Friday, November 22, 2024
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‘दीपिका के भीतर घुसे रणवीर’: गालियों पर हँसने वाले, यौन अपराध का मजाक बनाने वाले आज ऑफेंड क्यों हो रहे?

'चरित्रहनन'- ये एक ऐसा शब्द है, जिसका इस्तेमाल ये लोग खुद पर लगे एक भी आरोप का जवाब देने के लिए करते हैं। ये तब किया जाता है, जब इनके सारे पीआर फेल हो जाते हैं, ये अपने पक्ष में लेख लिखवा कर थक जाते हैं और कुछ नहीं हो पाता। तब इनका अंतिम ब्रह्मास्त्र यही चलता है कि मैं विक्टम हूँ और मुझे निशाना बनाया जा रहा है।

दीपिका पादुकोण पर चर्चा से कुछ लोगों को दिक्कत है। करण जौहर को उनके कनेक्शंस के बारे में मीडिया की रिपोर्टिंग से दिक्कत है। अनुष्का शर्मा को कमेंट्री के दौरान उनका नाम आने से दिक्कत है। लेकिन, बॉलीवुड का इतिहास कहता है कि उन्हें महिलाओं पर भद्दे कमेंट्स और सार्वजनिक रूप से गाली-गलौज से कोई दिक्कत नहीं है। तो क्या आजकल जो ‘इंस्टाग्राम फेमिनिज्म’ चल रहा है, उसे नाटक कहा जा सकता है? आइए, देखते हैं।

जब ‘My Choice’ का चोला ओढ़ कर आया था फेमिनिज्म

नैतिकता वो पाठ है, जिसे पढ़ाने वाले इसकी हदें पार कर के अघा चुके होते हैं। किसी ने सड़क पर कूड़ा फेंक दिया तो अनुष्का शर्मा ने गाड़ी रोक कर उसे न सिर्फ़ डाँटा, बल्कि इसका वीडियो भी बना लिया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। आज अनुष्का शर्मा को सुनील गावस्कर से समस्या है, जबकि वो उनके हित की ही बात कर रहे थे। इसी तरह ड्रग्स नेटवर्क में फँसे बॉलीवुड सितारों को अब नैतिकता याद आ रही है।

आपको दीपिका पादुकोण का ‘My Choice’ वाला वीडियो याद है? मार्च 2015 के अंतिम सप्ताह में आए इस वीडियो में बताया गया था कि ये उनका शरीर है, उनकी आत्मा है और उनका दिमाग है तो चॉइस उनकी ही होगी ना। इसमें उन्होंने कहा था, “मैं कब घर आती हूँ, ये मेरी चॉइस है।” इसकी एक और पंक्ति याद कीजिए, “मैं शादी से पहले सेक्स करूँ या फिर शादी के बाद विवाहेतर सेक्स करूँ- ये मेरी चॉइस है।

यहाँ हम ऐसी किसी भी पंक्ति के लिए न तो किसी को गाली दे रहे हैं और न ही इसे आधुनिकता और ऑर्थोडॉक्सी के तराजू में तौल रहे हैं, बल्कि हमारा उद्देश्य ये है कि आप जिन चीजों को लेकर भाषण देकर ‘एक्टिविस्ट’ का चोला ओढ़ रहे हैं, आप खुद उसको व्यवहार में लाते हैं या नहीं, और, ये आपकी नज़र में सबके लिए सामान है या नहीं? आज जब पूरा बॉलीवुड ड्रग्स के जंजाल में जूझ रहा है, ये चीजें याद की जानी चाहिए।

दीपिका पादुकोण ने जिस ‘माय चॉइस’ पर प्रवचन दिया था, उसी पर आगे चलते हुए आज राहुल कँवल जैसे लोग कह रहे हैं कि व्हाट्सप्प चैट्स से ड्रग्स के आदान-प्रदान का खुलासा हो रहा है, ये प्राइवेसी पर हमला है। ये अलग बात है कि जब यही व्हाट्सप्प चैट्स उनके खुद के चैनल ने निकाले थे तो ये उनके लिए गर्व की बात थी। अब यही चीजें उनके लिए ‘चरित्रहनन’ हो गई हैं। अब फेमिनिज्म की आड़ में ड्रग्स को सही ठहराया जा रहा है।

