शनिवार (अगस्त 1, 2020) को बकरीद का मनाया जा रहा है और दुनिया भर में मजहब विशेष के लोग इस दिन लाखों जानवरों को काटने में मशगूल हैं। ये पहली बार नहीं हो रहा। बकरीद पर हमेशा ऐसा ही होता आ रहा है जब लाखों निर्दोष जानवरों की जान जाती है। PETA समेत तमाम पशु अधिकार संगठन तब अपनी आँख मूँदे रहते हैं और चूँ तक नहीं करते। लेकिन, बकरीद अगर हिन्दुओं का त्योहार होता तब?
इस देश में हिन्दुओं को हर चीज के लिए जिम्मेदार ठहराने और उन्हें फालतू ज्ञान देने वालों की भीड़ लगी हुई है। भले ही अधिकतर हिन्दू शाकाहार का पालन करते हों, जानवरों को न मारने का ज्ञान उन्हें ही दिया जाएगा। भले ही उनके त्योहारों में हिंसा वर्जित हो, अहिंसा का पाठ उन्हें ही पढ़ाया जाएगा। भले ही आठ-आठ बच्चे किसी और मजहब के लोग पैदा कर रहे हों, लेकिन ठीकरा हिन्दुओं पर ही फोड़ा जाएगा।
होली पर हिन्दुओं को पानी बचाने की सलाह दी जाती है। महाशिवरात्रि पर कहा जाता है कि शिवलिंग पर दूध मत चढ़ाओ। गणेश चतुर्थी के दौरान जल प्रदूषण पर बात किया जाता है। दीवाली पर पटाखे न फोड़ने की सलाह दी जाती है। होली पर तो सीमेन भरे बैलून तक की अफवाह फैलाई गई और हिन्दुओं को बदनाम किया गया। लेकिन, इस्लामी त्योहारों के दौरान लाख गलतियाँ हों लेकिन इन सेलेब्रिटीज की घिग्घी बँध जाती है।
उस दिन ये सेलेब्रिटीज लोगों को बधाइयाँ देते हैं, सोशल मीडिया पर खुशियाँ मनाते हैं, लेकिन, सोचिए कि अगर बकरीद कोई हिन्दू त्योहार होता तब क्या होता? क्या तब जीवहत्या के ठेकेदार कुकुरमुत्ते की तरह पैदा होकर हिन्दुओं को गाली नहीं दे रहे होते? क्या तब सारे एनजीओ, पत्रकार, सेक्युलर-लिबरल गैंग और सेलेब्स का समूह हिन्दुओं की आलोचना में नहीं लगा रहता? इन 10 चित्रों में समझिए अगर बकरीद हिन्दू त्योहार होता तो क्या होता?
अगर बकरीद हिन्दुओं का त्योहार होता तो प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट में जीवहत्या के खिलाफ याचिका डालते और आधी रात को सुनवाई भी हो रही होती:
गणेश जी की मूर्ति के साथ कोई कोटेशन लगा कर ज्ञान बाँटा जा रहा होता:
पश्चिम बंगाल में तो सरकार जीवहत्या पर त्वरित प्रतिबन्ध लगा देती:
स्वरा भास्कर को हिन्दू और हिंदुस्तानी होने में शर्म आ रही होती:
असदुद्दीन ओवैसी बरखा दत्त को बयान दे रहे होते कि अगर जीवहत्या हिन्दुओं के धर्म का हिस्सा है तो उन्हें नया धर्म अपना लेना चाहिए:
‘द प्रिंट’ में एक्टिविस्ट अरुंधति रॉय का बयान आता कि जीवहत्या के अलावा भी बकरीद में कई बुराइयाँ हैं और ये पुरुष-प्रधान त्योहार है:
कॉमेडियन कुणाल कामरा हिन्दुओं को अत्याचारी और क्रूर बताते भारत का नक्शा शेयर कर बताता कि बकरीद के दौरान कितना खून बहता है:
‘स्क्रॉल’ ओपिनियन लिख कर हिन्दुओं को ज्ञान दे रहा होता:
मजहबी मुल्कों का समूह बकरीद की आलोचना कर रहा होता:
इतिहासकार रामचंद्र गुहा पाकिस्तान की तारीफ करते हुए हिन्दुओं की आलोचना कर रहे होते:
नोट: सभी को ईद की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। ये लेख इसीलिए है ताकि पता चले कि जो लिबरल लोग हिन्दुओं को ज्ञान देते रहते हैं वो कितने दोहरे रवैये वाले हैं और उनकी सारी आलोचना और गालियाँ एक ही समुदाय के लिए हैं, जिसे वो बार-बार निशाना बनाते रहते हैं। मेरा किसी को भी ठेस पहुँचाने का कोई इरादा नहीं है। ये लेख ‘लिबरल’ ब्रीड के लिए है।