राहुल गांधी ने आज द हिन्दू के हवाले से एक आधे अधूरे पत्र को दिखा कर फिर से फ़र्ज़ी राफेल उड़ाने की कोशिश की और प्रधानमंत्री के लिए अभद्र भाषा प्रयोग करते हुए कहा कि चौकीदार चोर है। द हिन्दू में एन राम ने एक लेख लिखा था जिसके बाद राहुल गांधी ने यह आरोप लगाया। एन राम पहले भी राफेल मुद्दे पर अप्रामाणिक और सनसनीखेज़ खबर प्रकाशित कर मुँह की खा चुके हैं।
द हिन्दू में एन राम ने आज सुबह एक लेख लिखा जिसमें 2015 में रक्षा सचिव रहे जी मोहन कुमार का लिखा एक आधा अधूरा पत्र प्रकाशित किया और मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय रक्षा मंत्रालय के काम में अड़ंगा डाल रहा था। एन राम ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने राफेल की खरीद में रक्षा मंत्रालय और फ़्रांस की कंपनी से की जा रही बातचीत में अनावश्यक रोड़ा अटकाने के उद्देश्य से हस्तक्षेप किया।
यह आरोप लगाने का उद्देश्य यह साबित करना था कि प्रधानमंत्री ने राफेल खरीद में किसी अन्य पार्टी को लाभ पहुँचाने के मकसद से हस्तक्षेप किया। जी मोहन कुमार ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री कार्यालय से असहमति जताते हुए लिखा था कि राफेल रक्षा खरीद में प्रधानमंत्री कार्यालय रक्षा मंत्रालय के पैरेलल नेगोशिएशन कर रहा है।
द हिन्दू में प्रकाशित लेख के तुरंत बाद ही जी मोहन कुमार सामने आए और उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि वह पत्र उन्होंने राफेल की क़ीमत के बारे में नहीं बल्कि ‘sovereign guarantee’ और सामान्य नियम एवं शर्तों के बारे में लिखा था।
तेज़ी से बदलते घटनाक्रम में तस्वीर और साफ़ होती गई जिसमें राहुल गांधी के आरोपों की धज्जियाँ उड़ गईं। समाचार एजेंसी ANI ने जी मोहन कुमार का पूरा पत्र अपने ट्वीट में प्रकाशित किया जिसमें जी मोहन कुमार के पत्र का उत्तर तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने दिया था।
ANI accesses the then Defence Minister Manohar Parrikar’s reply to MoD dissent note on #Rafale negotiations.”It appears PMO and French President office are monitoring the progress of the issue which was an outcome of the summit meeting. Para 5 appears to be an over reaction” pic.twitter.com/3dbGB9xF4Z
— ANI (@ANI) February 8, 2019
मनोहर पर्रिकर ने मोहन कुमार के पत्र का उत्तर देते हुए लिखा था कि भारत के पीएमओ और फ़्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा राफेल खरीद समझौते की पूरी मॉनिटरिंग की जा रही थी जो दोनों देशों के शासनाध्यक्षों के शिखर सम्मेलन में हुई मीटिंग के फलस्वरूप थी। ऐसे में मोहन कुमार की आपत्ति एक निरर्थक प्रतिक्रिया थी। मनोहर पर्रिकर ने अपने उत्तर में यह भी लिखा था कि यदि मोहन कुमार के पीएमओ से कोई मतभेद थे तो वे प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव से बात कर मामला तत्काल सुलझा सकते थे।
Defence Minister Nirmala Sitharaman in Lok Sabha: Then Defence Minister Manohar Parrikar ji replied to that MoD note that remain calm, nothing to worry, everything is going alright. Now, what do you call the NAC led by Sonia Gandhi’s interference in earlier PMO? What was that? pic.twitter.com/jB4z5kJCd3
— ANI (@ANI) February 8, 2019
जी मोहन कुमार के स्पष्टीकरण और ANI के ट्वीट के साथ ही रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने लोकसभा में कहा कि यदि एक अख़बार में एक पत्र प्रकाशित कर आरोप लगाए जा सकते हैं तो पत्रकारिता का यह भी दायित्व है कि तत्कालीन रक्षा मंत्री (पर्रिकर) का उत्तर भी प्रकाशित किया जाए। सीतारमन ने कॉन्ग्रेस पर आरोप लगाते हुए भी कहा कि यूपीए शासनकाल में जब सोनिया गांधी पीएमओ में हस्तक्षेप करती थीं तो उसे क्या कहा जाएगा।