भारत ने आज 22 जुलाई, 2019 को दोपहर 2.43 बजे देश के सबसे ताकतवर रॉकेट GSLV-MK3 से चंद्रयान-2 लॉन्च हो गया। यह एक बड़ी घटना थी। क्योंकि हमारा देश दुनिया का चौथा ऐसा देश बनने जा रहा है, जिसके पास चाँद पर उतरने की तकनीकी क्षमता होगी। लेकिन आज के ही दिन इससे भी बड़ी एक घटना हुई 2:47 पर। मतलब प्रक्षेपण के 4 मिनट के अंदर। देश की सबसे पुरानी पार्टी को नेहरू याद आ गए। नेहरू जो कभी प्रधानमंत्री थे, नेहरू जिन्होंने खुद को भारत रत्न दिया था। क्यों याद आए, क्योंकि जब इसरो के वैज्ञानिक थक-हार चुके थे, रॉकेट उड़ने को तैयार ही नहीं था, तब नेहरू ने ही झुककर सबसे ताकतवर ‘बाहुबली’ रॉकेट GSLV-MK3 की छुच्छी में आग लगाई।
This is a good time to remember the visionary move of India’s first PM Pandit Jawaharlal Nehru to fund space research through INCOSPAR in1962 which later became ISRO. And also Dr. Manmohan Singh for sanctioning the #Chandrayan2 project in 2008. pic.twitter.com/2Tje349pa0
— Congress (@INCIndia) July 22, 2019
इस अद्भुत घटना के बाद सॉल्ट न्यूज़ द्वारा ट्विटर पर जनमत संग्रह आयोजित करने के बाद जो निष्कर्ष निकला है उसके अनुसार कम लोग ये बात जानते हैं कि आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ही माउंटबेटेन के साथ मिलकर आग का आविष्कार किया था। आज भले ही मोदी जी इसका क्रेडिट ले जाएँ लेकिन सच्चाई हमेशा नेहरू जी के साथ रहा है और हर घटना के 4 मिनट के भीतर वो जग जाहिर हो जाता है।
कुछ लोग यह भी कहेंगे कि मोदी तो नेहरू के समय में थे भी नहीं, लेकिन आज के लोग यह जानते हैं कि ‘मोदी है तो मुमकिन है।’ ख़ैर, मजाक अपनी जगह है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मोदी जिस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए चँदा मामा की सैर का श्रेय लेते हुए लहरिया लूटने की सोच रहे हैं, वो तकनीक भी नेहरू जी द्वारा स्थापित (फ़िलहाल गुप्त) राजीव गाँधी टेलीपोर्टेशन अनुसन्धान संस्थान की ही देन है। कॉन्ग्रेस ने इस बात पर भी अपना रोष व्यक्त किया है।
गोदी मीडिया आपको ये बात कभी नहीं बताएगी, लेकिन सत्य यह है कि जवाहरलाल नेहरू के बाद रोजाना ED ऑफिस के चक्कर काट रहे रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गाँधी की दादी इंदिरा गाँधी भी इस रॉकेट को लॉन्च करने का प्रयास करने जा रही थी। सॉल्ट न्यूज़ के सूत्रों ने बताया कि इंदिरा गाँधी ने इसलिए भी यह कार्य अपने कार्यकाल में रह जाने दिया, ताकि जब कभी भविष्य के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार राहुल गाँधी मुद्दों की कमी से जूझें, तो वो झट से DRDO और ISRO के अस्तित्व का श्रेय भी गाँधी परिवार को देकर जनता को खुश कर सकें। वरना आपातकाल के दौरान इंदिरा गाँधी जी इतनी भी व्यस्त नहीं थीं कि वो एक रॉकेट की बत्ती में आग लगाने का समय न निकाल पातीं।
कॉन्ग्रेस का यह ‘क्रेडिट काल’ कोई आज का नहीं है। कॉन्ग्रेस का यह पंच लाइन है: मैं तुम पर किए अहसान भूल जाऊँ, यह हो नहीं सकता; तुम मेरे ऋण से उबर जाओ, यह मैं होने नहीं दूँगा। तभी 27 मार्च को भी ASAT के सफल मिशन पर हम हिंदुस्तानियों को कॉन्ग्रेस का कर्जा याद दिलाया गया था। तब जो ऐतिहासिक हुआ था, उसके पल-पल की खबर नीचे पढ़िए और कॉन्ग्रेस के सामने शीष झुकाइए। वैसे ट्विटर पर कुछ शरारती लोग देश की सबसे पुरानी पार्टी को गाली दे रहे हैं, लेकिन हम उसे यहाँ नहीं छाप सकते – पत्रकारिता की साख का सवाल है 🙂 आप देखना-पढ़ना चाहते हैं तो ऊपर के ट्वीट को खोलिए और उसके नीचे आई प्रतिक्रियाओं को देख कर मजे लीजिए- आपकी मर्जी!