नशेड़ियों तक को बचाने के लिए कभी प्रिवेसी का सहारा लिया जाता है। कभी किसी के महिला होने की बात कही जाती है, तो कभी कहा जाता है कि भगवान शिव भी ड्रग्स लेते हैं। वहीं खुद पर सबूतों के साथ भी आरोप लगे तो लम्बे-लम्बे इंस्टाग्राम पोस्ट्स और स्टोरीज के जरिए तुरंत ‘टॉक्सिक मैस्क्युलेनिटी’ वाला बहाना तैयार रहता है। ताज़ा मामला करण जौहर और दीपिका पादुकोण से जुड़ा हुआ है।

दीपिका पादुकोण का ‘माय चॉइस’ वाला वीडियो

जब इनकी कोई फिल्म आती है तो ये चाहते हैं कि मीडिया उसके बारे में ज्यादा से ज्यादा रिपोर्टिंग और चर्चा करे। तब ये इंटरव्यूज देते नहीं थकते। अब जब इनका नाम ड्रग्स में आया है तो इस पर मीडिया की चर्चा को ‘बदनाम करने की साजिश, भ्रामक, गलत और दुर्भावनापूर्ण अभियान’ करार दिया जा रहा है। तो पैट्रिआर्कि को स्मैश करने वाली कोई कह रही है कि जाँच एजेंसी से पूछताछ के दौरान उसके पति को भी साथ में रहने दिया जाए।

‘चरित्रहनन’- ये एक ऐसा शब्द है, जिसका इस्तेमाल ये लोग खुद पर लगे एक भी आरोप का जवाब देने के लिए करते हैं। ये तब किया जाता है, जब इनके सारे पीआर फेल हो जाते हैं, ये अपने पक्ष में लेख लिखवा कर थक जाते हैं और कुछ नहीं हो पाता। तब इनका अंतिम ब्रह्मास्त्र यही चलता है कि मैं विक्टम हूँ और मुझे निशाना बनाया जा रहा है। ‘चरित्रहनन’ क्या होता है, इसके लिए आज से साढ़े 5 वर्ष पीछे चलना होगा- फ़रवरी 2015 के पहले सप्ताह में।

AIB के शो में यौन अपराध का उड़ा था मजाक

तब AIB का एक वीडियो आता है, जिसमें रणवीर सिंह और अर्जुन कपूर एंकर की भूमिका में मंच पर होते हैं। फिल्म निर्देशक करण जौहर और उनकी माँ भी मौजूद होती हैं। कई सितारों के परिवार वाले मौजूद होते हैं। इसे नाम दिया गया- ‘रोस्टिंग’। बड़े ही कूल तरीक से शो के पहले समझाया गया कि रोस्टिंग एक ‘Comedic’ एक्ट है, जिसकी शुरुआत न्यूयॉर्क में 1949 में हुई थी और अब पूरी दुनिया में इसे अपनाया गया है। अब विदेश में शुरू हुआ तो ‘कूल’ तो होगा ही न।

इस शो में ‘रोस्ट मास्टर’ वही थे, जो आज मीडिया को गाली दे रहे हैं क्योंकि उनके पूर्व-कर्मचारियों के नाम ड्रग्स मामले में आए हैं। इस शो में उनका इंट्रो भी मजेदार था। बताया गया कि ‘एक पायलट, एक सेलर, एक अभिनेता, एक मॉडल और एक आर्किटेक- हमारे सभी लोगों को ख़ुशी से फ़क करने वाले’। शो शुरू होते ही उन्होंने कह दिया था कि अगली ही पंक्ति में उनकी माँ बैठी हैं, जिन्हें शो ख़त्म होने तक एम्बुलेंस की ज़रूरत पड़ सकती है।

