कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी हथियार सौदागर संजय भंडारी के साथ अपने रिश्तों व संदेहास्पद ज़मीन सौदों में बुरी तरह घिरते नज़र आ रहे हैं। उन पर पहले से ही राफ़ेल मुद्दे पर राजनीतिक रोटियाँ सेंकने और देश की सुरक्षा को हलके में लेने का आरोप लगा रही भाजपा ने OpIndia के सनसनीखेज़ ख़ुलासे के बाद राजनीतिक हमले और तेज़ कर दिए हैं। संदेहास्पद व्यापारियों के साथ उनके व्यवसायिक संबंधों और ज़मीन सौदों पर OpIndia ने कल दस्तावेज़ जारी करते हुए राफ़ेल सौदे पर उनके हमलों की मंशा पर सवालिया निशान लगाए थे।
अब तक राफ़ेल मुद्दे पर राहुल गाँधी के निशाने पर रही भाजपा ने आज तीन-तीन कद्दावर मंत्रियों को राहुल गाँधी के खिलाफ़ मैदान में उतारा है।
पहला हमला स्मृति ईरानी का
सबसे पहले मोर्चा संभालते हुए केन्द्रीय मंत्री और 2014 में राहुल गाँधी को अमेठी लोकसभा सीट पर कड़ी टक्कर देने वाली स्मृति ईरानी ने बुधवार को नई दिल्ली में एक प्रेस वार्ता कर राहुल गाँधी पर तीखे सवाल दागे। ‘गाँधी-वाड्रा परिवार’ पर खुद संदेहास्पद ज़मीन घोटाले करने के साथ देश के रक्षा सौदों की दिशा अपने निजी हितों की ओर मोड़ने का प्रयास करने का आरोप भी लगाया। साथ ही उन्होंने एक राजनीतिक दल के रूप में कॉन्ग्रेस पर भी सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार को संस्थागत रूप देना इस दल के ‘मूल्यों’ में शामिल है।
राहुल गाँधी को हथियार सौदों के बिचौलिये संजय भंडारी के साथ जोड़ने वाली OpIndia की खबर का उल्लेख करते हुए स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया कि राफ़ेल सौदे के विरोध द्वारा राहुल गाँधी न केवल राजनीतिक हित साधना चाहते थे बल्कि अपनी और अपने परिवार के आर्थिक हित भी गलत तरीके से साधना चाहते थे। उन्होंने कहा, “राहुल गाँधी ने देश की रक्षा तैयारियों को केवल इसलिए खतरे में डाल दिया क्योंकि उनके मित्र संजय भंडारी को राफ़ेल से ‘डील’ नहीं मिली”।
राहुल गाँधी पर राफ़ेल की प्रतिद्वंद्वी कंपनी यूरोफाइटर से अंदरखाने सौदेबाज़ी के भी आरोप लग रहे हैं। बताते चलें कि 126 लड़ाकू विमानों के पहले टेंडर के लिए राफ़ेल और यूरोफाइटर में कड़ी प्रतिस्पर्धा हुई थी, जिसमें राफ़ेल ने बाज़ी मारकर यह सौदा हासिल किया था। इसी सौदे में फ़ेरबदल कर 126 ख़ाली जहाज़ों की बजाय मोदी सरकार ने 36 युद्ध-को-तैयार लड़ाकू विमानों का ऑर्डर राफ़ेल को दिया था, जिसे राहुल गाँधी काफ़ी समय से घोटाला साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।
जिस बिज़नेसमैन संजय भंडारी के साथ राहुल गाँधी का नाम जुड़ रहा है, उस पर ईडी की जाँच भी जारी है और उस पर कॉन्ग्रेस सरकार के समय कई रक्षा और कच्चे तेल के सौदों में ‘kickbacks’ लेने का आरोप लग रहा है।
देश की विश्वसनीयता रसातल में
स्मृति ईरानी के बाद देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने फ़ेसबुक ब्लॉग पर लिखते हुए राहुल गाँधी के साथ-साथ भूतपूर्व यूपीए सरकार के सारे घोटालों को लपेटा। सालों तक सत्ता में रहे राजनीतिक दलों के ‘फ़ोन बैंकिंग’ (घोटाले), टैक्स चोरी, मनी लॉन्डरिंग आदि जैसे हथकण्डों से देश को आर्थिक रूप से लकवे की स्थिति में पहुँचाने के लिए ज़िम्मेदार करार देते हुए जेटली ने अगस्ता-वेस्टलैंड, खाद घोटाले से लेकर बोफ़ोर्स और पनडुब्बियों तक हर घोटाले में कॉन्ग्रेस और उसके नेताओं की छाप होने की बात कही।
