अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को राम मंदिर का उद्घाटन होना है। हिन्दुओं का 500 वर्षों का संघर्ष फलीभूत होगा और रामलला टेंट से गर्भगृह में विराजेंगे। अयोध्या पहुँचने के लिए देश भर के लाखों लोग बेकरार हैं। अयोध्या तो अभी चर्चा में है, लेकिन वाराणसी, उज्जैन और मथुरा जैसे धार्मिक स्थलों पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँच रहे हैं। इसके 2 बड़े कारण हैं – मौजूदा सरकार श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएँ विकसित कर रही हैं और दूसरा, ये भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान का भी काल है।
सांस्कृतिक पुनरुत्थान इसीलिए, क्योंकि जिस भारत के हर क्षेत्र में राम नाम लिया जाता रहा है वहीं पर राम की जन्मभूमि को आक्रांताओं ने कब्ज़ा लिया था और वो अब जाकर मुक्त हुआ है। हिन्दू समाज ने वर्तमान कानूनी तौर-तरीकों से अपना अधिकार वापस पाया है। कहने का अर्थ ये है कि विशेष मौकों पर अब लोग सिर्फ एन्जॉय करने के लिए मनाली, मसूरी और गोवा ही नहीं जा रहे बल्कि मंदिरों में दर्शन और आध्यात्मिकता के अनुभव को प्राथमिकता दे रहे हैं।
OYO पर भी अयोध्या डिमांड में, 70% की उछाल
अब OYO द्वारा जारी किए गए आँकड़े को देख लीजिए। OYO होटल चैन के संस्थापक रितेश अग्रवाल ने ट्वीट कर के बताया है कि इस बार पहाड़ और समुद्री बीच का नहीं, बल्कि अयोध्या का क्रेज है। 2023 के अंतिम दिन उन्होंने जानकारी दी है कि उस दिन 80% ज़्यादा लोग अयोध्या में रुकने के लिए सर्च कर रहे थे। ये अब तक की सबसे बड़ी उछाल में से एक है। उन्होंने इस बात से भी सहमति जताई कि अयोध्या 2024 का सबसे बड़ा पर्यटन स्थल होने वाला है।
रितेश अग्रवाल ने बताया कि भारत के धार्मिक स्थल अब लोगों के सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन हैं। अपने एप के यूजर्स के आँकड़ों को लेकर उन्होंने बताया कि गोवा और नैनीताल के मुकाबले अयोध्या रुकने वालों में सबसे ज़्यादा उछाल देखी गई है। जहाँ अयोध्या के मामले में ये आँकड़ा 70% रहा, वहीं गोवा में 50% और नैनीताल में 60% की उछाल देखी गई। रितेश अग्रवाल मानते हैं कि अगले 5 वर्षों तक आध्यात्मिक पर्यटन भारत में टूरिज्म इंडस्ट्री का नायक होगा।
Holy destinations are now India's favourite destinations!🙏
— Ritesh Agarwal (@riteshagar) December 31, 2023
Ayodhya saw a 70% jump in OYO app users vs Goa (50%) and Nainital (60%)
Spiritual tourism will be one of the biggest growth drivers of the tourism industry in the next 5 years. #CheckIn2024
ये बताता है कि लोग अपने परिवार के साथ धार्मिक स्थलों पर विशेष मौकों पर जाना चाहते हैं। चाहे अविवाहित जोड़े हों या फिर बड़े-बुजुर्ग, सभी अब मौज-मस्ती की जगह आध्यात्मिकता को प्राथमिकता दे रहे हैं। या फिर, घूमने-फिरने वाले जगहों पर जाने का अलावा धार्मिक स्थलों पर भगवान के दर्शन के लिए भी जा रहे हैं। यानी, अब आधुनिकता के दिखावे में धर्म को गाली देने का ट्रेंड कम हो रहा है। तभी अयोध्या जैसी जगहों पर लोग अधिक से अधिक संख्या में जाना चाहते हैं, वहाँ समय बिताना चाहते हैं।
वाराणसी में नए साल पर पहुँचे 8 लाख दर्शनार्थी
2024 के पहले दिन वाराणसी में 8 लाख दर्शनार्थी बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए पहुँचे। विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, जो यहाँ से सांसद भी हैं। यहाँ भी मंदिर को कब्ज़ा कर औरंगजेब ने ज्ञानवापी मस्जिद बनवा दी थी। ये मामला कोर्ट में विचाराधीन है, क़ानूनी लड़ाई चल रही है। लेकिन, मोदी सरकार ने यहाँ विकास को प्राथमिकता दी और उसके बाद काशी की तस्वीर बदल गई। बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुँचने लगे।