दर्शक दीर्घा में अनुराग कश्यप भी बैठे थे, जो आज दिन-रात सबको नैतिकता का पाठ पढ़ाते रहते हैं। इसमें एक कॉमेडियन के रंग को लेकर मजाक उड़ाया गया, एक महिला कॉमेडियन को ‘सबसे कम लोकप्रिय’ बताया गया और ‘Asshole’ जैसे शब्दों का जम कर प्रयोग किया गया था- जिसे किसी ने भी ‘चरित्रहनन’ नहीं कहा। करण जौहर ने रणवीर सिंह के लिए ‘Pervert’ शब्द का इस्तेमाल किया।

यहाँ दीपिका पादुकोण के लिए करण जौहर ने क्या कहा था, वो जानने लायक है। उन्होंने कहा था, “मैं ये नहीं कह रहा कि रणवीर सिंह सिर्फ बुरी फ़िल्में करते है, अंतिम बार अगर वो किसी अच्छी चीज के भीतर थे वो तो हैं- दीपिका पादुकोण।” एक फिल्म निर्देशक ने जब सरेआम ‘रणवीर के दीपिका के भीतर होने’ की बात कही तो ये दोनों ही ठहाके लगा रहे थे। हाँ, किसी ने ‘चरित्रहनन’ की शिकायत नहीं की थी।

अरे, ये रोस्ट था न? रुपए लेकर मंच पर गालियों के लेनदेन को रोस्ट कहते हैं न? हाँ, अगर आप ड्रग्स के लेनदेन वाले व्हाट्सप्प ग्रुप की एडमिन हैं और उस बारे में किसी ने कोई रिपोर्ट छाप दी तो ये ‘चरित्रहनन’ हो जाएगा, इतना पक्का है। यहाँ प्रतिक्रिया में करारा जवाब देते हुए ये कहा जा सकता है कि अरे, इन पुराने ख्याल वाले लोगों को तो ‘रोस्टिंग’ भी नहीं पता। जो भी हो, जो भी चीजें कही गईं, वो सार्वजनिक है।

ऐसा नहीं है कि इसमें अनुष्का शर्मा का नाम नहीं आया था। आया था। आज जब सुनील गावस्कर और उनके साथी कमेंटेटर ने ये कहा कि वीडियो में देखा था कि अनुष्का की बॉल को कोहली खेल रहे थे, तो फेमिनिस्ट ‘अनुष्का को इसमें क्यों घसीटा जा रहा है’ वाला बयान चेंपते हुए आ गए। उन्होने ये नहीं नहीं समझा कि कमेंटेटर्स दुःख जता रहे थे कि विराट और अनुष्का को इतनी भी प्राइवेसी नहीं मिल पाती।

करण जौहर ने AIB के शो में कहा था कि रणवीर सिंह ने फिल्मों में 4 साल पूरे कर लिए हैं, जिनमें से 3 साल तो उन्हें अनुष्का शर्मा से निपटने में लग गए। उनका कहना था कि अनुष्का के पीछे पड़े रणवीर को आगे बढ़ने में 3 साल लग गए। तब न तो किसी ने इंस्टाग्राम पोस्ट लिख कर पूछा कि क्यों अनुष्का को इसमें ‘Drag’ किया जा रहा है और न ही किसी ने इस टिप्पणी के लिए करण जौहर की आलोचना की।

AIB का ‘रोस्ट’ वाला शो

खुद अनुष्का शर्मा का इस शो के बारे में क्या कहना था? जब उनसे AIB की शो में महिलाओं पर किए गए भद्दे कमेंट्स के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि हर इंसान का एक नजरिया होता है – आपका अलग होगा, मेरा अलग होगा और किसी और का अलग होगा। अनुष्का शर्मा ने इसे ‘गुड ह्यूमर’ देते हुए कहा था कि इसे गंभीरता से लेने की ज़रूरत ही नहीं है। तब वो ‘डेमोक्रेटिक सेटअप’ की बात करते हुए कहने लगी थीं कि ये उनके विचार हैं, किसी और का अलग हो सकता है।