OpIndia के ख़ुलासे का अव्यक्त ज़िक्र करते हुए जेटली ने कहा कि राजनीति में घोटालों और भ्रष्टाचार के तौर-तरीके बदल चुके हैं। सीधे रिश्वत लेने की बजाय बिचौलियों के ज़रिए अनुचित लाभ के लेन-देन की ‘स्वीटहार्ट डील्स’ करते हैं, और यह बिचौलिए राजनेताओं को अपने कृत्यों की ज़िम्मेदारी और दण्ड से भी बचा ले जाते हैं।
‘मिलिट्री-मैन’ राठौर का क्षोभ
भारतीय सेना में सक्रिय सेवाएँ देने वाले और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा ले चुके सूचना एवं प्रसारण मंत्री मेजर राज्यवर्धन सिंह राठौर ने ट्वीट कर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष से संजय भंडारी और यूरोफाइटर से अपने संबंधों का स्पष्टीकरण देने की मांग की। साथ ही यह सवाल भी दागा कि क्या वे राफ़ेल सौदे का विरोध भी अपने मित्रों को लाभ पहुँचाने के लिए कर रहे थे।
Rahul Gandhi has been repeatedly asking questions on the Rafale Deal but is he ready for the answers?
— Rajyavardhan Rathore (@Ra_THORe) March 13, 2019
He must explain his links with arms dealer Sanjay Bhandari and his meeting with Eurofighter officials. Is that why he opposes the purchase of Rafale?https://t.co/S96IzrB5Z6
अनाधिकारिक, असंतोषजनक, आधा-अधूरा उत्तर
स्मृति ईरानी की प्रेस वार्ता के बाद से एक ‘अनौपचारिक’ नोट मीडिया और सोशल मीडिया में चक्कर काट रहा है। (अपुष्ट और अज्ञात उत्पत्ति का, होने के कारण हम उसे इस रिपोर्ट में संलग्न नहीं कर रहे हैं। कॉन्ग्रेस या किसी भी अन्य सम्बंधित पक्ष का आधिकारिक बयान आने पर हम इस रिपोर्ट को update कर देंगे)।
इस नोट के अनुसार, वर्ष 2008 में राहुल गाँधी द्वारा जमीन खरीदने के बाद वर्ष 2012 में उन्होंने प्रियंका वाड्रा को जमीन गिफ्ट की थी। हालाँकि, भूमि सौदे को स्वीकार करते हुए, कॉन्ग्रेस ने राहुल गाँधी और भूमि विक्रेता एचएल पाहवा के साथ संबंधों पर चुप्पी साध रखी है। एचएल पाहवा ने रॉबर्ट वाड्रा और प्रियंका गाँधी वाड्रा को भी जमीन बेची थी। OpIndia ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि किस तरह से इस जमीन को बाद में एचएल पाहवा द्वारा रॉबर्ट वाड्रा और प्रियंका गाँधी वाड्रा से बढ़ी हुई कीमत पर वापस खरीद लिया गया था। असल में एचएल पाहवा ने भुगतान के लिए सीसी थम्पी से पैसे उधार लिए थे, जिसने हथियार डीलर संजय भंडारी के साथ कई वित्तीय सौदे किए हैं।
कॉन्ग्रेस द्वारा दी गई प्रतिक्रिया के कारण राहुल गाँधी के लिए इस मुद्दे से बाहर निकलना अब और भी जटिल हो गया है। इस आधी-अधूरी व्याख्या ने गांधी-वाड्रा परिवार और पाहवा के आर्थिक संबंधों को और अधिक स्पष्ट कर दिया है।
रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गाँधी वाड्रा ने भी पाहवा से ज़मीन खरीदी थी और उसे वापस ऊँचे दामों पर बेच दिया था। अब कॉन्ग्रेस ने स्वीकार किया है कि भूमि को राहुल गाँधी ने एचएल पाहवा से खरीदा था और प्रियंका गाँधी वाड्रा को उपहार में दिया था।
खबर लिखे जाने तक इस पूरे प्रकरण में राहुल गाँधी के एचएल पाहवा, सीसी थम्पी और संजय भंडारी के बीच के लिंक पर अभी भी कोई सीधा बयान नहीं दिया गया है।