विश्व आज तरक्की के नित नए कीर्तिमान गढ़ने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। आज के युग में प्रत्येक देश विकास की बयार पर सवार होकर नए-नए आयामों को खोजने की राह पर चल रहा है। लेकिन कुछ जगह ऐसी भी है, जहाँ विकास और तरक्की केवल शब्द मात्र ही हैं इससे अधिक और कुछ नहीं। इसकी वजह यह है कि यहाँ का समाज आज भी विकास के इस नए दौर में अपने क़दम रखने में सक्षम नहीं है। आज के तकनीकी युग में एक ऐसा तबका भी मौजूद है, जो अपनी उल-जलूल हरक़तों और क्रूरता से चर्चा का विषय बन जाता है।
ऐसा ही एक देश है पाकिस्तान। अफसोस कि हमारा पड़ोसी है! यहाँ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। वीडियो में देखा जा सकता है कि पठानी कुर्ता-पजामा में एक व्यक्ति लेटा हुआ है और दूसरा व्यक्ति प्रैक्टिकल कर के बता रहा है कि कैसे कबूतर अपने गुदाद्वार का प्रयोग करते हुए उक्त व्यक्ति की नाभि से हेपेटायटिस के कीड़े को खींच लेता है। आश्चर्य की बात यह है कि पाकिस्तान में अभी भी लोग ऐसी अजीबोगरीब चीजों पर भरोसा रखते हैं:
MashAllah, Doctor in Pakistan just made brilliant discovery of sucking out germs of Hepatitis C by using pigeon.
— Fan of Zaidu?? (@TheZaiduLeaks) March 14, 2019
Apart from Imran khan this Karachi doctor too deserve Nobel Prize.
Shame on @TarekFatah for saying we only produce rectum see we too produce scientist. pic.twitter.com/SQSyLiTioe
इसमें बीमारी के इलाज के लिए कबूतर का इस्तेमाल किया जाता है और इस इलाज प्रक्रिया में उस बेज़ुबान पक्षी को बेरहमी से गर्दन दबाकर मार दिया जाता है। इस क्रूरता का संबंध पाकिस्तान से है, जहाँ कराची का एक डॉक्टर हेपेटाइटिस-सी बीमारी का इलाज कबूतर के माध्यम से करता है। फ़र्ज़ी इलाज के नाम पर एक तरफ तो वो रोगियों का इलाज करने का ढोंग रचकर उन्हें ठगता है और दूसरी तरफ एक निर्दोष पक्षी की निर्मम हत्या कर देता है।
आपको बता दें कि इलाज के लिए कबूतरों का इस्तेमाल केवल पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि येरूशलम और इज़राइल में भी होता है। यहाँ हेपेटाइटिस के इलाज के लिए यह एक पारम्परिक तरीका है। इज़राइल में जब हेपेटाइटस का प्रकोप था तब उसके इलाज के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, जिसके बाद रोगी की हालत में सुधार हो जाता था। हालाँकि, इस इलाज से ठीक होने का कोई वैज्ञानिक पहलू नहीं है, न ही कहीं पर इसे वैज्ञानिक या चिकित्सक समुदाय द्वारा मान्यता मिली है।
आज के समय में इलाज की कई तकनीकें विकसित हो चुकी हैं लेकिन इलाज की इस तरह की वाहियात और मूर्खतापूर्ण तकनीक पर प्रश्नचिह्न लगना या लगाना स्वाभाविक ही है। बड़े आश्चर्य की बात है कि आज के दौर में भी इस तरह के तरीकों का चलन अस्तित्व में है। अब इसे अज्ञानता न कहें तो भला और क्या कहें, जहाँ दुनिया तरक्की के नए रास्तों का रुख़ कर रही है वहाँ इस तरह के परम्परागत तरीके सोचने पर मजबूर करते हैं कि समाज का यह तबका बौद्धिक स्तर पर कब परिपक्व होगा?
शायद कभी नहीं। या सदियों बाद। क्योंकि इस देश का विज्ञान और टेक्नॉलजी मंत्री का नाम फवाद चौधरी है। यह बताना इसलिए जरूरी है क्योंकि जिस देश का विज्ञान और टेक्नॉलजी मंत्री ही यह कहता हो कि “हम दुनिया के बेस्ट सुसाइड बम बनाते हैं”, उस देश में वैज्ञानिक तरक्की किस आधार पर होगी, यह सोचना ही दुखद है… क्योंकि यह देश हमारा पड़ोसी है।