वहाँ उनके साथ बैठे एक व्यक्ति सवाल उठाते हैं कि भला भारत में ऐसा क्या बना दिया गया है जो लोग यहाँ ‘बहन@&’ नहीं कह सकते हैं और अनुष्का शर्मा हँस-हँस कर लोट-पोट हुई जा रही थीं। करण जौहर के कमेंट्स ह्यूमर थे, लेकिन ड्रग्स में नाम आना या क्रिकेट में कोई कुछ कहे तो फिर सारा डेमोक्रेटिक सेटअप धराशायी हो जाता है और किसी और के ओपिनियन के लिए इनकी दुनिया में जगह ही नहीं बचती।

यहाँ परिणीति चोपड़ा की अनुपस्थिति में कहा गया कि वो यहाँ इसीलिए नहीं आई हैं क्योंकि उन्हें कहा गया था कि 4000 लोगों के सामने 10 लोग उन्हें ‘फ़क’ करेंगे और करण जौहर के बारे में कहा गया कि वो इसीलिए यहाँ आए हैं, क्योंकि 4000 लोगों के सामने उन्हें ‘फ़क’ करेंगे। कॉमेडियन रोहन जोशी को कहा गया कि वो सिर्फ इसीलिए फेमस हैं, क्योंकि उन्होंने आलिया भट्ट की बहन को ‘डेट’ किया है। दर्शक-दीर्घा में बैठी आलिया तालियाँ पीटती रहीं।

तब करण जौहर और दीपिका पादुकोण नहीं हुए थे ऑफेंड, नहीं आए थे इंस्टाग्राम पोस्ट्स

तब रणवीर सिंह को AIB के एक कॉमेडियन ने भरे मंच से राष्ट्रीय स्तर का ‘सेक्स ऑफेंडर’ कहा। हाँ, तब किसी ने ये बात नहीं उठाई थी जब कोई सेक्स ऑफेंडर होता है तो कोई पीड़ित भी होता है और ऐसा बोल कर इस अपराध को हल्का साबित करने की कोशिश हो रही है। क्या ‘यौन अपराध’ मजाक का विषय है? हाँ है, अगर बॉलीवुड का इलीट गैंग बैठ कर मजे ले रहा हो तब। दूसरे मामलों में तो थप्पड़ मारने का मजाक बनाना भी उनके लिए 2 किलोमीटर लम्बे इंस्टाग्राम पोस्ट का विषय बन सकता है।

आजकल पायल घोष के साथ यही तो हो रहा है। उन्होंने फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप पर बलात्कार का आरोप लगाया है, लेकिन उन्हें ‘मी टू’ अभियान को कमजोर करने वाला और ‘असली’ पीड़ितों के दर्द को हल्का करने वाला बताया जा रहा है, क्योंकि आरोप अनुराग कश्यप पर हैं। जिस बॉलीवुड के लोगों ने यौन अपराध का मजाक बनाया, वही लोग आज पायल घोष को अपराधी ठहरा रहे हैं, उनके महिला होने का सर्टिफिकेट ही रद्द कर दिया गया है।

फरीदा जलाल और रीमा लागू जैसी वरिष्ठ अभिनेत्रियों के लिए AIB के उस शो में आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया गया। रघु राम ने दर्शकों को ही ‘चू#@या’ कहा, मंच से ‘भो%$ड़ी के’ कहते हुए कहा, वहाँ उपस्थित लोगों को ‘#@त’ कहा, कोई ऑफेंड नहीं हुआ। करण जौहर के बारे में फिल्म क्रिटिक राजीव मसंद ने कहा कि वो अनुराग कश्यप से घृणा करते-करते उनसे प्यार करने लगे, इसीलिए वो कल्कि कोचलिन के उलट हैं। कोई ऑफेंड नहीं हुआ।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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