NDTV से 2 खबर आ रही है।
पहले छोटी खबर:
NDTV बिकने को तैयार है। कीमत मात्र 1600 करोड़ रुपए लगाई गई है। घाटे वाली कंपनी को और मिलेगा भी कितना?
अब बड़ी खबर:
रवीश कुमार NDTV से इस्तीफा दे चुके हैं। सोर्स बता रहे हैं कि देने वाले हैं। मैं मीडिया में हूँ, मुझे सोर्स से भी ज्यादा भीतर तक की खबर है।
वामपंथी लोग इसे सामान्य खबर मान कर दिल बहला रहे हैं। कई लोग “कोई और आएगा, झंडा बुलंद करेगा” जैसे क्रांति गीत गा रहे हैं। रवीश कुमार NDTV से इस्तीफा दे चुके हैं और उनके लिए ऐसी बात? क्योंकि हमेशा की तरह वामपंथी फिर से गलत हैं।
रवीश कुमार हिंदी मीडिया के एकमात्र पत्रकार हैं, इसमें कोई शक नहीं। उनसे ‘तेरा-मेरा रिश्ता क्या’ भले ही खराब है लेकिन अपने भाई पर लगे बलात्कार आरोप के समय जैसी ग्राउंड रिपोर्टिंग उन्होंने की, उसका कर्ज शायद ही हिंदुस्तानी मीडिया कभी चुका पाए।
आप लोगों को बस याद दिलाना चाहता हूँ। याद रवीश के त्याग की। वो रवीश जिसे देखने के लिए लड़के-लड़कियाँ-बूढ़े-जवान सब टकटकी लगाए रहते हैं, वो रवीश स्क्रीन काली कर बैठे थे… ठीक उसी दिन, जिस दिन उनके भाई पर रेप का आरोप लगा। रवीश से जलने वाली मीडिया ने आपसे यह बात छिपाई। आज जान लीजिए इस रहस्य को।
अभी न जाओ छोड़ कर कि दिल अभी भरा नहीं
2015 में रवीश कुमार ने यह गाना गाया था। रवीश ने तब प्यार से इस्तीफा को इस्तीफ़ू बुलाते हुए गाना गाया था… “अभी न जाओ छोड़ कर कि दिल अभी भरा नहीं।” 2015 की चीज को अभी क्यों याद करवा रहा हूँ? कारण है। दुख, तकलीफ, दर्द… वो सब जो रवीश ने NDTV में रहते हुए झेला। कैसे?
“तुम्हें कभी न लिख पाने वाला एक पत्रकार” – इस कारण की बात कर रहा था मैं। इस्तीफ़ू पर पत्र लिख कर रवीश ने निशाना किसी और पर साधा था लेकिन हस्ताक्षर करते वक्त ‘मन की बात’ लिख ही डाली थी। ध्यान से पढ़िए, इसमें दर्द है, अफसोस है।
NDTV से बड़ी खबर Zee News से
पढ़ने से पहले बता दे रहा हूँ कि यह सोर्स वाली खबर है। इसमें मुझे भीतर तक की खबर नहीं है। लेकिन सोर्स है बहुत दमदार। रवीश कुमार और सुधीर चौधरी दोनों को दाएँ-बाएँ लेकर चलता है – शिवसेना की तरह – कॉन्ग्रेस हो या भाजपा – कुर्सी पकड़ कर चलता है।
NDTV और अडानी के बीच डील की खबर रवीश को लग गई थी। बड़े पत्रकार हैं, लगनी भी चाहिए। लेकिन पत्रकारिता पर दाग न लगे, इसलिए रवीश ने इस्तीफ़ू दे दिया। क्यों?
क्योंकि रामदेव के विज्ञापन को NDTV पर रवीश झेल जाते थे, अडानी को कैसे झेलते… इसका रास्ता नहीं दिखा। यह भी गवारा नहीं कि हर दिन स्क्रीन काली ही कर दी जाए। क्योंकि TV नहीं देखने के लिए रवीश हमेशा बोलते रहे थे, रहे हैं… NDTV नहीं देखने पर आज तक नहीं बोले हैं… हेहेहे!
इसलिए इस्तीफ़ू दे दिया। लेकिन खबर इस्तीफ़ू के पहले की है। दमदार सोर्स ने बताया कि इस्तीफ़ू से पहले वो Zee News के ऑफिस आकर सुधीर चौधरी से मिले और प्राइम टाइम बुक कर लिए। बस एक शर्त माननी पड़ी। उनके शो में Adani Wilmar के फॉर्च्यून कड़ुआ तेल का विज्ञापन साथ-साथ चलता रहेगा… हेहेहे!