बिहार में आई बाढ़ प्रशासनिक अकर्मण्यता का नया उदाहरण पेश कर रही है। न प्रशासन दिख रहा है और न ही उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य। दिख रही है तो बस एनडीआरएफ की टीमें, जिनके जिम्मे पटना को छोड़ कर सरकार लाचार बनी हुई है और प्रशासन सो रहा है। जिस तरह से अपने घर में फँसे उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी को रेस्क्यू कर के सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया गया, उसे देख कर तो यही लगा कि ख़ुद राज्य सरकार ही सड़क पर आ गई है। नीतीश कुमार पजामा उठा कर जलजमाव का जायजा ले रहे हैं।
कुछ दिनों पहले बिहार के मुख्यमंत्री हाथ में छाता लिए अपनी अटारी से मंद-मंद मुस्कुराते हुए पाए गए थे। लोगों ने भी कहा कि जहाँ पूरा पटना डूब रहा है, सीएम बारिश का आनंद ले रहे हैं। खैर, पहले तो उन्होंने इसे प्राकृतिक आपदा बता दिया। लेकिन, वह ये नहीं बता पाए कि जो प्राकृतिक आपदा प्रत्येक वर्ष आती है, उससे निपटने की तैयारी करना और उसके लिए उचित इंफ़्रास्ट्रक्चर तैयार करना सरकार की ही ज़िम्मेदारी होती है। नीतीश यह भी नहीं बता पाए कि प्राकृतिक आपदा आने के बाद राहत के लिए क्या इंतजाम थे?
अब नीतीश कुमार सीधा अमेरिका पहुँच गए हैं। बाढ़ कवर करने गए पत्रकारों को डपटते हुए उन्होंने पूछा कि क्या पटना में बाढ़ ही एकमात्र समस्या है? उन्होंने पूछा कि अमेरिका में क्या हो रहा है? वह बार-बार कहते रहते हैं कि ‘हरसंभव उपाय किया जा रहा है।’ नीतीश कुमार के अनुसार, मुंबई और देश के अन्य हिस्सों में भी बारिश होती है और पानी लगता है, पटना ही एकमात्र समस्या नहीं है। नीतीश ने क्लाइमेट चेंज का रोना रोते हुए अतिवृष्टि और अनावृष्टि की बात की। देखें वीडियो:
Bihar flood fury: 49 dead already, but CM @NitishKumar evades responsibility.
— TIMES NOW (@TimesNow) October 2, 2019
TIMES NOW’s Shyam with more details. Listen in. | #NDASinksBihar pic.twitter.com/QzxgHOGJZ3
नीतीश कुमार शायद भूल गए हैं कि जलजमाव भले ही देश के अन्य हिस्सों में भी होता हो या फिर बाढ़ भले मुंबई में भी आती हो, लेकिन बिहार के लिए तो उनकी जिम्मेदारी बनती है और सवाल उन्हीं से पूछे जाएँगे। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह बीते दिनों अपने संसदीय क्षेत्र बेगूसराय में भ्रमण कर रहे थे। इस दौरान ग्रामीणों ने उन्हें प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की जा रही लापरवाही व भेदभाव से अवगत कराया। गिरिराज बिफर पड़े और उन्होंने अधिकारियों को ठीक से राहत कार्य न करने के लिए फटकार लगाई। नौबत यह आ गई है कि एक केंद्रीय मंत्री भी बिहार में असहाय नज़र आने लगा।
नीतीश सरकार की लापरवाही का आलम यह है कि सहयोगी भाजपा भी उनकी आलोचना करने से ख़ुद को नहीं रोक पा रही। हालाँकि, बिहार सरकार में कई मंत्री भाजपा के भी हैं लेकिन पार्टी तब भी सरकार की अकर्मण्यता पर सवाल उठा रही। ताज़ा बयान आया है बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल का। पश्चिम चम्पारण के सांसद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जायसवाल ने कहा है कि बारिश रुके 24 घंटे होने के बाद भी परिस्थिति का इतना विकट बने रहना प्रशासनिक लापरवाही की निशानी है।
