सोशल मीडिया पर कुछ तत्व लगातार हिन्दुओं और हिन्दू धर्म को बदनाम करने की जुगत में लगे रहते हैं और इसी क्रम में झूठी खबरें शेयर कर के ऐसा दिखाया जाता है जैसे हिन्दुओं ने मुस्लिमों की हत्या कर दी हो। अब सोशल मीडिया पर असम के तीनसुकिया जिले की एक घटना वायरल हो रही है, जहाँ एक व्यक्ति को जानवरों की चोरी के शक में भीड़ ने पीटा, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। फिर क्या था, गिरोह विशेष को एक नैरेटिव मिल गया।
ऑस्ट्रेलियाई लेखक सीजे वर्लमैन ने ‘द वायर’ की खबर शेयर करते हुए लिखा कि एक 28 साल के मुस्लिम व्यक्ति की ‘हिंदुत्व भीड़’ ने हत्या कर दी, वो भी गायों की चोरी का झूठा आरोप लगा कर। वर्लमैन ने हाल ही में लिखा था, “मैं ICC वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मैच में न्यूजीलैंड का समर्थन कर रहा हूँ। ऐसा इसीलिए, क्योंकि 50 करोड़ हिंदुत्व कट्टरपंथियों को मैं एक सेकेंड के लिए भी खुश नहीं देख सकता।”
इसी तरह कुछ अन्य लोगों ने भी ऐसी ही खबर चलाई। इसके आधार पर ‘मुस्लिमों पर अत्याचार’ और ‘हिंदुत्व मॉब की क्रूरता’ वाला नैरेटिव फैलाया गया। वामपंथी मीडिया पोर्टलों में अपनी हैडिंग में भी स्पष्ट किया कि पूरा मामला क्या है। असल में मृतक की उम्र भी 28 वर्ष नहीं थी, उसकी उम्र 34 वर्ष है। ऊपर से सच्चाई ये है कि मृतक मुस्लिम भी नहीं था। उसका नाम शरत मोरन था, जो हिन्दू धर्म से था।
ये घटना शनिवार (जून 12, 2021) की है। ये घटना बाघजन पुलिस थानांतर्गत स्थित कोरजोंगा गाँव की है। उसे पुलिस ने बचा कर दुमदुमा के FRU अस्पताल में शिफ्ट किया, जहाँ उसकी मौत हो गई। मृतक कोर्दोईगूरी गाँव का रहने वाला है। तीनसुकिया के एसपी देबोजीत देओरी ने बताया कि ये चोरी के आरोप में लोगों के शक का नतीजा है। मृतक के शरीर पर कटे के कई निशान पाए गए। इस मामले में FIR दर्ज कर ली गई है।
गाँव में दो लोगों की संदिग्ध गतिविधियों से ग्रामीणों में शक पैदा हुआ, जिसके बाद उन्होंने इन दोनों की खोज शुरू कर दी। ग्रामीणों ने दोनों को खदेड़ कर उनमें से एक को पकड़ लिया और उसकी पिटाई की। पीड़ित अपने एक दोस्त के यहाँ रात में रुका हुआ था। रात में ही उसे पकड़ लिया गया और रात भर बाँध कर एक कमरे में रखा गया। भीड़ ने उसे प्रताड़ित भी किया। लेकिन, न वो मुस्लिम था और न ही ये घटना सांप्रदायिक थी।
अक्सर हिंदू घृणा से सने ट्वीट करने वाले और इस्लामी समर्थक सीजे वर्लमैन के ऊपर शेखर गुप्ता की वेबसाइट द प्रिंट ने प्रोफाइल किया, उसे एक पत्रकार के रूप में घोषित किया। सच्चाई यह है कि सीजे वर्लमैन एक स्तंभकार है और जगह-जगह अपने लेख छपवाता है।