वाराणसी में ज्ञानवापी का सर्वे पूरा किया जा चुका है। इस दौरान हिन्दू पक्ष ने शिवलिंग भी मिलने का दावा किया है। यह शिवलिंग कुएँ में मिला था। इस दौरान दीवारों पर हिन्दू मंदिर के अवशेष दिखाई देने का भी दावा किया गया है। यह जानकारी 16 मई 2022 (सोमवार) को दी गई है। वाराणसी के DM के मुताबिक सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में 17 मई 2022 (मंगलवार) को पेश की जाएगी।
रिपोर्ट कोर्ट में 17 मई को पेश होगी… आज बहुत संक्षिप्त कार्यवाही होनी थी, वो पूरी हो गई है: ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे पर वाराणसी के ज़िला मजिस्ट्रेट कौशल राज शर्मा pic.twitter.com/rKHIrQI31j
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 16, 2022
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने ज्ञानवापी के कुएँ में शिवलिंग मिलने का दावा करते हुए उसके संरक्षण के लिए कोर्ट जाने का ऐलान किया है। इस सर्वे के लिए गई टीम को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ले जाया गया था।
ज्ञानवापी सर्वे: मुस्लिम पक्ष के दावे पर क्या बोले वकील विष्णु जैन ?#GyanvapiKiski पर ट्वीट करें अपनी राय#Uttarpradeshnews #UPNews @aditi_tyagi @Vishnu_Jain1
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याचिकाकर्ता सोहनलाल ने कहा, “आज कमीशन खत्म हो गया। अब दूसरे कमीशन की माँग होगी। बाबा मिल गए हैं। आप मेरी बातों से सब समझ लीजिए। बाबा नंदी महराज और देशवासियों को मिले हैं। जाँच कमिश्नर विशाल सिंह को हम धन्यवाद देते हैं।”
#BabaMilGaye | ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे मामला: ‘दो घंटे तक सर्वे हुआ। जिसका इंतजार था नंदी को वो बाबा मिल गए। सर्वे अब खत्म हो गया है’: सोहनलाल आर्य, याचिकाकर्ता
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Z न्यूज़ के एक शो में बोलते हुए एडवोकेट विष्णु जैन ने कहा, “मैंने कोई गोपनीयता भंग नहीं की है। मैं वही सब बता रहा हूँ जो प्रकाशित हो चुका है। तथाकथित मस्जिद ज्ञानवापी की जो भी पश्चिमी दीवार को देख लेगा वो इसे हिन्दू मंदिर ही कहेगा। उसमें देवी-देवताओं की मूर्तियाँ रखने के लिए स्थान बना हुआ है। इसी के साथ घंटियाँ बनी हुई हैं। इस मामले में कुल 7 केस दाखिल हुए हैं। उन केसों में भक्त, भगवान, स्थान और मालिकाना हक सब शामिल है। आने वाले समय में सभी दावे एक साथ जोड़ दिए जाएँगे।”
एडवोकेट विष्णु जैन ने आगे कहा, “1996 में भी सर्वे हुआ था ज्ञानवापी का। अब दुबारा हुआ है। अगर दोनों स्थितियों में कोई फर्क मिला तो प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट विपक्षी पर लागू होगा। प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट हमारे अदालत जाने का अधिकार छीन लेता है। यह एक्ट सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्णित हर किसी के अदालत जाने के अधिकारों का उललंघन है।”