बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के संस्कृत विद्या धर्म-विज्ञान संकाय में फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर आज 16वें दिन भी छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है। हालाँकि, लगातार प्रशासन छात्रों पर दबाव बना रहा है कि छात्र धरना ख़त्म कर दें लेकिन छात्र अपनी माँगों पर बने हुए हैं।
छात्रों ने कल प्रशासन को अपना माँग पत्र सौंपते हुए कई सवालों का विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब माँगा है। जिसे लेकर देर रात SVDV के संकाय प्रमुख, अन्य विभागाध्यक्षों और VC के बीच मीटिंग चली लेकिन किसी भी नतीजे पर नहीं पहुँचा गया। इस बीच खबर ये भी है SVDV के छात्रों पर दबाव बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे शशिकांत मिश्रा, शुभम और कृष्णा को प्रशासन ने धरनास्थल से हटाने का प्रयास किया। इसके बावजूद छात्रों का प्रदर्शन जारी है।
आंदोलनरत SVDV के छात्रों का वाइसचांसलर से सवाल
- इस नियुक्ति प्रक्रिया में विश्वविद्यालय ने यूजीसी के किस शार्ट लिस्टिंग प्रक्रिया को अपनाया है?
- विश्वविद्यालय संविधान के अनुसार नियुक्ति प्रक्रिया सम्पन्न हुई है?
- क्या बीएचयू एक्ट के 1904, 1096, 1915, 1955, 1966 व 1969 एक्ट को केंद्र में रखकर यह नियुक्ति की गई है?
- संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में क्या संकाय के अन्य सभी विभागों के अनुरूप ही शार्ट लिस्टिंग हुई है?
- क्या संकाय के सनातन धर्म के नियमों को ध्यान में रखकर शार्ट लिस्टिंग की गई है?
बीएचयू प्रशासन ने आंदोलनरत छात्रों की ओर से पूछे गए इन सवालों का दस दिन के अंदर लिखित जवाब देने का आश्वासन दिया है। लेकिन आज सुबह से ही मीडिया में धरना समाप्ति सहित कई फर्जी खबरें चलाई गई जिस पर छात्रों का आरोप है कि प्रशासन और मीडिया की मिलीभगत से ऐसी खबरें जानबूझकर उनका मनोबल गिराने के लिए चलाई जा रही हैं।
बता दें कि पहली बार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय (SVDV) के साहित्य विभाग में एक मुस्लिम सहायक प्रोफेसर डॉ फिरोज खान की नियुक्ति 5 नवम्बर को हुई। संकाय के विद्यार्थियों को जैसे ही इसकी जानकारी हुई, इस नियुक्ति के खिलाफ विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था और तब से लगातार प्रदर्शन जारी है।
उल्लेखनीय है कि जब प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर छात्र प्रदर्शन कर रहे थे तो देश भर में तमाम मीडिया समूहों ने इस न्यूज़ को ऐसे चलाया जैसे कि पूरे BHU में मुस्लिम टीचर की नियुक्ति का विरोध हो रहा है। जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है। अलीगढ़ के तर्ज पर बेशक BHU के नाम में कुछ समानताएँ हो लेकिन वहाँ किसी का सिर्फ मुस्लिम होने की वजह से विरोध कभी नहीं हुआ।
दरअसल यह विरोध एक गैर-हिन्दू का ‘धर्म-विज्ञान संकाय’ में नियुक्ति का विरोध था। बता दे कि संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के अंतर्गत दो विभाग आते हैं। पहला संस्कृत विद्या और दूसरा धर्म विज्ञान। इन दोनों में अलग-अलग तरीके की पढ़ाई होती है। संस्कृत विभाग में संस्कृत को भाषा की तरह पढ़ाया जाता है। वहीं, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान विभाग में सनातन धर्म के रीति-रिवाजों, मंत्रों, श्लोकों, पूजा पाठ के तौर-तरीकों और पूजा पाठ के बारे में बताया जाता है।
छात्रों का कहना है कि कोई मुस्लिम व्यक्ति कैसे हिंदू धर्म के पूजा पाठ के बारे में बता सकता है, पढ़ा सकता है। छात्रों का विरोध इसी बात पर था। उनका कहना था कि संस्कृत को भाषा के तौर पर किसी भी जाति- धर्म के टीचर द्वारा पढ़ाए जाने पर उन्हें कोई ऐतराज नहीं है। छात्रों का कहना था कि अगर यह नियुक्ति विश्वविद्यालय के ही किसी अन्य संकाय में संस्कृत अध्यापक के रूप में होती तो यह विरोध नहीं होता। मगर अब छात्रों के विरोध के बाद विश्विद्यालय की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि फिरोज खान कर्मकांड नहीं, बल्कि संस्कृत पढ़ाएँगे।
आपको बता दें कि अन्य मीडिया संस्थानों से परे ऑपइंडिया ने इस मामले पर शुरू से ही छात्रों के मूल पक्ष को रखा। इस पर ग्राउंड रिपोर्टिंग की गई। विरोध किस बात को लेकर है, इसको लेकर पाठकों को भ्रम में रखने के बजाय पूरे मामले की असलियत को समझाया गया।
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