जायसवाल राहत कार्य के लिए जनता, कार्यकर्ताओं और आरएसएस को धन्यवाद देते हैं। यह दिखाता है कि सरकार में शामिल लोगों का ही प्रशासनिक अधिकारियों व मंत्रियों से भरोसा उठ गया है। हालाँकि, जायसवाल अधिकारियों पर कार्रवाई की माँग तो करते हैं, लेकिन मंत्रियों व सरकार के नेताओं की ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए या नहीं, इस पर वह चुप्पी साध जाते हैं। अगर सिर्फ़ अधिकारी ही दोषी हैं तो मंत्रियों का क्या? नीतीश कुमार की ही पार्टी के एक नेता ने अपनी ही सरकार के मंत्रियों पर निशाना साधा। मटिहानी के विधायक नरेंद्र सिंह उर्फ़ बोगो बाबू का गिरिराज ने भी समर्थन किया।
बोगो बाबू ने कहा कि बड़े नेता सिर्फ़ लक्ज़री गाड़ियों में पूरे सुख-सुविधा के साथ घूम रहे हैं और समीक्षा के नाम पर ख़ुद आनंद ले रहे। राहत कार्य से लेकर कई योजनाओं में घोटाला हुआ है, ऐसा विधायक बोगो बाबू का मानना है। उन्होंने यह भी कहा कि मवेशियों तक को मरने के लिए छोड़ दिया गया है और राहत सामग्री भी घटिया क्वालिटी की है। उन्होंने सरकार को संवेदनहीन करार दिया, जिसके बाद गिरिराज सिंह ने उनके बयान का समर्थन करते हुए कहा कि अगर सच बोलना बगावत है तो वह बागी हैं। अब सवाल यह है कि आख़िर नीतीश के ख़ुद की ही पार्टी व गठबंधन के नेता सरकार से क्यों नाराज़ हैं?
सुशासन की सड़कों पर पजामा ऊंचा करके चलते हुए ‘सुशासन’ बाबू #patnafloods pic.twitter.com/BMF0qX0SNf
— Sakshi Joshi (@sakshijoshii) October 1, 2019
बाढ़ को लेकर एक बिहारी व्यक्ति ने वीडियो बनाया, जिसमें उसने देश के बुद्धिजीवियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि केरल व मुंबई में थोड़ी बारिश से उनकी आँखों में आँसू आ जाते हैं, लेकिन बिहार डूब रहा है पर उन लोगों की तरफ से एक ट्वीट तक नहीं आया। उसका दर्द इस बात को लेकर था कि जो बिहार की जनता त्रासदी झेलती है, वही जनता चुनाव के समय ऐसे नेताओं को जातिवाद के कारण जीता देती है, जो कुछ भी काम नहीं करते। तो क्या सच में राष्ट्रीय स्तर पर भी बिहार के साथ पक्षपात होता है?
अंत में बात बिहार के उप-मुख्यमंत्री और बिहार भाजपा संगठन में पार्टी के सर्वेसर्वा माने जाने वाले सुशील कुमार मोदी की कर लेते हैं। अर्थव्यवस्था व जीएसटी से लेकर विभिन्न विषयों पर लम्बे-चौड़े भाषण देने वाले मोदी, जिन्हें उनके घर से रेस्क्यू कर के निकाला गया, वो कहते हैं कि ‘अचानक हुई बारिश’ से ऐसे हालात उत्पन्न हो गए। यह बयान उस व्यक्ति के मुँह से निकल रहा है, जिसके हाथों में पिछले 14 में से 10 वर्ष पूरे राज्य की अर्थव्यवस्था और वित्त की जिम्मेदारी रही है।
फिर अगले वर्ष यही होगा। इस बार तो पटना में बाढ़ आई तो यह राष्ट्रीय मुद्दा बन बन भी गया वरना यह दंश तो बिहार की करोड़ों जनता प्रत्येक साल झेलती है। कई इलाक़े महीनों तक जलमग्न रहते हैं और उन्हें कोई पूछने वाला तक नहीं होता। अगले वर्ष ऐसा फिर होगा। पटना में हुआ तो यह न्यूज़ बन भी जाएगी, लेकिन अन्य क्षेत्रों में ऐसा हुआ तो किसी को कानोंकान ख़बर तक नहीं लगेगी और सरकार की निष्क्रियता, अकर्मण्यता और लापरवाही छिप जाएगी। इन्तजार कीजिए। पटना के पास न राहत कार्य के लिए नाव है और न ही जल निकासी के लिए मशीन। सबकुछ बाहर से मँगाया जा रहा है।