आइए जानते हैं कि जनमत संग्रह किसे दे रहा है ASAT का ‘क्रेडिट’
Krishna (@Atheist_Krishna) नाम के एक मनचले ट्विटर यूज़र ने कॉन्ग्रेस पार्टी प्रवक्ता के संदेह को दूर करते हुए एक गलत तस्वीर को ट्विटर पर जारी किया जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू को कारगो पैंट पहने हुए किसी मिसाइल को आग लगाते हुए दिखाया गया है। लेकिन उनकी इस झूठी तस्वीर को गाँधी परिवार के जमीन घोटालों का पर्दाफाश करने वाले OpIndia न्यूज़ पोर्टल के CEO राहुल रौशन ने तुरंत पकड़ लिया और इसे वहीं पर फोटोशॉप्ड तस्वीर बता दिया ताकि यह झूठी खबर व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी पर वायरल होकर, लोगों की गुप्त जानकारी वायरल करने वाले रैंडम फैक्ट चेकर्स का काम ना बढ़ा दे। इस ट्वीट पर सॉल्ट न्यूज़ वालों ने लेबर मिनिस्ट्री को पत्र लिखकर उनके रोज़गार पर लात मारने की शिकायत की है।
Nehru launching Anti-Satellite (ASAT) Missile. pic.twitter.com/hXtsJxOIr9
— Krishna (@Atheist_Krishna) March 27, 2019
Photoshop lag raha hai. Isn’t it? https://t.co/m75jv5ZYKM
— Rahul Roushan (@rahulroushan) March 27, 2019
Atheist_Krishna इस चेतावनी के बाद भी नहीं रुके और उन्होंने एक दूसरी फोटोशॉप्ड तस्वीर ट्विटर पर वायरल कर डाली, जिसमें उन्होंने गठबंधन की भीख माँग रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को उनकी समस्त सेना के साथ अंतरिक्ष भेजते हुए दर्शाया है। इसमें कुछ लोगों की तस्वीरें देखकर लगता है कि वो भारतीय मीडिया गिरोह के कुछ लम्पट पत्रकार हैं। हालाँकि, ये तस्वीर भी फोटोशॉप्ड ही है।
Don’t believe Modi. Will go to space personally to collect proof & see if #MissionShakti is a success. pic.twitter.com/R8LQ2EVbnl
— Krishna (@Atheist_Krishna) March 27, 2019
एक अन्य ट्विटर यूज़र @rishibagree ने ISRO की एक पुरानी तस्वीर शेयर करते हुए बताया है कि जब ISRO वैज्ञानिक रॉकेट के पार्ट्स को साइकिल पर ढोया करते थे उस वक़्त नेहरू-गाँधी परिवार चार्टेड प्लेन में जन्मदिन मनाया करता था।
Never Forget,
— ? Rishi Bagree ?? (@rishibagree) March 27, 2019
When ISRO was carrying their rocket’s part in cycle,
Nehru Gandhi family was celebrating birthday in a Chartered plane. #MissionShakti pic.twitter.com/tYmMMDKAat
जर्नलिस्ट अशोक श्रीवास्तव ने ट्वीट करते हुए लिखा है, “नेहरूजी का देहांत 1964 में हुआ। भक्त मंडली 55 साल बाद #MissionShakti का श्रेय उन्हें दे रही है। आज की उपलब्धियों का श्रेय नेहरूजी को, तो #कश्मीर में सेना और निर्दोष लोगों के मारे जाने, चीन के विस्तारवाद और सुरक्षा परिषद में मसूद के बच निकलने के ज़िम्मेदार नेहरू जी क्यों नहीं ?”
नेहरूजी का देहांत 1964 में हुआ।भक्त मंडली 55 साल बाद #MissionShakti का श्रेय उन्हें दे रही है।
— Ashok Shrivastav (@ashokshrivasta6) March 27, 2019
आज की उपलब्धियों का श्रेय नेहरूजी को, तो #कश्मीर में सेना और निर्दोष लोगों के मारे जाने, चीन के विस्तारवाद और सुरक्षा परिषद में मसूद के बच निकलने के ज़िम्मेदार नेहरू जी क्यों नहीं ? pic.twitter.com/Y581CEQ131