ऐसे समय में, जब पूरा विश्व चाइनीज Covid-19 वायरस के संक्रमण से लड़ रहा है, देश का लेफ्ट-लिबरल मीडिया गिरोह अपने प्रोपेगंडा से बाहर नहीं निकल रहा है। कुछ दिन पहले ऑल्ट न्यूज़ ने एक फर्जी ट्विटर अकाउंट के ऐसे दावे को हवा दी थी जिसमें अस्पताल में डॉक्टर्स के पास मास्क ना होने और रोगियों के लिए पर्याप्त व्यवस्था न होने की बात कही गई थी। बाद में यह ट्विटर अकाउंट डिलीट कर दिया गया।
इसी क्रम में ऑल्ट न्यूज़ के ही समान लेफ्ट-लिबरल मीडिया के नाम पर सरकार और व्यवस्था के खिलाफ नैरेटिव चलाने वाले द क्विंट ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और वो भी एक कदम आगे बढ़कर। दरअसल, दी क्विंट ने एक इंजीनियर को डॉक्टर बना कर उसके विचारों को सनसनी बनाकर पेश किया है।
बृहस्पतिवार (मार्च 26,2020) को द क्विंट ने डॉ. गिरिधर ज्ञानी का एक इंटरव्यू प्रकाशित किया। द क्विंट वेबसाइट ने दावा किया कि डॉ. ज्ञानी Covid-19 के खिलाफ तैयार की गई टास्क फ़ोर्स के संयोजक थे। उन्होंने मंगलवार (24 मार्च) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में प्रमुख डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की एक बैठक में भाग लिया था।
इस इंटरव्यू में द क्विंट ने विशेष जोर देते हुए बताया कि वह एक ‘डॉक्टर’ हैं, जिन्होंने खुलासा किया था कि भारत कोरोना वायरस के संक्रमण के तीसरे चरण, यानी कम्युनिटी ट्रांसफर में पहुँच चुका है। इस साक्षात्कार के माध्यम से, क्विंट ने यह दावा करते हुए सरकार पर हमला किया कि वह कोरोना वायरस परीक्षण में अभी भी पुरानी कठोर नीति का पालन कर रही है। वामपंथी समाचार वेबसाइट ने यह भी दावा किया कि कथित ‘डॉक्टर’ ने उनसे कहा कि देश पहले से ही इस ट्रान्समिशन के चरण-3 में था, लेकिन मोदी सरकार इसे आधिकारिक नहीं बना रही थी।
द क्विंट के दावों और उसकी भ्रमक हेडलाइन को डॉ. ज्ञानी ने ही नकार दिया है। उन्होंने कहा है कि क्विंट ने भ्रामक हेडलाइन के माध्यम से उनकी बातों को कुछ और ही बनाकर पेश किया है। ज्ञानी ने स्पष्ट करते हुए कहाए- “सौभाग्य से अभी तक कोरोना संक्रमितों के मामलों में सामान्य रूप से ही वृद्धि देखी गई है, जबकि कम्युनिटी ट्रांसफर के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं।”
द क्विंट ने अब अपने इस सनसनीखेज इंटरव्यू को हर जगह से डिलीट कर इसे ‘अपडेट’ करते हुए अपने आरोपों को ‘संभवाना’ नाम दिया है।
यहाँ पर यह जानना भी आवश्यक है कि एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (AHPI) के संस्थापक डॉ. गिरधर ज्ञानी ‘डॉक्टर’ भी नहीं हैं, जैसा कि द क्विंट वेबसाइट की ‘पत्रकार’ पूनम अग्रवाल ने दावा किया है। वास्तव में, डॉ. ज्ञानी एक क्वालिटी मैनेजमेंट इंजीनियर हैं, जिन्होंने बाद में पीएचडी की डिग्री ग्रहण की थी। ना ही वे मेडिकल प्रैक्टिस करते हैं और ना ही वे कोई महामारी विशेषज्ञ हैं।
AHPI ने भी स्पष्ट किया है कि डॉ. ज्ञानी ने द क्विंट से यह कभी नहीं कहा कि भारत पहले से ही संक्रमण के तीसरे चरण में है। एक ट्वीट में AHPI ने स्पष्टीकरण देते हुए लिखा है कि डॉ. ज्ञानी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भारत तीसरे चरण में तो नहीं है, लेकिन यह बेहतर होता अगर सरकार यह सोचकर सभी जरूरी तैयारियाँ की होती कि भारत पहले से ही संक्रमण के तीसरे चरण में है।
Misleading article from The Quint on COVID-19 referring Dr Girdhar Gyani,DG.AHPI -Interview Dated 27.3.2020#TheQuint pic.twitter.com/BOPkylLfwO
— Association of Healthcare Providers (India) – AHPI (@ahpi_india) March 27, 2020
इस पूरे सनसनीखेज दावे में जो सबसे बड़ा झूठ द क्विंट ने कहा है वो ये कि डॉ. ज्ञानी टास्क फ़ोर्स की उस मीटिंग का हिस्सा थे, जिसे पीएम मोदी ने संबोधित किया था। द क्विंट का यह दावा भी फर्जी साबित हुआ है। क्विंट ने लिखा है कि “Covid-19 हॉस्पिटल्स के लिए टास्क फ़ोर्स” जबकि किसी भी सरकारी वेबसाइट पर ऐसी किसी भी टास्क फ़ोर्स का जिक्र ही नहीं है। ICMR ने जरूर एक Covid-19 टास्क फ़ोर्स का गठन किया है, लेकिन वह स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक उच्चस्तरीय कमेटी है ना कि “Covid-19 अस्पताल।”
वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘द क्विंट’ की उस रिपोर्ट का वह हिस्सा, जो अब नहीं रहा;
ICMR, जिसने कि NITI आयोग के सहयोग से डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स की कमेटी का गठन किया था, द्वारा जारी आधिकारिक डॉक्यूमेंट में किसी भी डॉ. ज्ञानी का जिक्र नहीं है।
ICMR द्वारा 18 मार्च को जारी डॉक्यूमेंट;
इस तरह द क्विंट ने पूरी तरह से बेबुनियाद और काल्पनिक आधारों पर कोरोना जैसी महामारी के दौरान भी सरकार विरोधी अपने एजेंडे को फैलाने का एक और नाकाम प्रयास किया है।