल हैं। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के अंतर्गत ऐसा करने की अनुमति है लेकिन जब पीड़ित के हित के लिए ऐसा करना आवश्यक लगे और इसके लिए भी बोर्ड ऑफ कमेटी अनुमति प्रदान करे।
सरकार 2018 में यह स्पष्ट कर चुकी है कि इन दोनों कानूनों के प्रावधान मृत पीड़ितों पर भी लागू होंगे। NCPCR के मीडिया एडवाइजर जी मोहंती ने 2018 में कहा था कि सरकार का यह स्पष्टीकरण महत्वपूर्ण है, क्योंकि अक्सर मीडिया समूहों और पुलिस द्वारा गलती की जाती है लेकिन सरकार के स्पष्टीकरण से साफ है कि मृत पीड़ित की पहचान को उजागर नहीं किया जाना चाहिए।
ऑपइंडिया से बात करते हुए NCPCR प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने बताया कि ये कानून सिर्फ पीड़ित नहीं बल्कि उसके भाई-बहनों और परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए भी कार्य करते हैं। उन्होंने बताया कि अगर पीड़ित की पहचान उजागर होती है तो न केवल पीड़ित बल्कि उसके परिवार के सदस्यों के जीवन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है, ऐसे में अगर पीड़ित की मौत हो चुकी है तो भी उसकी पहचान को उजागर करना गैर-कानूनी है।
कानूनगो ने आगे बताया कि सिर्फ जिला सत्र न्यायाधीश ही पीड़ित या उससे जुड़ी पहचान को सार्वजनिक करने की अनुमति दे सकता है, अगर यह पीड़ित के हित में हो। उन्होंने यह भी कहा कि पीड़ित के परिवार के सदस्यों को भी इसकी अनुमति नहीं है।
दिल्ली हाईकोर्ट में रेप पीड़िता के परिवार के सदस्यों की पहचान को उजागर करने के कारण राहुल गाँधी के खिलाफ NCPCR के द्वारा कार्रवाई करने की माँग करते हुए याचिका दाखिल की गई थी। सुनवाई के दौरान ट्विटर ने बताया कि उसके द्वारा कार्रवाई करते हुए राहुल गाँधी का ट्वीट हटाया गया और उनका एकाउंट अस्थायी तौर पर लॉक किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता मकरंद सुरेश म्हाडलेकर ने राहुल गाँधी पर कार्रवाई करने की माँग करते हुए याचिका दायर की थी।