सोमवार (1 जनवरी, 2024) को तड़के सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं के पहुँचने का सिलसिला शुरू हुआ और रात 11 बजे तक अनवरत दर्शन चलता रहा। आरती से शयन तक कतार लगी रही। 4 लाख लोगों ने गंगा के विभिन्न घाटों पर स्नान भी किया। खुद मंदिर प्रशासन ने बताया है कि इस बार दर्शनार्थियों के सारे रिकॉर्ड टूट गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर काशी में रामधुन भी गूँजा। इसी तरह सावन महीने में 1.57 करोड़ श्रद्धालु काशी पहुँचे थे।
इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है। सारे होटल बुक रहते हैं। स्थानीय उत्पाद बड़ी संख्या में बिकते हैं, उनका प्रचार-प्रसार होता है। फल-फूल-प्रसाद बेचने वालों से लेकर कपड़ा-खिलौने बेचने वाले तक की चाँदी रहती है। चूँकि लोग देश भर से आते हैं, इसीलिए स्थानीय प्रोडक्ट्स के साथ-साथ संस्कृति में दूर-दूर तक पहुँचती है। जो भी रेस्टॉरेंट्स और ढाबे होते हैं, उनकी भी चाँदी रहती है। बाहर से आए लोग भोजन भी जहाँ रहते हैं वहीं का करते हैं, ऐसे में फ़ूड इंडस्ट्री भी बूम होती है।
सांस्कृतिक-धार्मिक पर्यटन का बढ़ना भारत के लिए अच्छी खबर
इसी तरह मथुरा में भी 3 दिन में 18 लाख लोग दर्शन के लिए पहुँचे। ये तो सिर्फ उत्तर प्रदेश की बात है। लेकिन, शिव, राम और कृष्ण की भूमि इसका उदाहरण है कि 2024 इस मामले में भारत के लिए कितना अच्छा रहने वाला है। इससे न सिर्फ रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं, बल्कि छोटे-मोटे कारोबार करने वालों की कमाई भी बढ़ रही है। सबसे बड़ी बात, मोदी सरकार ऐसे स्थलों का विकास करने और वहाँ सुविधाओं को बढ़ाने को लेकर हरसंभव प्रयास कर रही है।
सुखद ये भी है कि युवा भी अब धार्मिक स्थलों पर पहुँच रहे हैं। आप इस्कॉन के मंदिरों में जाइए या फिर बाँके बिहारी मंदिर, आपको बड़ी संख्या में लड़के और लड़कियाँ वहाँ दिखेंगे। चूँकि ये इंटरनेट और सोशल मीडिया का ज़माना है, इसीलिए तस्वीरें-रील्स बनाने वाली जनरेशन भी धार्मिक स्थलों पर जा रही है। अगर उस स्थल की मर्यादा को ध्यान में रख कर तस्वीरें ली जाएँ तो ये गलत नहीं है। धार्मिक स्थलों का और प्रचार-प्रसार होगा तो इससे और लोग वहाँ पहुँचेंगे जो कि अच्छा ही है।
अयोध्या में राम जन्मभूमि प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के इर्दगिर्द ही 50,000 करोड़ रुपए का कारोबार होने की उम्मीद है। तो सोचिए, भारत के ये अलग-अलग इलाके जो मुख्यतः ग्रामीण परिवेश वाले हैं, वहाँ देश-विदेश से लोगों के पहुँचने से जो हजारों करोड़ रुपयों का कारोबार हो रहा है उसका कितना फायदा गरीबों को मिलता होगा। भारत के पर्व-त्योहारों के दौरान वैसे भी बड़ा कारोबार होता आया है। खासकर दिवाली के दौरान लाखों करोड़ का कारोबार होता है।
हिन्दू धार्मिक स्थलों का विकसित होता, उसके इर्दगिर्द कारोबार होना, स्थानीय अर्थव्यवस्था का आगे बढ़ना और सरकार द्वारा वहाँ विकास कार्य कराना – ये सभी फैक्टर मिल कर 2024 को भारत के आध्यात्मिक पर्यटन के उद्भव का काल बनाएँगे। जो समाज जितना समृद्ध होता है, उसका प्रभाव उतना ही बढ़ता है। यहूदी समाज से ये हमें सीखने को मिलता है। हिन्दुओं को भी समृद्ध बनना है तो आध्यात्मिक पर्यटन को हमें इसका एक जरिया बनाना ही होगा।