केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्क्रीय करने के बाद से सोशल मीडिया पर लगातार कुछ ऐसे प्रोपेगेंडा चलाए जा रहे हैं, जिनके द्वारा यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा है कि इसे हटाने के बाद कश्मीर में लोगों पर बहुत जुर्म किए जा रहे हैं।
इस मामले में JNU की फ्रीलांस प्रोटेस्टर शेहला रशीद को सीधे भारतीय सेना फटकार भी लगा चुकी है कि वो झूठे आरोपों के आधार पर आर्मी की छवि ख़राब करने का काम ना करे। इस पूरे प्रकरण में शेहला ही एकमात्र चेहरा नहीं है, जो कि भ्रम और अफवाहों के जरिए घाटी का माहौल बिगाड़ने के प्रपंचों में लिप्त है बल्कि BBC जैसे मीडिया गिरोह भी इसमें सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
इसी तरह से सोशल मीडिया पर एक तस्वीर दिखाई जा रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि इन दो महिलाओं को भारतीय सेना ने बलात्कार करने के बाद मार दिया। अगस्त 30, 2019 को Twitter पर मोहम्मद हसन रजा ने यह तस्वीर #SaveKashmir हैशटैग के साथ ट्वीट की है।
क्या है सच्चाई?
इस तस्वीर को Google करने पर सर्च रिजल्ट से पता चलता है कि इस फोटो को सबसे पहले 2016 में Popular Acdmi SuKkur नाम के एक पेज ने फेसबुक पर पोस्ट किया था। साथ में कैप्शन दिया गया था- “यह तस्वीर कश्मीर की। है इन दो लड़कियों को भारतीय सेना ने बलात्कार के बाद मार दिया था।”
इसी तस्वीर को thevoiceofuk.com वेबसाइट ने भी 10 अगस्त 2019 को खबर बनाकर पब्लिश किया था, जिसमें हेडलाइन थी- “Thousands of Kashmiri people including women,children and elderly persons protested against New Delhi’s action of abrogating special status of the occupied territory.”
यानी, “महिला, बच्चे, बुजुर्गों को मिलाकर हजारों कश्मीरी लोग ने ऑक्युपाइड क्षेत्र से विशेष राज्य का दर्जा हटाने के नई दिल्ली के फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया।” इस फर्जी खबर में अलग-अलग फर्जी तस्वीरों को कश्मीर में हो रहे अत्याचार बताकर दिखाया गया है।
इस तस्वीर की जाँच करने पर आगे पता चलता है कि यह तस्वीर Orlibonurb नाम के यूट्यूब चैनल द्वारा मई 31, 2010 को पब्लिश किए गए एक वीडियो में इस्तेमाल किया गया थंबनेल है। इस वीडियो में यह थंबनेल 1.56 सेकंड पर देखा जा सकता है।
तस्वीर का सच-
यह तस्वीर चीन की एक वेबसाइट ने 2008 में शेयर की थी। इसके विवरण में बताया गया है कि यह तस्वीर एक भारतीय फोटोग्राफर रफ़ीक़ मार्कबूलर (Rafik Markbuler) द्वारा जनवरी 4, 2007 में खींची गई थी।
बताया गया है कि इस तस्वीर को ‘वॉर एंड डिजास्टर’ (युद्ध और आपदा) खबरों के लिए कांस्य पदक भी मिल चुका है। यह तस्वीर एक पुलिस की गाड़ी में बैठी कश्मीरी पत्थरबाजों द्वारा घायल मुस्लिम महिला को दिखाती है।
यह स्पष्ट है कि यह तस्वीर घाटी में अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने के बाद के कश्मीर की नहीं है। इस महिला को भारतीय सेना द्वारा रेप करने के बाद मार दिए जाने का आरोप झूठ है, जबकि हकीकत में यह पुरानी तस्वीर कश्मीरी पत्थरबाजों द्वारा घायल की गई महिला की है।
कश्मीर के नाम पर इसी तरह की कई फर्जी ख़बरों और तस्वीरों के जरिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का काम जा रहा है। इस मामले में पाकिस्तानी मीडिया और कुछ भारतीय लेफ्ट लिबरल वर्ग लोगों को गुमराह करने के लगातार प्रयास कर रहा है। जिसके कुछ उदाहरण ये ट्वीट और तस्वीरें हैं –
So are you proud of your gallantry in Kashmir? Shame and what a shame! Your brutal army kills innocent and unarmed Kashmiris. If this is ur benchmark of bravery and gallantry than we curse and curse on such a bravery. Don’t celebrate it rather feel ashamed and cry on it! https://t.co/uVASAJcDLm pic.twitter.com/OS8g2pKV41
— Ameer Abbas (@ameerabbas84) August 4, 2019