बाबरी न रही मगर अब अयोध्या में बाबरी से भी चार गुना बड़ी मस्जिद बनने जा रही है। बताया जा रहा है कि पाँच एकड़ जमीन पर मस्जिद के साथ ही अस्पताल भी बनाया जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि यहाँ पर एक समय में दो हजार लोग नमाज पढ़ सकेंगे। लेकिन देश का उदारवादी वर्ग इस सबसे बेहद नाराज है।
लिबरल समुदाय का कहना है कि एक ओर जहाँ उन्हें हर साल धरना-प्रदर्शन के लिए नई जगह तलाश करनी पड़ रही हैं, क्या समुदाय विशेष की ये जिम्मेदारी नहीं थी कि वह धरना प्रदर्शनकारियों के नाम यह पाँच एकड़ जमीन कर देती।
वामपंथी, लिबरल्स और फेसबुक एनार्किस्ट गिरोह का कहना है कि जहाँ वो हमेशा ढपली बजा बजाकर मंदिर और मस्जिद की जगह अस्पताल, स्कूल बनाने की वकालत करते रहे, ऐसे में पाँच एकड़ जमीन पर मस्जिद का बनाया जाना उनके मानवाधिकारों की निर्मम हत्या है।
एक प्रगतिशील लिबरल और ट्विटर विचारक ने कहा कि मस्जिद की जगह यहाँ पर मानवाधिकार कार्यालय भी बनाया जा सकता था लेकिन इतनी बड़ी जगह को मजहब के नाम पर कुर्बान कर दिया जाना बताता है कि हम आज भी कितने पिछड़े हुए हैं। ‘वोक सुशील’ ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि एक समाज के तौर पर शर्मिंदा हैं।
गौरतलब है कि मस्जिद को पृथ्वी की तरह ही गोल आकार में बनाया जाना तय हुआ है। ऐसे में कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने हैरानी जताते हुए कहा है कि अगर कोई मजहब पृथ्वी को आज तक चपटा मानता आया है, उसकी ही एक पाक जगह को गोल बनाकर उसे पृथ्वी का आकार बताना देश में बढ़ती हुई असहिष्णुता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि जरुर इस आकृति को बनाने के पीछे आरएसएस का भी हाथ है।
समुदाय विशेष का वर्ग ऐसा भी है को अभी तक भी इस पाँच एकड़ जमीन को भीख में मिली जमीन बताते हुए अपनी प्रतिक्रिया रख रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि अगर इस पूरी जमीन को गरीबों के रहने के लिए बनाया जाता तो गरीब भी मजहब वालों को दुआ देते। इस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने लोगों को बीच में टोकते हुए कहा कि शेल्टर होम बनाने का आइडिया सबसे पहले उन्होंने ही दिया था।
लिबरल्स का कहना है कि वो इसके खिलाफ भी धरना-प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं क्योंकि फिलहाल सभी लोग कथित किसान आंदोलन में किसानों के साथ सेल्फी लेने में व्यस्त हैं। लिबरल्स गिरोह का कहना है कि वो अयोध्या में बनने जा रही मस्जिद की जगह गरीबों के लिए स्कूल और पूरी पाँच एकड़ जमीन पर अस्पताल बनाने के लिए जमकर ढपली बजाएँगे और इंटरनेट पर पिटीशन दायर करेंगे। कुछ लोगों को यह भी भय है कि नई मस्जिद के लिए नींव खोदते समय कहीं बुनियाद में बैठा बाबर बिरियानी बनाते ना मिल जाए।