अभिनेता सुशांत सिंह जो पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर फ़ेक न्यूज़ फैलाने के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं, रविवार (27 नवंबर 2020) को एक बार फिर निलंबित पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह की रिहाई को लेकर फ़ेक न्यूज़ फैलाते हुए नज़र आए। देविंदर सिंह को पिछले साल आतंकवादियों से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
ट्वीट करते हुए सुशांत सिंह ने दावा किया कि निलंबित पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह को चार्जशीट नहीं दायर किए जाने की वजह से रिहा कर दिया गया था। ‘रिहाई’ के बाद से वह कहाँ हैं, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। सुशांत ने कहा कि डीएसपी देविंदर सिंह अपनी गाड़ी में आतंकवादियों को जम्मू कश्मीर से दिल्ली लेकर जा रहे थे, तब उन्हें रंगे हाथों पकड़ा गया था।
सुशांत सिंह का यहाँ तक कहना था कि NIA चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई थी, जिसके चलते देविंदर सिंह को 3 महीने में जमानत मिल गई। क्या किसी चैनल ने रिहाई के बाद उन्हें खालिस्तानी कहा? इसके बाद सरकार और सरकार के समर्थकों को घसीटते हुए अभिनेता ने लिखा, “कोई ढूँढ रहा है उसे या चीन की घुसपैठ की तरह भूल गए।”
मोदी सरकार और आतंकवादियों की मदद करने वाले व्यक्ति पर कार्रवाई करने वाली केंद्रीय जाँच एजेंसियों की आलोचना करने की जल्दबाजी में सुशांत सिंह ने खुले तौर पर झूठ फैलाया। इस दौरान उन्होंने निलंबित पुलिस अधिकारी पर दर्ज किए गए मामले की जानकारियों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया।
ठीक इसी तरह के दावे अन्य ट्विटर यूज़र भी कर रहे थे।
DSP Davinder Singh was caught red-handed in his car carrying the terrorists from Jammu and Kashmir to Delhi. NIA could not file charge sheet, got bail in three months. Where is anyone know? No channel@PMOIndia @PIBHomeAffairs
— Wasiullah khan 🇮🇳 و صى الله خان (@wasiullahkhan9) December 26, 2020
DSP Davinder Singh was caught red-handed in his car carrying terrorists from J&k to Delhi. NIA could not file charge sheet, got bail in three months. Where is anyone know? Any channel called him Khalistani? Looking for someone to forget him, or like China’s intrusion?
— Avi Kansal (@avi_kansal) December 26, 2020
The larger issue is that since the NIA is tasked with political objectives, national security takes a backseat.
— 2024 Challenge (@2024Challenge) December 21, 2020
For example, Davinder Singh who was escorting terrorists for Delhi elections wasn’t even chargesheeted on time and is now out on bail. @VakashaS @RURALINDIA https://t.co/eGg8t2LBSk
फैक्ट चेक
बता दें कि अदालत ने देविंदर सिंह और उनके वकील इरफ़ान शफ़ी मीर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा जून में दर्ज किए गए मामले के संबंध में जमानत दी थी। यह जमानत तब दी गई थी, जब अदालत को यह पता चला कि 90 दिन की अनिवार्य अवधि पूरी होने के बावजूद चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। जिसके बाद आरोपितों को 1 लाख रुपए का निजी बॉन्ड भरना था।
मामले की जाँच करने वाले अधिकारी ने अदालत के समक्ष स्टेटस रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था, “इस तात्कालिक मामले की जाँच अभी ख़त्म नहीं हुई है, इसलिए चार्जशीट दाखिल नहीं की जा सकी।”
यानी अदालत द्वारा दी गई जमानत सिर्फ दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामले में प्रदान की गई थी। देविंदर सिंह पर NIA ने एक अलग मामला दर्ज किया है, जिसमें उन्हें जमानत नहीं दी गई है और इसलिए वह जेल से बाहर नहीं आ पाए हैं।
A Delhi court grants bail to suspended J&K DSP Davinder Singh, in connection with a terror case after Delhi Police fails to file charge-sheet within the stipulated period, says lawyer
— ANI (@ANI) June 19, 2020
देविंदर सिंह को दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामले में भले जमानत मिल चुकी है लेकिन NIA के मामले में उन्हें अभी तक जमानत नहीं मिली है, जिसकी वजह से वह अभी भी जेल में हैं। इसलिए वह जेल से ‘बाहर नहीं आ पा रहे हैं’ जैसा कि सुशांत सिंह ने दावा किया था, बिल्कुल ही असत्य है। यही बाकी सवालों का जवाब भी है कि देविंदर सिंह अभी कहाँ हैं? वह फ़िलहाल NIA की हिरासत में हैं।
हमेशा की तरह चुनिंदा लोग सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि आरोपित पुलिसकर्मी खुला घूम रहा है। जबकि यह सच नहीं है क्योंकि देविंदर सिंह को दूसरे मामले में जमानत मिली थी और फ़िलहाल उन्हें NIA हिरासत में ही रहना है। NIA के पास समय है और एजेंसी ने आश्वासन दिया है कि उनके पास आरोपित पुलिसकर्मी के खिलाफ़ पर्याप्त सबूत हैं और बहुत जल्द चार्जशीट भी दाखिल की जाएगी।
देविंदर सिंह को हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादी नवीद बाबू और आसिफ़ राठेर के साथ कार में यात्रा करते हुए 11 जनवरी को पकड़ा गया था। बाद में पता चला था कि इस्लामी आतंकवादी संगठन देविंदर सिंह को रुपए देता था। इसके बाद मामले की जाँच NIA को सौंप दी गई थी। 18 जनवरी को NIA ने मामले की जाँच शुरू कर दी थी।
सुशांत सिंह ने साझा की थी किसान आंदोलन से जुड़ी फ़ेक न्यूज़
कृषि सुधार क़ानूनों के विरोध में जारी ‘किसान’ आंदोलन को खालिस्तानी समर्थकों ने हथिया लिया है और घोर वामपंथियों, विपक्षी दलों ने इसे मोदी विरोध का ज़रिया बना लिया है। सोशल मीडिया पर भी काफी बड़े पैमाने पर प्रोपेगेंडा प्रचार जारी है। खुद को किसान हितैषी दिखाने की होड़ में झूठी जानकारियाँ और गलत तस्वीरें साझा की जा रही हैं। जिसकी वजह से आंदोलन का आकार बड़ा हुआ और आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
इसी तरह सुशांत सिंह और कुछ कॉन्ग्रेसी ट्रॉल्स ने सोशल मीडिया पर एक बूढ़े मृत व्यक्ति की तस्वीर साझा की। इनके दावे के मुताबिक़ तस्वीर में नज़र आने वाला व्यक्ति एक किसान था, जो दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए आया था और विरोध के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
सुशांत सिंह ने किसी और सोशल मीडिया यूज़र का पोस्ट साझा किया था, जिसने खुद गलत दावा करते हुए लिखा था कि कृषि सुधार क़ानूनों का विरोध करते हुए जान गँवाने वाले बूढ़े किसान की मृत्यु की वजह से वह बहुत दुखी है।
हालाँकि ट्रॉल्स द्वारा साझा की गई तस्वीर जिसे ‘किसान आंदोलन’ से संबंधित बताया जा रहा था, उसका असल में विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना ही नहीं था। यह तस्वीर सितंबर 2018 में ‘गरीब जाट’ नाम के पेज पर साझा की गई थी। तमाम लोगों द्वारा सही जानकारी देने के बावजूद सुशांत सिंह देविंदर से जुड़ी फ़ेक न्यूज़ नहीं हटाई।