शहीद भगत सिंह को लेकर वामपंथियों और कॉन्ग्रेस आईटी सेल द्वारा कई तरह के फर्जी दावे, दुष्प्रचार और फेक न्यूज़ कई मौकों पर फैलाई गई हैं। इस बार यह दिन शहीद भगत सिंह की जयंती का तय किया गया और इसी बहाने भगत सिंह और आरएसएस को लेकर कुछ फेक न्यूज़ चलाई गईं।
‘RSS के ब्राह्मण ने अंग्रेजों के साथ मिलकर भगत सिंह को दिलाई थी फाँसी’
सोशल मीडिया से लेकर व्हाट्सएप ग्रुप्स तक में कई ग्राफिक पोस्टर्स और ‘फ़ॉर्वर्डेड’ संदेशों में यह दावा किया जाता है कि भगत सिंह को फ़ाँसी दिलाने के लिए अंग्रेजों की ओर से जिस ‘ब्राह्मण’ वकील ने मुकदमा लड़ा था, उनका नाम राय बहादुर सूर्यनारायण शर्मा था और वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक हेडगेवार के घनिष्ट मित्र और आरएसएस के सदस्य भी थे।
‘ब्राह्मण’ राय बहादुर सूर्यनारायण सिंह के नाम पर ट्विटर पर यह संदेश कई लोगों ने बड़े स्तर पर शेयर किया है। इन संदेशों का पहला उद्देश्य यह साबित करना है कि सरदार भगत सिंह का केस एक ‘मुस्लिम’ वकील ने लड़ा था, जबकि एक ब्राह्मण वकील, आरएसएस से जुड़ा व्यक्ति, कथित तौर पर ब्रिटिश सरकार की ओर से यह केस लड़ रहा था और भगत सिंह को फाँसी दिलाना चाहता था।
इन दावों को इन स्क्रीनशॉट्स में देख सकते हैं –
वीर भगत सिंह का मुकदमा लड़ने वाले वकील “आसिफ अली” थे,
— वैशाली पाटील ✍️ 12k 💯 (@Vaishaly_patil) July 19, 2019
एवं भगत सिंह के खिलाफ अंग्रेजो के तरफ से “राय बहादुर सुर्य नारायण शर्मा” था।
बस याद आया तो बता दिया। pic.twitter.com/Sw6cApCdeq
Because they appointed their fellow Congress man and a brilliant practicing Lawyer Asaf Ali to defend Bhagat Singh.
— RJ Fahad (@rjfahad) September 28, 2020
Now should I question RSS….. leave it, you won’t have the face to answer that.
Question of the day :
— زماں (@Delhiiite_) September 29, 2020
Asaf Ali defended Shaheed Bhagat Singh & Batukeshwar Dutt as a lawyer, after they threw a bomb in the Central Legislative Assembly
But who was Rai Bahadur SuryaNarayan?? https://t.co/mUO90Ihuns pic.twitter.com/ENwgIW17IU
क्या है वास्तविकता
इन तमाम संदेशों में पहला झूठ और भ्रामक दावा सरदार भगत सिंह के वकील को लेकर किया गया है। वास्तव में आसिफ अली ने सरदार भगत सिंह नहीं बल्कि बटुकेश्वर दत्त के वकील की भूमिका निभाई थी। जबकि सरदार भगत सिंह ने अपना केस एक कानूनी सलाहकार की मदद से स्वयं ही लड़ा था।
भगत सिंह द्वारा लिखी गई और 1929-1930 की अवधि के दौरान जेल अधिकारियों या विशेष न्यायाधिकरण या पंजाब उच्च न्यायालय को भेजे गए पत्रों और याचिकाओं में, भगत सिंह ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के मुकदमों के दौरान अभियुक्तों को किसी भी बचाव से इनकार करते हुए उन्हें फ़ाँसी देने की माँग की थी।
सरदार भगत सिंह पर कई किताबें लिखने वाले प्रोफेसर मालविंदरजीत सिंह वारिच ने भी इस दावे का खंडन करते हुए कहा था कि सत्यनारायण शर्मा नाम का कोई वकील भगत सिंह के खिलाफ अंग्रेजों के लिए पेश नहीं हुआ था।
‘अंडरस्टैंडिंग भगत सिंह’ और ‘भगत सिंह और उनके साथियां के दस्तावेज़’ लिखने वाले जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चमन लाल ने भी इस बात को स्पष्ट रूप से लिखा है कि भगत सिंह के मामले में अंग्रेजों की ओर से कोई भी भारतीय काउंसल नहीं थे और यह एक झूठा दावा है, जो लम्बे समय से चला आ रहा है।
उल्लेखनीय है कि सरदार भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने अप्रैल 08, 1929 को अपना विरोध प्रकट करने के लिए केंद्रीय विधान सभा में बम फेंका था। उन्होंने अपनी माँगों को स्पष्ट करने के लिए कुछ हस्तलिखित पत्र भी फेंके थे।
यह एक कम तीव्रता वाला बम था, जो विधान सभा के किसी भी सदस्य को मारने या चोट पहुँचाने के लिए नहीं था। जैसे ही विस्फोट हुआ, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त वहाँ खड़े हो गए और बाद में खुद पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
निष्कर्ष
आसिफ अली ने नहीं बल्कि, भगत सिंह ने अपना केस स्वयं ही एक कानूनी सलाहकार की मदद से मिलकर लड़ा था। आसिफ अली बटुलेश्वर दत्त के वकील थे। भगत सिंह के खिलाफ भारत का कोई भी व्यक्ति ब्रिटिश सरकार की ओर से वकील नहीं था और ‘ब्राह्मण, आरएसएस वाले सत्यनारायण शर्मा’ का भगत सिंह के खिलाफ केस लड़ना झूठा दावा है।