जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में कायरतापूर्ण आंतकी हमले में देश की सुरक्षा में लगे 40 से अधिक जवान शहीद हो गए। 40 से अधिक जवानों के शहीद होने के बाद जब देश दु:ख की घड़ी में है। जब इस विषम परिस्थिति में शहीद परिवारों के साथ खड़े होने की जरूरत है। जब एक स्वर में आतंक के ख़िलाफ़ पूरे विश्व को एक संकेत देने की जरूरत है। ऐसे समय में कुछ लोग अपने ओछे ज्ञान के हवाले से आरोप-प्रत्यारोप करने और सरकार को कोसने में लगे हैं।
ऐसे समय में अटल बिहारी द्वारा संसद में कही गई वो पंक्ति याद की जानी चाहिए कि – सत्ता का खेल तो चलेगा, सरकारें आएँगी और जाएँगी, पार्टियाँ बनेंगी और बिगड़ेंगी, मगर यह देश रहना चाहिए और देश का लोकतंत्र रहना चाहिए।
दरअसल, इस दर्दनाक घटना के बाद कुछ लोगों द्वारा सोशल मीडिया के अलग-अलग माध्यमों पर एक पर्ची फैलाकर यह कहने की कोशिश की जा रही है कि सरकार को इस घटना के बारे में इनपुट पहले ही दी गई थी। सरकार को घटना के बारे में पहले ही सतर्क किया गया था, लेकिन रक्षा मंत्रालय और सेना के उच्चाधिकारियों द्वारा इस मामले में ध्यान नहीं दिया गया। इसके फलस्वरुप आतंकी ने इस घटना को अंजाम दिया है।
इस पर्ची को सोशल मीडिया के अलग-अलग माध्यमों पर भेजने वाले लोगों को सबसे पहले तो यह सोचना चाहिए कि क्या सरकार या सेना पर आरोप लगाने का यह सही समय है? क्या वो जानते हैं कि इनपुट होने के बावजूद सुरक्षा बलों ने सतर्कता नहीं बरती है? क्या ऐसी पर्ची सोशल मीडिया पर भेजने वालों ने सुरक्षा में लगे इन जवानों के पक्ष को जाना है? सोशल मीडिया पर यह पर्ची सर्कुलेट कर रहे लोगों के पास शायद इन सवालों के जवाब नहीं है। इन लोगों के पास यदि इस सवाल का जवाब होता तो शायद दु:ख की इस घड़ी में वो छिंटाकशी नहीं कर रहे होते।
यह बात सही है कि देश की सुरक्षा में लगे जाँच एजेंसियों के लोग दिन-रात काम कर रहे हैं। देश की सेवा में लगे जाँच एजेंसियों को आतंकी हमले के बारे में जैसे ही संदेह हुआ, उन्होंने देश की सुरक्षा में लगे CRPF, BSF, ITBP, CISF आदि को सतर्क करते हुए प्लाटून के आवागमन के दौरान सतर्क बरतने की सलाह दी थी।
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि नोटिस भेजे जाने के बावजूद CRPF या रक्षा मंत्रालय द्वारा इस मामले में सतर्कता नहीं बरती गई है। सुरक्षा बल के जवानों को रवाना करने से पहले हाइवे की जाँच की गई थी।
सीआरपीएफ के इंसपेक्टर जनरल (ऑपरेशन) जुल्फीकार हसन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पिछले दिनों आतंकी द्वारा आईडी ब्लास्ट किए जाने की संभावना जाहिर की थी। यही वजह है कि 78 गाड़ियों पर लगभग 2500 सीआरपीएफ के जवानों को भेजने से पहले हाइवे पर आईडी ब्लास्ट किए जाने की हर पहलु को सही से जाँच लिया गाया था। आतंकी को आईडी ब्लास्ट करने का कोई लूप-होल नहीं मिला, जिसके बाद स्कार्पियो की मदद से हमले को अंजाम दिया।
सीआरपीएफ के इंसपेक्टर जनरल (ऑपरेशन) जुल्फीकार हसन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पिछले दिनों आतंकी द्वारा आईडी ब्लास्ट किए जाने की संभावना जाहिर की थी। यही वजह है कि 78 गाड़ियों पर लगभग 2500 सीआरपीएफ के जवानों को भेजने से पहले हाइवे पर आईडी ब्लास्ट किए जाने की हर पहलू को सही से जाँच लिया गया था। आतंकी को आईडी ब्लास्ट करने का कोई सही तरीका नहीं मिला, जिसके बाद स्कार्पियो की मदद से हमले को अंजाम दिया।
इसके अलावा अधिकारी ने कहा कि आतंकी द्वारा काफिले पर गोलीबारी किए जाने या फिर ग्रेनेड हमला करने की भी कोई संभवाना नहीं थी।
सीआरपीएफ इंस्पेक्टर हसन की मानें तो आमलोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए हाइवे को वनवे आवाजाही के लिए खुला छोड़ा गया था, जिसका गलत फायदा उठाकर आतंकी ने इस कायरतापूर्ण घटना को अंजाम दिया।
इस तरह सीआरपीएफ अधिकारी के इस बयान से साफ होता है कि देश की जाँच एजेंसी ने जो इनपुट दिया, उसके आधार पर सीआरपीएफ द्वारा रूट को अच्छे से जाँच लिया गया था। यही नहीं आतंकी द्वारा किए जाने वाले किसी भी तरह के अटैक की संभावना की बारीकी से जाँच की गई थी। लेकिन आम जनता के सुविधाओं के लिए जो छूट दी गई आतंकी आदिल अहमद ने उसका गलत फायदा उठाकर घटना को अंजाम दिया।
यदि सोशल मीडिया पर इस पर्ची को सर्कुलेट करने वाले लोग इन पहलुओं को जान लेते तो शायद उन्हें पता चल जाता कि सरकार और देश के सुरक्षा में लगे लोग अपनी तरफ़ से दिन रात इस तरह की घटना को रोकने के लिए काम कर रहे हैं।
यदि किसी कमी का फायदा उठाकर आतंकी इस तरह की कायर घटना को अंजाम देता है, तो हमें समझना होगा कि सरकार या देश की सुरक्षा में लगे जवानों की कमजोरी का पता कर आलोचना करने के बजाय हमें एक स्वर में आतंकी सोच के ख़िलाफ एकमत होकर खड़े होने की जरूरत है।