कॉन्ग्रेस और इस पार्टी के समर्थकों ने मोदी सरकार के दौरान चर्चा में आने वाली हर दूसरी चीज को गलत बताया लेकिन सच्चाई जानकार आप हैरान रह जाएँगे। वास्तविकता यह है कि जितना लाभ डिजिटल इंडिया और दैनिक सस्ते इंटरनेट का मोदी विरोधियों ने उठाया है, उतना शायद ही किसी और ने उठाया होगा। चाहे कुणाल कामरा जैसे सस्ते कॉमेडियंस के माध्यम से दर्शनशास्त्र सीखकर फेक न्यूज़ को पूरी चौड़ाई से सतसंग बनाकर पढ़ाने वाले सोशल मीडिया विचारक हों, या फिर उदाहरण के लिए आज राजस्थान सचिवालय में घटी एक निंदनीय घटना को ही ले लीजिए।
दरअसल, सोमवार को शासन सचिवालय में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की ओर से वीडियो कॉफ्रेंस का आयोजन किया गया था। उस समय विभाग की सचिव मुग्धा सिन्हा विभाग के अधिकारियों से विभिन्न योजनाओं पर चर्चा कर रही थीं। इसी दौरान स्क्रीन पर अचानक ‘गन्दी’ वीडियो चल गई। यह वीडियो तकरीबन 2 मिनट तक चलता रहा और किसी तरह से टेक्निकल टीम ने वीडियो को बंद किया। सुनने में तो यह भी आ रहा है कि इस घटना की अब जाँच होनी है। जबकि कॉन्ग्रेस सरकार ‘हुआ तो हुआ’ के ध्येयवाक्य पर काम करती है, ऐसे में जाँच सिर्फ घटिया की जगह अच्छी क्वालिटी की वीडियो तलाशने से ही हो सकता है।
नहीं, राजीव गाँधी इसलिए नहीं लेकर आए थे देश में कम्प्यूटर
टेक्नोलॉजी, कम्प्यूटर का विषय हो और बोफोर्स घोटालों के आरोपित हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी जी को याद न किया जाए. यह संभव ही नहीं है। नेहरुघाटी सभ्यता में जन्मे कुछ विचारकों के अनुसार रॉबर्ट वाड्रा के ससुर राजीव गाँधी जी खुद अपने कन्धों पर लादकर कम्प्यूटर इस देश में लेकर आए थे। लेकिन सोमवार को सचिवालय में घटी इस निंदनीय घटना के बाद कुछ अराजक तत्वों ने प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू की जगह पर शुक्रिया राजीव के नारे लगाने शुरू कर दिए।
लेकिन, फेकिंग न्यूज़ की ख़बरों का फैक्ट चेक कर के मशहूर हुए कुछ फेक न्यूज़ एक्सपर्ट विचारकों ने तुरंत इसका भी फैक्ट चेक किया और बताया, “नहीं, जिस कम्प्यूटर में यह पॉर्न वीडियो चला, उसे राजीव गाँधी देश में लेकर नहीं आए थे।”
हालाँकि, यह मनन करने लायक बात है कि जब इस देश में लाए गए एक-एक कम्प्यूटर के पीछे राजीव गाँधी का हाथ है, तो आखिर उन्होंने कॉन्ग्रेस के नेताओं को क्यों छोड़ दिया?
वहीं, इस घटना के अरविन्द केजरीवाल के कानों में पड़ते ही उन्होंने तुरंत उच्चस्तरीय कमिटी बैठाकर निर्णय लिया कि राजस्थान में जब भी विधानसभा चुनाव होंगे वो बिना टेक्नीकल मिस्टेक के ही जनता के उत्साह को ध्यान में रखते हुए मुफ्त में ‘गन्दी बात’ उपलब्ध कराएँगे। उन्होंने तर्क दिया कि ऐसे समय में जब लोग जेसीबी की खुदाई के अलावा कुछ और बात करने को तैयार ही नहीं थे, ऐसे में कॉन्ग्रेस शासित राजस्थान में हुई इस घटना ने लोगों का पूरा ध्यान बटोर लिया।
खैर, हुआ तो हुआ का समय है। कभी दिल्ली के राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर हो जाता है, तो कभी राजस्थान के सचिवालय में हो जाता है, कभी-कभी तो संसद में भी चल पड़ा था। लेकिन, इसका मतलब ये नहीं कि एक बार गलती से चला दो और दूसरी बार जाँच करने के लिए। हालाँकि, जो भी हुआ उसमें डिजिटल इंडिया और दैनिक सस्ते इंटरनेट की छाप तो है ही, चाहे गोदी मीडिया कितना भी छुपाने की कोशिश करे।