राजस्थान के मेवाड़ स्थित शक्ति पीठ ईडाणा माता ने चैत्र नवरात्रि के पहले दिन अग्रि स्नान करके भक्तों को दर्शन दिया। बताया जा रहा है कि सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर माता की प्रतिमा के चारों ओर आग की लपटें उठती दिखीं, फिर आधे घंटे तक माँ के दर्शन हुए।
ये आग की लपटें करीबन ढाई घंटे तक प्रतिमा के पास जलती रहीं। इस दौरान धीरे-धीरे माँ पर चढ़ाई जाने वाली चुनर और धागे सब भस्म हो गए लेकिन माँ की प्रतिमा वैसी की वैसी रही। करीबन 12:30 बजे जब आग शांत हुई तो माता का फिर से नया श्रृंगार किया गया।
माता ईडाणा ने अग्निस्नान किया। भक्तों को दिए अलौकिक स्वरूप के दर्शन। दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी। नवरात्रि के पहले दिन आधे घंटे तक तेज लपटों के साथ हुए माता के दर्शन। मान्यता है कि ईडाणा मां अग्नि स्नान करती है, इस दौरान प्रतिमा के पास रखे चढ़ावा और अन्य चीजें जल जाती है और… pic.twitter.com/mo2Le1OrIY
— Shubham Shukla (@ShubhamShuklaMP) April 9, 2024
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, ईडाणा माता स्थित गायत्री धाम के आचार्य शैलेश त्रिवेदी ने माता के अग्नि स्नान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अग्निस्नान को लेकर कोई दिन और समय तय नहीं है। यह संयोग है कि इस बार हिंदू नव वर्ष के दिन अभिजीत मुहूर्ज में अग्नि स्नान शुरू हुआ। उन्होंने बताया कि जब आसपास के लोगों को आज के दिन माता के स्नान के बारे में पता चला तो मंदिर में भक्तों की भीड़ लग गई। पिछले साल भी माता ने अग्निस्नान करके अपने दर्शन चैत्र नवरात्रि में दिए थे। 2022 में माता ने 28 मार्च को अग्नि स्नान किया था। 2021 में माता ने 2 बार स्नान किया था। एक 9 मार्च 2021 को और फिर 14 मार्च 2021 को।
बता दें कि उदयपुर से करीब 60 किलो मीटर दूर कुराबड़- बम्बोरा मार्ग पर अरावली की पहाडिय़ों के बीच स्थित ईडाणा माता का यह मंदिर हजारों वर्ष प्राचीन है। मान्यता है कि महाभारत काल में इस मंदिर की स्थापना की गई थी। अग्निस्नान देखने के लिए लोग यहाँ विदेशों से भी आते हैं। लेकिन कोई तिथि तय नहीं होने के कारण ज्यादातर मौकों पर लोगों को निराश होकर ही लौटना पड़ता है। इस मंदिर की देवी ईडाणा माता को स्थानीय रजवाड़े अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते आए हैं।
यहाँ माता का कोई भव्य मंदिर नहीं है। ईडाणा माता बरगद के वृक्ष के नीचे विराजमान हैं। माता के सिर के ऊपर कोई शिखर भी नहीं है। माता खुले आसमान के नीचे निवास करती हैं। माँ की मूर्ति के पीछे केवल मनोकामना पूरी होने पर भक्तों की ओर से चढ़ाई जाने वाली चुनरी और त्रिशूलों का सुरक्षा कवच मौजूद है।
यह घटना किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि अग्नि स्नान के बाद भी माता की प्रतिमा वर्षों पहले जैसी थी आज भी वैसी ही है जबकि ईडाणा माता के अग्निस्नान के समय उठने वाली लपटों से कई बार उस बरगद के पेड़ तक को नुकसान पहुँचा हैं जिसके नीचे सदियों से माता रानी विराजमान हैं। इस शक्ति पीठ की विशेष बात यह है कि यहाँ माँ के द्वार और दर्शन चौबीस घंटे खुले रहते हैं और माना जाता है कि यहाँ आकर लकवाग्रस्त मरीज ठीक हो जाते हैं। ईडाणा माता परिसर में दर्शन के लिए माँ का दरबार, अखंड ज्योति दर्शन, धुनी दर्शन, रामदेव मंदिर व एक बड़ी भोजनशाला है।