Monday, November 18, 2024
Homeफ़ैक्ट चेकसोशल मीडिया फ़ैक्ट चेकRSS से जुड़े ब्राह्मण ने दिया था अंग्रेजों का साथ, एक मुस्लिम वकील लड़ा...

RSS से जुड़े ब्राह्मण ने दिया था अंग्रेजों का साथ, एक मुस्लिम वकील लड़ा था भगत सिंह के पक्ष में – Fact Check

इन संदेशों का पहला उद्देश्य यह साबित करना है कि सरदार भगत सिंह का केस एक 'मुस्लिम' वकील ने लड़ा था, जबकि एक ब्राह्मण वकील (RSS से जुड़ा व्यक्ति) ब्रिटिश सरकार की ओर से यह केस लड़ रहा था और भगत सिंह को फाँसी दिलाना चाहता था।

शहीद भगत सिंह को लेकर वामपंथियों और कॉन्ग्रेस आईटी सेल द्वारा कई तरह के फर्जी दावे, दुष्प्रचार और फेक न्यूज़ कई मौकों पर फैलाई गई हैं। इस बार यह दिन शहीद भगत सिंह की जयंती का तय किया गया और इसी बहाने भगत सिंह और आरएसएस को लेकर कुछ फेक न्यूज़ चलाई गईं।

‘RSS के ब्राह्मण ने अंग्रेजों के साथ मिलकर भगत सिंह को दिलाई थी फाँसी’

सोशल मीडिया से लेकर व्हाट्सएप ग्रुप्स तक में कई ग्राफिक पोस्टर्स और ‘फ़ॉर्वर्डेड’ संदेशों में यह दावा किया जाता है कि भगत सिंह को फ़ाँसी दिलाने के लिए अंग्रेजों की ओर से जिस ‘ब्राह्मण’ वकील ने मुकदमा लड़ा था, उनका नाम राय बहादुर सूर्यनारायण शर्मा था और वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक हेडगेवार के घनिष्ट मित्र और आरएसएस के सदस्य भी थे।

‘ब्राह्मण’ राय बहादुर सूर्यनारायण सिंह के नाम पर ट्विटर पर यह संदेश कई लोगों ने बड़े स्तर पर शेयर किया है। इन संदेशों का पहला उद्देश्य यह साबित करना है कि सरदार भगत सिंह का केस एक ‘मुस्लिम’ वकील ने लड़ा था, जबकि एक ब्राह्मण वकील, आरएसएस से जुड़ा व्यक्ति, कथित तौर पर ब्रिटिश सरकार की ओर से यह केस लड़ रहा था और भगत सिंह को फाँसी दिलाना चाहता था।

इन दावों को इन स्क्रीनशॉट्स में देख सकते हैं –

व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी’ भी झूठे दावों के पोस्टर्स से भरी हुई हैं

क्या है वास्तविकता

इन तमाम संदेशों में पहला झूठ और भ्रामक दावा सरदार भगत सिंह के वकील को लेकर किया गया है। वास्तव में आसिफ अली ने सरदार भगत सिंह नहीं बल्कि बटुकेश्वर दत्त के वकील की भूमिका निभाई थी। जबकि सरदार भगत सिंह ने अपना केस एक कानूनी सलाहकार की मदद से स्वयं ही लड़ा था।

भगत सिंह द्वारा लिखी गई और 1929-1930 की अवधि के दौरान जेल अधिकारियों या विशेष न्यायाधिकरण या पंजाब उच्च न्यायालय को भेजे गए पत्रों और याचिकाओं में, भगत सिंह ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के मुकदमों के दौरान अभियुक्तों को किसी भी बचाव से इनकार करते हुए उन्हें फ़ाँसी देने की माँग की थी।

सरदार भगत सिंह पर कई किताबें लिखने वाले प्रोफेसर मालविंदरजीत सिंह वारिच ने भी इस दावे का खंडन करते हुए कहा था कि सत्यनारायण शर्मा नाम का कोई वकील भगत सिंह के खिलाफ अंग्रेजों के लिए पेश नहीं हुआ था।

क्विंट में प्रकाशित रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट

‘अंडरस्टैंडिंग भगत सिंह’ और ‘भगत सिंह और उनके साथियां के दस्तावेज़’ लिखने वाले जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चमन लाल ने भी इस बात को स्पष्ट रूप से लिखा है कि भगत सिंह के मामले में अंग्रेजों की ओर से कोई भी भारतीय काउंसल नहीं थे और यह एक झूठा दावा है, जो लम्बे समय से चला आ रहा है।

उल्लेखनीय है कि सरदार भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने अप्रैल 08, 1929 को अपना विरोध प्रकट करने के लिए केंद्रीय विधान सभा में बम फेंका था। उन्होंने अपनी माँगों को स्पष्ट करने के लिए कुछ हस्तलिखित पत्र भी फेंके थे।

यह एक कम तीव्रता वाला बम था, जो विधान सभा के किसी भी सदस्य को मारने या चोट पहुँचाने के लिए नहीं था। जैसे ही विस्फोट हुआ, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त वहाँ खड़े हो गए और बाद में खुद पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

निष्कर्ष

आसिफ अली ने नहीं बल्कि, भगत सिंह ने अपना केस स्वयं ही एक कानूनी सलाहकार की मदद से मिलकर लड़ा था। आसिफ अली बटुलेश्वर दत्त के वकील थे। भगत सिंह के खिलाफ भारत का कोई भी व्यक्ति ब्रिटिश सरकार की ओर से वकील नहीं था और ‘ब्राह्मण, आरएसएस वाले सत्यनारायण शर्मा’ का भगत सिंह के खिलाफ केस लड़ना झूठा दावा है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -